सोमवार, 12 अगस्त 2013

साइबर अपराधों में नौवें पायदान पर भारत!

अंतर्राष्ट्रीय  सम्मेलन में तलाशे जाएंगे समाधान
ओ.पी. पाल

दुनियाभर में लगातार बढ़ रही साइबर अपराधों पर अंकुश लगाने के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र भी कवायद करते हुए चिंता व्यक्त कर चुका है, लेकिन यह सच है कि दुनियाभर में होने वाले साइबर अपराधों में करीब दस प्रतिशत का भागीदार भारत भी हो चुका है,जहां साइबर अपराधों को रोकना केंद्र सरकार की भी एक चुनौती बना हुआ है।
यह चौंकाने वाला आंकड़ा साइबर अपराध पर जारी अंतर्राष्ट्रीय संस्था नार्टन (सीमैन्टेक) की ताजा रिपोर्ट से हुआ है, जिसके अनुसार भारत में हर साल 42 मिलियन साइबर अपराध घटित होते हैं, जिसके शिकार करीब 52 प्रतिशत लोग मैलवेयर,वायरसेज, हैकिंग, स्कैम्स, जालसाजी एवं चोरी जैसी घटनाओं से पीड़ित होते हैं। इस सर्वेक्षण के मुताबिक भारत में हर मिनट में 80 से अधिक लोग साइबर अपराध की चपेट में आते हैं। रिपोर्ट में यह तथ्य भी सामने आया है कि हर साल साइबर अपराध के अनुमानित वैश्विक प्राइस टैग 110 बिलियन यूएस डालर की कीमत में भारत की हिस्सेदारी आठ बिलियन यानि 7 प्रतिशत है। सिक्योरिटी फर्म कास्पर्सकी ने कंप्यूटर आक्रमणों के उच्चतम प्रतिशत वाले देशों की सूची में भारत को नौवें स्थान पर शामिल किया है।
चुनौती से निपटने की नीति
भारत ने हाल ही में अपनी नेशनल साइबर सिक्योरिटी पॉलिसी 2013 (एनसीएसपी 2013) को जारी की है। हालांकि इस पॉलिसी पर एक पेशेवर प्रमाणन निकाय ईसी-काउंसिल का कहना है कि भारत आधारभूत संरचना एवं निवेश के अभाव के कारण आगामी 5 वर्षों में पांच लाख साइबर सुरक्षा पेशेवरों के कार्यदल के सृजन के लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाएगा। भारत ने यह नीति इसलिए जारी की है कि वह अपने पड़ोसी देशों द्वारा किये जा रहे साइबर घुसपैठ का शिकार हो चुका है। एक हालिया रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि चीन अपने साइबर वारफेयर आर्मी के माध्यम से भारतीय वेबसाइट्स पर बार-बार साइबर आक्रमक करता आ रहा है। सूत्रों के अनुसार साइबर अपराध को चुनौती मानते हुए भारत की साइबर अपराध विशेषज्ञों की एक टीम ने इस समस्या से निपटने के लिए इसी साल नवंबर में ‘दी ग्राउंड जीरो’ सम्मेलन आयोजित करने का   ऐलान किया है, जिसमें एशिया की प्रमूख सूचना सुरक्षा से जुड़े विशेषज्ञ हिस्सेदारी करेंगे।
12Aug-2013



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