बुधवार, 24 मई 2023

साक्षात्कार: समाज को जोड़ने में साहित्य की अहम भूमिका: श्रुति राविश

प्रदेश की युवा पीढ़ी को ज्ञानवर्धक शिक्षा देने में जुटी युवा महिला लेखक 
व्यक्तिगत परिचय 
नाम: श्रुति राविश 
जन्मतिथि: 30 अगस्त 1996 
जन्म स्थान: गांव बालू, जिला कैथल 
शिक्षा: एमए (अंग्रेजी, एजुकेशन), बीएड (अंग्रेजी), नैट (अंग्रेजी), पीएचडी (शोधार्थी) 
सम्प्रत्ति: शैक्षणिक अध्ययन और लेखन।
संपर्क: म.न. 2119, सेक्टर-23, सोनीपत, मो. 90688-83037, 
ईमेल-sumindershruti@gmail.com
BY--ओ.पी. पाल 
रियाणा की लोक कला, संस्कृति, सभ्यता, रीति रिवाज, भाषा को नई दिशा देने में साहित्यकार, लेखक अपनी विभिन्न विधाओं के माध्यम से योगदान देते आ रहे है। इसके लिए अब राज्य के प्राचीनकाल से चली आ रही परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए अब युवा पीढ़ी भी विरासत को संभालती नजर आने लगी है। ऐसे ही साहित्यकारों व लेखकों में युवा लेखक श्रुति राविश साहित्य सेवा के लिए साधना करते हुए उदयीमान महिला साहित्यकार के रुप में पहचानी जा रही है। श्रुति ने संस्कृति और सामाजिक सभ्यता के साथ राजनीतिक इतिहास तथा अंग्रेजी ज्ञानवर्धन के लिए भी अपनी रचनाओं से युवा पीढ़ी को भी प्रेरणा देने का प्रयास किया है। अंग्रेजी विषय में पीएचडी के लिए शौध कार्य में जुटी युवा लेखक श्रुति राविश ने हरिभूमि संवाददाता से हुई बातचीत के दौरान अपने शैक्षणिक और साहित्यिक सफर को लेकर कई ऐसे पहलुओं का जिक्र किया है, जो समाज को ही नहीं जोड़ेगा, बल्कि आज की युवा पीढ़ी के लिए भी प्रेरणा का सबब बनेंगे। 
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रियाणा की युवा महिला लेखक श्रुति राविश का जन्म 30 अगस्त 1996 कैथल जिला के गांव बालू में प्रोफेसर डा. सतपाल सिंह राविश व गीता राविश के परिवार में हुआ। अपने शिक्षित परिवार में ही श्रुति को साहित्यिक माहौल मिला, तो संस्कारों के साथ उनका भी बचपन से ही साहित्य में रुचि होना स्वाभाविक था। माता व पिता और बड़े भाई समय मिलने पर कुछ न कुछ लेखन करके साहित्य क्षेत्र में जब पहचाने जाने लगे, तो साहित्यिक माहौल को अपनी अभिरुचि का हिस्सा बनाने में श्रुति ही भला कहां पीछे रहने वाली थी। नतीजन उसने भी समाज के परिदृश्य और वास्तविकता को अपने लेखन के माध्यम से उजागर करने का मन बनाया। उनके पिता सोनीपत स्थित सी.आर.ए. कॉलेज सोनीपत में राजनीतिक शास्त्र विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर हैं, जो स्वयं भी साहित्यिक लेखक हैं। पीएचडी कर रही श्रुति ने बताया कि परिवार के सभी सदस्यों को कुछ न कुछ लिखता देख उसके मन में भी कुछ ऐसा ही लिखने की जिज्ञासा रहने लगी। बकौल श्रुति जब बड़े भाई शिवा को साहित्यिक पुस्तकों पर हरियाणा साहित्य अकादमी ने युवा लेखक के पुरस्कार से नवाजा, तो उसने भी पढ़ाई के साथ साथ लेखन करने की ठान ली और उसका नतीजा भी एक संकल्प के रुप में सकारात्मक रुप से उस समय सामने आया, जब उसे उसकी खुद की लिखी गई पुस्तकों पर अकादमी ने सम्मान से नवाजा। साहित्य अकादमी का उसके लिए यह पुरस्कार उसके लेखन की प्रेरणा बनता नजर आया, जिसने लेखन के प्रति उसके आत्मविश्वास को ज्यादा मजबूत बनाया, बल्कि उसे समाज हित में कुछ न कुछ लिखने के लिए प्रेरित किया। श्रुति राविश को डांस और संगीत के साथ खेल में भी बेहद दिलचस्पी रही। बचपन से ही वह पढ़ाई में होशियार रही और कई पुरस्कार हासिल किय। स्कूल व कालेज स्तर एक एथेलीट के रुप में श्रुति ने अनेक बार पहला स्थान लेकर पुरस्कार हासिल किये हैं। लेकिन परिवारिक संस्कारों ने उसे साहित्य के क्षेत्र में आगे रहने की जो प्रेरणा मिली, उसी का नतीजा है कि उसने पढ़ाई के साथ लेखन को धार देने का निर्णय लिया। 
युवा महिला साहित्यकार श्रुति ने बताया कि उन्होंने सबसे पहले सबसे पहले श्रुति ने अपने विषय अंग्रेजी पर लिखी, जिसके बाद अविभाजित हरियाणा के समय से अब तक राजनीतिक इतिहास को समेटते हुए पिता के साथ मिलकर ‘हरियाणा राजनीति प्रश्नोतरी’ शीर्षक से पुस्तक लिखी, हरियाणा संपूर्ण राजनीति पर केंद्रित पहली पुस्तक साबित हुई। समाज में महिलाओं का सबसे लोक प्रिय व बड़ी पसन्द श्रंगार विषय पर लिखने का मन बनाकर लिखना शुरू किया, जिसमें परिवार ने सहयोग और प्रोत्साहन दिया। मसलन दुनिया की आधी आबादी महिलाएं श्रंगार को दिल से पसन्द करती है इसी सोच को लेकर श्रंगार में गहनों की क्या भूमिका है और क्या गहने श्रंगार तक ही सीमित हैं जैसे पहुलाओं का गहराई से समाज, संस्कृति और आभूषण पर अध्ययन करने के बाद ‘श्रंगार सागर’ पुस्तक लिखी। इस पुस्तक में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि गहने या आभूषण सौलह श्रंगार ही नहीं है, बल्कि गहनो का स्वास्थ्य से भी गहरा संबन्ध जुड़ा हुआ है। यह पुस्तक सुर्खियों में आई तो एक लेखिका के रुप में उन्हें भी साहित्यिक और सामाजिक क्षेत्र में लोकप्रियता मिली। श्रुति का कहना है कि भविष्य में उनके लेखन का उद्देश्य समाज हित को सर्वोपरि रखते हुए सामाजिक सरोकार से जुड़े मुद्दों पर पुस्तक लिखते रहना है। 
युवा पीढ़ी को प्रेरित करना जरुरी 
आज के आधुनिक युग में साहित्य की स्थिति को लेकर श्रुति राविश का कहना है कि साहित्य का मुनष्य के जीवन में बहुत बड़ा महत्व है। बचपन से बच्चे दादी-नानी से कहानियां सुनते है और बहुत कुछ सीखते है और यह साहित्य के दायरे में ही आता है। कहानियां, कविता, गीत को हम अपनी कक्षाओं में भी पढ़ते और पढाते है, सामाजिक जीवन को प्रभावित करता है। युवा पीढ़ी को साहित्य के प्रति प्रेरित करने की जरूरत पर बल देते हुए श्रुति ने कहा कि बच्चों में इसके लिए स्कूल स्तर पर साहित्य की प्रतियोगिता होना अनिवार्य है, तभी युवा पीढ़ी को इस इंटरनेट युग में पाश्चत्य संस्कृति से निकालकर अपनी संस्कृति से जोड़ा जा सकता है। साहित्यकारों व लेखकों को भी ऐसे साहित्य की रचना करनी चाहिए, जिससे अपनी प्राचीन संस्कृति व रीति रिवाज को भुलाते युवाओं को सकारात्मक विचाराधारा से जोड़ा सके। साहित्य की समझ से ही समाज को नई दिशा दी जा सकती है। 
पुस्तक प्रकाशन
युवा लेखक सुश्री श्रुति राविश ने अभी तक तीन पुस्तके अलग-अलग विषयों पर लिखी है। इसमें उनकी पहली पुस्तक छात्रों की ज्ञानवर्धक शिक्षा से जुड़े विषय पर ‘इग्लिश ग्रामर’ प्रकाशित हुई है। जबकि दूसरी पुस्तक हरियाणा क्षेत्र यानि 1966 से पहले सयुंक्त पंजाब से लेकर वर्तमान हरियाणा से जुड़े सभी छोटे-बड़े राजनीतिक घटनाओं, राजनेताओं से जुड़े तीन हजार से अधिक प्रश्न उत्तरों का संग्रह के रुप में ‘हरियाणा राजनीतिक प्रश्नोत्तरी’ प्रकाशित हुई है। उन्होंने दुनिया की महिलाओं के श्रंगार में गहनों के प्रेम व लगाव को लेकर ‘श्रंगार सागर’ नामक पुस्तक लिखी है, जो समाज, संस्कृति और आभूषण की दृष्टि से पाठकों के बीच सुर्खियों में है। 
पुरस्कार व सम्मान 
हरियाणा साहित्य अकादमी ने सोनीपत की युवा लेखक श्रुति राविश साल 2021 के लिए एक लाख रुपये के स्वामी विवेकानंद युवा लेखक सम्मान से नवाजा है। इस साल के इस इकलौता पुरस्कार लेने का सौभाग्य श्रुति को मिला। उन्हें इसके अलावा श्रुति को कालेज व स्कूल स्तर पर सांस्कृति और खेलकूद में अनेक पुरस्कार मिल चुके हैं।
22May-2023

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