सोमवार, 1 नवंबर 2021

मंडे स्पेशल: अवैध कब्जे संपत्ति को मुक्त कराना वक्फ बोर्ड की बड़ी चुनौती!

प्रदेश में 754 वक्फ़ संपत्तियों पर अभी अवैध कब्जा
संपत्ति के डिजीटलीकरण में अव्वल हरियाणा 
वक्फ़ बोर्ड और किराएदारों को राहत के लिए कानून में संशोधन का प्रस्ताव केंद्र के पाले में 
 ओ.पी. पाल.रोहतक। प्रदेश से सबसे धनवान संस्थानों में शुमार वक्फ बोर्ड क्बजाधारियों और सरकार के नए कानून से परेशान है। एक तरफ तो उसकी संपत्तियों पर अवैध कब्जों की भरमार है वहीं दूसरी ओर नए कानून के चलते अदालती मामलों की संख्या बढ़ रही है। बीते एक साल में ही इन केसों की तादाद दो गुणा हो गई है। प्रदेश भर में वक्फ़ बोर्ड की 12642 संपत्तियों में से 754 तो पहले से ही अवैध क्ब्जे की चपेट में हैं। अब सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद अनेक किरायेदारों ने अदालत का रुख कर लिया है। हालांकि प्रदेश में बोर्ड की संभी संपत्तियों का ब्यौरा डिजीटल कर दिया है और ऑनलाइन पंजीकरण को भी अपनाया गया है, लेकिन बोर्ड नए केसों और पुराने कब्धारियों के आगे बेबस नजर आ रहा है। उधर राज्य सरकार ने वक्फ़ संपपत्ति के किराएदारों को राहत देने के लिए नए कानून में संशोधन करने के लिए केंद्र सरकार को एक प्रस्ताव भेजा है।
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देश में अल्पसंख्यक कल्याण के लिए वक्फ़ संपत्तियों के इस्तेमाल करने की प्राथमिकता के लिए केंद्र सरकार ने इन संपत्तियों का डिजीटल कराने के लिए मैपिंग कराने के साथ कई योजनाएं बनाई और वक्फ़ कानून मे संशोधन किया। हरियाणा सरकार ने प्रदेश की वक्फ़ संपत्तियों ब्यौरा रखने के लिए ऑनलाइन प्रणाली के साथ पंजीकरण की पद्धति अपनाई। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि हरियाणा ऐसा पहला राज्य बना जहां सभी वक्फ़ संपत्तियों का डिजीटल पूरा किया जा चुका है। अल्पसंख्यकों में शिक्षा का प्रसार करना बोर्ड का मुख्य उद्देश्य के लिए वक्फ़ की जमीन पर शैक्षणिक संस्थान, कोचिंग सेंटर, छात्रावास आदि गतिविधियों को तेज किया गया है। पिछले वित्त वर्ष में राज्य सरकार ने ऐसी शैक्षिक गतिविधियों पर 2.03 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। बोर्ड ने शिक्षा बजट को लगभग 4 करोड़ रुपये से अधिक करने का फैसला किया है। वक्फ़ बोर्ड की आमदनी बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने उसके अधीन संपत्ति पर मैरीज होम, शॉपिंग मॉल आदि व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ाने की योजना बनाई है। 
शहर से ज्यादा देहात में ज्यादा संपत्तियां 
हरियाणा वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को लेकर सरकार द्वारा कराए गये एक सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में वक्फ़ की 12642 संपत्तियां हैं, जिनमें 8207 ग्रामीण व 4317 संपत्तियां शहरी क्षेत्र में हैं। इन सभी संपत्तियों का कुल क्षेत्रफल 20919.3 एकड़ पाया गया है। वक्फ़ की 30 फीसदी संपत्तियों पर व्यवसायिक व 55 फीसदी पर रिहायशी गतिविधियां चल रही हैं। जबकि बचे जमीन पर कृषि का कार्य हो रहा है। हरियाणा वक्फ़ बोर्ड प्रदेश में अरबो रुपये कीमत की 12,642 वक्फ़ संपत्तियों यानि जमीनों का नियंत्रण तो करता ही है, वहीं प्रदेश में अधिसूचित 4272 मस्जिदों में से 405 मस्जिदों तथा 597 दरगाहों में से 24 दरगाहों का प्रबंध भी करता है। प्रदेश में 23117 वक्फ संपत्तियों को किराए पर दिया है और इन संपत्तियों से बोर्ड को करीब 20 करोड़ की आमदनी होती है। 
इन जिलों में ज्यादा संपत्ति 
प्रदेश के अंबाला जिले में वक्फ़ बोर्ड की 1080 संपत्तियां हैं, इनमें 388 शहरी व 692 संपत्तियां ग्रामीण में हैं। जबकि पंचकूला में बोर्ड की कुल 104 संपत्तियों में 72 ग्रामीण व 32 संपत्तियां शहरी क्षेत्र में हैं। इसी प्रकार यमुनानगर में 591 संपत्तियों में 533 ग्रामीण व 58 शहरी क्षेत्र में हैं। धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में 699 संपत्तियां ग्रामीण व 286 शहरी क्षेत्र में हैं। इसक अलावा कैथल में 543 संपत्तियों में 381 ग्रामीण व 162 शहरी क्षेत्र में वक्फ़ बोर्ड की संपत्तियां हैं। 
वक्फ- की जमीन पर अवैध कब्जाी 
प्रदेश में वक्फ़ की 754 संपत्तियां अभी भी अवैध कब्जे में हैं, जबकि वक्फ कानून 1995 के अनुच्छेंद 32 के संशोधित प्रावधानों के अनुसार वक्फ की संपत्तिम के प्रबंधन तथा ऐसी संपत्तिियों पर अवैध कब्जे या अतिक्रमण के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की पूरी शक्तियां होती हैं। वहीं इस वक्फ कानून के अनुच्छे द 54 और 55 के अनुसार राज्य् वक्फ बोर्ड उसकी संपत्ति यों पर से अवैध कब्जा छुड़ाने के लिए कब्जा करने वाले के खिलाफ उचित कार्रवाई कर सकता है। वक्फ परिसंपत्तिियों का निर्धारित अवधि मे वक्फ की संपत्तिोयों का समूचा सर्वेक्षण कराना भी संपत्तियों को अवैध कब्जे से मुक्त रखना है। फिर भी राज्यं वक्फ बोर्डो की अनुमति के बगैर किसी भी वक्फ संपत्तित पर कब्जा या हड़पने वालों के लिए सख्त जेल की सजा का प्रावधान किया गया है। इसे गैर जमानती अपराध की श्रेणी में रखा गया है। 
संपत्ति विवादों के निपटारे को ट्रिब्यूनल 
राज्य सरकार ने ऐसी संपत्तिलयों में रहने वाले किराएदारों को खाली कराने से जुड़े विवादों की सुनवाई के लिए अधिक अधिकार संपन्नो तीन सदस्यी्य न्याययाधिकरण भी बनाया ह । राज्य और संघ शासित वक्फ बोर्डों द्वारा कानून की व्यतवस्थाओं के अनुपालन पर केन्द्र सरकार समय समय पर नजर रखती है। इसके बावजूद राज्य में अभी भी वक्फ़ की संपत्तियों को लेकर 70 मामले न्यायालय में लंबित है, जिनकी संख्या पिछले साल 34 थी। यानी एक साल में विवादित मामलों की संख्या भी दोगुना बढ़ गई है। 
क्या है वक्फ कानून में नया संसोधन 
वक्फ का पहला एक्ट वर्ष 1995 में आया। इसके बाद वर्ष 2013 में इसमें संसोधन हुआ कि जो वक्फ प्रापर्टी है। उनका अब प्रति स्कवेयर प्रति वर्ष प्रतिशत किराया लिया जाएगा। इस संशोधन का काफी विरोध देश भर में हुआ। फिर हरियाणा वक्फ बोर्ड ने इस मामले में संशोधन की पहल की। इसके बाद दिसंबर 2015 में इसमें फिर से संशोधन हुआ। इसके तहत आवासीय खेतीहर प्रापर्टी पर 2 और व्यवसायिक प्रापर्टी पर ढाई प्रतिशत बढ़़ा हुआ किराया लिया जाएगा। वहीं राज्य के गृह मंत्रालय के इस आदेश से वक्फ़ बोर्ड के संपत्ति को लीज पर देने के अधिकार छीनते नजर आए। इन आदेशों के अनुसर सरकार की मंजूरी के बिना वक्फ़ बोर्ड जमीन का लीज पर नहीं दे सकता। 
लीज नियम में संशोधन का प्रस्ताव 
हरियाणा सरकार ने वक्फ़ संपत्ति लीज रूल में संशोधन का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया है। बोर्ड की संपत्तियों को लीज या फिर किराए पर देने के लिए नए कानून में बोली पर देने की व्यवस्था की गई थी। यह व्यवस्था लागू भी हो गई थी, लेकिन किराएदारों की मांग पर इसकी जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय कमेटी ने ऐसी सिफारिश को भेजी थी। इसकी मंजूरी मिलने के बाद किराएदारों को राहत मिलेगी। राज्य सरकार को उम्मीद है कि किराएदारों और हरियाणा वक्फ़ बोर्ड के सामने नए कानून से आई परेशानी का समाधान के लिए केंद्र सरकार जल्द अधिसूचना जारी करेगी। 
नई व्यवस्था से मुसीबत में थे किराएदार 
कुछ साल पहले हरियाणा वक्फ बोर्ड के लीज रूल में संशोधन के बाद यह तय हुआ था कि अब बोर्ड की कोई संपत्ति सीधे लीज या फिर किराए पर नहीं दी जाएगी। बोली के जरिए ही इस संपत्ति को अलॉट किया जा रहा था। इस संशोधन से सबसे बड़ी मुश्किल उन किराएदारों को हो गई थी जिन्होंने अलॉटमेंट के बाद जमीन पर बड़े रिहायशी व व्यवसायिक भवन खड़े कर लिए थे। मोटे निवेश की वजह से ये किराएदार इस संशोधन से सकते में थे। इसी वजह से इसका लगातार विरोध हो रहा था। ज्यादातर किराएदार भी इस व्यवस्था में बदलाव की मांग कर रहे थे। राज्य सरकार ने वर्ष 2014 के कानून में संशोधित प्रस्ताव में कहा गया है कि 2014 से पुरानी वक्फ संपत्ति यह तो पट्टा अवधि के दौरान पट्टेदार की मृत्यु हो जाने की स्थिति में पट्टे की अवसान अवधि के लिए मृत पट्टेदार के पट्टा करार को उसके पुत्र या पुत्री अथवा पति या पत्नी के नाम में अंतरित कर दिया जाएगा, जिसके लिए वक्फ बोर्ड द्वारा तीन मास के किराए के समतुल्य अंतरण शुल्क प्रभारित किया जाएगा। इसमें वक्फ बोर्ड पट्टेदार से जो पट्टा आरक्षित कीमत 2.5 प्रतिशत प्रति वर्ष समय पर भुगतान करने पर पट्टा स्वचालित नवीकरण करने का प्रावधान करने का प्रस्ताव है। 
01Nov-2021

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