बुधवार, 19 जुलाई 2023

साक्षात्कार: साहित्य में कविता भावनाओं का एक संप्रेषण: यशकीर्ति

समाज को संस्कृति और परंपराओं से जुड़े रहने का संदेश
व्यक्तिगत परिचय 
नाम: विकास यशकीर्ति 
जन्म-तिथि: 22 जुलाई 1976 
जन्म-स्थान: भिवानी (हरियाणा)। 
शिक्षा: स्नातकोत्तर (हिंदी, इतिहास) 
सम्प्रत्ति: अकाउंट ऑफिसर (वित्त विभाग, हरियाणा सरकार)
संपर्क: 'ॐ सुन्दरम' नजदीक बंसीलाल पार्क, आजाद नगर, भिवानी (हरियाणा)।
मोबाइल : 9466850000, 7015494953 
By-- ओ.पी. पाल 
साहित्यिक जगत में कविताओं और गीतों की विधा में लेखन एवं गायन के जरिए समाज को नई दिशा देने वाले साहित्यकारों में आधुनिक युग के कवि एवं गीतकार विकास यशकीर्ति ऐसा नाम है, जिन्होंने अपनी कविताओं में गीत, गजल और मुक्तक विधा में प्रकृति, पौराणिक, ऐतिहासिक, सामाजिक और वैज्ञानिक जैसे मुद्दों पर अत्याधुनिक प्रतीकों का प्रयोग किया है। वहीं उन्होंने अपने गीत एवं काव्य लेखन में देशभक्ति, करुणा, पीड़ा, संघर्ष, आशा निराशा और द्वंद्व जैसी अनुभूतियों को पाठकों और श्रोताओं के समक्ष रखने में महारथ हासिल की है। साहित्य क्षेत्र में कविता को भावनाओं का संप्रेषण मानने वाले विकास का भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति समर्पण उनकी सांस्कृतिक आस्था का प्रतीक भी है। साहित्य जगत को नया आयाम देने के प्रयास में जुटे कवि एवं गीत विधा के साहित्यकार विकास यशकीर्ति ने हरिभूमि से बातचीत के दौरान अपने सहित्यिक सफर को लेकर विस्तार से जिन पहलुओं का जिक्र किया है, उसमें उनका मकसद समाज को अपनी संस्कृति और परंपराओं से जुड़े रहने का संदेश देना है। 
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रियाणा के साहित्यकार कवि विकास यशकीर्ति का जन्म 22 जुलाई 1976 को छोटी काशी के नाम से जाने वाले भिवानी शहर में सुंदरलाल एवं श्रीमती रतनी देवी के साधारण परिवार में हुआ। परिवार में किसी भी तरह का कोई साहित्यिक माहौल नहीं था, लेकिन बताते हैं कि दादा परदादा कभी कविता लिखा करते थे, जिनकी पुरानी डायरियां उनके हाथ लगी, जिनमें कुछ अशआर कहीं कहीं अटके हुए मिले थे। पिता एक लिपिक की नौकरी से परिवार का पालन पोषण करते थे, लेकिन एक लंबी बीमारी के कारण उनका आकस्मिक निधन हो गया, उस समय विकास महज 12 साल के थे। बकौल विकास यशकीर्ति उनकी माता अपनी विधवा पेंशन से उसके महंगे स्कूल की फीस भरती रही, अपने बच्चों की शिक्षा के लिए वचनबद्ध थी। इसलिए उन्होंने किसी भी तरह उनके सभी भाई बहनों को पढ़ाया, सभी की शादी की और एक मकान भी बनाया। हाई स्कूल की परीक्षा में स्कूल में टॉप टेन में शामिल होने के बावजूद उन्हें स्कूल बदलना पड़ा और इंजीनियरिंग के सपने देखे, इंटरमिडिएट करने के बाद उन्हें पिता की जगह एक्सग्रेशिया स्कीम में लिपिक की नौकरी मिल गई, अब वह खुद हरियाणा वित्त विभाग में अकाउंट आफिसर के पद पर कार्यरत हैं और धर्मपत्नी रीतू भी हरियाणा सरकार में अध्यापिका हैं, एक बेटी व दो बेटों के साथ परिवार चल रहा है। साहित्यिक जगत में कविताओं और गीतों के जरिए उनका यही सपना है कि हमारी संस्कृति से भली भांति परिचित हो सकें। उन्होंने बताया कि जब वह दसवीं कक्षा में थे, तो साथ में बैठने वाला दोस्त अमन गजलों के बहुत भावुक भावुक शेर लिखा करता था, जिनको लेकर चर्चा होती रहती थी, तो उन्हें भी अभिरुचि होने लगी। जब लिपिक के तौर पर 1997 में हिसार में थे, तो उनका एक सहकर्मी विजयंत कुमार काव्य जगत और साहित्य की दुनिया मे एक वरिष्ठ और कद्दावर लेखक के रूप में सदोष हिसारी के नाम से पहचाने गये, जिन्होंने उनके मन में भी कविता और शायरी की लौ जगा दी और उन्हें विकास के साथ यश्याकीर्ति का उपनाम दे दिया गया। उसके बाद वह अपने मित्र डा. मनोज भारत के साथ धीरे धीरे मंच करने लगे। मंच पर उनकी पहली ही कविता की प्रस्तुति ने उन्हें सम्मानजनक पहचान दी। यशकीर्ति की साहित्यिक रचनाओं का फोकस समाज, देश, नैतिकता और श्रृंगार पर आधारित है और इन्हीं मुद्दों पर कविताओं का लेखन किया है, जिनमें पिता, मां, बहन और बेटी जैसे मार्मिक रिश्ते शामिल हैं। बेटियो और पिताओं पर लिखी मेरी कविताएं देश के कोने कोने में मेरे नाम के साथ पढ़ी और कही जाती हैं। उन्होंने राष्ट्रवाद और देशभक्ति के बहुत से गीत काव्य मंचो पर प्रस्तुत किये हैं। उन्होंने बताया कि कविताई का शौक महज़ कोई शौक नहीं है, बल्कि वह इसे संघर्षो और अभावों से गुफ्तगू मानते हैं, वहीं वह एक अपवादी लेखक भी हैं। राष्ट्रीय कवि सम्मेलनों में निरंतर सहभागिता के अलावा विकास यशकीर्ति वर्ष 2006 से नियमित रूप से रेडियो एवं टीवी चैनल पर काव्य प्रस्तुति करते आ रहे हैं। उनकी साहित्यिक गीतों की एलबम ‘यादें तेरी मधुशाला’ ज़ी न्यूज़ के कार्यक्रम ‘कवि युद्ध’ में प्रस्तुत हा चुकी है। 
साहित्यकारों की बढ़ी जिम्मेदारी 
आज के आधुनिक युग में साहित्य की चुनौतियों के बारे में विकास का कहना है कि साहित्य किसी भी राष्ट्र की संस्कृति का आईना होता है, जो हमें अपनी जड़ो से जोड़ता है। साहित्य के पठन पाठन से ही हम संस्कृति, सामाजिक रीतियों और परंपराओं से भली भांति परिचित होते हैं, परंतु इस युग में युवाओं का साहित्य से मुंह मोड़ना किसी चिंता से कम नहीं है। इसलिए आज अच्छा और सच्चा साहित्य अलमारियों और दराज़ो में धूल फांक रहा है। इसका बड़ा कारण यह भी है कि इस इंटरनेट और सोशल मीडिया के बढ़ते प्रचलन में हर इंसान हर मुश्किल का समाधान मोबाइल में ही ढूंढने का प्रयास करता है। यही विडंबना है कि हम सब खासतौर से युवा पीढ़ी पुस्तकों और साहित्य से दूर भाग रहे हैं। ऐसे में हम साहित्यकारों का यह दायित्व कि युवा पीढ़ी को साहित्य और संस्कारों की समझ समझ प्रदान करने के लिए उनकी रुचि को देखते हुए अच्छे साहित्य और रचनाओं का सृजन करें। साहित्य की सार्थकता तभी होगी, लेखक की रचनाओं कोई न कोई सार्वभौमिक संदेश समाहित होगा। 
प्रकाशित पुस्तकें 
साहित्यकार एवं कवि विकास यशकीर्ति की प्रकाशित पुस्तकों में दो काव्य संग्रह ‘गीतों से संवाद’ और ‘दर्द का दावानल’ के अलावा मुक्तक संग्रह ‘मेरा तुम मौन सुन लेते’ तथा गजल संग्रह ‘जिंदगी एक तंग का काफिया’ ग़ज़ल और यश-यष्टिका शामिल है। जबकि उनका दोहा संग्रह ‘दोहे मोहे मोय’ अभी प्रकाशनाधीन है और एक उपन्यास ‘उगती सांझ’ पर काम चल रहा है। उनकी पहली पुस्तक ‘गीतों से संवाद’ पर वैश्य आर्य कन्या महाविद्यालय की प्रोफेसर डॉ मंजीत ने ‘विकास यशकीर्ति कृत गीतों से संवाद में संवेदना एवम शिल्प’ विषय पर शोध प्रबंध लिखा है। वहीं विकास यशकीर्ति के जीवन के संवेदनात्मक रंग पर अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिका 'आलोचना दृष्टि' में शोध पत्र प्रकाशित हो चुका है। 
पुरस्कार व सम्मान 
हरियाणा के कवि यशकीर्ति को हिंदी साहित्य की काव्य विधा में योगदान के लिए हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा वर्ष 2021 का ग़ज़ल संग्रह ‘जिंदगी एक तंग काफिया’ को श्रेष्ठ कृति पुरुस्कार दिया गया है। वहीं चाणक्य प्रगतिशील मंच द्वारा 'चाणक्य सम्मान', अखिल भारतीय साहित्य परिषद करनाल का 'विशेष सम्मान', शब्द संस्था नवलगढ़ राजस्थान द्वारा का ' शब्द शिल्पी सम्मान', बाबलिया बाबा समिति झुंझनु राजस्थान द्वारा ' काव्य मनीषी सम्मान', अखिल भारतीय साहित्य परिषद फरीदाबाद द्वारा 'साहित्य सेवा सम्मान', आनंद कला मंच एवं शोध संस्थान द्वारा 'काव्य रत्न सम्मान' एवं स्वर सम्राट सम्मान, हिंदी साहित्य प्रेरक संस्थान जींद द्वारा 'साहित्य श्री सम्मान', चंदन बाला जैन साहित्य मंच द्वारा 'डॉ जयदेव जैन स्मृति सम्मान' के अलावा कलमवीर कला मंच बहादुरगढ़ का ‘कलमवीर सम्मान’ और राजेश चेतन पुरस्कार मिल चुके हैं। 
17July-2023

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