संसद का शीतकालीन सत्र आज से
ओ.पी.पाल
गुरुवार से शुरू हो रहा संसद का शीतकालीन सत्र भले ही देखने में छोटा नजर आ रहा हो, लेकिन इस संक्षिप्त सत्र में सरकार ने ज्यादातर ऐसे बिलों को पारित कराने का मन बनाया हैं जो एक सदन से पारित हो चुके हैं और उन्हें दूसरे सदन से पारित कराना चाहती है, लेकिन विपक्षी दलों की लामबंदी के सामने सरकार के लिए यह काम इतना आसान नहीं है।
पंद्रहवीं लोकसभा का सबसे छोटे संसद सत्र में कांग्रेसनीत यूपीए सरकार बड़े और लंबित महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराकर लोकसभा चुनाव पर निशाना साधने का प्रयास करेगी, लेकिन इस छोटे सत्र पर विपक्षी दलों ने पहले ही सवालिया निशान खड़े कर दिये हैं और कई महत्वपूर्ण बिलों पर सरकार के साथ टकराव भी बरकरार है। इसलिए इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि गुरूवार से आंरभ हो रहे संसद का शीतकालीन सत्र हंगामेदार होगा। सरकारी एजेंडे में 38 विधेयक शामिल हैं जिनमें ऐसे महत्वपूर्ण बिल हैं जो विपक्ष के टकराव के चलते सरकार पिछले कई सालों से उन पर संसद की मुहर नहीं लगवा सकी है। इनमें आठ बिल ऐसे हैं जो राज्यसभा में पारित हो चुके हैं लेकिन लोकसभा में उन्हें पारित कराना बाकी है। इसी प्रकार लोकसभा में पारित हो चुके सात बिलों को पारित कराने के लिए सरकार ने इस सत्र के एजेंडे में शामिल किया है। इस सत्र के लिए तीन अध्यादेशों को विधेयक का रूप देने के लिए शामिल किया गया है। आगामी चुनाव में जाने से पहले सरकार ने लोकसभा में दस और राज्यसभा में तीन विधेयकों को पेश कर उन्हें पारित कराने के लिए मन बनाया है, जबकि पांच नये बिल भी सरकार इस सत्र में लेकर आ रही है। भाजपा ने पहले ही ऐलान कर दिया है कि इस सत्र में वह सबसे पहले कोयला घोटाला और सीबीआई के दुरूपयोग के साथ अनुच्देद 370 पर अपने रूख को भी रखेगी और बार-बार चक्रवात आने के मामले सहित महंगाई, किसानों की समस्या जैसे मुद्दे भी उठाएगी। उधर वामपंथी दलों ने पहले ही दिन महंगाई पर स्थगन प्रस्ताव लाने का ऐलान करके सरकार को चुनौती दी है। ऐसे में विपक्षी दलों से चौतरफा घिरी यूपीए सरकार के लिए शीतकालीन सत्र में आड़े आने वाली मुश्किलों के चलते अपने इरादों में सफल होना आसान नहीं होगा।
ये रहेगी सरकार की प्राथमिकता
इस सत्र में सरकार की प्राथमिकता लोकपाल बिल, महिला आरक्षण बिल और तेलंगाना जैसे महत्चपूर्ण बिलों को लेकर है, वहीं दूसरी ओर वह अपने आर्थिक सुधार से जुड़े एजेंडों, जिसमें इंश्योरेंस अमेंडमेंट बिल और डायरेक्ट टैक्स कोड बिल को भी पास कराना चाहेगी। सरकार ने इस सत्र के लिए संभावित सूची बनाई है, उसमें तमाम बिलों को पेश कराना और पास कराना शामिल है। वहीं लोकसभा में सरकार की कोशिश कोल माइंस अमेंडमेंट बिल,पंचायती राज में महिलाओं के आरक्षण से जुड़ा संविधान संशोधन बिल, तय समय सीमा के अंदर गुड्स-सर्विस की डिलिवरी और शिकायतों के निपटारे के लिए राइट्स आॅफ सिटिजंस बिल 2011 को पास कराने की होगी। तो राज्यसभा में जुडिशल स्टैंडर्ड एंड अकाउंटेबिलिटी बिल और विसलब्लोअर प्रोटेक्शन बिल सरकार की पहली प्राथमिकता होगी। वैसे तो सरकार तेलंगाना को पृथक राज्य बनाने वाला बिल भी प्राथमिकता पर है, तो वहीं मैरिज लॉ बिल, मोटर वीइकल अमेडमेंड बिल, स्ट्रीट वेंडर बिल और एजुकेशनल ट्रिब्यूनल बिल को भी सरकार इसी सत्र में आगे बढ़ाने का प्रयास करेगी।
ओ.पी.पाल
