सोमवार, 1 नवंबर 2021

चौपाल: रागनियों को नए आयाम के साथ संजोने में जुटे कलाकार हरविन्दर

हरियाणवी संस्कृति को दी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सकारात्मक पहचान 
-ओ.पी. पाल 
हरियाणा की लोक संस्कृति की अपनी एक पहचान रही है, लेकिन इस आधुनिक युग में लुप्त होती संस्कृति को जीवंत करने में जुटे प्रसिद्ध कलाकार हरविन्दर मलिक ने लोक जीवन का दर्पण बोलियों और भाषाओं को ही नहीं, बल्कि लोक संस्कृति को अपनी विभिन्न विधाओं की कला के जरिए संरक्षित करने का काम किया है। हरियाणवी बोली और भाषा के प्रति संवेदनशील कलाकार मलिक ने अब हरियाणा की लोक संस्कृति में एक लंबा इतिहास रखने वाली लुप्त होती रागनियों की संस्कृति को नए आयाम के साथ जीवंत करने का बीड़ा उठाया है, ताकि रागनियों जैसे लोकगीतों को नए रूप में संजोकर प्रस्तुत किया जा सके। एक लेखक, निर्देशक, निर्माता और कलाकार के रूप में अपने संगीत वीडियो, फिल्मों और चित्रों के जरिए हरियाणवी संस्कृति की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पहचान देने वाले ऐसे हरफनमौला कलाकार हरविन्दर सिंह मलिक ने हरिभूमि संवाददाता के साथ विस्तृत हुई खास बातचीत के दौरान ऐसे कई अनुछुए पहलुओं का जिक्र किया, जिसमें उनकी कला की तमाम विधाएं हरियाणवी संस्कृति को समर्पित रही हैं। 
------ 
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हरियाणवी संस्कृति को सकारात्मक पहचान देने वाले रोहतक निवासी कलाकार हरविन्दर सिंह मलिक का जन्म 1969 में झज्जर जिले के बेरी कस्बा में हुआ, जो मुंबई में रहते हैं। पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से इतिहास और भारतीय रंगमंच में डबल एमए की डिग्री हासिल करने वाले हरविन्दर मलिक हरियाणा के एक ऐसे इकलौते कलाकार है जिन्होंने फिल्म, संगीत में अभिनय के साथ निर्देशक और निर्माता के रूप में खासतौर से संस्कृति और लोकशैली को नया आयाम देने में अहम योगदान दिया है। यही नहीं वे एक लेखक और चित्रकार भी हैं। खासबात ये है कि फिल्म, वृत्तचित्र, संगीत वीडियो या ऑडियो अथवा मंच कला व चित्रकार आदि सभी कलाओं में हरियाणवी संस्कृति को सर्वोपरि रखा है। उन्होंने प्रदेश में सबसे पहले पहला ऑनलाइन हरियाणा टीवी का शुभारंभ करके अकेले दम पर लुप्त होती हरियाणवी संस्कृति को जीवंत करके अपनी मातृभूमि के प्रति समर्पित होने के लिए कुछ नया करने के लिए प्रसिद्ध और नवीनतम नंबर वन हरियाणा अभियान के जरिए समाज को प्रेरित करने का प्रयास किया। हरविन्दर मलिक का कहना है कि समाज अपनी संस्कृति के लिए गंभीर हो, जिसमें हरियाणवी संस्कृति में रागनियों के इतिहास को संजोने के मकसद से उन्होंने रागिनी टीवी शुरू किया है, जिसमें हरियाणा के करीब 100 किस्सों को तलाशकर उनकी कहानियों और रागनियों को पहली बार ऑडियो और वीडियो के रूप में रिकार्ड करके विशेष कार्यक्रम की पहल की गई है। अब तक संस्कृति के चैनल रागनी टीवी की थीम ‘अपनी बोल्ली-अपणा कल्चर’ के तहत 1500 रागनियों का वीडियो बनाया जा चुका है। ऐसा प्रदे में किसी सरकारी या निजी कंपनियां अभी तक नहीं कर सकी थी। बकौल मलिक इस कार्यक्रम में इसके अलावा प्रदेश में रागनियों से जुड़े या संबनध रखने वाले लेखकों, गायकों, संगीतकारों के अलावा इस लोकसंस्कृति को प्रोत्साहन देने वालों पर भी 100 वृत्तचित्र के निर्माण का कार्य चल रहा है। इस अभियान में उनका प्रयास है कि शहरी सभ्रांत और विदेशों में बसे लोग गर्व से रागनियों के सारांश को समझे और उनके लेखकों और गायकों से जुड़ सकें। उनका मानना है कि हरियाणवी बोली के दायरे में केवल हरियाणा ही नहीं, बल्कि पश्चिमी यूपी, उत्तरी राजस्थान और दिल्ली देहात भी है, जिसके लिए अपनी बोल्ली अपणा कल्चर संस्कृति और सभ्यता को संजोने का काम करेगा। 
हरियाणवी पॉप के अग्रदूत 
बहु प्रतिभाशाली कलाकार हरविन्दर मलिक को ललित कला, टेलीविजन और सिनेमा के क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल है, जिनका बॉलीवुड से लेकर हरियाणवी फिल्मों और टेलीफिल्मों के निर्माण में अहम योगदान रहा। उन्होंने बताया कि वर्ष 1997 पहली बार हरियाणावी पॉप एलबम ‘गिट पिट-गिट पिट’ बनाने वाले वे पहले व्यक्त रहे, जिसकी वीडियो नेशनल चैनलों पर पर सुर्खियों में आई तो उन्होंने गुटुरघुन, देसी का पाववा, धारे जब पहूँचा इंग्लैंड व टॉप गियर जैसी वीडियों वाली एलबम देश ही नहीं विदेशों में भी चर्चा में आई। देसी का पाववा एलबम को वीडियो तो लंदन में सुपरहिट रहा, जिसमें वे हरियाणवी संस्कृति में पॉप एलबम के अग्रदूत के रूप में सामने आए। सिनेमा व टीवी में भी संस्कृति
हरियाणवी संस्कृति की बॉलीवुड में छाप छोड़ने वाले कलाकार हरविंदर मलिक ने प्रसिद्ध फिल्म निर्माता महेश भट्ट के साथ जूनून, सिरो, हम हैं रही प्यार के, मिलान, ताड़ीपार और फिर तेरी कहानी याद आई जैसी फिल्मों में सहायक निर्देशक के रूप में काम किया किया। उन्होंने टेलीविजन क्षेत्र में भी लेखक, संपादक, निर्माता, निर्देशक और प्रस्तुतकर्ता के रूप में विभिन्न प्रसारण कार्यक्रमों के लिए गैलेक्सजी, ये है बॉम्बे मेरी जान, क्या सीन है!, कहां से कहां तक, थ्रिलर एट और रिश्ते जैसे दो हजार से भी ज्यादा एपिसोड का निर्माण किया। साल 2001 यूट्यूब की परंपरा को प्रदेश में हरियाणवी बोली और संस्कृति में शुरू कराने में भी मलिक का योगदान कम नहीं है। उन्होंने कई पंजाबी वीडियो जैसे ढोल जगीरों दा, जिस दिन ते सोनिये नी, रूप दा नज़र, साहिबान आदि और हिंदी वीडियो एल्बम में सपना अवस्थी की 'परदेसिया', ऋचा शर्मा की 'ढोला रे', 'परदेसी परदेस गया', 'मुंबईया नंबर 1', 'धुंधू माई सांवरिया' आदि का निर्देशन भी किया। जबकि 2004-05 में उन्होंने रेडिफडॉटकॉम के साथ पहला ऑनलाइन हरियाणा टीवी शुरू किया था, जिसके बाद एवन तहलका हरियाणा न्यूज चैनल हरियाणवी भाषा में चलाया और एंडी हरियाणा चैनल का भी संचालन कर रहे हैं। 
वृत्तचित्रों के जरिए प्रचार प्रसार 
हरविन्दर मलिक ने सरकार के लिए कई वृत्तचित्रों/कॉर्पोरेट फिल्मों का निर्माण और निर्देशन को एक पेशे के रूप में अपनाया। सरकारी और गैर एजेंसियों के लिए इस क्षेत्र में उन्होंने हरियाणा सरकार के लिए मछली पालन-रोजगार का उत्तम साधन मत्स्य पालन विभाग, धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र- केडीबी के लिए कुरुक्षेत्र पर एक फिल्म, सूर्यगढ़ मेला कुरुक्षेत्र पर एक पवित्र गंतव्य, 48 कोस धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र पर दस्तावेज-नाटक प्रारूप में एक वृत्तचित्र, जिसके धोराई मुर्रा उस्का लांबा तुर्रा-पशुपालन और डेयरी विभाग, सहकारी समितियों के लिए सहकारिता की भावना सुंदर भविष्य की कामना आदि वृत्तचित्रों का निर्माण और निर्देशन किया। यही नहीं उन्होंने राजनीतिक दलों के लिए भी टेलीफिल्मों का निर्माण किया, जिसमें कांग्रेस पार्टी के लिए 'नंबर वन हरियाणा' के बाद 'ऐसा पहली बार हुआ है', 'चार साल-मनोहर छवि' और 2019 के चुनावों के लिए जननायक जनता पार्टी के लिए प्रचार आदि जैसे राजनीतिक अभियान में भी अपनी कला का इस्तेमाल किया। 
चित्रकारी में सर्वोच्च पुरस्कार 
बहु प्रतिभाशाली कलाकार के धनी हरविन्दर मलिक ने अपनी चित्रकारी में भी हरियाणा की संस्कृति और परंपरा पर गहरी छाप हरियाणा के गांवों से लेकर लंदन और न्यूयॉर्क तक प्रदर्शनियों का हिस्सा बन रही हैं। उनकी पेंटिंग में राज्य के ग्रामीण जीवन को संस्कृति के साथ स्पष्ट रूप से दर्शाती हैं। खासबात है कि राजभवन या सचिवालय अथवा कोई भी सरकारी विभाग हो, उन सभी कार्यालयों में हरविन्दर मलिक की बनाई हुई पेंटिंग नजर आती है। साल 2009 में हरियाणा दिवस के अवसर पर हरियाणा के तत्कालीन राज्यपाल ने उन्हें पेंटिंग के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए सर्वोच्च 'मंजीत बावा राज्य पुरस्कार' से सम्मानित किया था। राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित हरियाणवी फिल्म 'लाडो' के सह-निर्माता भी हरविन्दर मलिक ही रहे हैं। उन्होंने हिंदी फीचर फिल्म 'नंगे पांव' का भी निर्माण किया है। 01Nov-2021

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें