सोमवार, 10 जुलाई 2023

चौपाल: सामाजिक व सांस्कृतिक मूल्यों को समर्पित रंगमंच कलाकार नागेन्द्र शर्मा

कला क्षेत्र में हरियाणवी, हिंदी, संस्कृत व पंजाबी नाटकों में किया अभिनय व निर्देशन 
व्यक्तिगत परिचय 
नाम: नागेन्द्र कुमार शर्मा जन्मतिथि: 18 जुलाई 1975 जन्म स्थान: पंजाब 
संप्रत्ति: नृत्य व नाटक निर्देशक, अतिरिक्त निदेशक हरियाणा कला परिषद 
संपर्क: अंबाला(हरियाणा), मोबा: 8295149000 
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By--ओ.पी. पाल 
रियाणा की लोक कला और संस्कृति को आगे बढ़ा रहे रंगमंच एवं नृत्य कलाकार नागेन्द्र कुमार शर्मा ने देश और विदेशों में भी अभिनय से भारतीय संस्कृति की अलख जगाई है। पिछले तीन दशक से ज्यादा समय से कला के क्षेत्र में हरियाणवी, हिंदी, संस्कृत व पंजाबी नाटकों का निर्देशन और अभिनय के साथ ही वह कोरियोग्राफी व लोकनृत्य के क्षेत्र में भी अहम योगदान देते आ रहे हैं। साहित्यिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं अध्यात्मिक मूल्यों को समर्पित हरियाणा कला परिषद अंबाला डिवीजन में अतिरिक्त निदेशक के पद पर कार्यरत नागेन्द्र कुमार शर्मा ने हरिभूमि संवाददाता से हुई विस्तृत बातचीत में अपनी लोक कला और अभिनय के सफर में केई ऐसे पहलुओं को उजागर किया है, जिनमें समाज में सकारात्मक विचारधारा और लोक कला को नया आयाम देने के प्रयास भी शामिल है। 
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रियाणा की लोक कलाओं को प्रोत्साहित करते आ रहे रंगममंच और नृत्य कलाकार नागेन्द्र कुमार शर्मा का जन्म 18 जुलाई 1975 को पंजाब में एक सामान्य ब्राह्मण परिवार में हुआ। पिता जगन्नाथ शर्मा हिंदी संस्कृत के प्रतिष्ठित आचार्य(अध्यापक) रहे और माता श्रीमती पुष्प लता एक कुशल गृहिणी हैं। परिवार में किसी भी तरह का कोई कला से संबंधित वातावरण नहीं था, लेकिन पिताश्री जैसे गुरु से मिली संस्कृत विरासत ही उनके रंगमंच में रंग भरती गई। उन्होंने बताया कि जब वह 11वीं कक्षा में थे, तो रंगमंच के प्रति उनकी अभिरुचि जागृत हुई। उसी दौरान कक्षा में राजनीतिक विज्ञान के अध्यापक किशोर जैन सफर कक्षा में आए और नाटक में भाग लेने वाले छात्रों को खड़ा होने को कहा, इस पर वह सबसे पहले खड़े हुए, लेकिन मन में कई तरह के विचार आए और उन्होंने नाटक में हिस्सा लेने का फैसला किया। हालांकि पिताश्री को उसके नाटक में भाग लेना बिल्कुल भी पसंद नहीं था। लेकिन नाटक में चयन होने के बाद रिहर्सल हुई और उसी दिन शाम को पहली बार किसी नाटक प्रतियोगिता में मंचन किया। इस नाटक में उन्हें एक वृद्ध मुस्लिम का पात्र दिया गया था। मंच पर नाटक के दौरान उनकी दोनों टांगे कांप रही थी, लेकिन दर्शक उसे अभिनय का हिस्सा समझकर तालियां बजा रहे थे, तो उन्हें चौतरफा सराहना मिली। इसके बाद उन्होंने किशोर जैन सफर को रंगमंच का गुरु मानते हुए वह इस कला क्षेत्र में आगे बढ़ते रहे। बकौल नागेन्द्र शर्मा पिछले तीन दशक से ज्यादा समय से वह हिंदी, पंजाबी, हरियाणवी के साथ-साथ संस्कृत भाषा में नाटकों का निर्देशन करते आ रहे हैं, जिनमें वह खुद भी अभिनय करते हैं। रंगकर्मी नागेन्द्र शर्मा ने बताया कि कॉलेज के अंतिम वर्ष में उन्होंने खुद मात्र चार दिनों में संस्कृत नाटक में अभिनय व निर्देशन भी किया और सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार भी प्राप्त किया। नाटकों के साथ-साथ कोरियोग्राफी व लोकनृत्य के क्षेत्र में भी काम करना शुरू किया। उनकी कोरियोग्राफी का विषय दहेज प्रथा, नारी शोषण, बाल शोषण, नशा, अंधविश्वास इत्यादि सामाजिक कुरीतियों को लेकर रहा हैं। वहीं संस्कृत नाटकों में प्राचीन नाटकों के साथ-साथ आधुनिक नाटकों को भी संस्कृत में उनके द्वारा निर्देशित किया गया। उन्होंने हरियाणा कला परिषद का अधिकारी होने के नाते कोरोना काल में देशभर में कलाकारों के घर-घर जाकर उनकी प्रस्तुतियाँ करवाई और उन्हें अपनी कला को जारी रखने के लिए प्रेरित करने में अहम भूमिका निभाई। यहीं नहीं उन्होंने अंबाला सेंट्रल जेल में 2 वर्ष तक कैदियों को नृत्य का प्रशिक्षण देकर लोक संस्कृति के प्रति प्रेरित किया है। वहीं विभिन्न स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी व नृत्य प्रतियोगिताओं में निर्णायक की भूमिका भी निभाई। हरियाणा कला परिषद में रहते हुए नागेन्द्र शर्मा ने हरियाणवी मखौल, हरियाणवी नाटक, हरियाणवी लोक संगीत के लिए सार्थक प्रयास किए हैं। 
सुर्खियां बने नाटक मंचन 
रंगकर्मी नागेन्द्र शर्मा ने अपनी कला के करीब 33 साल के दौरान 60 से ज्यादा नाटकों का निर्देशन कर उनमें अभिनय भी किया। इन नाटकों में प्रमुख रुप से कर्णभारम करण अश्वत्थामा व्यामोह:, क्षुधा, मध्यमस्य कथा, वयम कुत्र सम:, पन्नाधाय, युवव्यथा, अष्टावक्र, उरुभंगम, कुटुबैक:, क्रांति चित्रम, चारुमित्रा, नीर निरूपण, दीपदान भगवदज्जुकम्, नृत्यनी, रक्तचंदन, तीन बंदर, आत्मा जले, जब मैं सिर्फ एक औरत होती हूं, इस चौक से शहर दिखता है, शुद्र, चलती सड़क पर, भूख, नाचनी, पोस्टर, अंधायुग, करणे की कुर्बानी, रिशतेयाँ दा की रखिए नाम, टब्बर, चांडालिका, नपुंसक...जैसे नाटक सुर्खियां में रहे। इसके अलावा उन्होंने 10 लघु फ़िल्म में में भी काम किया और डीडी उर्दू चैनल पर एक चाँद मेरा भी नाटक में अभिनय किया। 
बेहतर स्थिति में नाट्य कला 
आज के इस आधुनिक में नाटकों की स्थिति को पहले से बेहतर बताते हुए नागेन्द्र शर्मा ने कहा कि पहले नाटक देखने के लिए दिल्ली और चंडीगढ़ जाना पड़ता था, लेकिन आज शहरों में नाटकों का मंचन होना आम बात हो गई है। आजकल सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक मुद्दों पर नाट्य प्रस्तुतियों के साथ हास्य नाटक दर्शको का ज्यादा पसंद आ रहे हैं। उनका कहना है कि रामलीला, रासलीला, सांग सब लोकनाट्य का हिस्सा है, लेकिन आज के आधुनिक युग के दौर में जिस प्रकार पश्चिमी सभ्यता का आकर्षण हमारी लोक कला, लोकनाट्य, लोक संगीत, लोक नृत्य प्रभावित कर रहा है। उसके लिए लोकनाट्य जैसे विषय के संरक्षण व संवर्धन की अति आवश्यकता है, जिसके लिए वह खुद लोक कला एवं संस्कृतियों की प्रस्तुतियों के लिए ज्यादा मंच देने के साथ प्रचार व प्रसार के प्रयासों को भी तेज करने का प्रयास कर रहे हैं। खासतौर से युवा पीढ़ियों को अपनी संस्कृति से जुड़े रहने के लिए लोक कला,संस्कृति व लोक परंपराओं का ज्ञान देना लोक कलाकारों के साथ समाज का भी दायित्व है। इसके लिए स्कूल व कॉलेजों के पाठ्यक्रमों में लोक कला व संस्कृति को शामिल करना चाहिए। लोक कला, संस्कृति और परंपराओं को जीवंत रखने के लिए द्विअर्थी गीत के लेखकों, कवियों व संगीत निर्देशकों को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। 
पुरस्कार व सम्मान 
हरियाणा के नृत्य एवं रंगमंच कलाकार नागेन्द्र शर्मा ने हरियाणवी लोक कला एवं संस्कृति को नाटकों में अभिनय के माधयम से समाज को दिशा देने में जो योगदान दिया है, उसके लिए उन्हें और उनकी टीम को 1989 से लेकर 2023 तक यूनिवर्सिटी, प्रदेश, यूनिवर्सिटी, राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर करीब 250 पुरस्कार मिले हैं। थाईलैंड में वेस्ट गुरु अवार्ड मिला, तो वहीं उन्हें दुबई में भारत संस्कृति यात्रा सम्मान से नवाजा जा चुका है। इसी साल देहरादून के द्रोण महोत्सव में कला गुरु सम्मान मिला, जबकि देहरादून में ही नृत्य रत्न अवार्ड और कला रत्न अवार्ड का सम्मान, तो हरियाणा के पेहोवा में कला रत्न अवार्ड मिल चुका है। जबकि गुवाहाटी में अंतर्राष्ट्रीय गुरु नमन अवार्ड भी उनके नाम रहा। संस्कृत नाटक निर्देश में 25 साल पूरे होने पर उन्हें संस्कार भारती कला गौरव सम्मान से नवाज चुकी है। मोनो एक्ट के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 2018 में बृज तेजस्वी अवार्ड से सम्मानित किया गया। हरियाणवी व राजस्थानी समूह नृत्य में राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम व द्वितीय स्थान प्राप्त किया। 10July-2023

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