सोमवार, 27 अक्तूबर 2014

शीतकालीन सत्र में नियत सीट पर बैठेंगे सांसद!


लोकसभा सचिवालय में सदन में सीटें आबंटन को अंजाम देने में जुटा
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
16वीं लोकसभा पहले दो सत्र में निर्वाचित सांसदों के बैठने की व्यवस्था यानि उनकी सीटों का आबंटन नहीं हो पाया था, लेकिन आगामी संसद के शीतकालीन सत्र में विभिन्न दलों के सांसद अपनी निर्धारित सीटों पर बैठ सकेंगे, ऐसी व्यवस्था को अंतिम रूप देने के लिए लोकसभा सचिवालय में माथापच्ची चल रही है।
संसद का शीतकालीन सत्र के 24 नवंबर से शुरू होने की संभावनाएं हैं, जिसके लिए सदन में पार्टी स्तर पर निर्वाचित सांसदों के बैठने की व्यवस्था में हरेक सांसद की सीट का नंबर आवंटित करने के लिए लोकसभा सचिवालय में रोडमैप तैयार हो रहा है। 16वीं लोकसभा के गठन को छह माह होने वाले हैं और अभी तक पिछले दो सत्रों में पक्ष और विपक्ष खेमें में परांपरागत सीटों को छोड़कर किसी भी सांसदों की सीटों का निर्धारण नहीं होने के कारण कोई कहीं भी बैठ सकता था, लेकिन सीटों के आबंटन के बाद हरेक सांसद अपनी आबंटित सीट पर ही बैठेगा। केंद्र सरकार जब जल्द ही सांसदों के लिए आचार संहिता लागू करने की तैयारी कर रही है तो उससे पहले सासंदों की सीटों की नियत व्यवस्था को अंजाम देना भी जरूरी है। लोकसभा सचिवालय के सूत्रों का कहना है कि उम्मीद है कि शीतकालीन सत्र से ही सांसदों के बैठने की व्यवस्था यानि सीटों के आबंटन को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। लोकसभा में विपक्ष का नेता नहीं है। विपक्षी खेमे में 44 सांसदों के साथ सबसे बड़ा समूह कांग्रेस है। सदन के भीतर सामने की कतार की सीटों की सभी नेताओं को आस रहती है और इन सीटों पर बैठ पाना संसद सदस्यों के लिए प्रतिष्ठा की बात मानी जाती है।
विपक्षी खेमे की सीटों का पेंच
हालांकि इससे पहले सदन में सीटों की व्यवस्था के मुद्दे को विभिन्न राजनीतिक दल के नेता लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन के समक्ष उठा भी चुके हैं। इसलिए लोकसभाध्यक्ष सुमित्रा महाजन इस मुद्दे पर पहले भी बैठक कर चुकी हैं। सूत्रों के मुताबिक इस मुद्दे पर पिछले दिनों से ही राजनीतिक दलों के बीच खींचतान और दबाव बना हुआ है। मसलन हरके राजनीतिक दल के सदन में नेता को अग्रिम पंक्ति में सीट आबंटित करने की परंपरा है,लेकिन 16वीं लोकसभा में प्रतिपक्ष नेता का पद हासिल करने में कोई भी दल नियमानुसार दस प्रतिशत सीटें हासिल नहीं कर सका है तो ऐसे में सत्ता पक्ष भाजपा के बाद कांग्रेस, अन्नाद्रमुक और तृणमूल कांग्रेस व बीजद के करीब 90 सांसद हैं, तो प्रमुख विपक्षी दल की अग्रिम पंक्ति में इन दलों के नेताओं के बैठने का मुद्दा बेहद पेचीदा है, जो विपक्षी खेमे में अग्रिम पंक्ति में सीट हासिल करने के प्रयास में हैं। दिलचस्प बात यह है कि अन्नाद्रमुक,तृणमूल कांग्रेस और बीजू जनता दल कांग्रेस के बगल में बैठने को तैयार नहीं हैं, इसलिए सीटों के आबंटन का मामला लंबा खींच रहा है। जबकि इस खेमे की अग्रिम पंक्ति में एक सीट लोकसभा उपाध्यक्ष के लिए तय होती है। ऐसी सीटों का मुद्दा ज्यादा चर्चा और विवाद में उलझा हुआ है।
सदन में सीटों की स्थिति
लोकसभा में पीठ के दांयी और सत्ता पक्ष और बांयी और विपक्ष बैठता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास लोकसभा अध्यक्ष के दायीं ओर कोने वाली सीट तय है। विपक्षी खेमे में अंग्रिम पंक्ति में कोने वाली सीट लोकसभा उपाध्यक्ष के लिए निर्धारित होती है। मसलन सत्ता पक्ष के ठीक सामने की इस पंक्ति में लोकसभा उपाध्यक्ष समेत 20 सदस्य ही बैठ सकते हैं। लोकसभा में भाजपा और उसके राजग सहयोगियों की कुल सदस्य संख्या 334 है और इस तरह राजग 12 सीटों का हकदार है। कांग्रेस के 44, अन्नाद्रमुक के 37, तृणमूल कांग्रेस के 34 और बीजद के 20 सांसद हैं। तृणमूल के एक सांसद का पिछले महीने निधन हो गया, जिसके बाद उसके 33 सांसद रह गये हैं।
27Oct-2014


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें