मंगलवार, 21 अक्तूबर 2014

हरियाणा विधानसभा में करोड़पतियों का बढ़ा वर्चस्व!

भाजपा सरकार में दागियों का दम रहेगा पस्त
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
हरियाणा विधानसभा चुनाव में स्पष्ट बहुमत मिलने के बाद भाजपा की सरकार में दागी विधायको की संख्या पिछली विधानसभा के मुकाबले कम रहेगी,लेकिन हरियाणा विधानसभा में इस बार करोड़पतियों का वर्चस्व बढ़ा है। मसलन इस बार 90 विधायकों में 75 विधायकों ने हरियाणा विधानसभा में अपनी जगह बनाई है, जो पिछली विधानसभा के मुकाबले नौ ज्यादा है। इसके विपरीत पिछली विधानसभा में 15 के मुकाबले इस बार मात्र नौ विधायक ही ऐसे दाखिल हो सके हैं, जिन पर आपराधिक दाग है।
राज्य विधानसभा चुनाव में वैसे तो 1351 में से 563 करोड़पतियों ने अपनी किस्मत आजमाई है, लेकिन 90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा में जीत हासिल करके 75 विधायक यानि 83 प्रतिशत का वर्चस्व निश्चित रूप से ही नजर आएगा। पिछली विधानसभा में करोड़पति विधायकों की संख्या 66 यानि 75 प्रतिशत थी। हालांकि चुनाव मैदान में उतरे पहले तीन पायदान के कुबेरों को जनता ने विधानसभा में जाने से रोक दिया है, लेकिन विधानसभा में अब पहले पायदान पर करोड़पति विधायकों में भाजपा के फरीदाबाद से जीते विपुल गोयल होंगे, जबकि हजकां के आदमपुर से जीतकर कुलदीप विश्नोई दूसरे और रेणुका विश्नोई तीसरे पायदान पर होंगी। करोड़ति विधायकों में नारनौंद से निर्वाचित भाजपा विधायक कैप्टन अभिमन्यु चौथे पायदान पर हैं। इसके बाद पहले दस करोड़पति विधायकों में इनेलो के सिरसा से माखनलाल, कांगे्रस की तोशाम से किरण चौधरी, इनलो से डबवाली से नैना सिंह, भाजपा के बादशाहपुर से राव नरवीर सिंह, इनलो के ऐलनाबाद से अभय सिंह चौटाला तथा निर्दलीय संभालका से रविन्द्र मछरौली शामिल हैं। पार्टीवार नजर डाले तो करोड़पति 75 विधायकों में सर्वाधिक 40 भाजपा, 14 कांग्रेस, 13 इनेलो, दो हजका तथा एक बसपा के अलावा पांच निर्दलीय विधायक शामिल हैं। एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार नई विधानसभा में एक विधायक की औसतन संपत्ति 12.97 करोड़ आंकी गई है, जो वर्ष 2009 में बनी विधानसभा में 4.38 करोड़ थी।
दस प्रतिशत का दाग
हरियाणा विधानसभा की 90 सीटों के लिए हुए चुनाव में 94 दागी प्रत्याशियों ने अपनी किस्मत आजमाई थी, लेकिन मात्र नौ ही विधानसभा में दस्तक देने के सपने को साकार कर सके हैं। इनमें बहुमत हासिल करके 47 सीटें जीतने वाली भाजपा के ही सर्वाधिक पांच विधायक शामिल हैं, जिनमें से दो के खिलाफ संगीन आपराधिक मामले लंबित हैं। इसके बाद इनलों के 19 में दो विधायक दागियों में शामिल हैं, जिनमें से एक पर संगीन मामला चल रहा है। जबकि कांग्रेस के 15 में एक तथा हजकां के दो में एक आपराधिक छवि वाले विधायकों पर संगीन मामलें लंबित हैं। यानि नौ दागी विधायकों में से पांच विधायक ऐसे हैं जिनके खिलाफ हत्या, हत्या का प्रयास, अपहरण, बलात्कार, लूट, डकैती और सांप्रदायिक दंगे जैसे संगीन अपराध करने के मामले लंबित हैं। हरियाणा विधानसभा में भाजपा के हिसार से निर्वाचित डा. कमल गुप्ता, बादली से ओमप्रकाश धनकड, टोहना से सुभाष चंद, बडकल से सीमा त्रिखा व गुडगांव से उमेश अग्रवाल दागियों की फेहरिस्त में शामिल हैं, जबकि इनेलो के ऐलनाबाद से अभय चौटाला व फरीदाबाद निट से नगेन्द्र, हजकां के आदमपुर से कुलदीप विश्नोई तथा कांग्रेस के कैथल से निर्वाचित रणदीप सुरजेवाला के खिलाफ आपराधिक लंबित मामले चल रहे हैं। चुनाव सुधार की दिशा में कार्य कर रही गैर सरकारी संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रकटिक रिफोर्म्स और नेशनल इलेक्शन वॉच ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने उतरे प्रत्याशियों में से 1343 उम्मीदवारों के शपथपत्रों को खंगालकर जो अध्ययन किया था उनमें दागी 94 प्रत्याशियों में से सर्वाधिक 41 निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे, लेकिन राज्य की जनता ने उन्हें तव्वजों नहीं दी।
शिक्षित विधायकों का जोर
हरियाणा विधानसभा में इस बार 90 विधायकों में से सर्वाधिक 25 विधायक स्नातक हैं, जबकि 20 प्रोफेशनल स्नातक, 12 पोस्ट ग्रेज्युएट, दो डाक्टर, 17 बारहवीं पास, आठ दसवीं पास, चार आठवीं पास तथा एक अनपढ़ विधायक ने भी जीत हासिल की है। जहां तक आयुवर्ग का सवाल है 44 विधायक 25 से 50 साल आयुवर्ग के निर्वाचित हुए हैं, जबकि शेष 51 प्रतिशत विधायकों की उम्र 51 से 80 साल के बीच है। सर्वाधिक 35 विधायकों की उम्र 41 से 50 साल के बीच है, जबकि 26 की 51 से 60 साल, 19 की 61 से 70 तथा एक विधायक की आयु इससे ज्यादा है। 25 से 30 साल के दो तथ्ज्ञा 31 से 40 साल की उम्र वाले सात विधायक निर्वाचित हुए हैं।

