सोमवार, 29 मई 2023

मंडे स्पेशल: ऐसे कैसे पूरा होगा गरीबों के सिर पर छत का सपना!

दस्तावेज व कीमते आवंटन में बन रही है अडंगा पीएमआवास की तर्ज पर अब सरकार ने शुरू की मुख्यमंत्री आवास योजना 
प्रदेश में 1805.61 करोड़ की धनराशि से बने 88 हजार आवास, ज्यादातर खंडहरों में बदले 
ओ.पी. पाल.रोहतक। राज्य सरकार ने प्रदेश के गरीबों और बेघरों के सिर पर छत मुहैया कराने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना की तर्ज पर दीन दयाल जन आवास योजना को बंद करके नई योजना के रुप में मुख्यमंत्री आवास योजना शुरु की है। इस नई योजना के तहत इस मौजूदा साल में एक लाख किफायती मकान बनाने का लक्ष्य रखा है। सरकार के हर सिर पर छत’ का यह लक्ष्य हासिल करना मुश्किल ही नहीं, बल्कि नामुमकिन इसलिए भी है, कि पिछले सात साल मंी प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सरकार दीन दयाल जन आवास योजना जैसी मुहिम में मकान बनाने की गति इतनी धीमी रही कि स्वीकृत 1.97 लाख आवास में महज 44.63 प्रतिशत मकान बनाने का लक्ष्य ही हासिल किया जा सका है। दिलचस्प बात ये है कि प्रदेश में गरीबों के लिए जो आवास बनाए गये है, उनमें बसाने के लिए सरकार के सामने गरीबों का टोटा है। ऐसा भी नहीं है कि गरीब या बेघरों की प्रदेश में संख्या कम है, बल्कि सरकार की सब्सिडी के बावजूद इन मकानों की बड़ी कीमत और मकान के लिए आवेदकों के सामने दस्तावेजों का अडंगा सामने आ रहा है। यही कारण है कि सरकार द्वारा 1805.61 करोड़ की धनराशि से बनाए जा गये अधिकांश आवास खंडहरों में बदलते नजर आ रहे हैं। 
---- 
प्रदेश सरकार ने पीएम आवास योजना के तहत दीनदयाल जन आवास योजना को बंद करके इस साल से मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत एक लाख मकान बनाने का लक्ष्य रखा है, ताकि आवासों को किफायती दामों पर प्रदेश के हर बेघर और गरीब के सिर पर छत मुहैया कराई जा सके। जबकि प्रदेश में पिछले सात साल में शहरी व ग्रामीण इलाकों में बनाए गये करीब 88 हजार आवासों में भी सरकार की दस्तावेज और मकानों की कीमत के कारण गरीबो को मकानों का आवंटन ऊंट के मुहं में जीरा जैसी कहावत साबित हो रहा है। यही कारण है कि सरकार ने गरीबों के लिए बनाए गये मकानों को पिछले सालों में सामान्य नागरिकों को भी आवंटित करने का विकल्प खुला कर दिया था। प्रदेश में पिछले सात सालों में गरीबों के लिए बनाए गये मकानों के आवंटन के जो हालात हैं, उसमें तकरीबन सभी जिलों में बने ज्यादातर आवासों के लिए आवंटन तक गरीब की पहुंच बेहद कम है। जो मकान या फ्लैट आवंटित भी हुए हैँ, तो वहां मूलभूत सुविधाओं का अभाव है और खाली आवास खंडहरों का रुप धारण करते नजर आ रहे हैं। योजना के तहत बने आवासों का हाल ये है कि कैथल में 661 फलैट में से 101, फतेहाबाद में 257 फ्लैटों में से मात्र 4 फ्लैट, कुरुक्षेत्र में 1053 में से 522 फ्लैट और जींद में 252 फ्लैटों में 142 का ही आवंटन हो सका है। इसी प्रकार अंबाला, गुरुग्राम, रेवाड़ी, हिसार, करनाल, सोनीपत आदि जिलों के शहरी व ग्रामीण इलाकों में बने आवास भी गरीबों के इंतजार में खंडहर में बदलते नजर आ रहे हैं। कुछ जिलों में आवंटन के बाद गरीब सुविधाओं के अभाव में वापस भी कर रहे हैं। 
कैसे सिरे चढ़ेगी सरकार की योजना 
हरियाणा में प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत साल 2022 तक गरीबों के लिए 2.81 लाख आवास बनाए जाने थे, इनमें से स्वीकृत 1.96,964 आवासों में से पिछले साल साल में अभी तक राज्य सरकार दीन दयाल जन आवास योजना के जरिए 87,910 आवास बनवा सकी है। इनमें प्रदेश के 38 शहरों और कस्बों में 64,481 और ग्रामीण क्षेत्रों में 23,429 मकान बनाए गये हैं। शहरी क्षेत्र के लिए 1,66,175 और ग्रामीण क्षेत्र के लिए 30,789 आवास स्वीकृत हैं। मसलन राज्य में गरीबों के लिए 44.63 प्रतिशत मकानों को बनाने के हासिल किये लक्ष्य में शहरी क्षेत्र में 38.8 फीसदी और ग्रामीण क्षेत्र में 76.10 फीसदी मकान बनाए गये हैं। प्रदेश में आवास योजना में केंद्र व राज्य सरकार के व्यय अनुपात 60:40 के तहत अब तक शहरी क्षेत्र में 1473.64 करोड़ रुपये व ग्रामीण क्षेत्र में 331.97 करोड़ की धनराशि खर्च की जा चुकी है। इसके बावजूद सवाल है कि साल 2023 में पीएम आवास योजना की तर्ज पर मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत राज्य सरकार का एक लाख मकान बनाने का लक्ष्य पिछले साल के के लक्ष्य को देखते हुए कैसे कारगर होगा, इस पर सवालिया निशान लगना लाजिमी है? वहीं प्रदेश में अंत्योदय-सरल योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए मकान मुहैया कराने हेतु हाउसिंग बोर्ड हरियाणा के फ्लैट और प्लाट देने की योजना भी चल रही है, जिसमें गरीबो को किफायदी दामों पर मकान मुहैया कराने का लक्ष्य है। 
