सोमवार, 13 सितंबर 2021

साक्षात्कार: सामाजिक चेतना में साहित्य की अहम भूमिका: डॉ. निजात

BY-ओ.पी. पाल 
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नाम: डॉ. राजकुमार निजात 
जन्म तिथि: 01 अप्रैल 1953 
जन्म स्थान: सिरसा(हरियाणा) 
शिक्षा: एम.ए.(हिंदी), विद्यावाचस्पति, विद्यासागर(मानद) की उपाधि 
संप्रति: अध्यक्ष, समग्र सेवा संस्थान, सिरसा तथा पूर्व सदस्य हरियाणा साहित्य अकादमी पंचकूला ----------------- 
हरियाणा के सिरसा निवासी सुप्रसिद्ध साहित्यकार ने हिंदी साहित्य की विभिन्न विधाओं में कथ्य और शिल्प की दृष्टि से अपनी रचनाओं और कृति से सशक्त तथा प्रभावशली छाप छोड़ी है। खास बात ये भी है कि उन्होंने हिंदी और उर्दू शब्दों का मिश्रण से अपने आपको एक गजलकार के रूप में भी पाठकों के सामने प्रस्तुत किया है। यही नहीं उन्होंने साहित्य के जरिए वर्तमान सामाजिक चेतना में व्याप्त मूल संवेदना के वास्तविक रूप दर्शाकर सामान्य जनमानस को अपनी और आकर्षित किया है। प्रदेश में इस प्रकार की विभिन्न विधाओं में साहित्यिक सेवा देने वाले साहित्यकारों में शुमार डॉ. राजकुमार निजात के विषय, प्रतीक और कहने के ढंग ने निर्विवाद रूप से रूढ़िवादी पर सीधे सवालो से उनकी रचनाओं में साहित्य की प्रासंगिकता स्पष्ट नजर आती है। लोकल ऑडिट विभाग हरियाणा में रेजीडेंट ऑडिट ऑफीसर के पद पर रह चुके डॉ. राजकुमार निजात ने अपने साहित्यिक रचना संसार के इन्हीं अनुभवों को हरिभूमि संवाददाता से हुई खास बातचीत में साझा किया है। हिंदी साहित्य जगत के सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. राजकुमार निजात ने समाज को नई दिशा देने के लिए विभिन्न विधाओं में साहित्य प्रस्तुत करते हुए अपनी रचानाओं में बच्चों से लेकर बुजुर्गो तक को संजोया है। आलेख, कहानी और उपन्यास तथा गजल कहने और लिखने वालों की श्रृंखला में भी एक सक्रीय और सभ्रांत लेखक के रूप में अपनी पैठ बनाई है। यही नहीं डॉ. निजात की गजलों और कविताओं में बेबाक और स्पष्टता की झलक पेशकर अपने लिए एक संवेदनशील व्यक्तित्व की मिसाल पेश की है। साहित्य के क्षेत्र में कदम रखने के बारे में उनका कहना है कि जब वे 13-14 साल के थे तो उनकी अखबारों में बाल कविता छपी और इसके बाद अखबारों में कविताएं और उनकी रचनाओं के प्रकाशन ने उन्हें ऐसा प्रोत्साहित किया कि उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। चूंकि समाज को नई दिशा देने में साहित्य की भूमिका अहम होती है। इसलिए विश्व काव्य-संकलन में रचनाएं तथा शताधिक संकलनों में कहानी, लघुकथा, ग़ज़ल, गीत, दोहा, सूक्तियाँ,व्यंग्य, साक्षात्कार, बालकथा, बाल-लघुकथा, आलेख, आलोचना आदि विधाओं के प्रकाशन से उन्हें साहित्य क्षेत्र में ख्याति मिली। डॉ. निजात का मानना है कि इस तकनीकी युग में भी साहित्य की भूमिका का कालजयी है और रहेगी। उन्होंने नई पीढ़ी को साहित्य के लिए प्रेरित करते हुए संदेश दिया है कि साहित्य सामाजिक स्वरूप को पेश करता है इसलिए उन्हें साहित्य का अनुसरण करना चाहिए और ज्यादा से ज्यादा साहित्य पढ़कर उसकी सार्थकता को आगे बढ़ाएं। डॉ. निजात के रचनाकर्म पर विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा छह पीएचडी और छह एमफिल के शोध कार्य पूरे किये और कई अन्य पर छात्रों द्वारा शोध किया जा रहा है। वहीं उनकी लघुकथा ‘उपेक्षित’ शीर्षक से तमिलनाडु बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन के दसवीं कक्षा के हिंदी पाठ्यक्रम में भी शामिल की गई है। ----------प्रमुख प्रकाशन
प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. राजकुमार ने हिंदी साहित्य की विभिन्न विधाओं में पुस्तके लिखी हैं। उनके दस लघुकथा संग्रह में कटा हुआ सूरज, बीस दिन, अदालत चुप थी, उमंग उड़ान और परिन्दे,नन्ही ओस के कारनामे, दिव्यांग जगत की 101 लघुकथाएं, माँ पर केंद्रित 101 लघुकथाएं, आसपास की लघुकथाएं, चित चिंतन और चरित्र तथा अम्मा फ़िर नहीं लौटी प्रमुख हैं। जबकि सात काव्य संग्रह में अब तुम रहने दो, मृत्यु की खोज में, तुम अवतार नहीं थे, नदी को तलाश है, युग से युग तक, रास्ते इंतजार नहीं करते और पीले गुलाबों वाला घर के अलावा सलवटें व अचानक दो कहानी संग्रह भी है। यही नहीं उनके एक उपन्यास साये अपने-अपने के दो संस्करण आ चुके हैं। तीन व्यंग्य संग्रह में तक धिना धिन, पत्नी की खरी-खरी व गलत पते पर के साथ ही तपी हुई ज़मीन, पत्थर में आंख व रोशनी दा सफर(पंजाबी में) गजल संग्रह भी सुर्खियों में हैं। उनके पांच बाल साहित्य में मेरा देश भारत, बँटे अगर तो मिट जाओगे, खट्टे हैं अंगूर तुम्हारे, जीवन से संघर्ष बड़ा है और शिक्षाप्रद ,ज्ञानवर्धक ,रोचक बालकथाएँ नई पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक साबित हो रहे हैं। निजात के एक आलेख संग्रह में तू भी हो जा रब तथा एक सूक्ति संग्रह में सूक्तियां मेरा अनुभव संसार भी पाठकों के बीच में है। मधुकांत का नाट्य संसार पर एक आलोचना और निर्जल तट पर लिखा एक गीत संग्रह के अलावा बेटी चालीसा व दिव्यांग चालीसा पुस्तकें भी साहित्यकार निजात की विधाओं का परिचायक हैं। जबकि एक ‘मां महिमा’ पुस्तिका समेत उनकी तीन दर्जन से ज्यादा साहित्यिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इसके अलावा उनकी संपादित पुस्तकों में हरियाणा का लघुकथा संसार, आवाजें, माहौल, हौसलों की लघुकथाएं, हरियाणा की बाल लघुकथा, ग़ज़ल के साथ-साथ सतीशराज पुष्करणा व सुरेंद्र वर्मा की प्रतिनिधि लघुकथाएं भी शामिल हैं। 
पुरस्कार व सम्मान 
हरियाणा के प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. राजकुमार निजात को हरियाणा साहित्य अकादमी ने दो लाख रुपये के वर्ष 2018 के बाबू बालमुकुंद गुप्त सम्मान से नवाजा है। इससे पहले उन्हें विश्व हिंदी सम्मेलन का राष्ट्रीय हिंदी सेवी सहस्राब्दी सम्मान-2000, गुजरात हिंदी विद्यापीठ अहमदाबाद का हिंदी गरिमा सम्मान-1994, हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग का साहित्य महोपाध्याय सम्मान-2003, हरियाणा कला परिषद हिसार मंडल एवं के. एल. थिएटर सिरसा का अनुभाव सम्मान-2021, भारतीय दलित साहित्य अकादमी नई दिल्ली का 1992 में प्रशस्ति पत्र दिया जा चुका है। हरियाणा प्रादेशिक पंजाबी साहित्य सम्मेलन, हरियाणा का लघुकथा संसार, उत्तर भारत की अग्रणी संस्था 'रसलोक', सर्वभारती सांस्कृति मंच पंजाब, केंद्रीय पंजाबी लेखक सभा तथा जनवादी कविता मंच पंजाब समेत देश की करीब चार दर्जन संस्थाओं द्वारा समय-समय पर सम्मानित होने का गौरव हासिल है। भारतीय प्रगतिशील लघुकथा मंच पटना के सम्मान के साथ ही राही सहयोग संस्थान जयपुर के एक विशेष सर्वे में वर्ष 2021 के लिए विश्व के एक सौ विशिष्ट व सर्वश्रेष्ठ हिन्दी रचनाकारों में डॉ. राजकुमार निजात का नाम भी 94वें स्थान पर सम्मिलित किया गया है। साहित्यकार डॉ. निजात को विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ द्वारा विद्यावाचस्पति एवं विद्यासागर की मानद उपाधि से भी नवाजा जा चुका है। 
 13Sep-2021

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