बुधवार, 10 नवंबर 2021

मंडे स्पेशल. दीवाली की खुशी ने खराब की प्रदेश की आबोहवा

प्रदेश के आधे जिले वायु प्रदूषण के खतरनाक मोड़ पर पहुंचे 
ओ.पी. पाल.रोहतक। प्रदेश में कोरोना से ज्यादा वायु प्रदूषण जानलेवा साबित होता नजर आ रहा है, जहां मौसम के बदलाव और त्यौहारी सीजन खासकर दिपावली के पर्व पर पटाखों शोर शराबे ने ध्वनि से ज्यादा कहीं जहरीले धुंए ने वातावरण में जहर घोलकर आबोहवा को खतरनाक बना दिया है। वायु प्रदूषण की चपेट में आए प्रदेश के आधे जिले की आबोहवा जहरीले और खतरनाक मोड पर है। प्रदेश के गुरुग्राम, जींद, हिसार, पानीपत, चरखी दादरी जैसे कई जिलों का वायु गुणवत्ता का सूचंकाक दिवाली के चार दिन बाद भी खरनाक मोड पर है। हालांकि दिवाली के बाद 11 जिलों में वायु गुणवत्ता के सूचकांक में सुधार देखा गया है, जबकि नौ जिले ऐसे हैं जिनमें वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ता नजर आ रहा है। प्रदेश की आबोहवा में घुले जहर के कारण लोगों को सांस लेने में दिक्कते हो रही हैं और कुछ जिलों में सुबह शाम कोहरे की चादर बिछी नजर आ रही है। प्रदेश में फरीदाबाद और गुरुग्राम दो ऐसे जिले हैं जहां प्रतिदिन चार स्मॉग टावर से वायु गुणवत्ता की मानकता के लिए चार-चार केंद्र हैं, जबकि बाकी जिलों में एक-एक केंद्र से प्रतिदिन वायु प्रदूषण का आकलन किया जा रहा है। सभी प्रकार का प्रदूषण मानव स्वास्थ्य के साथ लोगों की मनोवैज्ञानिक तंदुरुस्ती पर भी हानिकारक प्रभाव डालता है। सरकार ने सभी प्रकार के पर्यावरणीय प्रदूषणों की रोकथाम करने तथा विशिष्ट पर्यावरणीय समस्याओं से निपटने के लिए पर्यावरण(संरक्षण)अधिनियम को समय समय पर केंद्र सरकार संशोधित कर रही है।
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प्रदेश में पंचकूला को छोड़कर कोई जिला ऐसा नहीं है, जहां की आबोहवा सांस न घोट रही हो। मसलन दिवाली के बाद तो लोगों को सांसद लेने में परेशानी का सामना करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। प्रदेश में वायु गुणवत्ता सूचकांक के खराब या बहुत खराब और कई जिलों में बेहद खतरनाक हुए वायु प्रदूषण ने सुबह शाम कोहरे की चादर बिछाने का काम शुरू कर दिया है। हरियाणा में वायु गुणवत्ता पर गौर करें तो यहां पिछले साल दिवाली की तुलना में इस साल दिवाली पर ज्यादा वायु प्रदूषण ने आबोहवा को खराब किया है। दीपावली पर पटाखों के शोरशराबे से पहले प्रदेश के हिसार और जींद दो जिले ही वायु गुणवत्ता के सूचकांक में गंभीर मोड पर थे, लेकिन दीपावली के बाद आठ जिलों भिवानी, फरीदाबाद, गुरूग्राम, हिसार, जींद, पानीपत, रोहतक व चरखी दादरी का गुणवत्ता सूचंकाक 400 से ज्यादा यानि गंभीर मोड पर था। जबकि अंबाला, फतेहाबाद, करनाल, कुरुक्षेत्र, पलवल और सोनीपत भी ज्यादा खराब वायु गुणवत्ता के सूचकांक में शामिल हो गये। पंचकूला एक ऐसा जिला रहा जो दिवाली पर संतोषजनक सूचकांक से मध्यम सूचकांक पर अभी तक सीमित है। मसलन प्रदेश के करीब आधे जिलों में वायु प्रदूषण खतरनाक स्थिति में हैं और बाकी जिले भी खराब या बहुत खराब सूचकांक के दायरे में हैं। प्रदेश में पलवल व पानीपत जिले में पीएम10 तथा बाकी जिलों में पीएम2.5 का स्तर माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के रूप में सूचकांक नापा जाता है। 
दीपावली पर जिलों में ऐसी थी वायु गुणवत्ता
