बुधवार, 19 जुलाई 2023

मंडे स्पेशल: आखिर कब तक बाढ़ विभिषिका का दंश झेलते रहेगा प्रदेश

ठंडे बस्ते में बंद हथनी कुंड बैराज पर बांध का निर्माण न होना बड़ी नाकामी 
प्रदेश के करीब एक दर्जन जिलें बाढ़ विभिषिका की चपेट में फंसे 
यमुना के साथ घग्गर, मारकंडे और रांगड़ी नदी ने मचाई तबाही 
ओ.पी. पाल.रोहतक। हरियाणा में बाढ़ का कहर अभी खत्म नहीं हुआ है और यमुना के अलावा घग्गर, मारकंडे तथा रांगडी जैसी नदियों के खतरे के निशान से ऊपर बहने से पानी के उबाल से ऐसी तबाही मची हुई कि प्रदेश के 12 जिले बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं, जिनके एक हजार से ज्यादा गांव में बाढ़ का के कारण पानी भरा हुआ है, जिसमें किसानों की फसलों को भी भारी नुकसान हुआ है। हालांकि बाढ़ से प्रभावित इलाकों में बचाव और राहत का काम तेजी से चल रहा है, जिसमें एनडीआरएफ और सेना की मदद ली जा रही है। हरियाणा व यूपी की सीमा से लगती बह रही यमुना नदी के पानी के उबाल से तो बाढ़ की विभिषिका ने ऐसा विकराल रुप धारण कर लिया कि यमुनानगर से दिल्ली तक तबाही मची हुई है। यही नहीं इस विभिषिका का दंश यमुना नदी के साथ लगते ग्रामीण इलाके के लोग दशकों के झेलते आ रहे हैं। दरअसल इस विभिषिका का सबसे बड़ा कारण हिमाचल की पहाड़ियों पर बारिश के पानी पर यमुना नदी पर नियंत्रण करने की दिशा में हिमाचल व हरियाणा की सीमा पर हथनी कुंड बैराज के पास सशक्त बांध का निर्माण ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है। वहीं दूसरी ओर नदी के बेहट पर अवैध कब्जे, नियमों के विपरीत खनन करना और सरकारी योजनाओं पर समय से कार्यान्वयन न होना बड़ी खामी है, जिसका अंजाम आमजन को भुगतने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। 
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राज्य सरकार ने प्रदेश को वर्ष 2026 तक हरियाणा को बाढ़ मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा था। इसी साल जनवरी में हरियाणा राज्य सूखा राहत एवं बाढ़ नियंत्रण बोर्ड की बैठक के दौरान मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्रदेश के जलभराव की समस्या से जूझ रहे दस जिलों रोहतक, झज्जर, भिवानी, हिसार, जींद, फतेहाबाद, सोनीपत, कैथल, पलवल और सिरसा के इलाकों में स्थायी समाधान के लिए 528 परियोजनाओं को मंजूरी दी थी। दूसरी ओर हथनीकुंड बैराज के ऊपर बड़ा बांध बनाने का प्रस्ताव भी अभी तक ठंडे बस्ते में है। दरअसल हथनीकुंड बैराज के अप स्ट्रीम यमुना नदी पर बांध बनाने की योजना इसलिए भी खटाई में है कि हिमाचल प्रदेश में सरकार इसमें सहयोग नहीं कर ही है। हालांकि राज्य सरकार ने अभी भी अप स्ट्रीम पर प्रस्तावित बांध की संभावनाएं तलाशना बंद नहीं किया है। यहां तक कि इस बांध के लिए सर्वे और अन्य प्रक्रिया के बाद मुख्यमंत्री के समक्ष संबन्धित विभाग ने बांध परियोजना का प्रजेंटेशन भी दिया है। वहीं केंद्रीय जल आयोग के नियमों के तहत बांध के पानी का वितरण व निर्माण पर भी खाका तैयार किया गया है। विभाग द्वारा पत्रचार के बावजूद हिमाचल प्रदेश सरकार ने एनओसी या सहमति नहीं मिल पाई है। सरकार को उम्मीद है कि इस एनओसी के बाद राज्य सरकार बांध बनाने के लिए आगे की प्रक्रिया शुरु करेगी। 
योजनाओं पर काम नहीं 
राज्य सरकार द्वारा मंजूर की गई ज्यादातर योजनाओं पर काम पूरा न होने की वजह से इस बार प्रदेश के कई जिलों को बाढ़ का दंश झेलना पड़ रहा है। इसके लिए हरियाणा राज्य सूखा राहत एवं बाढ़ नियंत्रण बोर्ड की बैठक में मुख्यमंत्री ने 312 करोड़ रुपए से ज्यादा की योजनाओं को अनुमोदित किया था। जिनमें इस बार जलभराव की निकासी के लिये क्लस्टर एप्रोच के माध्यम से योजनाएं तैयार की गई हैं। इनमें जिला भिवानी के जल निकासी वाले इलाकों के लिए 47 करोड़, जिला हिसार के लिए 70 करोड़ की योजनाएं भी शामिल थी। वहीं ड्रेनों में पानी के समुचित बहाव के लिये मरम्मत व नए स्ट्रक्चर बनाने के लिये 59 योजनाओं पर 110 करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि मंजूर की गई है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने ज्यादा जल भराव वाले इलाकों खासतौर से एनसीआर ज़िलों में लगभग 100 झीलें बनाने की एक योजना तैयार करने के भी निर्देश दिये थे। 
केंद्र ने जारी की फौरी मदद 
हरियाणा के कई जिलों में बाढ़ को देखते हुए केंद्र सरकार ने अन्य राज्यों के साथ हरियाणा राज्य आपदा मोचन निधि के तहत तीन दिन पहले ही 216.80 करोड़ की धनराशि जारी की गई है। यह राशि उस धनराशि से अलग है, जो केंद्र साल आपदा प्रबंधन के लिए राज्यों को पहले ही ही जारी कर चुका है। बाढ़, सूखा या अन्य प्राकृतिक आपधा से निपटने के लिए खर्च होने वाली राशि में केंद्र और राज्यो को अनुपात 75:25 निर्धारित है। इससे पहले केंद्र द्वारा हरियाणा राज्य आपदा निधि में वित्तीय वर्ष 2020-21 में 98.20 करोड़ की धनराशि जारी की थी, जबकि राज्य सरकार ने 131 करोड़ राशि इस निधि में आवंटित की। गत मार्च तक केंद्र ने साल 2021-22 और 2022-23 की राशि राज्य सरकार को नहीं भेजी है, जबकि राज्य सरकार इन दोनों सालों की जारी का क्रमश: 131 करोड़ रुपये व 137.60 करोड़ रुपये की राशि आवंटित कर चुका है। 
राज्य ने किया 1200 करोड़ का प्रावधान 
राज्य सरकार ने जनता को बाढ़ की विकराल समस्या से स्थाई तौर पर निजात दिलवाने के लिए वर्तमान बजट में 1200 करोड़ रूपए का प्रावधान किया है। इस धनराशि से चयनित नौ जिलों के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र पर खर्च किया जाएगा, ताकि बारिश के दौरान बाढ़ आने से किसानों की फसल खराब होने से बचाई जा सके। सरकार की ओर से इस दावे में किसानों को सभी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बोर लगाकर राहत देने का प्रयास किया जा रहा है। 
कब बना हथनी कुंड बैराज 
हिमाचल की पहाड़ियों में हर वर्ष होने वाली बारिश के पानी को नियंत्रण करने के लिए हरियाणा की सीमा पर अंग्रेजी शासनकाल में 1873 में ताजेवाला बैराज बना था। लेकिन 1978 में पहाड़ी इलाकों में बारिश होने से यमुना नदी में भारी बाढ़ आई और हरियाणा के साथ दिल्ली व उत्तर प्रदेश के इलाकों में भी पानी ने भारी तबाही मचाई थी। इसके बाद हथनी कुंड बैराज का शिलान्यास 12 मई 1994 को पांच राज्यों के तत्कालीन मुख्यमंत्रियों हरियाणा के भाजनलाल,उत्तर प्रदेश मुलायम सिंह यादव, राजस्थान के भैरोसिंह शेखावत, दिल्ली के मदनलाल खुराना तथा हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की मौजूदगी में हुआ। इसके बाद हथनीकुंड बैराज 2002 में अस्तित्व में आया। हथनी कुंड बैराज पर पानी की क्षमता 9. 95 लाख क्यूसेक है। अब तक हथनीकुंड बैराज ने 8 लाख 28 हजार क्यूसेक पानी का बहाव सहन किया है। 
क्या है बाढ़ आने का कारण 
देश आजाद होने से पहले तक यमुना नदी का बेहट (चौड़ाई) छह कोस (मील) का था। लेकिन यमुना के बेहट में लोगों ने धड़ल्ले से खाली पड़ी जमीन पर कब्जा करके फसलें उगानी शुरू कर दी। मसलन यमुना नदी का एरिया धीरे-धीरे करके सिमटता गया। वहीं अवैध खनन भी यमुना नदी के पानी को तबाही मचाकर बाढ़ के लिए मजबूर कर रहा है। इसके अलावा बाढ़ का बड़ा कारण यमुना नदी के तटबंधो को स्थाई रुप से गंगा की तर्ज पर अभी तक पक्का न करना है, जबकि नदियों से बाढ़ नियंत्रण के लिए राज्य सरकार हर साल बजट आवंटित करती है, जिसमें केंद्र सरकार भी धनराशि आवंटित करता है। ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार के साथ मिलकर राज्य सरकारों ने बारिश के पानी की विभिषिका की रोकथाम के लिए हथनीकुंड क्षेत्र से ऊपर कोई ऐसा बड़ा बांध बनाने की आवश्यकता महसूस की, जिसमें बीस लाख क्यूसिक से अधिक पानी रोकने की क्षमता हो। लेकिन आज तक इस बांध निर्माण का प्रस्ताव ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है, जिसका दंश हरियाणा के लोग झेलने को मजबूर हैं। 
17July-2023

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