मंगलवार, 31 दिसंबर 2013

अलविदा 2013: कुछ कही, कुछ अनकही- हंगामे में होम होती रही संसद!

ओ.पी.पाल
वर्ष 2013 में दामिनी कांड की घटना के कारण आपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक और राष्ट्रपति  के अभिभाषण पर पेश हुए धन्यवाद प्रस्ताव पर एक सारगर्भित चर्चा से हुई, लेकिन उसके बाद संसद के तीनों सत्रों में विभिन्न मुद्दे इस कदर गूंजते नजर आए कि इस साल दो संसदीय सत्र निर्धारित अवधि से पहले ही अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने पड़े। संसद में हंगामे के कारण लोकसभा में 92 घंटे का रिकार्ड समय समूचे साल में बर्बाद हुआ।
हंगामे के कारण बजट सत्र के दूसरे चरण को 10 मई की बजाए 8 मई को ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। हंगामे से विरोध की दास्तां को संसद के शीतकालीन सत्र में दोहराया गया, जिसे निर्धारित अवधि 20 दिसंबर से दो दिन पहले ही 18 दिसंबर को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करना पड़ा। भ्रष्टाचार, महंगाई, 2जी स्पैक्ट्रम, तेलंगाना, श्रीलंकाई तमिलों, लोकपाल आंदोलन, महंगाई और मुजफ्फरनगर दंगा जैसे ज्वलंत मुद्दों से संसद बार-बार होम होती रही। हंगामे के कारण इस साल तीनों सत्रों के दौरान लोकसभा में 92 घंटे और राज्यसभा में 82 घंटे का समय बर्बाद हुआ।
शीतकालीन सत्र:
आगामी लोकसभा चुनाव के लिए राजनीतिक दलों की चल रही तैयारियों का कारण ही माना जा सकता है कि संसद का शीतकालीन सत्र अल्प अवधि के लिए बुलाया गया और वह भी निर्धारित अवधि से दो दिन पहले ही स्थगित कर दिया गया। इस सत्र में सरकार ने विपक्ष से सहमति बनाकर लंबित लोकपाल विधेयक को पारित कराया, जिसकी वजह दिल्ली में भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष करने वाली आम आदमी पार्टी का चुनावी प्रदर्शन और चौतरफा जनदबाव का कारण माना गया है। संसद का शीतकालीन सत्र में जितना हंगामा बरपा उसके कारण लोकसभा में 94 प्रतिशत तथा राज्यसभा में 81 प्रतिशत समय की बर्बादी हुई। हालांकि सरकार के दावों पर तेलंगाना, सांप्रदायिक रोधी बिल और अन्य महत्वपूर्ण बिलों को इसी सत्र में पारित कराने का दावा किया जा रहा था, लेकिन हाल ही में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों ने सभी राजनीतिक दलों में बेचैनी पैदा कर दी और बेमन से इस सत्र को समय से पूर्व स्थगित करने का उन दलों ने भी कोई विरोध नहीं किया जो इस सत्र की अवधि बढ़ाने की मांग कर रहे थे।
मॉनसून सत्र:
पांच अगस्त से शुरू हुए संसद के मानसून सत्र के दौरान सदन ने खाद्य सुरक्षा और भूमि अधिग्रहण संबंधी ऐतिहासिक विधेयकों को पारित करने के साथ ही पेंशन विधेयक, लोक प्रतिनिधित्व संशोधन विधिमान्यकरण विधेयक और राजीव गांधी राष्ट्रीय विमानन विश्वविद्यालय विधेयक को भी मंजूरी प्रदान की गई। मॉनसून सत्र की निर्धारित अवधि 30 अगस्त को बढ़ाकर छह सितंबर तक करके महत्वपूर्ण विधेयकों और अन्य कामकाज का निपटारा किया गया गया। लेकिन हंगामे के कारण दोनों सदनों में कुछ कामकाज शोरशराबे के बीच ही निपटा दिये गये। तेलंगाना का विरोध करने वाले तेदेपा और कांग्रेस के सांसदों को इस सत्र के दौरान सदन से निलंबित भी होना पड़ा। मानसून सत्र में सुप्रीम कोर्ट के राजनीतिक दलों पर शिकंजे वाले मुद्दे भी छाए रहे जिन पर सभी राजनीतिक दल एकजुट नजर आए और कानून बदलने के प्रयास में नजर आए, लेकिन आरटीआई संशोधन विधेयक और सजायाफ्ता होने पर सदस्यता समाप्त करने वाले फैसले को बदल नहीं सके। सरकार ने बाद में सजायाफ्ता पाए जाने वाले के बचाव में अध्यादेश भी कैबिनेट में पारित किया,जिस पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के एक बयान ने पानी फेर दिया।
बजट सत्र:
संसद के 21 फरवरी को शुरू हुए बजट सत्र में दिल्ली में एक युवती के साथ चलती बस में सामूहिक बलात्कार की जघन्य घटना की एक स्वर में निंदा की और एक कड़ा कानून पारित किया गया, तो वहीं सदस्यों ने संसद पर हमला मामले के दोषी अफजल गुरू को फांसी दिए जाने की निंदा करने वाले पाकिस्तान की नेशनल असेम्बली द्वारा पारित प्रस्ताव की निंदा के लिए पूरा संसद एकजुट नजर आया। इस सत्र के दौरान भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, केंद्रीय मंत्रियों अश्विनी कुमार और पवन कुमार बंसल के इस्तीफे की मांग पर विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच बने गतिरोध के चलते संसद का बजट सत्र निर्धारित समय से दो दिन पूर्व अचानक अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया था। हंगामे के कारण बजट सत्र के दूसरे चरण का पूरा समय शोर-शराबे की भेंट चढ़ कर व्यर्थ चला गया और इस दौरान केवल संवैधानिक रूप से आवश्यक वित्तीय कामकाज ही निपटाया जा सका। इसी कारण वित्त विधेयक और रेल बजट को बिना चर्चा के ही पारित कराना पड़ा, जिसके कारण इस दौरान विपक्ष ने वाकआउट भी किया। इस हंगामे के कारण 22 अप्रैल से शुरू हुए दूसरे चरण में एक दिन भी प्रश्नकाल नहीं चल सका। बजट सत्र के दो दिन पूर्व ही स्थगित किए जाने से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा और भूमि अधिग्रहण जैसे कई महत्वपूर्ण विधेयक पारित नहीं किए जा सके।
31Dec-2013

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