गुरुवार, 17 अक्तूबर 2013

चपरासी को निजी स्टाफ बनाने की तैयारी!


पीएमओ से प्रस्ताव मंजूर, मामला कैबिनेट सचिवालय के हवाले
ओ.पी.पाल

भ्रष्टाचार और घोटालों और गड़बड़झालों के मामलों पर लगातार घिरती आ रही कांग्रेसनीत यूपीए सरकार ने शायद दलीलों के बावजूद सुधरने का प्रयास नहीं किया है। भले ही अपने चेहतों को फायदा पहुंचाने के लिए नियमों या मानदंडों में बदलाव ही क्यों न करने पड़े हो। ऐसा ही एक मामला हाल में उजागर हुआ, जिसमें एक केंद्रीय मंत्री ने अपने मंत्रालय के एक चपरासी को प्रोन्नति देने के लिए पीएमओ से शैक्षिक योग्यता के मानदांडों और प्रोन्नति के नियमों को बदलावा दिया।
केंद्रीय पेट्रालियम मंत्री वीरप्पा मोइली जिन्होंने पेट्रोल की बचत करने का संदेश देने के लिए स्वयं मेट्रो टेÑन में यात्रा की और न जाने पेट्रोल की बचत के लिए क्या-क्या संदेश दिये, लेकिन जिन मुद्दों से यूपीए सरकार हमेशा घिरी रही है उसकी चपेट में आने से वे भी नहीं बच सके। मसलन उन्होंने अपने एक चपरासी को अपना निजी सहायक बनाने के लिए तय शैक्षिक योग्यता के मानदंडों में राहत दिलाने का काम भी कराया और वह भी पीएमओ के जरिए, ऐसा अधिकार पीएम को हासिल है। इसीलिए वीरप्पा मोइली ने प्रधानमंत्री कार्यालय से अनुरोध किया कि वह अपने चपरासी शुभ नंदन कुमार को अपने निजी स्टाफ में रखना चाहते हैं, इसके लिए मोइली के अनुरोध पर पीएमओ से प्रोन्नति के लिए शैक्षिक मानदंडों और नियमों में बदलाव के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी, जिसे कैबिनेट सचिव को भेज दिया गया है। मोइली के अनुरोध पर प्रधानमंत्री इस कार्य के लिए संबंधित मंत्रालय को ही अधिकार देने पर भी विचार कर रहे हैं। यह खुलासा आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष चंद अग्रवाल ने सूचना के अधिकार के तहत विवरण हासिल करने के बाद किया है। इस सूचना के अनुसार गत अगस्त माह में पीएमओ ने चपरासियों के लिए शैक्षिक योग्यता के मानदंडों में कमी करने का अधिकार संबंधित मंत्रालयों को देने के प्रस्ताव को पास किया था। अन्य स्टाफ में ऐसे मामलों के अधिकार कैबिनेट सचिव के अधिकार क्षेत्र में हैं। इससे पहले इन बदलावों से पहले मंत्रियों को तय नियमों के अनुसार केवल अपने निजी स्टाफ की नियुक्ति करने का अधिकार प्राप्त था। पीएमओ ने चपरासी शुभ नंदन कुमार का मामला भी कैबिनेट सचिव के जरिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तक पहुंचा, जिस पर शैक्षिक योग्यता कम करने की सिफारिश की गई थी। इस सिफारिश के आधार पर प्रधानमंत्री ने इस प्रस्ताव को मंजूर कर लिया और अधिकार सौंपने के प्रस्ताव को विचार के लिए बढ़ा दिया। गौरतलब है कि ग्रुप-डी से ग्रुप-सी में प्रोन्नत होने वाले कर्मचारियों की शैक्षिक योग्यता पहले आठवीं कक्षा रखी गई थी, जिसे बाद में छठे वेतन आयोग की सिफारिश के बाद इसे बढ़ाकर दसवीं कर दिया गया। इस संबंध में कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने नोटिफिकेशन भी जारी किया जा चुका है। नियमों के अनुसार मंत्रियों के निजी स्टाफ की आयु सीमा को कम करने की शक्तियां कैबिनेट सचिवालय के पास हैं, जबकि जबकि शैक्षिक योग्यता में बदलाव या कमी करने का अधिकार केवल प्रधानमंत्री के ही अधिकार क्षेत्र में है, जिसका लाभ केंद्रीय मंत्री मोइली अपने चपरासी को निजी स्टाफ में शामिल करने के लिए बखूबी से उठाया।
16Oct-2013

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