मंगलवार, 31 जनवरी 2023

मंडे स्पेशल: प्रदेश में पुरानी पेंशन के मुद्दे पर क्यों गरमाई सियासत

जिस दल की सरकार ने बंद की थी पुरानी पेंशन, वहीं उसकी बहाली की वकालत करने में मुखर 
ओ.पी. पाल.रोहतक। हरियाणा में कर्मचारियों की पुरानी पेंशन स्कीम को लेकर सियासत गरमाने लगी है। दिलचस्प बात ये है कि राज्य में जिस राजनीतिक दल की सरकार ने पुरानी पेंशन स्कीम बंद करके नई पेंशन स्कीम लागू की थी, वही अब इसकी बहाली को लेकर कर्मचारियों की वकालत कर रही है। जबकि मुख्यमंत्री मनोहर लाल स्पष्ट कर चुके हैं कि हैं सरकार का नई पेंशन योजना को बंद करने का कोई इरादा नहीं है, लेकिन सरकार में साझीदार जजपा नई नेशनल पेंशन स्कीम में ही पुरानी पेंशन के लाभ देने की संभावनाएं जरुर तलाशने की बात कह रही है। 
रअसल हिमाचल प्रदेश में नवगठित कांग्रेस सरकार द्वारा पुरानी पेंशन स्कीम बहाल करने के बाद हरियाणा प्रदेश में कांग्रेस पार्टी कर्मचारियों की पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने की मांग की वकालत करने में सबसे आगे है। एक जनवरी 2006 को पुरानी पेंशन स्कीम बंद करके नेशनल पेंशन स्कीम लागू करने वाले तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा सियासी लाभ लेने के प्रयास में अब चाहते हैं कि कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना दोबारा से लागू किया जाए। जबकि एक अप्रैल 2004 में तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार द्वारा सरकारी सेवाओं में लागू की गई नई पेंशन स्कीम राज्यों के लिए अनिवार्य नहीं थी। इसके बावजूद ज्यादातर राज्यों ने अपने राज्यों के वित्तीय बोझ को कम करने लिए धीरे-धीरे नई पेंशन स्कीम को लागू किया, जिसमें हरियाणा भी शामिल था। हालांकि राजनीतिक लाभ के लिए कुछ राज्यों ने नई पेंशन स्कीम बंद करके पुरानी पेंशन स्कीम को लागू किया। जिन राज्यों ने पुरानी पेंशन स्कीम लागू की है, उन्हें भारती रिजर्व बैंक ने भी आगाह करते हुए कहा है कि यह कदम उनके राजकोष के लिए एक बड़ा जोखिम पैदा कर सकता है। इसके परिणामस्वरूप गैर-वित्तीय देनदारियां बढ़ती चली जाएंगी। 
नई व पुरानी स्कीम में अंतर 
नेशनल पेंशन स्कीम में कर्मचारियों की सैलरी से 10 प्रतिशत की कटौती की जाती है, जिसमें 14 फीसदी का योगदान जबकि राज्य सरकार करती है। जबकि पुरानी पेंशन योजना में सैलरी से कोई कटौती नहीं होती थी। एक तरफ जहां पुरानी पेंशन योजना में जीपीएफ की सुविधा होती थी, वहीं नई स्कीम में इसकी सुविधा नहीं है। पुरानी पेंशन स्कीम में रिटायर होने के समय सैलरी की आधी राशि पेंशन के रूप में मिलती थी, जबकि नई पेंशन योजना में आपको कितनी पेंशन मिलेगी, इसकी कोई गारंटी नहीं है। इन दोनों स्कीम में सबसे बड़ा अंतर यह है कि पुरानी पेंशन योजना एक सुरक्षित योजना है, जिसका भुगतान सरकारी खजाने से किया जाता है। जबकि नई पेंशन योजना शेयर बाजार पर आधारित है, जिसमें आपके द्वारा एनपीएस में लगाए गए पैसे को शेयर बाजार में लगाया जाता है, जबकि पुरानी पेंशन योजना में ऐसा कोई प्रावधान नहीं था। अगर बाजार में मंदी रही तो एनपीस पर मिलने वाला रिटर्न कम भी हो सकता है। 
नई स्कीम में ज्यादा खर्च 
एक सरकारी आंकड़े के अनुसार कांग्रेस सरकार में हुड्डा के मुख्यमंत्री काल के अंतिम वर्ष में कर्मचारियों की पेंशन पर खर्च 4159 करोड़ और वेतन पर खर्च 11 हजार 292 करोड़ था। जबकि मौजूदा सरकार पेंशन पर 11 हजार 201 करोड़ और वेतन पर 28 हजार करोड़ रुपये खर्च कर रही है, जो बजट का लगभग 22 प्रतिशत है। अब हुड्डा को विपक्ष में आने के बाद पुरानी पेंशन योजना अच्छी लग रही है। राजनीति में विरोध करते समय उन्हें यह भी ध्यान नहीं रहा कि हुड्डा स्वयं की स्थापित व्यवस्था का ही विरोध कर रहे हैं। 
