रविवार, 18 अगस्त 2013

अब बढ़ेंगी राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की शक्तियां!


उच्च सदन ने लगाई विधेयक पर मुहर
ओ.पी. पाल

दुनियाभर में सड़क दुर्घटनाओं के दौरान हो रही मौतों के मामले में पहले स्थान पर चल रहा भारत इस कलंक को मिटाने के भरकस प्रयास कर रहा है, जिसकी दिशा में संसद में लंबित पड़े भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्रधिकरण (संशोधन) विधेयक को उच्च सदन से मिली मंजूरी से सरकार को दुर्घटनाओं में मौतों को कम करने के लिए बनाई जाने वाली परियोजनाओं में मदद मिलने का रास्ता साफ हो गया है।
देश में सड़कों का जाल बिछाने के लिए भारतीय राष्ट्रीय प्राधिकरण अधिनियम 1988 के तहत गठित भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्रधिकरण निर्माण का जिम्मा लिये हुए है, जिसमें सरकार प्राधिकरण को ज्यादा शक्तियां देने के लिए इस कानून में संशोधन करने का निर्णय लिया था। संशोधन करने वाला यह विधेयक लोकसभा में पिछले साल ही पारित हो गया था, लेकिन राज्यसभा में पारित नहीं हो पाया था। आखिर मंगलवार को केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री आस्कर फर्नांडीस ने उच्च सदन में पेश किया, जिससे चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया गया है। हालांकि विधेयक में अधिनियम 1988 की धारा 3 की उपधारा(3)के स्थान पर धारा 3 का संशोधन किया गया है जिसके तहत एनएचएआई के ढांचे को और मजबूत किया जा सकेगा। मसलन प्राधिकरण में अध्यक्ष के अलावा पांच के स्थान पर छह पूर्णकालिक तथा चार के स्थान पर छह अंशकालिक सदस्यों को नियुक्त किया जा सकेगा। अब इस विधेयक पर केवल राष्ट्रपति की मुहर लगनी है। राज्यसभा में इससे पहले इस विधेयक पर चर्चा के दौरान विभिन्न दलों ने दुनियाभर में सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों लोगों में भारत की फजीहत पर चिंता जताई, जिन्हें रोकने के लिए सरकार से राष्ट्रीय राजमार्गो को विकसित करने पर जोर दिया गया और इसके लिए सुझाव भी दिये गये। हालांकि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने मुफ्त कैशलेस इलाज की योजना को भी शुरू कराने की बात कही गई है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री आस्कर फर्नांडीज ने कि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण कानून 1980 में संशोधन करने वाले इस विधेयक में पूर्णकालिक सदस्यों की संख्या पांच से बढ़ाकर छह करने और अल्पकालिक सदस्यों की संख्या चार से बढ़ाकर छह करने का प्रावधान करने से हालांकि देश में सड़कों पर यातायात की समस्या नहीं सुलझने वाली है। इसके लिए सरकार ठोस योजनाओं पर काम किया जा रहा है।
प्राधिकरण में मुखिया ही नहीं
राज्यसभा में इस विधेयक पर चर्चा के बाद यह खुलासा भी हुआ है कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अध्यक्ष पद पर पिछले करीब 17 महीनों से नियुक्ति तक नहीं की जा सकी। जदयू के सांसद एनके सिंह ने कहा कि इस पद से आरके सिंह के हटने के बाद अभी तक वह खाली पड़ा है। इसे सरकार ने भी स्वीकारा है, तो सवाल उठाए गये कि जिस अथोरिटी का मुखिया ही न हो तो उससे सरकारी परियोजनाओं के लक्ष्य को पूरा करने की उम्मीद कैसे की जा सकती है।
लक्ष्य पाने में मिलेगी मदद
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के एक अधिकारी ने इस विधेयक के राज्यसभा में पारित होने के बाद कहा कि इसके जरिए प्राधिकरण के अधिकारों में बढ़ोतरी होगी और प्राधिकरण को सड़क निर्माण एजेंसियों को आकर्षित करने की योजनाओं को तैयार करने का भी अधिकार होगा। पिछले सालों में पिछड़े सड़क निर्माण के लक्ष्य को सरकार ने स्वीकार करते हुए यह भी माना कि भविष्य में इस संशोधन के बाद प्राधिकरण अपने अधिकारों के साथ जिस तरह काम करेगा उससे सड़क निर्माण परियोजनाओं के लक्ष्य को भी पूरा किया जा सकेगा।
14Aug-2013

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