सोमवार, 22 नवंबर 2021

फिल्म: हरियाणवी संस्कृति संस्कार और सामाजिक मूल्यों का संदेश देती फिल्म ‘दिल हो गया लापता’

नवोदित कलाकारों ने अपने अभिनय से दिखाया अपनी कला का हुनर 
-ओ.पी. पाल 
हरियाणवी संस्कृति, संस्कार और समाज के मौलिक मूल्यों को लेकर एक सकारात्मक संदेश देती हरियाणवी फिल्म ‘दिल हो गया लापता’ में ज्यादातर नवोदित युवा कलाकारों ने अभिनय करके यह साबित कर दिया है कि अभिनय सीखा नहीं जा सकता और इसके लिए आत्मविश्वास और जज्बा होना चाहिए। फिल्म निर्देशक और निर्माता जगबीर राठी ने ही इस फिल्म की जो पटकथा लिखी है। इस नई हरियाणवी फिल्म में निर्माता ने ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओं’ की थीम को भी बल देते हुए नारी शिक्षा, सुरक्षा और सम्मान पर फोकस किया है, जो अभिनय क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि हास्य कवि और लेखक के रूप में हरियाणवी संस्कृति को बढ़ावा देते आ रहे हैं। महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय रोहतक में निदेशक युवा कल्याण के पद पर कार्यरत जगबीर राठी ने इस फिल्म की कथा, पटकथा और संवाद के जरिए खासकर युवा पीढ़ी को दिये गये संदेश के बारे में हरिभूमि संवाददाता से बातचीत में फिल्म की पृष्ठभूमि को स्पष्ट किया है। फिल्म निर्माता जगबीर राठी के अनुसार इस फिल्म की विशेषता यह है कि इसमें अभियन करने वाले तमाम कलाकार हरियाणवी ग्रामीण पृष्ठभूमि में जन्मे और पले बढ़े हैं। रोहतक में ही बनाई गई इस फिल्म में कलाकार, सहायक कलाकार, संगीतकार, गायक, पार्श्व गायक समेत 95 प्रतिशत रोहतक के ही हैं। इससे ज्यादा दिलचस्प बात ये है कि युवा पीढ़ी को पौराणिक सामाजिक मान्यताओं को स्वच्छ परिवेश प्रस्तुत करने के लिए 60 प्रतिशत कलाकारों ने पहली बार सराहनीय अभिनय करके यह संदेश दिया है, कि अभिनय को सीखा नहीं जाता, बल्कि आत्मविश्वास ही कला को उजागर करता है। राठी का कहना है कि इस पूरी फिल्म की मूल आत्मा हरियाणवी जनजीवन और उससे जुड़े परिवेश को जीवंत करती है, जिसमें मूल मर्म नारी सम्मान से जुड़ा हुआ है। पाश्चत्य संस्कृति से इतर हरियाणवी संस्कृति और संस्कारों में नारी के प्रति सम्मान के साथ बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ का संदेश देती इस फिल्म की कहानी में कालेजों में दैनिक कार्याकलापों और घटनाओं का फिल्मांकन करके कलाकारों ने संवेदनशीलता के साथ मनोरंजक प्रस्तुतियां देकर जो संदेश दिया गया है, उसके कारण इस नई फिल्म को चौतरफा सराहना मिल रही है। दरअसल इस फिल्म की कहानी तीन ऐसे युवा छात्रों के ईर्द गिर्द घूम रही है, जिन्हें दाखिले के बावजूद कालेज के हॉस्टल में जगह नहीं मिलती और उन्हें पीजी में रहने के लिए मजबूर होना पड़ता है। इत्तफाक से उसी कालेज में पढ़ने वाली एक छात्रा पीजी के पास ही एक मकान में रहती है। तीनो छात्रों को उसी लड़की से प्यार हो जाता है। इसी फिल्म में दूसरा पक्ष यह भी है कि उसी छात्रा से कालेज के गुंडई करने वाला छात्र जबरन प्यार करके शादी रचाना चाहता है। मसलन इस फिल्म में हरियाणवी संस्कृति के साथ कालेज में नई पीढ़ी के युवाओं के माहौल भाषा, बोली जैसे पहलुओं का समावेश भी किया गया है। 
अभिनेता की भूमिका पर खरे उतरे प्रभप्रीत 
नई हरियाणवी फिल्म ‘दिल हो गया लापता’ के मुख्य अभिनेता प्रभप्रीत सिंह ने पहली बार किसी फिल्म के पर्दे पर आए हैं, जिन्हें किसी फिल्म में काम करने का मौका मिलने पर बेहद खुशी हो रही है। प्रभप्रीत का कहना है कि बॉलीवुड फिल्मे देखते हुए उन्हें भी बचपन से अभिनय में गहरी दिलचस्पी थी और स्कूली समय में मंचन भी किया। आईएमएसएआर एमडीयू से एमबीए करने के दौरान भी उन्होंने मंचन किया, लेकिन किसी फिल्म में और वह भी हीरो की भूमिका में काम करने का मौका मिलना उसके लिए आत्मविश्वास को बढ़ाने वाला अनुभव रहा और कई अनुभवी कलाकारों का साथ मिलने से इस क्षेत्र में बहुत कुछ सीखने को भी मिला है। इसकी उसने कल्पना भी नहीं की थी कि वह एक अभिनेता की भूमिका में अभिनय करने का मौका मिलेगा। उन्होंने बताया कि जब फिल्म निर्माता जगबीर राठी ने उन्हें ओडिसन के लिए बुलाया तो उसके अभिनय को उन्होंने मुख्य अभिनेता के रूप में परखा और फिल्म में अभिनय को मिल रही सराहना से उसे विश्वास भी नहीं हो रहा है कि पहली बार फिल्म में अभिनय के लिए वह कसौटी पर खरा उतरा। हालांकि वह इस दौरान घबराया हुआ भी था, लेकिन फिल्म निर्देशक के हौंसले और उनकी माता के प्रोत्साहन ने उसमें जज्बा पैदा किया कि उसने फिल्मी डायलॉग के साथ अपने अभिनय को अंजाम दिया। इससे पहले वह फिल्म उद्योग से जुड़े कई लोगों से भी संपर्क कर चुका था, लेकिन इस फिल्म में अभिनय करना वास्वत में उसके लिए एक सपने का सच होने जैसा था। इस फिल्म में काम करने का अनुभव उसके लिए भविष्य की राह प्रशस्त करेगा ऐसा उसका विश्वास भी है। आईसीसीआई बैंक में कार्यरत प्रभप्रीत सिंह ने इस फिल्म में विक्रमजीत सिंह गिल की भूमिका निभाई है। 
स्कूली छात्रा बनी अभिनेत्री 
रोहतक के डीएलएफ कालोनी निवासी कक्षा 12वीं की छात्रा कुमारी सांची गुप्ता ने हरियाणवी संस्कृति पर आई नई फिल्म ‘दिल हो गया लापता’ में मुख्य अभिनेत्री का अभिनय करके कला के क्षेत्र को निश्चित रूप से चौंकाया है। इस फिल्म की हीरोइन पम्मी के रूप में अपने अभिनय की सफलता को लेकर सांची गुप्ता बेहद उत्साहित है और अभिनय को अपनी पढ़ाई के साथ भविष्य में कैरियर के रूप में अपनाने का सपना संजोए हुए है। इसके लिए उसके पिता अमित गुप्ता और माता नेहा गुप्ता पूरा प्रोत्साहित कर रहे हैं। उसने बताया कि उसका छोटे भाई प्रणव ने भी उसके अभिनय को देखकर इस क्षेत्र में दिलचस्पी दिखाई है। स्थानीय मॉडल स्कूल में पढ़ रही सांची एक मेधवी छात्रा का सम्मान भी हासिल कर चुकी है। रोहतक में 4 अगस्त 2004 को जन्मी सांची गुप्ता का कहना है कि फिल्म में एक अनुभवी अभिनेत्री की तरह अभिनय की प्रशंसा होने के बाद उसमें आत्मविश्वास का संचार हुआ है और वह एक बेहतर अनुभव के साथ फिल्म उद्योग में कलाकार की भूमिका को और ज्यादा मजबूत करना चाहती है। फिल्म निर्देशक ने इस फिल्म के लिए जब ऑडिशन लिया तो उसे मुख्य अभिनेत्री के अभिनय के लिए चुना गया। सांची का कहना है कि बचपन से उसे डांसिंग का शोंक है। हालांकि उसने स्कूली कार्यक्रमों में नाटकों के मंचन में भी हिस्सा लिया है। इस फिल्म में अभिनय के बाद अब उसका बॉलीवुड फिल्मों में अभिनय करने का सपना है। हांलकि हरियाणवी फिल्म में उसकी भूमिका को जिस प्रकार से सराहा जा रहा है और उसे उम्मीद है कि वह फिल्म उद्योग में अपनी अभिनय की कला को और ज्यादा मजबूत करके अपने सपने को पूरा करेगी। इसके लिए उसके अभिभावक भी संभावनाओं को तलाश रहे हैं। 
नेता से बने अभिनेता 
फिल्मों या अन्य क्षेत्रों से राजनीति में आते तो बहुत देखे हैं, लेकिन राजनीति से फिल्मों में अभिनय करना रोहतक निवासी कपिल सहगल के लिए किसी सपने को पूरा करने से कम नहीं है। हरियाणवी संस्कृति को लेकर जगबीर राठी की नई फिल्म ‘दिल हो गया लापता’ में कालेज हॉस्टल के मुख्य वार्डन की भूमिका में काम करने वाले कपिल सहगल ने बताया कि उन्होंने फिल्मों में अभिनय का सपना साल 2018 में उस समय संजोया था, जब उन्होंने हरियाणवी वेब सीरिज ‘केम्प’ बनवास में एक शिक्षिका के पति के रूप में अभिनय किया था। वह एक साधारण परिवार से आते हैं जिनका स्वभाव बचपन से ही चंचल है। स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद वे राजनीति में आए और भाजपा में मंडल से प्रदेश स्तर पर कई पदों पर रहे और , लेकिन उनका सपना कुछ अलग करने का था, जिसका मौका उन्हें इस फिल्म में फिल्म निर्माता जगबीर राठी ने दिया। उन्होंने बताया कि इस फिल्म में उनकी भूमिका वास्तविक वार्डन जैसी रही, जो फिल्म देखने वालों को काफी पसंद आ रही है। सहगल ने बताया कि इस फिल्म में अलग अलग भाषा क्षेत्रों से आने वाले तीनों छात्र उससे अपनी भाषा में हास्टल में कमरा मांग रहे हैं और वह उन्हें उन्हीं की भाषा व बोलचाल में जवाब देकर पीजी दिलावाने में मदद करते हैं। इसमें उनके अभिनय के लिए उसके परिजनों का प्रोत्साहन और उनके अनुभवी साथियों को भी श्रेय है। उनका कहना है कि वह फिल्म उद्योग में एक कलाकार के रूप में भविष्य में भी अभिनय के लिए तैयार हैं, क्योंकि इस फिल्म ने उन्हें जो एक कलाकार के रूप में अनुभव दिया और कुछ सीखने को मिला, उसे वह एक अनुभवी कलाकार के रूप में सार्थक करना चाहते हैं। 
13Nov-2021

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