प्रदेश में दुरुस्त नहीं हो पा रहा जल निकासी व ड्रेनेज सिस्टम
मानसून की पहली बारिश में इस बार भी तालाब बने शहर व कस्बे
ओ.पी. पाल.रोहतक।
प्रदेश में हर साल की तरह इस साल भी मानसून की पहली ही बरसात से जलमग्न हुए शहरों और कस्बो ने सरकार के उन दावों को खोखला साबित कर दिया है, जिनमें राज्य सरकार द्वारा ड्रनेज सिस्टम और जल निकासी की व्यवस्था दुरस्त करने के दावे किये जाते रहे हैं। केंद्र सरकार की अमरुत योजना के तहत प्रदेश के 18 शहरों में चल रही 136 परियोजनाओं में अभी तक पूरी की गई 115 परियोजनाओं पर करोड़ो रुपये पानी की तरह बहा दिये गये, लेकिन शहरों व बस्तियों में लबालब भरने वाले बरसाती पानी के निकासी की व्यवस्था दुरस्त नहीं हो सकी। ये हालात तब है कि अमरुत योजना के लिए केंद्र से मिलने वाली रकम का ज्यादातर हिस्सा ड्रनेज सिस्टम और जल निकासी को दुरस्त करने पर खर्च करने का प्रावधान है, वहीं राज्य सरकार भी हर साल इसके लिए अलग से बजट आवंटित करती है। केंद्र सरकार द्वारा एक अक्टूबर 2021 को इस योजना के दूसरे चरण की शुरुआत कर दी है, लेकिन हरियाणा में अभी तक पहले चरण की परियोजनाओं का लक्ष्य ही पूरा नहीं हो सका और सरकार ने इसकी अवधि को साल 2023 तक बढ़ा दिया है। ऐसे में राज्य सरकार का अमरुत योजना के दूसरे चरण में पानी की चक्रीय अर्थव्यवस्था के माध्यम से शहरों को जल सुरक्षित और आत्मनिर्भर बनाने के लक्ष्य हासिल करना बड़ी चुनौती होगी।
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हरियाणा राज्य सरकार ने भले ही ड्रनेज सिस्टम को विकसित करने के लिए विजन-2030 में एक रोडमैप बनाया हो, इसके लिए प्रदेश में कई योजनाओं के तहत ड्रनेज सिस्टम को तकनीकी प्रणाली के जरिए दुरस्त करने पर हर साल करोड़ो रुपये खर्च किये जाते हैं। लेकिन केंद्र सरकार की जून 2015 में शुरु की गई अटल नवीनीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन (अमरुत योजना) के तहत हरियाणा के 18 शहरों के लिए शहरों में आवंटितन 136 परियोजनाओं का कार्यान्वयन जी का जंजाल बना हुआ है। इस योजना में पहले चरण के तहत इन शहरों जल आपूर्ति, सीवरेज, सीवेज प्रबंधन और पानी के पुनर्चक्रण, जल निकायों के कायाकल्प और पार्क व हरित स्थानों के निर्माण जैसे कार्यो के लिए केंद्र से आवंटित 2565.74 करोड़ रुपये में से 736.97 करोड़ रुपये ही खर्च हो पाए हैं, जिसकी पुष्टि संसद सत्र के बजट सत्र में केंद्र सरकार ने की, जबकि राज्य सरकार ने 2929.99 करोड़ खर्च करने के लिए रोडमैप बनाया था। जबकि योजना का दूसरा चरण के काम तो अभी दूर की कोड़ी नजर आ रही है। योजना का पहला चरण का लक्ष्य मार्च 2021 तक पूरा करना था। जिसके बाद एक अक्टूबर 2021 दूसरे चरण की शुरुआत भी हो चुकी है, लेकिन राज्य पहले चरण की समयावधि को मार्च 2023 तक बढ़ाने के बावजूद पहले चरण के लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाया है। मसलन पहले चरण की 136 परियोजनाओं में 115 को ही पूरा करने का दावा किया गया है और बाकी 21 परियोजनाओं पर अभी काम जारी है। हालांकि केंद्र सरकार दूसरे चरण की शुरुआत करते हुए पहले चरण का विलय भी कर दिया है, जिसे साल 2025-26 तक पूरा करने का लक्ष्य दिया गया है। हरियाणा को दूसरे चरण के लिए 1494 करोड़ रुपये की केंद्रीय धनराशि जारी की गई है। अमरुत योजना 2.0 के तहत सतह और भूजल निकायों के संरक्षण और कायाकल्प को बढ़ावा दिया जाना है, जिसके तहत ‘पेयजल सर्वेक्षण’ शुरू किया जा चुका है।
अंबाला को सर्वाधिक राशि आवंटित
