मंगलवार, 16 नवंबर 2021

मंडे स्पेशल: दस्तावेजों में कैद हो रही है लाल डोरा मुक्त संपत्तियां

हरियाणा में स्वामित्व योजना में संपत्तियों की रजिस्ट्रियों का दौर जारी 
ओ.पी. पाल.रोहतक। लाल डोरा मुक्ति और स्वामित्व योजना ने भूमि विवाद निपटारे और स्वमियों को मालिकाना हक देने में बडी भूमिका अदा की है। इसी से उत्साहित सरकार अब लाल डोरे से बाहर रजिस्ट्रियां करने की तैयारी कर रही है। केवल ग्रामीण ही नहीं शहरी क्षेत्रों में नागरिकों को इस योजना का खासा लाभ हुआ है। सबसे ज्यादा फायदा उन्हें हुआ है, जो किन्हीं कारणों से बाहर से आकर बसे थे और सरकार ने उन्हें लाल डोर के तहत प्लाट या मकान आलट किए थे। अब इस योजना से वे इसके मालिक बन पाए है। लाल डोरे के तहत प्रदेशभर के गांवों में 8 लाख से ज्यादा प्रोपर्टी कार्ड भी बनाए गए। आबादी वाले ऐसे 6350 गांवों में शुरू हुई इस योजना के तहत रजिस्ट्रियां की गई। अब तक 2409 ऐसे गांवों का चयन किया गया है, जिसमें लाल डोरे के बाहर मकान बनें है।
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हरियाणा सरकार ने ग्रामीण क्षेत्र में विकास करने के लिए ई-भूमि पोर्टल से लेकर ‘स्वामित्व योजना’ तक कई बदलाव किए हैं और जिनका लाभ आम आदमी को दिया जा रहा है। इन्हीं योजना में स्वामित्व योजना के तहत प्रदेश में लाल डोरे के बाहर की जमीन और मकानों को पहचान देने के लिए गांवों को लाल डोरा मुक्त योजना शुरू की गई है। जिसके तहत लाल डोरे के भीतर ग्रामीणों को मालिकाना हक देने के लिए भू-संपत्ति की रजिस्ट्रियों को कराने का काम तेजी से चल रहा है। सरकार की 'स्वामित्व योजना' शुरू करने से गांव की सम्पत्ति को विषेश पहचान मिलने के साथ ही भूमि मालिकों को मालिकाना हक देकर रजिस्ट्रियां की जा रही है। इस फायदा ये होगा कि सभी प्रापर्टी के दस्तावेज बनने से उसके आधार पर प्रापर्टी की खरीद-फरोख्त हो सकेगी। वहीं गांवों में जमीन के लिए होने वाले झगड़ों और सम्बन्धित विवादों पर भी अंकुश लगाना सरकार का मकसद है। इस योजना के माध्यम से मालिकाना हक मिलने पर किसी को भी प्रापर्टी पर आसानी से बैंक से ऋण मिल सकेगा। दरअसल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा डिजिटल को बढ़ावा देने के लिए पंचायत दिवस पर 24 अप्रैल 2020 में स्वामित्व योजना की घोषणा की थी। हालांकि हरियाणा सरकार ने इससे पहले गणतंत्र दिवस यानी 26 जनवरी 2020 को ही ‘लाल डोरा मुक्त गांव’ योजना की शुरुआत कर दी थी। स्वामित्व योजना को भी हरियाणा सरकार ने सबसे पहले शुरू किया और प्रदेश में तीन लाख से ज्यादा लोगों को इस योजना के लाभ मिलने की संभावना पर काम शुरू किया। खास बात यह भी है कि हरियाणा के अलावा ऐसा कोई ऐसा दूसरा राज्य नहीं है जिसने शहरी क्षेत्र के गांवों के लोगों को मालिकाना हक देने की योजना बनाई हो। फिलहाल प्रदेश में लाल डोरे के भीतर ग्रामीणों को मालिकाना हक देने के लिए भू-संपत्ति की रजिस्ट्रियों का काम तेजी से चल रहा है। 
पौने दो लाख संपत्तियों को मिला मालिक 
प्रदेश में लाल डोरे के दायरे में चिन्हित 6350 गांव में आठ अलग-अलग फेज में 2409 गांवों का सर्वे हो चुका है और 8.18 लाख प्रॉपर्टी कार्ड बनाए गए हैं। इन गांवों में से 2045 गांवों में 1,74,770 से प्रॉपर्टी को रजिस्टर्ड भी किया जा चुका है। अब तक इन गांवों में से 1511 गांव की अभिलेख बन गए हैं और इनके अलावा आबादी वाली 72 हजार से ज्यादा प्रापर्टी डीड बांटी जा चुकी हैं यानि उन्हें संपत्ति की खरीदफरोख्त करने के अधिकार मिल गये हैं। लेकिन इसके जमीन का मालिक ई-भूमि पोर्टल के माध्यम से अपनी जमीन को बेच सकता है। इस योजना के माध्यम से लोगों की संपत्ति का डिजिटल ब्यौरा रखा जाएगा। स्वामित्व योजना के अंतर्गत राजस्व विभाग द्वारा गांव की जमीन की आबादी का रिकॉर्ड रखना शुरू कर दिया है। दूसरी ओर राज्य सरकार ने लाल डोरे के दायरे में आए गांव का सर्वे कराकर हजारों करोड़ की संपत्ति को कानूनी अमला पहनाने की इस पहल में पिछले सात साल में सर्वे के बाद शहरी क्षेत्र की परिधि में भी सैकड़ो गांव ऐसे चिन्हित किये गये, जो लाल डोरे के दायरे में आते हैं। इसलिए सरकार ने शहरी लोगों को भी इस योजना का लाभ देने की योजना को लागू किया। 
दो अलग अलग कानून बनेंगे 
हरियाणा सरकार को स्वामित्व योजना शहरों में लागू करने के लिए संशोधित कानून बनाना होगा और इसके लिए मसौदा कमेटी का गठन भी कर दिया गया है। इस योजना को लागू करने के लिए सरकार शहरी स्थानीय निकाय विभाग और पंचायत विभाग के लिए दो अलग-अलग संशोधित कानून लेकर आएगी। इस संशोधित कानून के लिए गठित ड्राफ्टिंग कमेटी का नेतृत्व वित्तायुक्त एवं राजस्व व आपदा प्रबंधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल को सौंपी जा चुकी है। 
यूपी सीमा पर सीमाबंदी 
प्रदेश में स्वामित्व योजना के तहत लाल डोरा मुक्त संपत्ति को सीमा विवाद से मुक्त करना भी सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी। हालांकि सर्वे ऑफ इंडिया ने सर्वे करके उत्तर प्रदेश और दिल्ली से लगी हरियाणा की सीमा के क्षेत्र का स्ट्रिप मैप भी तैयार कर लिया है, ताकि सीमा विवाद निपटाया जा सके। इन राज्यों की सीमा विवाद से जुड़े जिलों पानीपत सोनीपत पलवल फरीदाबाद और करनाल की लाल डोरे में दायरे में आ रही संपत्ति को पिल्लरों से कवर किया जा रहा है। 
क्या है लाल डोरा 
देश में अंग्रेजी हकूमत के दौरान लाल डोरे की व्यवस्था की गई थी। 1908 में बनाई गई इस व्यवस्था के तहत राजस्व रिकार्ड रखने के लिए खेतीबाड़ी की जमीन के साथ स्थित गांव की आबादी को अलग-अलग दिखाने के मकसद से नक्शे पर आबादी के बाहर लाल लाइन खींच दी जाती थी। लाल डोरे के अंदर लोग कब्जे के मालिक होते हैं। लाल लाइन की वजह से इसके तहत आने वाली जमीन या क्षेत्र लाल डोरा कहलाने लगा। 
लाल डोरा से लाभ व समस्या 
लाल डोरा के तहत आने वाली जमीनों को बिल्डिंग बाई-लॉ, निर्माण-कार्य से जुड़े नियमों और नगरपालिका कानून के तहत आने वाले नियम-कायदों से छूट होती है। इसलिए यहां रहने वाले बिना नक्शाा पास कराने के झंझट में पड़े अपनी जरूरत और सुविधा के अनुसार घर बनाते थे। जबकि ऐसी जमीन के कागज़ नहीं होते, इसलिए लाल डोरे के अंदर जमीन या घर पर जिसका कब्ज़ा वही उसका मालिक होता है, जबकि लाल डोरे से बाहर की जमीन के अलग अलग नंबर होते हैं और वह किसी न किसी के नाम रजिस्टर्ड भी होती है। रजिस्ट्री न होने से इस इलाके की जमीन खरीदने से लोग हिचकते रहे हैं, इसके अलावा इस पर लोन भी नहीं लिया जा सकता है। 
क्या है स्वामित्व योजना 
स्वामित्व योजना के अंतर्गत आने वाले सभी ग्राम समाज के काम ऑनलाइन किया जा रहा है। इस वजह से भूमाफिया और फर्जीवाड़ा और भूमि की लूट जैसी घटनाएं बंद हो जाने की उम्मीद है। वहीं ग्रामीण लोग अपनी संपत्ति का पूरा ब्यौरा ऑनलाइन देख सकेंगे। इस योजना के तहत गांव की सभी संपत्ति की मैपिंग की जा रही है, जिसमें उसकी जमीन से संबंधित ई-पोर्टल उन्हें इसका सर्टिफिकेट भी देगा। सरकार को उम्मीद है कि यह पोर्टल ग्राम पंचायत के विकास के लिए और विकसित करने के लिए केंद्र सरकार की काफी मदद करेगा। 
करनाल सबसे आगे 
करनाल जिले में अभी तक 242 गांव लाल डोरा मुक्त हो चुके हैं, जिसके तहत 30 हजार रजिस्ट्रियां हो चुकी हैं। जिले में 22 गांवों के दावे एवं आपत्तियां लंबित अभी हैं। 387 गांवों में ड्रोन मैपिंग का कार्य पूरा हो चुका है। जिले के 389 गांवों में से 242 गांवों के फाइनल नक्शे प्राप्त हो चुके हैं। सर्वे ऑफ इंडिया से अंतिम नक्शा आने के बाद प्रॉपर्टी आईडी व रजिस्टरी बनाने का कार्य जारी है। 
15Nov-2021

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