सोमवार, 16 जनवरी 2023

साक्षात्कार: समाज में सकारात्मक विचारधारा का माध्यम है साहित्य: नमिता

सरकारी सेवा के साथ साहित्य साधना से दी समाज को नई दिशा 
व्यक्तिगत परिचय 
नाम: नमिता राकेश 
जन्म तिथि: 09 मार्च 1962 
जन्म स्थान: बरेली (उत्तर प्रदेश) 
शिक्षा: स्नात्कोत्तर (अंग्रेजी और इतिहास), बी.एड., पत्रकारिता में स्नात्कोत्तर 
भाषा ज्ञान: हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी, उर्दू तथा संस्कृत भाषा का ज्ञान। 
संप्रत्ति: पूर्व उप निदेशक (राजभाषा) सीआईएसएफ, स्वतंत्र लेखन और काव्य मंचन। 
BY--ओ.पी. पाल 
साहित्य जगत में महिला साहित्यकार एवं सुविख्यात कवयित्री नमिता रोकश का नाम किसी पहचान का मोहताज नहीं है। बहुमुखी प्रतिभा की धनी नमिता राकेश की सरकारी नौकरी में एक राजपत्रित अधिकारी के रूप में हिंदी के संवर्धन के लिए उपलब्धियां तो उनकी प्रशासनिक दक्षता को साबित करती हैं, वहीं साहित्य के क्षेत्र में कवयित्री, गजलकारा, गीतकार, निबंधकार, लेखिका, कुशल वक्ता के रुप में उन्होंने समाजिक सरोकारों के मुद्दों में समाज, नारी, विडम्बनाएं, शोषक और शोषित, विसंगतियां, मानवीय रिश्तों जैसी समस्याओं को फोकस कर अपने रचना संसार को विस्तार दिया और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर साहित्य के क्षेत्र में सम्मान लेकर लोकप्रियता हासिल की है। हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी, उर्दू तथा संस्कृत आदि भाषा की ज्ञाता श्रीमती राकेश ने साहित्य साधना के अलावा जहां टीवी सीरियलों, लघु फिल्मों और हिंदी पंजाबी नाटकों में एक अभिनेत्री की भूमिका निभाकर अपनी कला के हुनर का प्रदर्शन किया, वहीं वे टेबल टेनिस जैसे खेल में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर चुकी हैं। केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल में उपनिदेशक(राजभाषा) रही प्रख्यात महिला रचनाकार नमिता राकेश ने हरिभूमि संवाददाता से हुई बातचीत के दौरान प्रशासनिक, साहित्यिक, अभिनय जैसे क्षेत्र के सफर को लेकर कई ऐसे अनछुए पहलुओं को भी उजागर किया है, जिससे साबित होता है कि वे हर क्षेत्र में समाज के सामने एक सकारात्मक विचारधारा को नई दिशा देने में जुटी हैं। 
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महिला साहित्यकार नमिता राकेश का जन्म उत्तर प्रदेश के बरेली में एक शिक्षित परिवार में हुआ। उनकी माता श्रीमती शैलबाला उस जमाने में अंग्रेजी विषय से स्नातकोत्तर होने के साथ कविताएं और लेखन करने वाली एक बहुत ही विदुषी महिला थी। मां द्वारा बेटी के लिए भाषण और वाद-विवाद लिखने और उसे हमेशा मंचों के लिए प्रोत्साहित करने के अलावा परिवार के साहित्यिक माहौल ने नमिता को विरासत में एक ऐसा साहित्य दिया कि वह स्कूली शिक्षा के दौरान ही मंचों पर वाद विवाद और भाषणों व अन्य कार्यक्रमों में हमेशा प्रथम स्थान पर रही। नमिता ने बताया कि उनके पिता स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में रीजनल मैनेजर थे और उनकी पोस्टिंग अलग राज्यों में रही। यही कारण है कि उनकी अपनी शिक्षा दिल्ली, पंजाब और हरियाणा जैसे विभिन्न राज्यों में पूरी हुई। स्कूली शिक्षा करनाल में हुई। जब पिता की पोस्टिंग पटियाला में हुई तो वह कक्षा सात में थी, जहां पंजाबी विषय अनिवार्य होने के कारण उसे पंजाबी भाषा का ज्ञान हुआ। डीएवी कॉलेज यमुनानगर से बी.ए. करने के बाद एमएलएन कालेज से अंग्रेजी विषय में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। जबकि उनकी इतिहास विषय से स्नातकोत्तर और बीएड रोहतक विश्वविद्यालय से पूरी हुई। इसके अलावा उन्होंने भारतीय विद्या भवन से जर्नलिज्म किया। उन्होंने बताया कि स्कूल व कॉलेज के जमाने से वह विभागीय पत्रिकाओं में हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत और पंजाबी का संपादन करती थी। नमिता राकेश का कहना है कि परिवार में मिले साहित्यिक माहौल के बीच बचपन में ही उनकी लेखन और साहित्य के प्रति रुचि होना स्वाभाविक था। स्कूल से कालेज तक वह कविताएं लिखने में इतनी परिपक्व हो गई कि उनकी कविताएं और कहानियां पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होने लगी। उनकी कविताओं को ऐसी पहचान मिली कि पत्र व पत्रिकाओं से कविताओं, कहानियों और लेखों की मांग आने लगी। उनके अच्छे लेखन को मिले प्रोत्साहन की बदौलत धीरे धीरे ऑल इंडिया रेडियो, डीडी नेशनल और दूसरे राज्यों व शहरों के टीवी चैनल और रेडियों केंद्रों से काव्यपाठ के लिए उन्हें निमंत्रण मिलने लगे और वह टीवी चैनल और रेडियों केंद्रों पर काव्य पाठ के अलावा बतौर एंकर काम करने लगी। उन्हें आवाज के लिए ओडिशन में भी पास कर दिया गया। चूंकि वह अप्रैल 1988 से विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों व आयकर जैसे विभागों में एक राजपत्रित अधिकारी के रूप में सरकारी सेवा में थी। इसके बावजूद अपने जिम्मेदार पद व गरिमा के बीच रहते हुए साहित्यिक साधना में जुटी रही, जिसके लिए देश विदेशों में भी उन्होंने मंचों पर काव्य पाठ किया। सरकारी नौकरी में समय से काम का निपटान के लिए मंत्रालयों व विभागों से उन्हें अनेक प्रशस्ति पत्र और पुरस्कार मिले हैं। रेडियो व टीवी के अलावा देश विदेश के मंचों पर आयोजित कवि सम्मेलनों व मुशायरों में कविताओं और गजलों तथा मंच संचालन को देश के वरिष्ठ और नामी गरामी साहित्यकारों का भी उन्हें हमेशा प्रोत्साहन मिला। पिछले करीब साढ़े तीन दशक से वह हरियाणा साहित्य अकादमी, हरियाणा उर्दू अकादमी, हरियाणा पंजाबी अकादमी के निमंत्रण पर काव्य पाठ कर रही हैं और सरकार व गैर सरकारी संस्थाओं के निमंत्रण पर भी वह देश के विभिन्न राज्यों में कविता पाठ करती आ रही है। इस साहित्यिक सफर में उसे समग्र लेखन व काव्य पाठ पर विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं से अनेकानेक प्रतिष्ठित पुरस्कार और सम्मान भी हासिल हुए। 
अच्छा साहित्य लेखन जरुरी 
इस आधुनिक युग में साहित्य जगत की चुनौतियों पर नमिता राकेश का मानना है कि आज कविता के नाम पर परोसी जा रही सामग्री लोगों को अच्छी कविता से दूर कर रही है। मंचों से हास्य के नाम पर जो सुनाया जाता है वह तालियां बजाने तक ही खत्म हो जाता है और श्रोताओं को अच्छी कविता के लिए सोचने पर मजबूर होना पड़ता है। वह मानती हैं कि कविता दीर्घायु होती है जबकि फूहड़ हास्य बनाम कविता का जीवन बहुत कम होता है। जहां तक युवा पीढ़ी का सवाल है कि वह कोर्स की किताबे ही पढ़ लें तो काफी है, लेकिन युवा पीढ़ी का किताबों से जुड़ा रहना जरुरी है। लेखकों को अच्छे साहित्य लिखने की जरुरत है। यदि साहित्यकार की रचना अच्छी होगी और उसमें दम होगा तो पाठक साहित्य से जुड़ सकेंगे। 
पुस्तक प्रकाशन 
साहित्य क्षेत्र में नमिता राकेश ने हिंदी और उर्दू के अलाव पंजाबी भाषा में करीब अनेक पुस्तकें लिखी है, जिनमें उनका पहला उर्दू कविता संग्रह 'नदी आवाज देती है' समेत उनकी तीनों भाषाओं की पुस्तकों को पुरस्कृत भी किया गया है। उनके लेखन में कविता, गीत, कहानियां, ग़ज़ल, लघु कथाएं, हाइकु, लेख, संस्मरण उनकी कृतियों का हिस्सा है। उनका लिखा एक उपन्यास विदेश में प्रकाशित हुआ है। उनकी समकालीन कवयित्रियां:लोकप्रिय कविताएं नामक पुस्तक सुर्खियों में हैं, जिसमें उन्होंने मुक्त छंद-छंद मुक्त कविताओं व गजलों के अलावा दोहा और गीत का समावेश भी किया है। नमिता राकेश के व्यक्तित्व और कृतित्व पर उनकी पुस्तक ‘तुम्ही कोई नाम दो’ को लेकर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के छात्र संजय अद्याना द्वारा शोध कार्य भी किया है। एक कुशल वक्ता होने के नाते विभिन्न मंत्रालयों में उन्हें सरकार की राजभाषा नीति के समुचित कार्यान्वयन से सम्बंधित विभिन्न विषयों पर वक्तव्य देने के लिए भी बुलाया जाता रहा। उन्होंने खासतौर से महिलाओं पर यौन शोषण और सम्बंधित कानून, निवारण के उपाय जैसे विषयों पर भी सरकारी मंचो से वक्तव्य दिये हैं। 
पुरस्कार व सम्मान 
हरियाणा साहित्य अकादमी ने सुप्रसिद्ध कवयित्री नमिता राकेश को साल 2021 के लिए श्रेष्ठ महिला रचनाकार सम्मान से अलंकृत किया है। इनमें प्रमुख रुप से संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में राष्ट्रभाषा गौरव सम्मान, संसद का राष्ट्रीय शिखर सम्मान, राष्ट्रीय स्त्री शक्ति सम्मान, राष्ट्रीय सहित्य भूषण सम्मान, ग्लोबल लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड, वूमन अचीवर्स अवार्ड, शान-ए-हिंदुस्तान अवार्ड, महादेवी वर्मा सम्मान, लेखक सम्मान, उर्दू गजल किताब के लिए हरियाणा उर्दू अकादमी का पुस्तक सम्मान, हिंदी सेवी सम्मान, साहित्याराधन सम्मान, काव्य सुधा सम्मान, समाज गौरव सम्मान, राष्ट्र संत अकादमी महाराज राष्ट्रीय सम्मान, सुभद्रा कुमार चौहान सम्मान जैसे देश विदेश में मिले सैकड़ो पुरस्कार व सम्मान नमिता के नाम है। नेपाल में गजल विद्या के लिए उन्हें परिकल्पना ब्लॉगर सम्मान से भी नवाजा जा चुका है। उन्होंने भारत सरकार की ओर से विश्व हिंदी सम्मेलन में मॉरिशस और सिंगापुर में भी भागीदारी की है। वहीं 34 साल की सरकारी सेवा में उन्हें सरकारी विभागों में अनेक प्रशस्ति पत्र मिले हैं। इनमें जहां सीआईएसएफ महानिदेशक का वह प्रशस्ति पत्र और सम्मान भी शामिल है, अर्द्धसैनिक बल में उपनिदेशक के पद पर रहते हुए उन्होंने सीआईएसएफ के स्वर्ण जयंती वर्ष में बनी यूट्यूब फिल्म की पटकथा लिखी और उनके शब्दों को सुपर स्टार अमिताभ बच्चन ने अपनी आवाज़ दी। वहीं काव्यात्मक विज्ञापन के लिए आयकर महानिदेशक का प्रशस्ति पत्र और सीआईएसएफ के महानिदेशक का राजभाषा निरीक्षण के लिए दिया गया प्रशस्ति पत्र भी शामिल है। इसी प्रकार केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो से वह रजत पदक हासिल कर चुकी हैं। खेलकूद में उन्हें टेबल टेनिस में वह अनेक प्रतियोगिताओं में पदक व ट्राफी से भी सम्मानित किया जा चुका है। 
16Jan-2023

2 टिप्‍पणियां:

  1. श्री ओम पाल जी द्वारा मेरे कृतित्व और व्यक्तित्व पर प्रकाश डालने के लिए हार्दिक धन्यवाद। उन्होंने बहुत कुछ समेटने की कोशिश की है। उनकी प्रतिभा को नमन

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