सोमवार, 27 सितंबर 2021

साक्षात्कार: समाज की बेहतरी के लिए साहित्य अहम: डा. भाटिया

श्रेष्ठ साहित्य पेश करने में जुटे साहित्यकार डा.अशोक भाटिया 
व्यक्तिगत परिचय 
नाम: डॉ. अशोक भाटिया 
जन्म तिथि: 05 जनवरी 1955 
जन्म स्थान: अम्बाला छावनी (हरियाणा) 
मातृभाषा: पंजाबी 
शिक्षा: एम.ए.(हिंदी) स्वर्ण पदक, एम.फिल., पी.एच.डी.(कुरुक्षेत्र वि.वि.) 
संप्रति: एसोसिएट प्रोफेसर(रिटायर्ड), हरियाणा के विभिन्न राजकीय महाविद्यालयों में अध्यापन के बाद अब स्वतन्त्र लेखन। 
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BY-ओ.पी. पाल 
हिंदी साहित्य क्षेत्र में विभिन्न विधाओं में अपनी रचनाओं और लेखो के जरिए समाज के सामने श्रेष्ठ साहित्य पेश करने में जुटे करनाल निवासी सुप्रसिद्ध साहित्यकार डा. अशोक भाटिया को हरियाणा साहित्य अकादमी ने वर्ष 2017 के लिए ‘बाबू बालमुकुंद गुप्त सम्मान’ से नवाजा है। उनकी साहित्यिक रचनाओं में कलात्मकता और रचनात्मकता साफतौर से सामाजिक सरोकार का दर्शन कराती है, जो बच्चों से लेकर बुजुर्गो तक के लिए साहित्य के प्रति प्ररेणादायक साबित हो रही है। हरियाणा के विभिन्न राज्यकीय महाविद्यालयों में अध्यापन की भूमिका निभाने वाले सेवानिवृत्त एसोसिएट प्रोफेसर साहित्यकार डा. अशोक भाटिया ने हरिभूमि संवाददाता से खास बातचीत में समाजहित में जारी अपने साहित्यिक सफर के अनुभवों को साझा किया है। 
हरियाणा के अंबाला छावनी में जन्मे साहित्यकार डा. अशोक भाटिया साहित्य को समाज का दर्पण करार देते हुए कहा कि समाज के सामने श्रेष्ठतम साहित्य को सर्वोपरि रखना जरुरी है। लेकिन रचनाकार अपने आपको स्थापित करने के प्रयास में हड़बड़ी में जल्द ही साहित्यकार का दर्जा पाने का प्रयास कर रहे हैं, जबकि साहित्य क्षेत्र को समाज की बेहतरी के लिए विस्तार देना जरुरी है। आज के आधुनिक तकनीक और इंटरनेट के युग में साहित्य क्षेत्र के दायरे को लेकर उनका कहना है कि पहले पत्र-पत्रिकाओं में संपादकों के संपादित रचनाओं में कलात्मक और रचनात्मक विचार समाज के हितों को साधते नजर आते थे, लेकिन आज इंटरनेट खासकर सोशल मीडिया में हड़बड़ी में अपनी रचनाओं की होड़ साहित्य की सार्थकता के मायने कमजोर भ्रम भी पैदा कर रही है। हालांकि इससे कहीं ज्यादा इंटरनेट युग में साहित्य का प्रसार और प्रचार से साहित्यकारों की श्रेष्ठ रचनाओं और उनके इतिहास को पढ़ना बेहद आसान हो गया है। 
सुप्रसिद्ध साहित्यकारों में शुमार डा. भाटिया ने बताया कि जब वह बीए प्रथम वर्ष में अध्ययनरत थे, तो एक वाहन से कुचले गये बच्चे को देखकर दो पंक्तियां लिखी। जबकि एमए में अध्ययनरत के दौरान उन्होंने बुक स्टाल से कुछ पुस्तकों में लधुकथाओं का अध्ययन करते हुए साहित्य के क्षेत्र में अपने कदम बढ़ाए। उन्होंने बाल साहित्य में दो खंडो में लघुकथा बालकांड लिखा, जिसमें नए प्रयोग के साथ पशु पक्षियों से बहलाने के बजाए बच्चों को की सोच और मनोवैज्ञानिक आधार पर उन्हें ही नायक बनाया। उन्होंने लघुकथाओं को सत्तर के दशक के बाद की देन बताने वालों को जवाब देने के लिए उससे पहले विष्णु प्रभाकर और कन्हैयालाल नंदन जैसे 29 लेखकों व साहित्यकारों की 179 पुस्तकों का अध्ययन करके ‘नीव के नायक’ नामक पुस्तक तैयार कर डाली। आत्मविश्वास के साथ उन्होंने अपनी रचनाओं के साथ संपादन और आलोचना पुस्तकों में कई नए प्रयोग किये। वर्ष 1990 में डा. भाटिया ने श्रेष्ठ पंजाबी लघुकथाएं के चार संस्करणों को हिंदी अनुवाद किया, जिसके बाद कई भाषाओं में साहित्य को आगे बढ़ाया। डा.भाटिया के निर्देशन में चौदह विद्यार्थियों ने कुरुक्षेत्र व अन्य विश्वविद्यालयों से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है। साहित्यकार के रूप में दो विदेश यात्राएं कर चुके डा. अशोक भाटिया के पाठालोचन,लघुकथा, हिंदी भाषा, पत्रकारिता, समकालीन कविता,गीत, नागरी लिपि आदि के विभिन्न आयामों पर वर्ष 1981 से 2020 तक पांच दर्जन से भी अधिक शोध-पत्र प्रकाशित हो चुके हैं। दो वर्ष तक हरियाणा साहित्य अकादमी की शासी परिषद के सदस्य रहे डा. भाटिया ने दूरदर्शन के दिल्ली, जालंधर, हिसार, पटना केन्द्रों और आकाशवाणी रोहतक के लगभग चालीस साहित्यिक कार्यक्रमों में भागीदारी की है। 
प्रकाशित पुस्तकें 
लघुकथा रचना और आलोचना के प्रमुख हस्ताक्षर डा. अशोक भाटिया की कविता, आलोचना, लघुकथा, बाल-साहित्य, व्यंग्य आदि की 20 मौलिक व 16 सम्पादित समेत तीन दर्जन से ज्यादा पुस्तके प्रकाशित हो चुकी हैं। उनके कविता-संग्रह ‘सूखे में यात्रा’ और ’कठिन समय में हम’ के अलावा लघुकथा संग्रह में जंगल में आदमी, अँधेरे में आँख, क्या क्यूँ कैसे, अशोक भाटिया की 66 लघुकथाएँ शामिल हैं। बाल-साहित्य में समुद्र का संसार, हरियाणा से जान-पहचान, बालकाण्ड के अलावा व्यंग्य: लोकल विद्वान के साथ ही आलोचना में समकालीन हिंदी समीक्षा, समकालीन हिंदी कहानी का इतिहास, सूर-काव्य: विविध आयाम, समकालीन हिंदी लघुकथा, परिंदे पूछते हैं, लघुकथा:आकार और प्रकार, तथा लघुकथा में प्रतिरोध की चेतना भी शामिल है। डा. भाटिया की संपादित पुस्तकों में नवागत, श्रेष्ठ पंजाबी लघुकथाएँ, चेतना के पंख, श्रेष्ठ साहित्यिक निबंध, निर्वाचित लघुकथाएं, विश्व-साहित्य से लघुकथाएँ, नींव के नायक, आधुनिक हिंदी काव्य, पड़ाव और पड़ताल, पंजाब से लघुकथाएँ, तारा पांचाल की निर्वाचित कहानियाँ, हरियाणा से लघुकथाएँ, देश-विदेश से कथाएं, सियाह हाशिए, कथा-समय शामिल हैं। वहीं ज्ञान व सूचना-साहित्य: शबाना आज़मी (2015) भी उनकी कृतियों में शामिल है। उन्होंने पंजाबी में प्रकाशित पुस्तकों धुंध चीरदी किरन, तारा मंडल नामक लघुकथाओं का अनुवाद व संपादन का कार्य भी किया।
प्रमुख पुरस्कार/सम्मान
साहित्यकार डा. अशोक भाटिया को साहित्य क्षेत्र में दिये गये योगदान और उत्कृष्ट कार्य के लिए हरियाणा साहित्य अकादमी की साहित्कार सम्मान योजना तहत वर्ष 2017 के लिए दो लाख रुपये के बाबू बालमुकुंद गुप्त सम्मान से नवाजा है। इससे पहले अकादमी उन्हें वर्ष 1991 में उनकी पुस्तक‘समुद्र का संसार’ को कृति पुरस्कार दे चुकी है। डा. भाटिया हरियाणा लेखिका मंच के बलदेव कौशिक स्मृति सम्मान, हरियाणा प्रादेशिक हिन्दी साहित्य सम्मलेन गुरुग्राम से ’समकालीन हिंदी समीक्षा’ पुस्तक को प्रथम समीक्षा-पुरस्कार, साहित्य सभा,कैथल से श्री ब्रिजभूषण भारद्वाज अधिवक्ता स्मृति साहित्य सम्मान, पंजाब कला साहित्य अकादमी के लघुकथा श्रेष्ठ सम्मान और विशिष्ट अकादमी सम्मान, पंजाबी लघुकथा हेतु प्रथम अ.भा.माता शरबती देवी सम्मान, अन्तर्राष्ट्रीय लघुकथा सम्मलेन(छत्तीसगढ़) से लघुकथा-गौरव सम्मान, पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी शिलॉंग से डा.महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा,हैदराबाद से सारस्वत सम्मान, विश्व हिंदी मंच पीलीभीत से विश्व हिंदी सेवी सम्मान, क्षितिज इंदौर से विशिष्ट लघुकथा-सम्मान, भोपाल से मातुश्री धनुवंती देवी सम्मान, त्रिवेणी साहित्य-संस्कृति-कला अकादमी कोलकाता से विशिष्ट अकादमी सम्मान, अ.भा.प्रगतिशील लघुकथा मंच पटना से नागेंद्र प्रसाद सिंह लघुकथा शोध एवं आलोचना शिखर सम्मान हासिल कर चुके हैं। यही नहीं उन्होंने अखिल विश्व हिंदी, टोरंटो (कनाडा) का सारस्वत सम्मान हासिल करके अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने साहित्य रचनाओं की छाप छोड़ी है। इसके अलावा उनके साहित्य क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए विभिन्न साहित्यक और सामाजिक मंचों पर वे लगातार सम्मान करती आ रही हैं। 
  27Sep-2021

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