दीपावली की शाम से देर रात तक आतिशबाजी के धुंए ने वातावरण में जिस प्रकार का जहर घोला है, उसमें प्रदूषण मीटर(पीएम2.5) का वायु गुणवता सूचकांक अंबाला में 301, भिवानी में 418, फरीदाबाद में 469, फतेहाबाद में 330, गुरुग्राम में 472, हिसार में 405, जींद में 462, कैथल में 377, करनाल में 329, कुरुक्षेत्र में 354, नारनौल में 377, पलवल में 314, पंचकूला में 161, पानीपत में 413, रोहतक में 437, सिरसा में 290, सोनीपत में 400, झज्जर में 351, बहादुरगढ़ में 414, यमुनानगर में 205 और चरखी दादरी में 424 दर्ज किया गया। जबकि रविवार सात नवंबर को वायु गुणवता सूचकांक अंबाला में 341, भिवानी में 389, फरीदाबाद में 372, फतेहाबाद में 373, गुरुग्राम में 419, हिसार में 428, जींद में 463, कैथल में 367, करनाल में 323, कुरुक्षेत्र में 355, नारनौल में 203, पलवल में 278, पंचकूला में 144, पानीपत में 426, रोहतक में 377, सिरसा में 286, सोनीपत में 349, झज्जर में 385, बहादुरगढ़ में 304, यमुनानगर में 219 और चरखी दादरी में 376 पर आंका गया है। 
कुछ जिलों में सुधार तो कुछ में बढ़ा प्रदूषण 
दिवाली के कारण वायु प्रदूषण बढ़ने के बाद रविवार के ताजा आंकड़ो के अनुसार भिवानी, फरीदाबाद, गुरुग्राम, कैथल, करनाल, नारनौल, पलवल, पंचकूला, रोहतक, सिरसा, बहादुरगढ़ व चरखी दादरी की वायु गुणवत्ता में सुधार दर्ज किया गया है। जबकि अंबाला, फतेहाबाद, हिसार, जींद, कुरुक्षेत्र, पानीपत, सोनीपत, यमुनानगर और झज्जर जिले में वायु गुणवत्ता के सूचकांक में उछाल देख गया है। 
मानव शरीर पर कैसा हो सकता है प्रभाव 
वायु गुणवत्ता के सूचकांक में प्रदूषण की मानकता किस सूचकांक स्तर का मानव स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है इसका भी आकलन किया गया है। इसमें 0-51 को अच्छा माना गया है, जिसका न्यूनतम प्रभाव है। जबकि 51-100 संतोषजनक, जिसमें संवेदनशील लोगों को सांस लेने में मामूली तकलीफ हो सकती है। मध्यम सूचकांक में 101-200 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर प्रदूषण स्तर फेफड़ों, अस्थमा और हृदय रोगों वाले लोगों को सांस लेने में तकलीफ पैदा करता है। 201-300 को खराब माना गया है, जिसमें लंबे समय तक एक्सपोजर पर ज्यादातर लोगों को सांस लेने में तकलीफ महसूस करते हैं। इससे ज्यादा 301-400 बहुत खराब स्तर पर होता है, जिसमें लंबे समय तक संपर्क में रहने पर सांस की बीमारी हो सकती है। सबसे ज्यादा 401-500 स्तर को गंभीर स्तर पर रखा गया है, जो स्वस्थ्य लोगों को भी प्रभावित करता है और हर मानव के लिख खतरनाक वायु गुणवत्ता मौजूदा बीमारियों वाले लोगों को तो और भी गंभीर रूप से बढ़ा सकती है। 
बेहद जानलेवा है वायु प्रदूषण 
पुरानी बीमारियों से ग्रस्त लोग और बच्चे वायु प्रदूषण के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। वायु प्रदूषण न केवल फेफड़ों को बल्कि शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित कर रहा है। प्रत्येक व्यक्ति जिसे हृदय रोग जैसी कोई पुरानी समस्या है, वह अत्यधिक पीड़ित होगा। प्रदूषण सीधे उस व्यक्ति की सांस को प्रभावित करता है, जहां आप इन सभी विषाक्त पदार्थों को अपने फेफड़ों में ले जा रहे हैं। इसके कारण आपका ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है, यदि आप पहले से ही दिल के दौरे की स्थिति से पीड़ित हैं तो आपके दिल की धड़कन बढ़ सकती है। बच्चों के स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के प्रभाव ज्यादा चिंताजनक हैं। प्रदूषण के कारण ही लोग सिरदर्द, सांस लेने में तकलीफ की शिकायत कर रहे हैं, खासकर जिन्हें अस्थमा और फेफड़ों की अन्य पुरानी बीमारियां हैं। प्रदूषण जैसे सभी उत्सर्जन से निकलने वाले नाइट्रिक विषाक्त पदार्थ उनके मस्तिष्क के विकास को प्रभावित करते हैं। वायु प्रदूषण साल दर साल हो रहा है और हर साल इस समय के आसपास हम इस तरह की चर्चा करते हैं, लेकिन दुर्भाग्य से इसे कभी भी सही ढंग से नहीं लिया गया है। इस पर काबू पाने के लिए निर्णायक कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि फिर से ऐसा न हो। क्योंकि जब इस तरह से होता है और लोग बीमार होते हैं, वह क्षति स्थायी होती है। 
-डॉ. नरेश त्रेहन, प्रबंध निदेशक मेदांता अस्पताल गुरुग्राम।
 08Nov-2021

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