गुरुवार से शुरू हो रहा संसद का शीतकालीन सत्र भले ही देखने में छोटा नजर आ रहा हो, लेकिन इस संक्षिप्त सत्र में सरकार ने ज्यादातर ऐसे बिलों को पारित कराने का मन बनाया हैं जो एक सदन से पारित हो चुके हैं और उन्हें दूसरे सदन से पारित कराना चाहती है, लेकिन विपक्षी दलों की लामबंदी के सामने सरकार के लिए यह काम इतना आसान नहीं है।
पंद्रहवीं लोकसभा का सबसे छोटे संसद सत्र में कांग्रेसनीत यूपीए सरकार बड़े और लंबित महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराकर लोकसभा चुनाव पर निशाना साधने का प्रयास करेगी, लेकिन इस छोटे सत्र पर विपक्षी दलों ने पहले ही सवालिया निशान खड़े कर दिये हैं और कई महत्वपूर्ण बिलों पर सरकार के साथ टकराव भी बरकरार है। इसलिए इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि गुरूवार से आंरभ हो रहे संसद का शीतकालीन सत्र हंगामेदार होगा। सरकारी एजेंडे में 38 विधेयक शामिल हैं जिनमें ऐसे महत्वपूर्ण बिल हैं जो विपक्ष के टकराव के चलते सरकार पिछले कई सालों से उन पर संसद की मुहर नहीं लगवा सकी है। इनमें आठ बिल ऐसे हैं जो राज्यसभा में पारित हो चुके हैं लेकिन लोकसभा में उन्हें पारित कराना बाकी है। इसी प्रकार लोकसभा में पारित हो चुके सात बिलों को पारित कराने के लिए सरकार ने इस सत्र के एजेंडे में शामिल किया है। इस सत्र के लिए तीन अध्यादेशों को विधेयक का रूप देने के लिए शामिल किया गया है। आगामी चुनाव में जाने से पहले सरकार ने लोकसभा में दस और राज्यसभा में तीन विधेयकों को पेश कर उन्हें पारित कराने के लिए मन बनाया है, जबकि पांच नये बिल भी सरकार इस सत्र में लेकर आ रही है। भाजपा ने पहले ही ऐलान कर दिया है कि इस सत्र में वह सबसे पहले कोयला घोटाला और सीबीआई के दुरूपयोग के साथ अनुच्देद 370 पर अपने रूख को भी रखेगी और बार-बार चक्रवात आने के मामले सहित महंगाई, किसानों की समस्या जैसे मुद्दे भी उठाएगी। उधर वामपंथी दलों ने पहले ही दिन महंगाई पर स्थगन प्रस्ताव लाने का ऐलान करके सरकार को चुनौती दी है। ऐसे में विपक्षी दलों से चौतरफा घिरी यूपीए सरकार के लिए शीतकालीन सत्र में आड़े आने वाली मुश्किलों के चलते अपने इरादों में सफल होना आसान नहीं होगा।
ये रहेगी सरकार की प्राथमिकता
इस सत्र में सरकार की प्राथमिकता लोकपाल बिल, महिला आरक्षण बिल और तेलंगाना जैसे महत्चपूर्ण बिलों को लेकर है, वहीं दूसरी ओर वह अपने आर्थिक सुधार से जुड़े एजेंडों, जिसमें इंश्योरेंस अमेंडमेंट बिल और डायरेक्ट टैक्स कोड बिल को भी पास कराना चाहेगी। सरकार ने इस सत्र के लिए संभावित सूची बनाई है, उसमें तमाम बिलों को पेश कराना और पास कराना शामिल है। वहीं लोकसभा में सरकार की कोशिश कोल माइंस अमेंडमेंट बिल,पंचायती राज में महिलाओं के आरक्षण से जुड़ा संविधान संशोधन बिल, तय समय सीमा के अंदर गुड्स-सर्विस की डिलिवरी और शिकायतों के निपटारे के लिए राइट्स आॅफ सिटिजंस बिल 2011 को पास कराने की होगी। तो राज्यसभा में जुडिशल स्टैंडर्ड एंड अकाउंटेबिलिटी बिल और विसलब्लोअर प्रोटेक्शन बिल सरकार की पहली प्राथमिकता होगी। वैसे तो सरकार तेलंगाना को पृथक राज्य बनाने वाला बिल भी प्राथमिकता पर है, तो वहीं मैरिज लॉ बिल, मोटर वीइकल अमेडमेंड बिल, स्ट्रीट वेंडर बिल और एजुकेशनल ट्रिब्यूनल बिल को भी सरकार इसी सत्र में आगे बढ़ाने का प्रयास करेगी।
05Dec-2013
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें