सोमवार, 27 फ़रवरी 2023

साक्षात्कार: साहित्य के बिना व्यक्ति में संवेदनशीलता असंभव: डा. शमीम शर्मा

हरियाणा एन्साइक्लोपीडिया के दस खंडों का संपादन करने में दिया अहम योगदान 
व्यक्तिगत परिचय 
नाम: डा. शमीम शर्मा 
जन्म तिथि: 17 मार्च 1959 
जन्म स्थान: गांव जुम्बा, जिला मलोट (पंजाब) 
शिक्षा: एमए (स्वर्णपदक प्राप्त), एमफिल (स्वर्णपदक प्राप्त) पीएचडी (हिन्दी) कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र। 
संप्रत्ति: कुशल प्रशासक, पूर्व प्राचार्या, यूजीसी में नैक समिति की मनोनीत सदस्य। 
BY--ओ.पी. पाल 
रियाणा साहित्य जगत में महिला साहित्यकार एवं शिक्षाविदों में डा. शमीम शर्मा एक ऐसा इकलौता नाम है, जिन्होंने महिला सशक्तिकरण और सामाजिक सरोकार के मुद्दों पर संवेदनशील लेखन ही नहीं किया, बल्कि समाज की बेटियों को बेटो की तर्ज पर उनमें शिक्षा और नीडरता के भाव का संचार करने की मुहिम चलाकर समाज की विचारधारा को सकारात्मकता की राह दिखाई। देश में हरियाणा एन्साइक्लोपीडिया के दस खंडों का संपादन करने और उत्तर भारत में हिंदी भाषा में ‘आत्मकथा’ लिखने और हरियाणवी भाषा में हास्य ग्रंथ लिखने वाली पहली महिला लेखिका के रुप में उनका अकेला नाम सामने है। समाज में सभ्यता और संस्कृति तथा सामाजिकता की अलख जगाने में जुटी डा. शमीम शर्मा ने हरिभूमि संवाददाता से बातचीत के दौरान अपने साहित्यिक एवं सामाजिक सेवा सफर के ऐसे अनछुए पहलुओं को भी उजागर किया, जिसमें उनका यह भी मानना है कि किसी भी व्यक्ति को संवेदनशील होने के लिए साहित्य से बेहतर कोई माध्यम नहीं हो सकता। 
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रियाणा में नारी शक्ति की परिचायक बनी डा. शमीम शर्मा का जन्म 17 मार्च 1959 को पंजाब में मलोट जिले के जुम्बा गांव में उस जमाने के सुप्रसिद्ध साहित्यकारों में शुमार चर्चित रचनाकार पूरन मुद्गल और श्रीमती रवि कांता के घर में हुआ था। मसलन उन्हें बचपन से ही परिवार में साहित्यिक संस्कार मिले हैं। डा. शर्मा ने बताया कि उनके पिता पूरन मुद्गल हरियाणा के वरिष्ठ साहित्यकारों में बहुत अच्छे साहित्यकार, कवि और समीक्षक के रूप में पहचाने जाते थे। बचपन में पिता के साथ ही वह कवि सम्मेलनों में जाती थी। उन्होंने बताया कि जब वह 16 साल की थी और दसवीं करने के बाद एसपी यूनिवर्सिटी करने के बाद बीए प्रथम वर्ष में दाखिला लिया, तो अपने आपको आत्मनिर्भर बनाने के लिए अपनी पढ़ाई पर फोकस करने के साथ एमए और एमफिल करके स्वर्ण पदक तक हासिल किये। लघुकथा पर एमफिल और हरियाणा से लघुकथा पर सर्वप्रथम पीएचडी करने वाली डा. शमीम शर्मा शायद देश की पहली महिला साहित्यकार हैं? उन्होंने अपने अधिकांश लेखन में नारियों पर फोकस रखते हुए समाज को यही संदेश देने का प्रयास किया, कि बेटियां भी बेटों से कम नहीं हैं। चूंकि उन्होंने साक्षरता मिशन 1994 में बहुत काम किया और इस दौरान गांवों में जाने पर बेटियों के साथ हो रहे सामाजिक शोषण और भेदभाव को भी देखा। महिला सशक्तीकरण और उनके सामाजिक और शिक्षा क्षेत्र में उत्थान पर लेखन एवं सामाजिक सेवा में जुटी डा. शमीम शर्मा ने हरियाणा उच्चतर शिक्षा विभाग में हरकी देवी महिला कॉलेज की प्राचार्या के पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली और अब वह हिसार के एक छोटे से गांव भिवानी रोहिला में महिला शिक्षा की अलख जगाने के मकसद से एक महिला कॉलेज का संचालन कर रही हैं, जिसकी नीवं उन्होंने 16 साल की उम्र में ही रख दी थी। डा. शमीम ने बताया कि उन्होंने हरियाणा में बेटियों को समाजिक, शिक्षा और भेदभाव की जंजीरों से जकड़ी उनकी स्वतंत्रता के लिए रचनाएं लिखी और उनकी रचनाओं में सामाजिक विसंगतियों के प्रमुख फोकस में महिलाओं की स्थिति और उनके उत्थान पर ज्यादा है। उन्होंने बताया कि उन्होंने 1980 के दौरान ऐसे समय में अपनी पहली रचना के रुप में कुरुक्षेत्र की पत्रिका कुरुशंक में लघुकथा विशेषांक का संपादन किया। 
हरियाणा साहित्य को नया आयाम 
हरियाणा के साहित्य जगत को नया आयाम देने में शमीम शर्मा का सबसे महत्वपूर्ण योगदान हरियाणा इन्साइक्लोपीडिया के दस 10 खंडों का संपादन करने में है। साहित्य के क्षेत्र में ऐसा विश्वकोष लिखने का हरियाणा में उनका यह कार्य महज 18 माह के भीतर माउंट एवरेस्ट की चोटी फतह करने से कम नहीं था। यह इसलिए भी अहम है कि ऐसा इन्साइक्लोपीडिया अभी तक देश के किसी अन्य राज्य में नहीं लिखा गया है। यही नहीं शायद वे उत्तर भारत में ऐसी अकेली महिला रचनाकार है जिन्होंने हिंदी में ‘आत्मकथा’ लिखी हो। साहित्य के क्षेत्र में उन्होंने हरियाणवी भाषा में हास्य संग्रह लिखकर उस धारणा को भी तोड़ा है कि हास्य व्यंग्य केवल पुरुष का ही काम है। साहित्यकार, शिक्षिका, प्राचार्या व प्रशासक के रुप में चार दशक के अनुभव के साथ उन्होंने अब तक 45 बार से भी ज्यादा रक्तदान करके उन्हेंने नर और नारियों के अलग अलग दृष्टिकोण रखने वाले समाज को नारी शक्ति की पहचान करने की भी सीख दी है। ‘युवा महिला केंद्र’ एवं ‘जज़्बा’ की संस्थापक प्रधान के रुप में सामाजिक कार्यो में जुटी डा. शमीम शर्मा का आज के आधुनिक युग में साहित्य की स्थिति को लेकर एक अलग ही विचार है। उन्होंने कहा कि खासकर आज की युवा यदि साहित्य से जुड़ी हो तो प्रेम करने वाले प्रेम के टुकड़े टुकड़े करने उन्हें फेंकने का कृत्य न करते होते। इसलिए युवा पीढ़ी को साहित्य से जोड़ना आवश्यक है, जो उन्हें सामाजिकता और संस्कृति की सीख दे सकता है। उनका कहना है कि वर्तमान में इतना भागा दौड़ी का समय में बड़ी रचनाओं के पाठक कम है। इसलिए साहित्य की लघु कथा, लघु निबंध और कविता एक सशक्त माध्यम है, जो वर्तमान समय में व्यक्ति के बहुत निकट भी है।
प्रकाशित पुस्तकें 
प्रसिद्ध साहित्यकार डा. शमीम शर्मा की प्रकाशित 19 पुस्तकों से कहीं ज्यादा उनके द्वारा किया गया हरियाणा एन्साइक्लोपीडिया के 10 खंडों का सम्पादन सुर्खियों में है। जबकि कुरुशंख (लघुकथा विशेषांक का सम्पादन), कुरुक्षेत्र हस्ताक्षर (लघुकथा संग्रह), अजन्मी बेटी की चिट्ठी (विचारोत्तेजक आलेख), पंचनाद (संतों की वाणी में क्रान्ति चेतना) सम्पादन, हिन्दुस्तान के ससुर (महिला सशक्तीकरण संबंधी आलेख), चैपाल के मखौल (हरियाणवी हास्य), चैपाल के मखौल भाग-दो (हरियाणवी हास्य) चैपाल के चाल़े (हरियाणवी हास्य), चैपाल पै ताऊ (हरियाणवी हास्य), चैपाल पै टाब्बर टोल़(हरियाणवी हास्य), चैपाल पै रोडवेज़ (हरियाणवी हास्य), थैंक्यू अल्ट्रासाउंड (महिला सशक्तीकरण संबंधी आलेख), हिन्दुस्तान के ससुर (महिला सशक्तीकरण संबंधी आलेख सुर्खियों में हैं। इसके अलावा उन्होंने एक बिटिया तो जरूरी है (लघुकथा संग्रह), रोशनी हैं हम (कविता संग्रह), मंगल सूत्र और मेडल (महिला सशक्तीकरण पर आधारित निबन्ध), कोरोना की चिंगारियां (विचारपरक निबन्ध) बेटे बेटियों में खूब फर्क है (समसामयिक विषयों पर आधारित निबन्ध), दो नम्बर वाली लक्ष्मी (विचारोत्तेजक आलेख), जादूभरा साथ (कविता संग्रह), एक है शमीम (आत्मकथा) जैसी पुस्तकों की रचना की है। Marbles To Marvels ;Translation of my autobiography in English by Raman Mohan), वहीं तीन साल तक चैपाल (पाक्षिक पत्र) का सम्पादन भी किया।  ‘दैनिक ट्रिब्यून’ चण्डीगढ़ एवं ‘हिन्दी मिलाप’ हैदराबाद में पिछले दो दशक से साप्ताहिक कॉलम में स्तम्भ लेखन रही हैं। 
सम्मान एंव पुरस्कार 
हरियाणा साहित्य अकादमी ने डा. शमीम शर्मा को साल साल 2017 के लिये श्रेष्ठ महिला रचनाकार सम्मान से नवाजा है। इससे अलावा उन्हें साहित्य सेवा में हरियाणा साहित्य अकादमी विशिष्ट साहित्यसेवी पुरस्कार से सम्मानित कर चुकी है। जबकि केंद्रीय साहित्य अकादमी दिल्ली से हरियाणवी भाषा पर काम करने के लिए उन्हें ‘भाषा सम्मान’ से नवाजा गया। वहीं हरियाणा एन्साइक्लोपीडिया के दस खण्डों के सम्पादन हेतु हरियाणा सरकार ने एक लाख रुपये की राशि से पुरस्कृत कर सम्मान दिया। समाज सेवा कार्यो में उत्कृष्टता हेतु कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय मदर टेरेसा द्वारा स्वर्ण पदक मिला, तो वहीं 2001 की जनगणना में सराहनीय सहयोग के लिए राष्ट्रपति के रजत पदक का सम्मान मिला। उन्हें 45 से ज्यादा बार रक्तदान करने और ऐसे कार्यो में उल्लेखनीय कार्य करने हेतु कई बार सम्मानित किया जा चुका है। 
27Feb-2023

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