बुधवार, 29 अक्तूबर 2014

राज्यसभा में भी घटेगी बसपा की ताकत!


अजित सिंह भी उच्च सदन में पहुंचने की जुगत में
राज्यसभा में दाखिल होने की जुगत में सियासी जोड़तोड़ शुरू
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
राज्यसभा में उत्तर प्रदेश की रिक्त होने वाली दस सीटो के लिए 20 नवंबर को चुनाव कराने का ऐलान हो चुका है, लिहाजा इन चुनावों में सत्तारूढ़ सपा का पलड़ा भारी है और उच्च सदन में बसपा की ताकत घटना तय है। ऐसे में लोकसभा चुनाव में अपना वजूद खो चुके रालोद प्रमुख अजित सिंह भी सपा से नजदीकियां बढ़ाकर राज्यसभा में दाखिल होने की जुगत में हैं।
उत्तर प्रदेश विधानसभा में दलीय स्थिति के आधार पर इन दस सीटों में समाजवादी पार्टी की झोली में छह सीटें जाना तय मानी जा रही है। 25 नवंबर को जिन दस सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है उसमें सबसे ज्यादा छह सीटें बसपा की हैं, जबकि एक-एक सपा व भाजपा तथा दो निर्दलीय हैं। इस लिहाज से बसपा को चार सीटें गंवानी पडेÞगी और पांच का समाजवादी पार्टी का फायदा होगा, जबकि भाजपा की एक सीट तय मानी जा रही है। अब सवाल उठता है कि निर्दलीय सदस्य हुए अमर सिंह सपा और मोहम्मद अदीब कांग्रेस के टिकट पर निर्वाचित होकर सदन में आए थे, जिन्हें पार्टियों ने निकाल दिया था। मौजूदा सियासी समीकरण में अमर सिंह सपा के नजदीक ही माने जा रहे हैं इसलिए सपा के प्रो. रामगोपाल यादव के साथ अमर सिंह का भी राज्यसभा में फिर से आना तय माना जा रहा है। जबकि लोकसभा चुनाव में राष्टÑीय अस्तित्व गंवा चुके रालोद प्रमुख अजित सिंह की सपा से नजदीकी बढ़ने के कारण उनका कांग्रेस के गठजोड़ से राज्यसभा में आना मुश्किल है, लेकिन वह सपा के गठजोड़ के सहारे राज्यसभा में निर्वाचित होकर आ सकते हैं। इसके लिए लोकसभा चुनाव में रालोद का दामन थाम चुके अमर सिंह ने पहले ही सपा में उनके लिए पटकथा लिखना शुरू कर दिया था,जिसका असर 12 अक्टूबर को मेरठ में हुई किसान स्वाभिमान रैली में रालोद के मंच पर यूपी में कैबिनेट मंत्री एवं मुलायम सिंह यादव परिवार के सदस्य शिवपाल यादव भी नजर आए थे। इस सियासत में सपा प्रमुख छह सीटों में से एक सीट पर रालोद प्रमुख अजित सिंह को समर्थन दे सकती है। हालांकि राज्यसभा पहुंचने के लिए अभी राजनीतिक दलों के भीतर जोड़-तोड़ की राजनीति शुरू हो गई है।
क्या है यूपी का गणित
राज्यसभा सदस्य के लिए एक सदस्य के लिए कम से कम 36 विधायकों के समर्थन की आवश्यकता होगी। उत्तर प्रदेश की इन दस सीटों के लिए राजनीतिक दलों के बीच शुरू हुए शह-मात के खेल के साथ दलीय स्थिति पर नजर डालें तो 403 सदस्यीय विधानसभा में सर्वाधिक 230 विधायक सपा के हैं, जबक बसपा के 80, भाजपा के 41, कांग्रेस के 28, रालोद के आठ, पीस पार्टी के चार, कौमी एकता दल के दो, राकांपा, तृणमूल कांग्रेस, अपना दल, आईएसी एवं नामित एक-एक सदस्य है, जबकि दह निर्दलीय विधायक हैं। इसलिए सपा के लिए राज्यसभा की छह सीटों पर कब्जा करना आसान है और बात अलग है कि सपा रालोद प्रमुख अजित सिंह का समर्थन करके उन्हें राज्यसभा तक पहुंचा दें, जिसकी संभावनाएं भी व्यक्त की जा रही हैं।
राज्यसभा की स्थिति
राज्यसभा में उत्तर प्रदेश की 31 सीटें निर्धारित है, जिनमें मौजूदा सीटों में बसपा की सर्वाधिक 14, सपा की दस, भाजपा की तीन, कांग्रेस की दो तथा दो निर्दलीय सदन के सदस्य हैं। दो निर्दलीयों में एक सपा और एक कांग्रेस के कोटे से सदन में आए थे। वैसे 245 सदस्य वाले उच्च सदन में फिलहाल आंकडों पर गौर करें मो सपा के दस के मुकाबले बसपा के 14 सदस्य है, जिनमें छह का कार्यकाल समाप्त हो रहा है और चुनाव के बाद दो सदस्य फिर से आने पर उसका आंकड़ा दस तक पहुंच जाएगा, जबकि सपा के उच्च सदन में मौजूदा दस सदस्यों में प्रो. रामगोपाल यादव सेवानिवृत्त हो रहे हैं, जिनके समेत छह सदस्य निर्वाचित होने की संभावना के बाद उसकी संख्या सदन में 15 तक पहुंच जाएगी। इसके अलावा निर्वाचन के बाद एक सीट पर वापसी के बाद भी भाजपा की 43 सीट हो जांएगी, जबकि कांग्रेस 68 से बढ़कर 69 तक पहुंच जाएगा, क्योंकि अदीब निर्दलीय के स्थान पर अब कांग्रेस को एक सीट का फायदा होगा।
29Oct-2014

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें