शुक्रवार, 4 अक्तूबर 2013

राज्यों के भरोसे अर्थव्यवस्था सुधारने की कवायद!

सरकार साल के अंत तक राज्यों को नहीं देगी धनराशि
ओ.पी.पाल

देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की कवायद में राजकोषीय घाटा कम करने के लिए केंद्र सरकार लगातार उपायों की घोषणा करती रही है, लेकिन इस बार केंद्र सरकार शायद राज्यों के भरोसे अर्थव्यवस्था को सुधारने की तैयारी में जुटी है। यही कारण है कि सरकार ने राज्यों को विभिन्न योजनाओं के लिए आबंटित राशि में कटौती करने के साथ इस साल के अंत तक कोई अतिरिक्त धनराशि जारी न करने का निर्णय लिया है। देश अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए केंद्र सरकार पिछले कई सालों से समय-समय पर उपायों को लागू करने का ऐलान करती रही, लेकिन देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर आने का नाम नहीं ले रही है। केंद्र सरकार ने अब आगामी लोकसभा चुनाव से पहले देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए नया तरीका तलाशा है जिसमें राज्यों के हिस्से की आबंटित धनराशि मे कटौती करने और राज्यों को अब इस साल के अंत तक कोई अतिरिक्त धनराशि जारी न करने की योजना का खाका तैयार किया है। मसलन अपने सरकारी खर्चो में कटौती करने के उपायों पर अमल करने में विफल केंद्र सरकार की नजर अब राज्यों को विभिन्न योजनाओं के तहत आबंटित की जाने वाली धनराशि में कटौती करने पर है। यही कारण है कि केंद्र सरकार अब राज्यों से साफ कह दिया है कि उन्हें कम से कम नवंबर माह तक कोई अतिरिक्त धनराशि जारी नहीं की जाएगी यानि राज्य केंद्र से अतिरिक्त धनराशि की मांग का प्रस्ताव न भेजें। ऐसा अनुरोध योजना आयोग ने राज्य की सरकारों से किया हैं, जिसका कारण अर्थव्यवस्था की धीमी रफ़्तार  को दुरस्त करने का प्रयास बताया गया है। इसका अर्थ है कि केंद्र सरकार अब राजकोषीय घाटे को पूरा करने के लिए राज्यों के भरोसे को कसौटी पर तौलने का प्रयास कर रही है। इस संबन्ध में योजना आयोग के राज्यमंत्री राजीव शुक्ला ने पुष्टि करते हुए कहा कि मौजूदा अर्थव्यवस्था के मद्देनजर राज्यों को नवंबर के अंत तक अतिरिक्त योजना व्यय की मांग न करने का अनुरोध किया गया है। सरकार नवंबर के बाद आर्थिक स्थिति का आकलन करेगी और राज्यों की अतिरिक्त व्यय की मांग पर विचार करेगी। उधर आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि चालू वित्तीय वर्ष पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 4.4 प्रतिशत रही है, जो अर्थव्यवस्था की धीमी गति को प्रदर्शित करती है। अर्थव्यवस्था की रफ़्तार बढ़ेगी या नहीं इसका पता अब नवंबर में दूसरी तिमाही यानि जुलाई से सितंबर तक की अर्थव्यवस्था के आंकड़े जारी होने से ही अनुमान लगाया जा सकेगा, जिसे केंद्र सरकार नवंबर के अंत में ही जारी करेगी। जब कि एशियाई विकास बैंक ने चालू वित्तीय वर्ष के लिए देश की वृद्धि दर के अनुमान को छह प्रतिशत से घटाकर 4.7 प्रतिशत कर दिया है। ऐसे में किन उपायों से सरकार देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाएगी यह भविष्य के गर्भ में है।
शान के विपरीत साबित हुए सभी उपाय
केंद्र सरकार ने हाल ही में देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए अपने मंत्रियों से कहा था कि वे प्रेस कांफ्रेंस या अन्य कार्यक्रम पंच सितारा होटलों में न करें और अपने खर्चो में कटौती करना सुनिश्चित करें, लेकिन इसके बावजूद केंद्र सरकार के कई मंत्रियों के कार्यक्रम पंच सितारा होटलों में हुए हैं। इससे पहले पिछले साल मई माह में तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने खर्चो को तर्कसंगत बनाने की पहल करते हुए एक विस्तृत योजना तैयार की थी, जिसमें केंद्र सरकार ने बेवजह के खर्चो को कम करने के लिए मंत्रियों और अधिकारियों के विदेशी यात्रा में कटौती और पंच सितारा होटलों में बैठकें व कार्यक्रम करने पर रोक लगाई थी। इस तरह के उपाय वर्ष 2011 के दौरान भी किये गये थे, लेकिन शायद केंद्र सरकार के मंत्री और अधिकारी इन उपायों को अपनी शान के विपरीत मानते रहे और इन उपायों पर अमल नहीं हो पाया।
04Oct-2013

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें