सोमवार, 24 जुलाई 2023

चौपाल: समाज में कला संस्कृति की अलख जगाते कृष्ण नाटक

गांव से बॉलीवुड तक बजाया अपनी कला का डंका
   व्यक्तिगत परिचय 
नाम: कृष्ण नाटक 
जन्मतिथि: 07 जून 1982 
जन्म स्थान: सलारा मोहल्ला, रोहतक 
शिक्षा:‍ एमए इतिहास एमए थिएटर 
संप्रत्ति:‍ कलाकार, नाटक निर्देशक 
संपर्क:158/8 सलारा मोहल्ला, रोहतक(हरियाणा), मोबा. 7015830207 
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BY-ओ.पी. पाल 
रियाणा के रंगकर्मी एवं कलाकार कृष्ण नाटक का सामाजिक चेतना के लिए अपना अलग ही अंदाज है। सामाजिक सरोकार से जुड़े ज्वलंत मुद्दों पर स्वयं नाटकों की पटकथा लिखकर उनका मंचन करके समाज को अपनी संस्कृति एवं सभ्यता से जुड़े रहने का संदेश तो दे ही रहे हैं। वहीं वे भारतीय संविधान में समान अधिकार के प्रति भी अपने नाटकों से समाज में जागरुकता पैदा कर रहे हैं। हरियाणवी संस्कृति के प्रति समर्पित कृष्ण नाटक कुछ बॉलीवुड फिल्मों में भी अभिनय करके अपनी कला का प्रदर्शन कर चुके हैं। यही नहीं वे हरियाणा के एक मात्र ऐसे कलाकार है जिन्होंने प्रदेश में गांव से गांव तक रंग-गली नामक अभियान शुरु करके नाटकों के माध्यम से समाज को नया आयाम देने का प्रयास किया। नाटक लेखक, निर्देशक और अभिनय से कला को समृद्ध करने में जुटे कृष्ण नाटक ने हरिभूमि संवाददाता से हुई बातचीत में अपनी परिवारिक पृष्ठभूमि से लेकर एक रंगकर्मी कलाकार तक के सफर को लेकर अपने अनुभव साझा किये। 
रियाणा के रोहतक में 07 जून 1982 को भगवान दास के यहां जन्में रंगकर्मी कृष्णा नाटक के परिवार में साहित्य या लोक कला जैसा कोई माहौल नहीं था, बल्कि पिता ने मेहनत मजदूरी करके परिवार का पालन पोषण किया। उन्होंने बेटे कृष्णा को पढ़ा लिखाने पर फोकस करते हुए तंगहाल में भी उसे आगे बढ़ाया। खर्च निकालने के लिए कृष्ण ने खुद भी अखबार वितरण करके हॉकर का काम किया। उन्होंने बताया कि सरकारी स्कूल और कालेज में शिक्षा ग्रहण करते हुए जब वे कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में एमफिल करने पहुंचे तो उन्होंने परिजनों को बिना बताए उसे बीच में छोड़ दिया और पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ में थिएटर में एमए में दाखिला ले लिया और थियेटर में मास्टर डिग्री ली। कृष्ण नाटक ने बताया कि 2005 में नाटक देखने पर उन्हें भी कला के प्रति रुझान हुआ और वे यूथ फैस्टिवल से जुड़े, तो उन्होंने पहली बार डांस करके प्रथम पुरस्कार लिया। इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ा और उन्होंने अपनी कला को आगे बढ़ाने के लिए शुरु में हरियाणा ज्ञान-विज्ञान समिति के साथ जुड़कर हरियाणवी नुक्कड़ नाटक किए। खासबात ये है कि उनकी धर्मपत्नी श्रीमती संगीता नाटक भी कलर गैलरी फिल्म एंड थियेटर प्रमोशन सोसायटी के जरिए इस कला को आगे बढ़ाने में उनके साथ कंधा से कंधा मिलाकर चल रही है, जो खुद भी एक कलाकार है। बकौल कृष्ण नाटक उन्होंने 2012 में पहला हरियाणवी नाटक काल कोठरी का निर्देशन किया। इसके बाद महिला कलाकारों को लेकर ‘प्रथा’ नामक नाटक में रविंद्र नाथ टैगोर की कहानी का नाट्यरूपांतरण किया। इसके अलावा उन्होंने 1857 में शहीद हुए हरियाणा के गुमनाम क्रांतिकारी उदमी राम को पहचान दिलाने के लिए चार साल तक अपनी टीम के साथ कम से कम 15 गांव में उनके जीवन पर आधारित नाटक मंचन किया। इन नाटकों के जरिए उनका मकसद यही है कि नाटक लोगों तक पहुंचे, न कि लोग नाटक तक आएं। पिछले करीब दो दशक से कला के क्षेत्र में काम कर रहे कृष्ण नाटक अब तक स्कूल और कालेजों में कार्यशालाओं के दौरान करीब 300 ऐसे बच्चों को अभिनय और रंगकर्मी जैसी कला का प्रशिक्षण दे चुके हैं, जिनमें ज्यादातर कला के क्षेत्र में बुलंदियां भी छू रहे हैं। उनके नाटकों के लेखन और मंचन का फोकस सामाजिक, राजनीतिक और कॉमेडी पर भी रहा है। 
बॉलीवुड फिल्मों में किरदार 
हरियाणा के रंगकर्मी कृष्णा नाटक को अभिनय के रुप में मंजिल मिलती गई तो उन्हें सर्वश्रेष्ठ फिल्म अवार्ड ले चुकी बॉलीवुड फिल्म एनएच-10 में अभिनय करने का पहला मौका मिला, जिसमें अभिनेत्री अनुष्का शर्मा के साथ उन्होंने एक बिहारी का किरदार निभया। इसी प्रकार उन्होंने बॉलीवुड की चार फिल्मों में से राजकुमार राव की बालीवुड फिल्म ‘बधाई दो’ में पुलिस हवलदार का अभिनय किया। जबकि साल 2019 में नेशनल अवार्ड ले चुकी ‘इब आले ऊ’ फिल्म में बिचौलिए अभिनय किया। जबकि एमएक्स प्लेयर पर 2 कैंपस डायरी और विद्रोह फिल्म में भी काम किया है। ओटीटी प्लेटफार्म पर सबसे चर्चित बेवसीरीज फिल्म ‘पाताल लोक-टू’ में अभिनय के अलावा उन्होंने हरियाणा की पहली वेबसीरिज फिल्म ‘मेरे यार की शादी’ में नाई की भूमिका निभाई। जबकि कैम्पस डायरी और विरोध जैसी फिल्मों में भी उन्होंने अपनी कला का लोहा मनवाया है। उनकी फिल्मों व नाटकों के मंचन पर करीब एक सौ वेबसीरिज बनाई जा चुकी हैं। 
इन नाटकों से मिली लोकप्रियता 
रंगकर्मी कृष्ण नाटक की कला को लेकर इतने संवेदनशील हैं कि उन्हें कृष्ण नाटक के नाम से ही पहचाना जाने लगा है। उनके लिखित, निर्देशित एवं किरदार वाले नाटकों में काल कोठरी, हम देर करते नहीं-देर हो जाती है, भूख हड़ताल, प्रथा, उदमी राम के मंचन में महिलाओं, किसानों, क्रांतिकारी, कलाकारों के साथ सामाजिक सरोकार से जुड़े मुद्दों को उजाकर करने के कारण सुर्खियों में रहे। उन्होंने हरियाणा के विभिन्न शहरों के अलावा जम्मू, राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, केरल, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश जैसे अनेक राज्यों में नाटकों का मंचन करके अपनी कला का प्रदर्शन किया है। यही नहीं वे विज्ञापन के लिए भी अभिनय करते आ रहे हैं, जिसके तहत इसी साल वे दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन में भी शूटिंग करने गये थे। 
कला नर्सरियां खोलने की जरुरत 
आज के आधुनिक युग में कला के प्रति खासकर युवा पीढ़ी को प्रेरित करने के लिए कृष्ण नाटक का मत है कि जिस प्रकार से हरियाणा सरकार खेल नर्सरियां खोल रही हैं, उसी तर्ज पर कला नर्सरियां भी खोलनी चाहिए, ताकि कलाकार भी देश विदेश में हरियाणा की लोक कला और संस्कृति के जरिए खिलाड़ियों की तरह तरह हरियाणा को रोशन कर सके। चूंकि हरियाणा में रंगकर्मियों की कमी नहीं है, लेकिन फिर कला समृद्ध नहीं हो पा रही है। इसका कारण फंडिंग और रिहर्सल के लिए जगह का अभाव है। प्रदेश में कला के क्षेत्र में नई रंगशालाओं की भी स्थापना करके सरकार को कला और कलाकारों को प्रोत्साहित करने की जरुरत है। 
पुरस्कार व सम्मान 
प्रसिद्ध कलाकार कृष्ण नाटक के नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से समाज में समता के अधिकार का संदेश देने की मुहिम का पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल भी सराहना कर चुकी है। इस क्षेत्र में नाटकों के जरिए समाज में कला और संस्कृति को जीवंत करने के लिए उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें एमडी यूनिवर्सिटी रोहतक से सर्वश्रेष्ठ नाटककार और श्रेष्ठ सहायक अभिनेता का पुरस्कार दिया जा चुका है। जबकि देश के विभिन्न राज्यों में अनेक संस्थाएं उन्हें सम्मानित कर चुकी हैं। 
24July-2023

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