आशियाने का सपना नामुमकिन 
सरकारी आंकड़ों के अनुसार पीएमएवाई के तहत राज्य में जिस प्रकार से पात्रता के लिए दस्तावेज अनिवार्य किये गये हैं। उसके तहत बेघर गरीबों के सिर पर छत का सपना अधूरा रहने की ज्यादा संभावना है। सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो हरियाणा सरकार के साल 2007 में कराए गये सर्वे में प्रदेश में 7,86,862 परिवार ऐसे थे, जिनके पास अपनी जमीन और मकान नहीं थे। जबकि बेघर परिवारों की संख्या 51, 841 सामने आई, जिनमें 23,789 यानी 45.9 प्रतिशत शहरी और 28,082 यानी 54.1 प्रतिशत ग्रामीण इलाकों के शामिल रहे। वहीं प्रदेश में 2011 की जनगणना में प्रदेश में 3,32,697 परिवार झुग्गियों में रहने वाले थे, जबकि स्लम बस्तियों में रहने वालों की इससे कहीं ज्यादा आंकी गई है। इसके अलावा प्रदेश में गरीबी के दायरे में शामिल करीब 82 हजार परिवार किराए के मकानों में अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं, जिनमें 62176 परिवार शहरी और 19724 परिवार ग्रामीण क्षेत्रों मंं किराएदार हैं। पिछले साल ही सरकार बीपीएल परिवारों यानि गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों का आय के आधार पर सर्वेक्षण कराया, जिसके बाद ऐसे परिवारों की संख्या 46.31 लाख से घटकर करीब 29 लाख रह गई है। 
दस्तावेज व कीमत बने अडंगा 
प्रदेश में गरीबों के लिए पीएम आवास योजना के तहत राज्य सरकार भले ही अपनी कई योजनाएं चला रही हो, लेकिन उन्हें आशियाना के लिए पंजीकरण कराने के लिए जिन दस्तावेजों को जमा कराने की अनिवार्यता व शर्त रखी है, उसमें सर्वे के बाद ज्यादातर गरीब या जरुरतमंद आवास योजना से बाहर हो जाते हैं। पीएम आवास योजना (ग्रामीण) के केंदीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के ताजा आंकड़ो में हरियाणा में ऐसे ढ़ाई हजार से ज्यादा यानी 2550 गरीबों के बैंक अकाउंट ही निरस्त किये जा चुके हैं। वहीं प्रदेश में जो आवास बने हैं, उनके आवंटन के लिए गरीबों की पहुंच उनकी ज्यादा कीमत भी किसी चुनौती से कम नहीं है। प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना की तर्ज पर ही हरियाणा सरकार दीनदयाल जन आवास योजना के रुप में गरीबों के लिए ईडब्लूएस, एलआईजी, एमआईजी की दो श्रेणियों के आवास बने हैं। इसमें ईडब्लूएस के 30 स्क्वायर मीटर के मकान की कीमत करीब साढ़े पांच लाख रुपये है, जिसमें तक 2,67,280 रुपये जमा कराए जा रहे हैं, बाकी बैंक से सब्सिडी के तौर पर त्रण कराया जाता है। इसी प्रार एलआईजी छह से आठ लाख, एमआईजी-1 की छह से 12 लाख और एमआईजी-2 की कीमत 12 से 18 लाख रुपये तय की गई है। ऐसे में गरीबों के आशियाने का सपना पूरा होना असंभव ही नहीं, नामुमकिन लगता है। 
फरीबाद बाद में सबसे ज्यादा आवास 
हरियाणा के 22 जिलों में फरीदाबाद जिले में सर्वाधिक 33608 तथा गुरुग्राम में 33537 आवासों के निर्माण की मंजूरी है। इसके अलावा अंबाला में 17,370, भिवानी में 8,452, चरखी दादरी में 1,912, फतेहाबाद में 6,803, हिसार में 20,286, झज्जर में 9,207, जींद में 9,732, कैथल में 10,817, करनाल में 16,873, कुरुक्षेत्र में 10,527, महेन्द्रगढ़ में 4,398, नूंह में 2,798, पलवल में 3,968, पंचकूला में 5,845, पानीपत में 14,743, रेवाडी में 6,102, रोहतक में 10,784, सिरसा में 8,792, सोनीपत में 13,764 और यमुनानगर में 14,510 आवासों के निर्माण की मंजूरी मिली है। इसके अलावा हरियाणा के छह शहरों में पीएमएवाई-यू मिशन के तहत स्लम पुनर्विकास घटक के तहत 3,593 आवास स्वीकृत किये गये हैं। 
29May-2023

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें