बुधवार, 18 दिसंबर 2013

लोकपाल पर चर्चा में दिखा जन दबाव का असर

भ्रष्टाचार के खिलाफ उठी आवाज ने बदली राजनीतिक हवा
ओ.पी.पाल

राज्यसभा में पारित हुए लोकपाल विधेयक में बनी राजनीतिक दलों की सहमति ऐसे ही नहीं बनी। इस ऐतिहासिक पल के पीछे राजनीतिक दलों को आगामी लोकसभा चुनाव में जाने के लिए राजनीतिक माहौल बदलने के लिए कहीं न कहीं भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने दलों की प्रतिबद्धता भी साबित करनी थी। मजबूत लोकपाल के लिए आंदोलन कर रहे समाजसेवी अण्णा हजारे का संघर्ष और उनके इस संघर्ष की बदौलत बेहद कम समय में खडी हुई राजनीतिक पार्टी आप का अभ्युदय और दो प्रमुख राजनीतिक दलों के लिए चुनौती साबित हो गए दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे भी इसका कारण माने जा रहे हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ चली जन मुहिम का यह असर मंगलवार को राज्यसभा में लोकपाल विधेयक पर चर्चा के दौरान भी साफतौर से देखने को मिला।
पिछले 46 साल से राजनीतिक टाल-मटोल का शिकार रहे लोकपाल विधेयक को पारित कराने के हर मौकें पर राजनीति आड़े आती रही और समाजसेवी अण्णा हजारे के पिछले करीब तीन साल से चल रहे आंदोलन ने कांग्रेसनीत यूपीए सरकार को लोकपाल विधेयक कानून का मसौदा तैयार करने के लिए मजबूर कर दिया , लेकिन सरकार के भीतर तथा कुछ राजनीतिक दलों के विरोध के कारण लोकसभा में पिछले साल पारित होने के बावजूद इसे कानून की शक्ल देने पर संकट के बादल मंडराते रहे। हाल ही में संपन्न हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजों ने कांग्रेस ही नहीं सभी राजनीतिक दलों की हवा बदल दी। खासतौर पर दिल्ली के चुनाव नतीजों ने तो राजनीतिक दलों के सामने आगामी लोकसभा चुनाव में जाने की तैयारियों को भी झटका दिया। कारण अण्णा हजारे के आंदोलन की बदौलत दिल्ली में केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी के प्रदर्शन ने कांग्रेस, भाजपा और अन्य सभी दलों को बदलने को मजबूर कर दिया। इन नतीजों के बाद भ्रष्टाचार के खिलाफ काननू बनाने की कवायद में प्रमुख विपक्षी दल भाजपा की पहल और सत्तारूढ़ कांग्रेस की मशक्कत के बाद सपा को छोड़कर सभी दलों ने बदलती सियासी हवा के रूख को परखा और लोकपाल विधेयक को पारित कराने की ठानी। इस बात को भाजपा नेता अरूण जेटली ने भी चर्चा के दौरान सदन में माना कि आज हवा बदली है और राजनीतिक माहौल भी बदला है, तो सरकार की समझ भी थोड़ी बदली है। आगामी लोकसभा चुनाव में जाने से पहले ज्यादातर दलों के सदस्यों ने चर्चा के दौरान इशारों इशारों में ही दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी को मिली बेहतरीन सफलता का जिक्र करते हुए अपनी बदली सोच के संकेत दिये हैं। इसे बदले राजनीतिक माहौल में राज्यसभा में हुई चर्चा के दौरान अण्णा हजारे के संघर्ष और दिल्ली चुनावी नतीजों का असर साफ नजर आया, जिसका नतीजा था कि उच्च सदन ने इस विधेयक पर संशोधनों के साथ सर्वसम्मिति से मुहर लगा दी। इसी के साथ समाजसेवी अण्णा हजारे को भी उनके संघर्ष का सकारात्मक परिणाम मिल गया।
अंग्रेजी वाले भी हिंदी में दहाडे
उच्च सदन में लोकपाल विधेयक पर चर्चा के दौरान वे नेता भी हिंदी में दहाड़ते नजर आए जो ज्यादातर अंग्रेजी में बोलते रहे हैं। हिंदी में बोलने का अर्थ भी यही माना जा रहा है कि वे अपनी बात को आम आदमी तक पहुंचाना चाहते हैं। माकपा के सीताराम येचुरी तो स्वयं यह भी कह गये कि वे साधारण हिंदी में लोकपाल पर चर्चा कर रहे हैं। वहीं भाजपा नेता अरूण जेटली, बसपा के सतीश मिश्रा आदि ऐसे नेताओं ने हिंदी में बहस की। कुछ दलों के नेताओं ने अपनी टूटीफूटी हिंदी का उपयोग भी किया, जो अक्सर अंग्रेजी में बोलते रहे हैं। माना जा रहा है कि इस विधेयक पर उच्च सदन में हो रही चर्चा पर देश के आम आदमी की नजरें थी।
18Dec-2013

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