मंगलवार, 24 दिसंबर 2013

बिखरे जाट-मुस्लिम गठजोड़ का संकल्प!


चौधरी चरण सिंह की जयंती: कांग्रेस-जदयू बने रालोद के खेवनहार

ओ.पी.पाल. मेरठ(उ.प्र.)।
पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चौधरी चरण सिंह की जयंती के बहाने मुजμफरनगर दंगों और जाट आरक्षण के मुद्दे के बल पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बिखरे जाट-मुस्लिम गठजोड़ को बहाल करने का संकल्प लिया गया। इस सकंल्प रैली के जरिए रालोद प्रमुख अजित सिंह शक्ति प्रदर्शन करके सियासी भविष्य को लेकर इतने आश्वस्त दिखे कि इस ताकत को भुनाने के लिए उन्होंने पूरी जिम्मेदारी कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह और जदयू नेताओं शरद यादव व केसी त्यागी पर डाल दी।
रालोद के सियासी गढ़ पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर  व आसपास हुए दंगों से जाटों और मुस्लिमों के छिटकने से बिगड़े राजनीतिक समीकरणों से सबसे बड़ा सियासी नुकसान रालोद का ही माना जा रहा था। हाल ही में यूपीए की सहयोगी रालोद की मांग पर केंद्र सरकार ने जाटों को आरक्षण देने का जो कैबिनेट में फैसला लिया है उसे रालोद ने चौधरी चरण सिंह की 111वीं जयंती पर मेरठ में संकल्प दिवस पर भुनाने का दावं खेला, जिसमें कांग्रेस और जदयू ने भी इस रैली में हिस्सा लेकर रालोद के हौंसले को बढ़ाने का काम किया। कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह और हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने रालोद की उस पहल पर मुहर लगाने का काम करके रैली में आए लोगों को आश्वस्त किया कि यूपीए की सरकार ने चौधरी चरण सिंह के सपने को पूरा करने के लिए जाटों को आरक्षण देने का ऐतिहासिक फैसला कर दिया है। कांग्रेस के इन दोनों नेताओं ने मुजफ्फरनगर के दंगों के लिए यूपी की सत्तारूढ़ सपा और भाजपा को बिना नाम लिये जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि स्व. चौधरी चरण सिंह को सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी, जब शिविरों में रहे रहे लोगों को गांवों में वापस भेजने का सभी संकल्प लेकर यहां से जाएं। जदयू प्रमुख शरद यादव और महासचिव केसी त्यागी ने भी चौधरी चरण सिंह को इंसानियत और मेहनतकशों को मसीहा बताते हुए कहा कि उन्होंने कभी किसी को किसी जाति बिरादरी के रूप में नहीं देखा। जदयू नेतओं ने चौधरी चरण सिंह के सिद्धांतों का वास्ता देकर रैली से संकल्प कराया कि मुजफ्फरनगर दंगे के कलंक को मिटाने के लिए इस अभियान में जुटें कि एक भी व्यक्ति शिविर में न रहे और वे वापसी अपने-अपने गांव में होने चाहिए। इस रैली में हरेक वक्ताओं ने जहां जाटो के आरक्षण का मुद्दे पर एकजुट होने का आव्हान किया। वहीं एकजुटता के लिए चौधरी चरण सिंह द्वारा बिछाई गई हिंदु-मुस्लिम गठजोड़ की बिसात को पुनर्जीवित करने का संकल्प भी लिया गया।
हाईकोर्ट की बैंच की वकालत
इस रैली में जहां जाट आरक्षण और दंगे के लगे कलंक को मिटाने पर बल दिया गया, वहीं जदयू केसी त्यागी ने मंचासीन कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह और हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र हुड्डा पर यह जिम्मेदारी डाली, कि यूपीए सरकार ने जाट आरक्षण से जो शुरूआत की है उसी के साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश के वकीलों के कई दशक से चल रहे इलाहाबाद हाईकोर्ट बैंच की मांग को पूरा कराए। सरकार का विवेक जागे तो यह काम मुश्किल नहीं है, वरना पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों के सब्र का इम्तहान लेने का प्रयास किया तो उन्हें रोकना कठिन हो जाएगा।
नौजवानों को ललकारा
रालोद के महासचिव एवं सांसद जयंत चौधरी ने कि किसाना बाहुल्य पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए भूमि अधिग्रहण और जाटों को आरक्षण पर सरकार का फैसला इस बात का संकेत है कि यूपीए सरकार किसानों, गरीबो, मजदूरों और मुस्लिमों की समस्याओं के लिए गंभीर है। मुजμफरनगर दंगों के दर्द को बयां करते हुए उन्होंने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की इस एकता पर जो दाग लगा है उसे धोना इतना आसान तो नहीं है,लेकिन यदि नौजवान आपस में लड़ाने वाली ताकतों का एकजुट होकर मुकाबला करें तो खोया हुआ गौरव वापस लाया जा सकता है।
आरक्षण से खिली दिखी बांछे
पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती पर अपनी सियासी जमीन को पुख्ता करने के लिए रालोद की संकल्प रैली में हुए शक्ति प्रदर्शन के जरिए भीड़ को देखकर रालोद प्रमुख चौधरी अजित सिंह की बांछे खिलती नजर आई और यहां तक कह गये कि उन्हें इस मौके पर जो उपहार पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों ने दिया है उससे बड़ा उपहार उन्हें आजतक नही मिला। जाट आरक्षण तो अभी शुरूआत बताते हुए अजित सिंह ने कहा कि अभी तो चौधरी चरण सिंह के बहुत से सपने पूरे करने है जिसके लिए इसी प्रकार उन्हें लोगों के प्यार की जरूरत होगी।
24Dec-2013

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