सोमवार, 8 मई 2023

मंडे स्पेशल: खेल नर्सरी में ऐसे कैसे तैयार होगी खिलाड़यों की पौध!

निजी शिक्षण संस्थानों में कैसे होगा बहारी खिलाड़यों को प्रशिक्षण 
मानदंडो पर खरे नहीं अनेक निजी खेल नर्सरी 
ओ.पी. पाल .रोहतक। हरियाणा के विभिन्न जिलों के स्कूलों में जूनियर स्तर खिलाड़ियों की पौध तैयार करने के मकसद से 1100 खेल नर्सरी खोली जा रही है, जिनमें 8 से 19 आयु वर्ग के खिलाड़ियों को विभिन्न खेलों का प्रशिक्षण दिया जाना है। इनमें से छह सौ से ज्यादा खेल नर्सरी निजी स्कूलों और खेल अकादमियों को आवंटित की जा रही है। सरकार की इस योजना में 8 से 14 आयु के खिलाड़ियों को 1500 रुपये और 15 से 19 आयु वर्ग के खिलाड़ियों को दो हजार रुपये छात्रवृत्ति देने का प्रावधान इस शर्त पर किया गया है कि हरेक खिलाड़ी को 22 दिन का अभ्यास करना अनिवार्य होगा। अब सवाल ये है कि निजी स्कूलों को खेल नर्सरी आवंटित करने की नीति में वही खेल होगा, जिस वजह से साल 2017 में शुरू की गई खेल नर्सरियों को बंद करना पड़ा था और कुछ ऐसी ही हकीकत फिलहाल सामने नजर आ रही है। मसलन निजी स्कूलों में दूसरे खिलाड़ियों के आने की संभावना नगण्य रहेगी और शिक्षण संस्थाएं अपने स्कूल के बच्चों को ही विभिन्न खेलों का प्रशिक्षण देने के नाम पर कोचों और खिलाड़ियों के नाम पर आने वाली छात्रवृत्ति की धनराशि वसूल करेगी? हरिभूमि की पड़ताल से यहां तक देखने को मिला है कि जिन निजी शिक्षण संस्थानों को खेल नर्सरी आवंटित की गई हैं, उनमें ज्यादा स्कूल खेल विभाग के खेल नर्सरी के लिए तय किये गये मानदंडों पर भी खरे नहीं पाए जा रहे हैं। 
रियाणा सरकार ने राज्य के युवाओं के भविष्य को बेहतर बनाने के लिए उन्हें शिक्षा से लेकर उनकी प्रतिभा अनुसार खेलों में प्रोत्साहन देने के लिए खेल नर्सरी योजना शुरू की है। सरकार की मंशा यही है कि प्रदेश खेल के क्षेत्र में उन्हें उनके खेल की रुचि का बेहतर प्रशिक्षण मिल सके। हरियाणा सरकार ने स्कूली बच्चों में खेल के प्रति रुझान बढ़ाने उद्देश्य से खेल नर्सरी योजना करने के साथ उन्हें छात्रवृत्ति के लिए धनराशि देने का भी प्रावधान किया है। इसके लिए खेल विभाग की सरकार अकादमियों के अलावा निजी स्कूलों और खेल संस्थानों में मौजूद खेलों बुनियादी ढाँचे का उपयोग करके एक बेहतर खेल नर्सरी का विकास करने का निर्णय लिया गया है। खेल नर्सरी योजना के तहत खेल नर्सरियों के माध्यम से हुनरमंद खिलाड़ियों को पेशेवर कोच के माध्यम से एशियाई, कॉमनवेल्थ और ओलंपिक जैसे खेलों में शामिल होने के लिए प्रशिक्षण की सुविधा प्रदान हो सकेगी। खेल विभाग की मंशा यह भी है कि प्रदेश में चल रही कोचों की कमी को पूरा करने के लिए उन्हें निजी संस्थानों के कोच भी मिल जाएंगे। 
किस जिले में किस खेल पर होगा फोकस 
खेल विभाग के सूत्रों के अनुसार सूबे में खोली जा रही खेल नर्सरियों में अलग अगले खेलों का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इनमें अंबाला में स्विमिंग, जिम्नास्टिक्स और वेटलिफ्टिंग (महिला व पुरुष वर्ग) की खेल नर्सरी शुरु की जा रही है। भिवानी में बॉक्सिंग, फरीदाबाद में तीरंदाजी, चरखी दादरी में हैंडबॉल, फतेहाबाद में फुटबॉल, गुरुग्राम में रेसलिंग व वॉलीबॉल, झज्जर में जूडो, जींद में एथलेटिक्स और कैथल में हॉकी (सभी पुरुष वर्ग) प्रशिक्षण के फोसक के साथ खेल नर्सरी स्थापित की जा रही है। जबकि करनाल में फेंसिंग और साइकिलिंग के अलावा कयाकिंग-केनोइंग व रोइंग (सभी पुरुष वर्ग) की नर्सरी स्थापित की गई है। कुरुक्षेत्र में लड़कों के लिए हॉकी व साइकिलिंग, महेंद्रगढ़ में फुटबॉल, नूंह में बॉक्सिंग, पलवल में वॉलीबॉल और पंचकूला में ताइक्वांडो (सभी पुरुष वर्ग) की खेल नर्सरी स्थापित की गई है। महिला व पुरुष दोनों वर्ग के लिए पंचकूला में हॉकी व टेबल टेनिस, पानीपत में बॉक्सिंग, रोहतक में रेसलिंग और यमुनानगर में वेटलिफ्टिंग की खेल नर्सरी स्थापित की जा रही है। इसके अलावा लड़कों के लिए रेवाड़ी में फेंसिंग, सिरसा में हॉकी और सोनीपत मे हॉकी व रेसलिंग के खेल पर ज्यादा फोकस रहेगा। 
कोचों पर भारी खिलाडी 
प्रदेश में खेल विभाग के 533 कोच है, जबकि एक जिले में अलग अलग खेलों के लिए कम से कम 50 कोच की आवश्यकता है, लेकिन प्रदेश के खेल विभाग के 15 से 20 फीसदी कोच ही खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दे रहे हैं। प्रदेश में कोचों की कमी को पूरा करने के लिए हरियाणा खेल विभाग ने एक नई योजना बनाई है, जिसमें जिला खेल विभाग को प्रत्येक कोच को 25 हजार रुपए मासिक वेतन देने का अधिकार दिया गया है। वहीं हरियाणा सरकार ने पिछले दिनों ही अपनी आउटस्टैंडिंग स्पोर्ट्सपर्सन पॉलिसी के तहत खेल विभाग में 2 कोच और 32 जूनियर कोच के पदों पर नियुक्ति की सूची जारी की है। दूसरी ओर पिछले साल हरियाणा के साई सेंटरों के लिए 220 सहायक कोच के पदों हेतु भारतीय खेल प्राधिकरण ने भी अधिसूचना जारी की है। इसके बावजूद खेल के क्षेत्र में अपने बलबूत पर खिलाड़ी अपनी तैयारियों में जुटे हैं। 
खेल नर्सरी में कोचों की योग्यता 
हरियाणा खेल एवं युवा मामले मंत्रालय द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थान, एनआईएस पटियाला या इसके समकक्ष के संस्थान से डिप्लोमा होल्डर अथवा वरिष्ठ अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी को प्रशिक्षक के रूप में कोच की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। इसी प्रकार से एनआईएस सर्टिफिकेट कोर्स, एमपीईडी या शारीरिक शिक्षा से एमए, डीपीईडी, जूनियर अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी, जूनियर राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी, ग्रामीण राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी, आल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी प्लेयर या राष्ट्रीय महिला स्पोर्ट्स खिलाड़ी भी प्रशिक्षक की जिम्मेदारी निभा पाएंगे। खेल नर्सरी योजना में शामिल कोच को प्रतिमाह छात्रों को प्रशिक्षण देने के लिए मानदेय सरकार द्वारा प्रदान किया जाएगा, जिन कोचों द्वारा एमपीएड या डीपीएड या एमए फिजिकल एजुकेशन से किया गया है, या उन्होंने एनआइओस से सर्टिफिकेट कोर्स किया है, तो उन्हें कोचिंग के 2000 रूपये प्रदान किए जाएंगे। जबकि राज्य के जिन कोच द्वारा कोचिंग डिप्लोमा अनाइएस पटियाला या युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थान से कोचिंग डिप्लोमा प्राप्त किया गया है, उन्हें 25000 रूपये की सहायता राशि प्रदान की जाएगी। 
क्या है खेल नर्सरी योजना 
खेल विभाग के आदेशों में कहा गया है कि 500 नर्सरियों को खेल विभाग के प्रशिक्षकों की ओर से चलाया जाएगा। जबकि 600 नर्सरियों को सरकारी, गैर सरकारी संस्थान, निजी खेल संस्थान, खेल अकादमी में खिलाड़ियों को दी जाने वाली सुविधाओं के आधार पर आवंटित की जा रही हैं। योजना के तहत हर खिलाड़ी को खुराक राशि भी सरकार की ओर से दी जाएगी। हर खिलाड़ी को प्रतिमाह कम से कम 22 दिन नर्सरी में प्रशिक्षण लेने पर 8 से 14 वर्ष आयु वर्ग में 1500 रुपए, 15 से 19 वर्ष आयु वर्ग में 2 हजार रुपए प्रति माह की दर से छात्रवृत्ति के रूप में खुराक राशि दिए जाने का प्रावधान है। प्रदेश में खेलों को बढ़ावा देने के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बजट में पंचकुला में हरियाणा खेल अकादमी, एक खेल छात्रावास और एक राष्ट्रीय स्तर का वैज्ञानिक प्रशिक्षण और खेल पुनर्वास केंद्र स्थापित करने का ऐलान किया था। अंबाला और पंचकुला में 200 बिस्तरों वाले खेल छात्रावास के साथ-साथ हरियाणा खेल अकादमी स्थापित करने का प्रस्ताव भी किया। 
08May-2023

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