अमरुत योजना के तहत राज्य सरकार ने प्रदेश के 18 शहरों में केंद्रीय सहायता राशि के साथ इन परियोजनाओं पर कुल 2919.99 करोड़ रुपये खर्च करने का निर्णय लेकर टेंडर दिये। इनमें सर्वाधिक 552.10 करोड़ रुपये अंबाला शहर की 11 योजनाओं के लिए आवंटित किया गया। जबकि बहादुरगढ़ में 79.55 करोड़, भिवानी में 77.66 करोड़, फरीदाबाद में 351.94 करोड़, गुरुग्राम में दो योजनाओं पर 20.37 करोड़, हिसार में 104.93 करोड़, जींद में 37.14 करोड़, कैथल में 60.72 करोड़, करनाल में 305.98 करोड़, पलवल में 174.88 करोड़, पंचकुला में 69.36 करोड़, पानीपत में 283.25 करोड़, रेवाडी में 63.33 करोड़, रोहतक में 295.08 करोड़, सिरसा में 10.69 करोड़, सोनीपत में 313.76 करोड़, थानेसर में 31.24 करोड़ तथा यमुनानगर में 88.01 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च करके अमरुत योजना के तहत योजनाओं को पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया।
हरित पार्क की सभी योजनाएं पूरी
हरियाणा में अमरुत योजना के तहत पंचकुला, यमुनानगर, अंबाला, थानेसर, करनाल, पानीपत, सोनीपत, रोहतक, भिवानी, हिसार, जींद, कैथल, सिरसा, फरीदाबाद, पलवल, गुरूग्राम, बहादुरगढ़ और रेवाड़ी आदि 18 शहरों में आवंटित 136 परियोजनाओं में पार्क व हरित स्थलों को विकसित करने की 33 परियोजनाओं को पूरा कर लिया गया है, लेकिन जलापूर्ति की 40 में से 32, सीवरेज व सेप्टेज प्रबंधन की 44 में 36 और ड्रेनेज सिस्टम से जल निकासी की 19 में से 14 परियोजनाओं को पूरा करने की पुष्टि की गई है। इन शहरों में बहादुरगढ़(7), जींद(6), पंचकुला(8), थानेसर(4), कैथल(9), रेवाड़ी(8), गुरुग्राम(2) शहरों में ही इस योजना का लक्ष्य हासिल किया जा सका है। अब इन शहरों में दूसरे चरण के लक्ष्य को हासिल करने की चुनौती होगी।
क्या है दूसरे चरण का लक्ष्य
केंद्र की अमरुत योजना के दूसरे चरण के दौरान हरियाणा सरकार की प्राथमिक का फोकस पानी की सर्कुलर अर्थव्यवस्था के माध्यम से शहरों को जल-सुरक्षित और आत्मनिर्भर बनाने पर रहेगा। हालांकि अमरुत योजना के जल आपूर्ति, सीवरेज, सीवेज प्रबंधन और उपचारित उपयोग किए गए पानी के पुनर्चक्रण, जल निकायों के कायाकल्प और हरित स्थानों के निर्माण जैसे सभी घटकों जैसे के सभी घटकों को प्राप्त करने पर भी जोर रहेगा, ताकि जल निकासी और सीवरेज सिस्टम दुरुस्त किया जा सके। इसलिए लिए योजना के दूसरे चरण का काम स्थानीय निकायों के बजाए जन स्वास्थ्य विभाग को सौंपा गया है, जिसने विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करना शुरु कर दिया है।
जल निकासी बड़ी चुनौती
प्रदेश में हर साल मानसून से पहले राज्य सरकार सभी जिलों के उपायुक्तों को ड्रनेज सिस्टम और जल निकासी की व्यवस्था दुरस्त करने के लिए दिशा निर्देश देती है, जिसमें सीवरों व नालों की साफ सफाई का काम करने की औपचारिकता तो पूरी की जाती है, लेकिन जैसे ही मानसून की पहली बरसात होती है तो उसी में शहरों में होते जल भराव और ड्रेनेज सिस्टम की पोल खुलकर सामने आ जाती है। ये हाल तब है जब बरसाती जल की निकासी और ड्रेनेज सिस्टम पर शहरों में करोड़ो की रकम पानी की तरह बहा दी जाती है। इस बार भी ऐसा ही हुआ, जब झमाझम बरसे बदरा ने रोहतक, झज्जर, यमुनानगर, सोनीपत, जींद, कैथल और अंबाला जैसे शहरी और कस्बों को तलाब में तब्दील कर दिया। जबकि इससे पहले अधिकारी यह दावा करते नहीं थकते कि बरसाती जल निकासी के व्यापक प्रबंध किया जा चुका है। इसके बावजूद आम जनता की सीवरेज व ड्रेनेस सिस्टम की समस्या से पार पाना सरकार के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है।
10July-2023
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