क्या है आरबीआई की रिपोर्ट 
भारतीय रिजर्व बैंक एक रिपोर्ट पर गौर की जाए तो पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने से ढेर सारी समस्याएं खड़ी हो सकती हैं। इससे जहां राजकोषीय संसाधनों पर अधिक दबाव पड़ेगा और वहीं राज्यों की बचत पर भी नकारात्मक असर पड़ना तय है। वर्तमान खर्चों को भविष्य के लिए स्थगित करके राज्य आने वाले वर्षों के लिए बहुत बड़ा जोखिम उठा रहे हैं। इससे उनकी पेंशन देनदारियां बढ़ती जाएंगी। पुरानी पेंशन स्कीम से सरकारी खजाने पर ज्यादा बोझ पड़ता है। पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी की सैलरी से कटौती नहीं होती और पूरा बोझ ट्रेजरी पर डाला जाता था। जाहिर है सरकारी कर्मचारियों को पेंशन देने में राजकोष पर अधिक बोझ पड़ता होगा।
इन राज्यों ने लागू की पुरानी स्कीम 
अब तक राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड की सरकारों ने अपने कर्मचारियों के लिए ओपीएस को फिर से शुरू करने के अपने फैसले के बारे में केंद्र सरकार और पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) को सूचित किया था। पंजाब सरकार ने 18 नवंबर 2022 को भी राज्य सरकार के उन कर्मचारियों के लिए ओपीएस के कार्यान्वयन के संबंध में एक अधिसूचना जारी की थी, जो वर्तमान में एनपीएस के तहत कवर किए जा रहे हैं। ---- पुरानी स्कीम के लाभ देने पर विचार: चौटाला 
हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला का पुरानी पेंशन स्कीम को लेकर कहना है कि सरकार में नई पेंशन स्कीम में ही पुरानी पेंशन स्कीम का लाभ देने पर विचार किया जाएगा। चौटाला का कहना है कि यदि पुरानी पेंशन स्कीम और न्यू पेंशन स्कीम के अंतर को देखें तो वो मात्र चार प्रतिशत का है। उन्होंने कहा कि सरकार इस पर विचार कर रही है कि एनपीएस में ही चार प्रतिशत शेयर बढ़ाकर कर्मचारियों को लाभ देने का प्रपोजल लाया जाए, ताकि ओपीएस में मिलने वाला लाभ कर्मचारियों को मिल सके और इससे योजना को बदलने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। चौटाला ने यहां त क कह कि केंद्र सरकार से भी आग्रह किया जाएगा कि वह भी कर्मचारियों और राज्य का शेयर बढ़ाने पर विचार करें। 
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ये पुरानी पेंशन स्कीम 
1.कर्मचारी को जीपीएफ की सुविधा है। 2.पेंशन के लिए अलग से कोई कटौती नहीं होती। 3. सेवानिवृत्ति पर अंतिम बेसिक पे का पचास प्रतिशत पेंशन की गारंटी है। 4. पेंशनर्स की मृत्यु होने पर पचास प्रतिशत फैमिली पेंशन। 5.पूरी पेंशन का का खर्च सरकार उठाती है। 6. सेवानिवृत्ति पर अंतिम मूल वेतन के अनुसार 16.5 महीने का वेतन ग्रेच्युटी मिलती है। 7. नौकरी के दौरान मृत्यु होने पर एक्स ग्रेसिया रोजगार स्कीम में आश्रित को पक्की नौकरी का प्रावधान है। 8. सेवानिवृत्ति के बाद मेडिकल भत्ता व मेडिकल बिलों की प्रतिपूर्ति होती है।
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ये है नेशनल पेंशन स्कीम 
1. जीपीएफ की कोई सुविधा नहीं है। 2. कर्मचारी के मूल वेतन से 10 प्रतिशत की कटौती। 3. 14 प्रतिशत राशि विभाग जमा कराएगा। 4. सेवानिवृत्ति तक जमा होने वाली कुल राशि का 60 प्रतिशत नकद और बकाया 40 प्रतिशत राशि को शेयर मार्केट व बीमा कंपनियों में इन्वेस्टमेंट होगा। 5. पेंशन सरकार की बजाय बीमा कंपनी ही देगी। 6. सेवानिवृत्ति पर पेंशन की राशि निश्चित नहीं,शेयर बाजार के उतार चढ़ाव के अनुसार पेंशन का निर्धारण। 7. सेवानिवृत्ति के बाद मेडिकल भत्ता व मेडिकल बिलों की प्रतिपूर्ति सुविधा खत्म। 8. पेंशनर्स की मृत्यु होने पर फैमिली पेंशन का लाभ नहीं।
30Jan-2023

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