पिछली घटनाओं से भी नहीं ले रहे है सबक
ओ.पी.पाल
मध्य प्रदेश में रतनगढ़ देवी मंदिर में भगदड़ मचने से हुए वीभत्स हादसा देश में धार्मिक पर्वो पर ऐसे हादसों में श्रद्धालुओं की मौतें होने का सिलसिला कोई नया नहीं है, इससे पहले भी देशभर के विभिन्न राज्यों में धार्मिक पर्वो पर महज अफवाह के कारण ऐसे हादसों में लोगों को अपनी जान गंवाने के लिए मजबूर होना पड़ा है। इसके बावजूद सवाल यह खड़ा होता है कि पिछले हादसों से शासन व प्रशासन सबक क्यों नहीं लेना चाहता, ताकि पुख्ता इंतजामों के जरिए ऐसे हादसों को रोका जा सके।
देशभर में पिछले तीन दशक में भगदड़ से होने वाले ऐसे हादसों में हजारों श्रद्धालुओं को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। ऐसे हादसों की केंद्र या राज्य सरकार जांच के आदेश देती रही है, लेकिन अभी तक किसी जांच का नतीजा कभी सामने नहीं आया यानि ऐसे हादसों की जांच और उसकी रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। मसलन देश में धार्मिक समागम की भीड़ में रतनगढ़ के देवी मंदिर में मची भगदड़ की यह कोई नई घटना नहीं है। इससे पहले भी देश में धार्मिक स्थलों और रेलवे स्टेशनों पर भगदड़ से बड़े हादसे होते रहे हैं। रतनगढ़ देवी मंदिर में हुए इस हादसे में पांच दर्जन से ज्यादा श्रद्धालुओं की मौत होने और डेढ़ सौ से ज्यादा घायल होने की खबरे हैं। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी घटना की जांच के आदेश दिये हैं, लेकिन इस हादसे की जांच का सबब क्या होगा यह भविष्य ही बता पाएगा। इससे पहले 11 फरवरी को इलाहाबाद कुंभ की जांच को सामने लाने के लिए एक माह का समय दिया था, लेकिन उसका नतीजा आज तक सामने नहीं आ पाया है। जहां तक ऐसे समारोहों में इंतजाम पुख्ता करने का सवाल है इसके लिए केंद्र और राज्य तथा प्रशासन एक दूसरे पर ठींकरा फोड़ने में कभी पीछे नहीं रहे और नतीजन ऐसे में सवाल यही उठता है कि महज अफवाहों के कारण भगदड़ जैसे हादसे कब तक होते रहेंगे?
धार्मिक स्थलों पर पिछले तीन दशक में हुए प्रमुख हादसे-
• 11 फरवरी 2012: इलाहाबाद कुंभ के दौरान रेलवे स्टेशन पर भगदड़ में 38 श्रद्धालुओं की मौत।
• 14 जनवरी, 2011: केरल के सबरीमाला मंदिर में भगदड़ से करीब 106 श्रद्धालुओं की मौत, 100 से ज्यादा घायल।
• 16 अक्टूबर 2010: को बिहार में बांका के तिलडीहा दुर्गा मंदिर में 10 मरे।
• 14 अप्रैल 2010: शाही स्नान के मौके पर हरिद्वार में भगदड़, 8 मरे।
• 14 जनवरी 2010: पश्चिम बंगाल के गंगासागर में भगदड़ से 7 की मौत।
• 04 मार्च 2010: प्रतापगढ़ स्थित कृपालु महाराज के आश्रम में भगदड़, 65 मरे।
• 21 दिसंबर, 2009: राजकोट के धोराजी कस्बे में धार्मिक कार्यक्रम के दौरान भगदड़, 8 महिलाएं मरी।
• 30 सितंबर 2008: जोधपुर स्थित चामुंडा देवी मंदिर में 147 मरे।
• 03 अगस्त 2008 : हिमाचल के नैनादेवी पर भगदड़ में 162 मरे।
• 14 अक्टूबर 2007: गुजरात के पंचमहल में 12 लोग मरे।
• 03 अक्टूबर 2007: पुरी के जगन्नाथ मंदिर में चार लोग मरे।
• 03 अक्टूबर 2007: जतिया पर्व के गंगा स्नान में मुगलसराय रेलवे स्टेशन पर जमा श्रद्धालुओं की भगदड़ में 14 महिलाओं की मौत।
• 01अक्टूबर 2006: को भी नवरात्र के मौके पर इसी जगह हुई घटना में 50 तीर्थयात्री सिंध नदी में बह गये थे।
• 25 जनवरी 2005: महाराष्ट्र के सतारा में धार्मिक मेले में 340 मरे।
• 27 अगस्त 2003: महाराष्ट्र में नासिक कुंभ मेले के दौरान 39 की मौत।
• 2001 में मध्य प्रदेश में एक मंदिर में भगदड़ से 13 लोगों की मौत हो गई।
• 1999 में केरल में एक हिंदू धार्मिक स्थल पर भगदड़ में 51 लोग मारे गए।
• 1989 में हरिद्वार में कुंभ मेले मची भगदड़ से 350 लोग इसमें मारे गए।
• 1986 में हरिद्वार में मची भगदड़ में 50 लोग मारे गए।
• 1984 में हरिद्वार में भगदड़ की एक बड़ी घटना में लगभग 200 लोग मरे।
ओ.पी.पाल
