शुक्रवार, 13 दिसंबर 2013

भाजपा ने रोका संसद सत्र की अवधि घटाने का रास्ता!

अपनों से घिरी सरकार को राजग ने लगाया मरहम
ओ.पी.पाल

कांग्रेसनीत यूपीए सरकार संसद के शीतकालीन सत्र की अवधि बढ़ाने के बजाए कम करने का मन बना रही थी, लेकिन भाजपा सरकार के इस निर्णय के आड़े आई और सरकार के प्रति नरम रूख अपनाते हुए उसे लोकपाल और तेलंगाना संबन्धी विधेयकों को पारित कराने के साथ अन्य आवश्यक कामकाज को भी निपटाने में सहयोग के लिए तैयार है। अब यह यूपीए सरकार पर है कि वह भाजपा पर कितना भरोसा कर सकती है। सरकार के सिर पर अपने ही सांसदों का लाया अविश्वास प्रस्ताव तलवार की तरह लटक रहा है।
शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले लोकसभा अध्यक्ष मीराकुमार की अध्यक्षता में हुई सर्वदलीय बैठक में अमूनन सभी दलों ने इस सत्र की अवधि बढ़ाने की मांग की थी। उस समय सरकार की ओर से आए संकेत से साफ हो गया था कि संसद की अवधि बढ़ाने का निर्णय पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजों पर टिका है। इनमें से चार राज्यों में पस्त हुई कांग्रेस की जैसे ही संसद में भी मुश्किलें बढ़ी, तो सरकार ने शीतकालीन सत्र की अवधि बढ़ाने के बजाए कम करने का मन बना लिया था। इसका कारण यह माना गया कि अभी तक संसद में विभिन्न मुद्दों पर गतिरोध और हंगामा बरकरार है जिसके कारण दोनों सदनों की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित करनी पड़ रही है। चूंकि सरकार के पास विपक्ष के मुद्दों का कोई ठोस जवाब नहीं है और कांग्रेस के ही सदस्य लोकसभा में अपनी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे चुके हैं, तो अपने सांसदों से दिक्कत का सामना कर रही सरकार आजकल में ही संसद की कार्यवाही स्थगित करने का मन बना चुकी थी। इस बात की पुष्टि गुरूवार को लोकसभा में प्रतिपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने भी यह कहते हुए की है कि संसदीय कार्यमंत्री का इस बाबत उन्हें फोन आया, जिस पर भाजपा ने सत्र की अवधि कम करके इसे स्थगित करने का विरोध किया। सुषमा स्वराज का कहना था कि सरकार यह मान चुकी थी कि दोनों सदनों में अब कोई कामकाज होने वाला नहीं है, लेकिन भाजपा ने सरकार को सर्वदलीय बैठक में किये गये सहयोग के वादे को निभाने की बात कही और कहा कि जेपीसी को छोड़कर सदन में राजग शांत है ओर कांग्रेस तथा यूपीए सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे दल ही हंगामा करने पर उतारू है। भाजपा ने सरकार के संसद सत्र की अवधि कम करके स्थगित करने के रास्ते को रोककर आश्वासन दिया कि वह सदन में लोकपाल और तेलंगाना वाले महत्वपूर्ण विधेयक पास कराये जिसमें राजग उसका सहयोग करेगा। विपक्ष के इस भरोसे पर ही शायद संसदीय कार्यमंत्री कमलनाथ को यह बयान देने के लिए मजबूर होना पड़ा कि संसद के शीतकालीन सत्र की अवधि में कटौती करने की कोई योजना नहीं है क्योंकि लोकपाल विधेयक समेत कई अन्य महत्वपूर्ण कार्यों को किया जाना है। वहीं सरकार अन्य कार्यों के लिए  समय तय किया है और प्राथमिकताओं वाले कार्य को इसी सत्र में निपटाएगी।
अनिश्चितकाल के लिए स्थगन  थे पूरे संकेत
संसद में दिक्कतों से जूझ रही कांग्रेसनीत सरकार की सबसे ज्यादा अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस को लेकर हलकान है और दूसरी ओर चार राज्यों के चुनाव नतीजों ने जिस प्रकार कांग्रेस की हिम्मत तोड़ दी, उससे लगातार अटकले यही थी कि संसद का सत्र शुक्रवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किया जा सकता है। इन सांकेतिक अटकलों को लोकसभा अध्यक्ष मीराकुमार ने गुरूवार को उस समय बल दे दिया, जब हंगामे के बीच ज्यादा से ज्यादा कामकाज निपटाए और हंगामे के कारण बाद में उन्होंने सदन की कार्यवाही को शुक्रवार 12 बजे तक स्थगित करने की घोषणा कर दी। जबकि संसद की कार्यवाही 11 बजे शुरू होती है। इसलिए गुरूवार को संसद के गलियारे में भी इन अटकलों का बाजार गर्म रहा।
13Dec-2013

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