भाजपा के पक्ष में ओबीसी मतदाताओं ने दिखाया दम
नौ से 32 प्रतिशत पहुंचा भाजपा का वोट बैंक
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
लोकसभा चुनाव की तरह ही मोदी का मैजिक हरियाणा विधानसभा चुनावों में भी लोगों के सिर चढ़कर बोला, तभी तो इस हवा में दस साल से सत्ता पर कुंडली जमाए बैठी कांग्रेस के पैर उखड़ गये और इनेलो के तिहाड़ जेल से शपथ लेने के मंसूबों पर भी पानी फिर गया। भाजपा के पक्ष में हुए इस सियासी चमत्कार में राज्य में सभी जातीय समीकरणों को भी ध्वस्त कर दिया है, जिसमें भाजपा के पक्ष में अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं ने अपना पूरा दम दिखाया है। चार से 47 सीटे लेकर स्पष्ट बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही भाजपा का वोट प्रतिशत पिछले चुनाव के नौ से बढ़कर 32 प्रतिशत पहुंचा है।
हरियाणा विधानसभा चुनाव में अकेले दम पर ऐतिहासिक जीत हासिल करने वाली भाजपा को सत्ता सौंपने का चमत्कार कोई ऐसे ही नहीं हो गया, इसमें भाजपा लोकसभा चुनाव की तरह विभिन्न दलों के जातीय समीकरणों को भी ध्वस्त करने में कामयाब रही है। वर्ष 2009 में मात्र चार सीटें जीतकर नौ प्रतिशत वोट हासिल करने वाली भाजपा ने इस बार बहुमत हासिल करके सर्वाधिक 32 प्रतिशत वोट हासिल किया है। जबकि इनेलो हालांकि अपने वोट बैंक को संभालने में कुछ हद तक सफल रही जिसे 26 प्रतिशत वोट मिला, जो पिछले चुनाव में 26.7 प्रतिशत था। जबकि कांग्रेस 35 प्रतिशत वोट लेकर पिछले चुनाव में सत्ता में थी, जिसे इस बार 23 प्रतिशत वोट ही मिल सका है। वर्ष 2009 में अन्य दलों के खाते में 29 प्रतिशत वोट था, जो इस बार खिसक कर 19 प्रतिशत रह गया है। जहां तक जातीय समीकरण का सवाल है उसमें एक अनुमान के अनुसार सबसे ज्यादा 55 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं ने भाजपा पर भरोसा जताया है, जबकि इनेलो को 21 व कांग्रेस को 18 प्रतिशत वोट इस वर्ग का पड़ा है। सबसे ज्याद भाजपा के पक्ष में 59 प्रतिशत वैश्य व ब्राह्मण का वोट पड़ा, जो इनेलो को 11 व कांग्रेस को 14 प्रतिशत तक जाना माना जा रहा है। जाट वोट बैंक का 22 प्रतिशत भाजपा, 45 प्रतिशत इनेलो व 28 प्रतिशत कांग्रेस के खाते में जाने का अनुमान है। जबकि पंजाबी व सिक्ख समाज का भी सर्वाधिक 49 प्रतिशत वोट भाजपा की झोली में गया है, जबकि 19 प्रतिशत इनेलो व 21 कांग्रेस को मिला है। अनुसूचित जाति के वोट में 31 प्रतिशत भाजपा, 14 इनेलो औरा 41 प्रतिशत कांग्रेस की झोली में गया है। इसके अलावा अन्य जातियों का सर्वाधिक 58 प्रतिशत वोट भाजपा, 18 इनेलो व 15 प्रतिशत कांग्रेस के खाते में जाने का अनुमान लगाया गया है, जिसके आधार पर भाजपा हरियाणा में सरकार बनाने जा रही है।
21Oct-2014

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