मध्य प्रदेश में रतनगढ़ देवी मंदिर में भगदड़ मचने से हुए वीभत्स हादसा देश में धार्मिक पर्वो पर ऐसे हादसों में श्रद्धालुओं की मौतें होने का सिलसिला कोई नया नहीं है, इससे पहले भी देशभर के विभिन्न राज्यों में धार्मिक पर्वो पर महज अफवाह के कारण ऐसे हादसों में लोगों को अपनी जान गंवाने के लिए मजबूर होना पड़ा है। इसके बावजूद सवाल यह खड़ा होता है कि पिछले हादसों से शासन व प्रशासन सबक क्यों नहीं लेना चाहता, ताकि पुख्ता इंतजामों के जरिए ऐसे हादसों को रोका जा सके।
देशभर में पिछले तीन दशक में भगदड़ से होने वाले ऐसे हादसों में हजारों श्रद्धालुओं को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। ऐसे हादसों की केंद्र या राज्य सरकार जांच के आदेश देती रही है, लेकिन अभी तक किसी जांच का नतीजा कभी सामने नहीं आया यानि ऐसे हादसों की जांच और उसकी रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। मसलन देश में धार्मिक समागम की भीड़ में रतनगढ़ के देवी मंदिर में मची भगदड़ की यह कोई नई घटना नहीं है। इससे पहले भी देश में धार्मिक स्थलों और रेलवे स्टेशनों पर भगदड़ से बड़े हादसे होते रहे हैं। रतनगढ़ देवी मंदिर में हुए इस हादसे में पांच दर्जन से ज्यादा श्रद्धालुओं की मौत होने और डेढ़ सौ से ज्यादा घायल होने की खबरे हैं। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी घटना की जांच के आदेश दिये हैं, लेकिन इस हादसे की जांच का सबब क्या होगा यह भविष्य ही बता पाएगा। इससे पहले 11 फरवरी को इलाहाबाद कुंभ की जांच को सामने लाने के लिए एक माह का समय दिया था, लेकिन उसका नतीजा आज तक सामने नहीं आ पाया है। जहां तक ऐसे समारोहों में इंतजाम पुख्ता करने का सवाल है इसके लिए केंद्र और राज्य तथा प्रशासन एक दूसरे पर ठींकरा फोड़ने में कभी पीछे नहीं रहे और नतीजन ऐसे में सवाल यही उठता है कि महज अफवाहों के कारण भगदड़ जैसे हादसे कब तक होते रहेंगे?
धार्मिक स्थलों पर पिछले तीन दशक में हुए प्रमुख हादसे-
• 11 फरवरी 2012: इलाहाबाद कुंभ के दौरान रेलवे स्टेशन पर भगदड़ में 38 श्रद्धालुओं की मौत।
• 14 जनवरी, 2011: केरल के सबरीमाला मंदिर में भगदड़ से करीब 106 श्रद्धालुओं की मौत, 100 से ज्यादा घायल।
• 16 अक्टूबर 2010: को बिहार में बांका के तिलडीहा दुर्गा मंदिर में 10 मरे।
• 14 अप्रैल 2010: शाही स्नान के मौके पर हरिद्वार में भगदड़, 8 मरे।
• 14 जनवरी 2010: पश्चिम बंगाल के गंगासागर में भगदड़ से 7 की मौत।
• 04 मार्च 2010: प्रतापगढ़ स्थित कृपालु महाराज के आश्रम में भगदड़, 65 मरे।
• 21 दिसंबर, 2009: राजकोट के धोराजी कस्बे में धार्मिक कार्यक्रम के दौरान भगदड़, 8 महिलाएं मरी।
• 30 सितंबर 2008: जोधपुर स्थित चामुंडा देवी मंदिर में 147 मरे।
• 03 अगस्त 2008 : हिमाचल के नैनादेवी पर भगदड़ में 162 मरे।
• 14 अक्टूबर 2007: गुजरात के पंचमहल में 12 लोग मरे।
• 03 अक्टूबर 2007: पुरी के जगन्नाथ मंदिर में चार लोग मरे।
• 03 अक्टूबर 2007: जतिया पर्व के गंगा स्नान में मुगलसराय रेलवे स्टेशन पर जमा श्रद्धालुओं की भगदड़ में 14 महिलाओं की मौत।
• 01अक्टूबर 2006: को भी नवरात्र के मौके पर इसी जगह हुई घटना में 50 तीर्थयात्री सिंध नदी में बह गये थे।
• 25 जनवरी 2005: महाराष्ट्र के सतारा में धार्मिक मेले में 340 मरे।
• 27 अगस्त 2003: महाराष्ट्र में नासिक कुंभ मेले के दौरान 39 की मौत।
• 2001 में मध्य प्रदेश में एक मंदिर में भगदड़ से 13 लोगों की मौत हो गई।
• 1999 में केरल में एक हिंदू धार्मिक स्थल पर भगदड़ में 51 लोग मारे गए।
• 1989 में हरिद्वार में कुंभ मेले मची भगदड़ से 350 लोग इसमें मारे गए।
• 1986 में हरिद्वार में मची भगदड़ में 50 लोग मारे गए।
• 1984 में हरिद्वार में भगदड़ की एक बड़ी घटना में लगभग 200 लोग मरे।
14Oct-2013
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