सोमवार, 27 सितंबर 2021

मंडे स्पेशल: बेमौसम बारिश ने किसानों को दी दोहरी मार!

कपास, धान, बाजरा और बागवानी फसलों के नुकसान ने तोड़ी आर्थिक कमर 
धान के किसानों को नुकसान के मुआवजे की संभावना नगण्य 
ओ.पी. पाल.रोहतक। 
बेमौसमी बरसात ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। लगातार चार दिनों तक बेमौसमी बारिश ने कपास, धान, बाजरा यहां तक कि सब्जियों उत्पादक किसानों की भी कमर तोड़ दी है। रही सही कसर जलभराव ने पूरी कर दी। एक तरफ जहां बरसात ने कपास में सूंडी को प्रकोप बढ़ा दिया, वहीं खेतों में खड़े पानी ने कीटनाशक से फसल बचाव की उम्मीद ही खत्म कर दी। हालांकि सरकार ने विशेष गिरदावरी करवाकर मुआवजे का ऐलान कर दिया है, लेकिन इससे नुकसान की भरपाई की उम्मीद काफी कम है। किसानों को लग रहा है कि मुआवजा महज सरसरी उपाय के अलावा कुछ भी नहीं। जहां तक फसल बीमा का प्रश्न है तो पानी में होने वाली धान की फसल के पानी से खराब होने पर बीमा कंपनियां मानने को तैयार नहीं होती। 
कृषि प्रधान राज्य के रूप में पहचाने जाने वाले हरियाणा में किसानों के हित में सरकार ने भले ही उनकी आय बढ़ाने के मकसद से विभिन्न योजनाओं को कार्यान्वित कर रही हो, लेकिन पिछले सप्ताह चार दिन की बेमौसमी बरसात ने किसानों की उम्मीदों पर ऐसा पानी फेर दिया कि तेज हवाओं और जल भराव के कारण खेतों में खड़ी किसानों की फसले बर्बाद हो गई हैं। सबसे ज्यादा 60 फीसदी से ज्यादा कपास की फसल को नुकसान हुआ, जिसमें किसान पहले ही गुलाबी सूंडी नामक कीट प्रकोप के नुकसान से परेशान थे कि बेमौसमी बारिश ने किसानों को दोहरी मार का सामना करने के लिए मजबूर कर दिया। हालांकि किसान हितैषी राज्य सरकार ने किसानों की फसलों के नुकसान की भरपाई करने के लिए परंपरागत घोषणाओं में मुआवजा देने हेतु विशेष गिरदावरी यानि आंकलन कराने का निर्देश जारी कर दिया है। जिला स्तर पर प्रदेश में ऐसे क्षेत्रों में फसलों के नुकसान की सरकार ने तत्काल रिपोर्ट तलब की है, जहां 100 मिलीमीटर से ज्यादा बारिश और और बारिश के कारण जलभराव के हालात है। ऐसे क्षेत्रों में सरकार ने विशेष गिरदावरी का कार्य जल्द पूरा कराकर बागवानी व दलहन जैसी उन फसलों के नुकसान का भी मुआवजा देने का भी ऐलान किया है, जो प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के दायरे में शामिल नहीं हैं। 
चार श्रेणियों में आकलन 
राज्य सरकार के बेमौसम बारिश से बर्बाद हुई फसलों के मुआवजा सर्वेक्षण और नुकसान दावे को 25 से 50, 75 और 100 प्रतिशत के रूप में चार श्रेणियों में बांटा गया है। किसानों को मेरी फसल मेरा ब्यौरा (एमएफएमबी) पोर्टल पर अपनी फसल और क्षेत्र का पंजीकरण करना होगा। इसके बाद सर्वे करके मुआवजे का लाभ दिया जाएगा। गौरतलब है कि पिछले सप्ताह हुई बेमौसम बारिश के कारण किसानों की मेहनत पानी में फिरता नजर आ रहा है। प्रदेश में कई जिलों में बारिश व तेज हवाओं से किसानों की गन्नें व धान की फसल जमीन पर चादर की तरह बिछ गई है। बहुत से किसानों की कटी हुई धान की फसल खेतों में बारिश में डूबने से खराब हो गई है। वहीं दूसरी ओर सब्जी की फसलों को भी भारी नुकसान हुआ है। 
धान की फसल का मुआवजा नहीं 
कृषि विभाग भी मान रहा है कि जलभराव से अगर धान की फसल तबाह होती है तो उसका मुआवजे का दावा स्वीकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि धान पानी में पैदा होता है। बीमा कंपनियां भी बीमा होने के बावजूद इसी तर्क को आधार मानकर धान की फसलों का नुकसान की मुआवजा देने को तैयार नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि जब धान की फसल का पानी से नुकसान होने पर मुआवजा नहीं दिया जा सकता तो बीमा कंपनियों ने धान की फसल के लिए किसानों से प्रीमियम की राशि क्यों जमा करवाई है। 
इन क्षेत्रों में फसलों को नुकसान 
सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक केएमपी के आस-पास के क्षेत्र में करीब साढ़े सात हजार एकड़ में जलभराव की समस्या भी सामने आई है, उसमें जिन-जिन किसानों को नुकसान हुआ है, रिपोर्ट आने के बाद गिरदावरी करवाकर प्रभावित किसानों क्षतिपूर्ति के लिए मुआवजा दिया जाएगा। हालांकि इस वर्ष फसलों के नुकसान की नियमित गिरदावरी की रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने बीमा कंपनियों को मुआवजे का भुगतान जल्द से जल्द करने निर्देश दे दिए गए हैं। खासतौर पर हिसार, सिरसा और फतेहाबाद में तीन दिन की बारिश ने कपास उगाने वाले किसानों का भारी नुकसान किया है। जबकि पिछले एक सप्ताह में करनाल, कैथल, कुरुक्षेत्र में धान और रेवाड़ी, भिवानी, जींद समेत अन्य जिलों के किसानों ने बाजरे की फसल खराब होने की शिकायत दर्ज कराई हैं। नारनौल व आसपास के क्षेत्र के खेतों में बारिश के जलभराव के कारण किसानों के बाजरा, कपास व पशु चारा गलने व सड़ने से किसानों को भारी आर्थिक नुकसान की आशंका जताई गई है। 
यहां पड़ी दोहरी मार 
रोहतक जिले के महम शहर का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट गंगानगर गांव के किसानों के लिए आफत बनकर सामने आया, जब पहले से ही बेमौसम बारिश का पानी खेतों में भरने से फसले बर्बादी के कगार पर थी, वहीं वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से लगातार पानी का बहाव भी खेतों में जाने से करीब 200 एकड़ में खड़ी फसलें जलमग्न होकर नष्ट हो गई। इसमें कपास व बाजरा सहित कई अन्य फसलें जल भराव से से बर्बाद हो गई हैं। 
प्रदेश में 55 हजार किसानों ने मांगा  मुआवजा
हरियाणा में पिछले दिनों बेमौसमी बारिश ने किसानों की फसलें तबाह करनी शुरू कर दी है। कई जिलों में फसलों में पानी जमा होने से फसलें खराब हो गई हैं तो कई जगहों पर खराब होने की स्थिति में पहुंच गई है। हरियाणा के अलग-अलग जिलों से करीब 55 हजार किसानों ने फसलें बर्बाद होने का दावा करते हुए कृषि विभाग से मुआवजा मांगा है। हालांकि किसानों के इस दावे के बाद नुकसान का आकलन कराने के लिए सरकार ने सर्वे कराना शुरू कर दिया है। 
जान की दुश्मन बनी बारिश 
सोनीपत के गांव गढ़ी बाला में बेमौसम बारिश के कारण पट्टे पर ली गई करीब 10 एकड़ जमीन में उगाई गई धान, कपास व बाजरे की फसल बर्बाद हो गई। इस नुकसान के सदमे को किसान विकास उर्फ मोनू बर्दाश्त नहीं कर पाया और आर्थिक तंगी के चलते खेत में ही फंदे से लटक गया। मृतक किसान खेती के साथ एक जिम ट्रेनर भी था। का मिला। 
बागवानी बीमा योजना 
हरियाणा सरकार ने बागवानी किसानों के हित में पहली बार बागवानी बीमा योजना शुरू करने का निर्णय लिया है। देश में एकसी पहली बीमा योजना के तहत किसानों, बागवानी एवं सब्जियों की फसलों को बीमित किया जाएगा। इस बीमा योजना में 21 फलों, सब्जियों एवं मसाला फसलों को शामिल किया जा रहा है। सरकार का मानना है कि बागवानी किसानों को भी विभिन्न कारकों के कारण भारी वित्तीय नुकसान उठाना पड़ता था। इसलिए बागवानी किसानों फसलों में अचानक बीमारी फैलने, कीटों के संक्रमण, बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि, सूखा, पाला आदि से किसानों को होने वाले नुकसान की भरपाई की जा सकेगी। इस बीमा योजना के तहत किसानों को सब्जी एवं मसाला फसलों के 30 हजार रुपये और फल वाली फसलों के 40 हजार रुपये का बीमा करने का प्रावधान किया गया। इसके लिए बीमित किसानों को केवल 2.5 प्रतिशत यानि 750 रुपये और 1000 रुपये के रूप में प्रीमियम का भुगतान करना होगा, जिसमें 750 रुपये और 1000 रुपये ही अदा करने होंगे। 
27Sep-2021

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