शुक्रवार, 4 अक्तूबर 2013

सत्ता बचाने और कब्जाने की होड़ में भाजपा-कांग्रेस!

पांच राज्यों के बिगुल बजते ही राजनीतिक सरगर्मियां तेज
ओ.पी.पाल

चुनाव आयोग द्वारा छत्तीसगढ़ व मध्य प्रदेश समेत पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होते पहले से तैयारियों में जुटे राजनीतिक दलों में गरमाहट आती नजर आने लगी है। आगामी लोकसभा चुनाव से पहले पांच राज्यों में होने वाले इन चुनावों को सेमीफाइनल मानकर अपनी रणनीति बनाने में जुटने को तैयार राजनीतिक दलों खासकर कांग्रेस और भाजपा में नूरा-कुश्ती होने की संभावनाएं हैं, जो एक-दूसरे से सत्ता छीनने की रणनीति का तानाबाना बुनने में लगे हुए हैं। इन्हीं रणनीति पर रानजीतिक दलों के दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर होगी।
लोकसभा चुनाव पर नजरें लगाए खासकर कांग्रेस और भाजपा में इन राज्यों में सत्ता काबिज रखने और सत्ता कब्जाने की नूरी कुश्ती की रणनीति पहले से ही तैयार की जा चुकी है। खासकर छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में जहां भाजपा हैट्रिक पर है वहीं कांग्रेस भाजपा से सत्ता कब्जाने की रणनीति पर काम कर रही है। घोषित चुनाव कार्यक्रम के मुताबिक नक्सलवाद प्रभावित छत्तीसगढ़ राज्य में दो चरणों में चुनाव कराने का निर्णय राजनीतिक दलों के लिए भी सुगमता प्रदान करेगा। मसलन राजनीतिक दल अपने सशख्त उम्मीदार को ही चुनावी जंग में उतारने का प्रयास करेंगे। जहां तक छत्तीसगढ़ राज्य का सवाल है, वहां भाजपा के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह के सामने हैट्रिक बनाने की चुनौती है, तो कांग्रेस के सामने इस राज्य में पूरी जान फूंककर सत्ता परिवर्तन के लिए लगी प्रतिष्ठा को बचाने का सवाल खड़ा हुआ है। कांग्रेस ने पहले से ही इस राज्य में उम्मीदवार के इच्छुक नेताओं के आवेदन मंगाने की प्रक्रिया को हवा दे रखी है, जिसमें पिछले दो-तीन चुनाव हारने वाले, बागयों और दलबदलुओं के आवेदन भी कांग्रेस को मिले हैं, लेकिन कांग्रेस ऐसे प्रत्याशियों को तरजीह देने के मूड़ में नहीं है। कांग्रेस के सूत्रों की माने तो कांग्रेस पिछले चुनाव में पांच हजार से कम वोटों के अंतर से हार चुके कांग्रेसियों पर दांव लगा सकती है। छग में कांग्रेस की बागडौर चरणदास महंत के हाथों में हैं जो पहले कह चुके हैं कि कांग्रेस के मौजूदा विधायकों के खिलाफ जनाक्रोश देखने को मिल रहा है लिहाजा उन्हें बदले जाने की संभावनाओं से भी इंकार नहीं किया जा सकता। वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश में भी कुछ ऐसी ही स्थिति है जहां कांग्रेस हर हाल में सत्ता हासिल करने के लिए हाथ-पैर मार रही है, लेकिन भाजपा को सत्ता में बनाए रखने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज चौहान की प्रतिष्ठा दांव पर है। यानि शिवराज सिंह चौहान का हैट्रिक बनाने के लिए कड़ा इम्तिहान होना तय है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कांग्रेस की सरकार है, जिसके सामने भाजपा की चुनावी रणनीतियों के सामने मुख्यमंत्री श्रीमती शीला दीक्षित के लिए ये चुनाव एक परीक्षा की घड़ी होंगे, जहां भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल की भी परीक्षा होनी है, जो कांग्रेस व भाजपा के बीच अवरोध पैदा करके चुनावी परिणाम को त्रिशंकु का रूप दे सकते हैं। हालांकि चुनाव का ऐलान होते ही दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के एक बयान ने राजनीतिक को गर्म कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि दिल्ली में शीला दीक्षित वापस आए या नहीं, लेकिन कांग्रेस का चौथी बार आना तय है।जहां तक राजस्थान का सवाल हैं वहां पिछले 2008 में कांग्रेस ने भाजपा से सत्ता छीनी थी, लेकिन इस बार मुख्यमंत्री अशोक गहलौत के सामने प्रतिष्ठा बचाने की चुनौती है। मिजोरम में कांग्रेस सत्ता में है और मजबूत भी है, जिसे मौजूदा हालातों में उसे सत्ता को बचाने की चुनौती रहेगी।
पांचों राज्यों में मौजूदा दलीय स्थिति
छत्तीसगढ (90)-भाजपा-50, कांग्रेस-38, बसपा-2
मध्य प्रदेश (230)-भजापा-143, कांग्रेस-71, बसपा-7, भारतीय जनशक्ति-5, सपा-1, निर्दलीय-3
दिल्ली (70)-कांग्रेस-43, भाजपा-23, बसपा-2, लोजपा-1, निर्दलीय-1
राजस्थान (200)-कांग्रेस-96, भाजपा-78, बसपा-6, सीपीआई(एम)-3, जदयू-1, लोकतंत्र समाजवादी पाटी-1, निर्दलीय-14
मिजोरम (40)-कांग्रेस-32, मिजोरम नेशनल फ्रंट-3, मिजोरम पीपुल्स कांफ्रेंस-2, जोराम नेशनलिस्ट पार्टी-2,मारालैंड कांग्रेस-1,

04Oct-2013

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें