सोमवार, 30 मई 2022

मंडे स्पेशल: प्रीमियम से ज्यदा क्लेम, फिर भी फसल बीमा से दूर भाग रहे किसान

योजना के स्वैच्छिक होते ही दो लाख किसान हो गए योजना से बाहर 
बीमा कंपनियों क्लेम के लिए कटवाती है चक्कर 
कृषि अधिकारी भी नहीं करते सुनवाई 
ओ.पी. पाल.रोहतक। 
प्रदेश में प्रीमियम से ज्यादा भुगतान होने के बावजूद किसानों का फसल बीमा योजना से मोह भंग हो रहा है। योजना को अनिवार्य से स्वैच्छिक करते ही एक चौथाई धरतीपुत्र इसके दायरे से बाहर निकल गए। कृषि अधिकारियों की लालफीताशाही और बीमा कंपनियों की चक्कर कटवाओं नीति जिम्मेदार नजर आ रहे हैं। फसल को नुकसान होने पर पहले तो कृषि अधिकारी इस पर संज्ञान लेने की जहमत नहीं उठाते। अगर वो क्लेम फाइल तैयार कर भी दें, तो बीमा कंपनियां चक्कर कटवा-कटवाकर बेचारे किसान के जूते घीसा देती हैं। जिसके चलते ग्रामीण स्तर पर बीमा योजना को लेकर रुचि कम होने लगी है। किसान फसल बीमा योजना को मोटा मुनाफा कमाने का साधन बता रहे हैं। जबकि सच्चाई ये हैं कि 2016-17 से लेकर 20-21 तक केंद्र, राज्य सारकर और किसानों द्वारा 4187.32 करोड रुपये को बीमा प्रीमियम भरा गया और बीमा कंपनियों ने अगल-अलग समय में किसानों को नुकसान होने पर 4192.70 करोड रुपये के क्लेम का भुगतान कर दिया। उधर इस योजना में क्लेम को लेकर किसानों की समस्याओं व शिकायतों का निस्तारण करने की दिशा में प्रदेश सरकार ने ऑनलाइन पोर्टल शुरू किया है, जिस पर किसान फसल बीमा योजना से जुड़ी अपनी कोई भी शिकायत इस पोर्टल पर दर्ज करा सकेंगे, जिनकी समस्याओं का शीघ्र समाधान किया जाएगा। 
संख्या में ऐसे आई गिरावट 
हरियाणा में मार्च 2022 तक की स्थिति के अनुसार फसल बीमा योजना के लिए रबी मौसम में गेंहू की फसल के लिए 5.38 लाख किसानों ने ही आवेदन किया है। जबकि रबी वर्ष 2021 में 7.34 लाख किसानों के आवेदनों में से 5.08 लाख किसानों का ही बीमा किया गया। रबी के साल 2020 में 7.69 लाख में से 5.60 लाख किसानों को योजना में शामिल किया गया। रबी 2019 सीजन की बात की जाए तो 9.02 लाख में से 6.89 लाख किसानों को योजना के दायरे में शामिल किया गया। इस सीजन की फसल के लिए साल 2018 में बीमा के लिए 7.75 लाख ने आवेदन किया था, लेकिन योजना से करीब छह लाख किसानों को जोड़ा गया। यही स्थिति योजना को स्वैच्छिक करने के बाद खरीफ मौसम की फसलों के बीमा को लेकर सामने आ रही है। मसलन जहां वर्ष 2019 में करीब सात लाख किसान बीमित हुए थे, तो वहीं साल 2020 में यह संख्या घटकर 6.39 लाख और साल 2021 में भारी गिरावट के साथ बीमित किसानों की संख्या 5.30 लाख रह गई है। 
एक चौथाई किसानों को भी नहीं मिला लाभ 
प्रदेश में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत अब तक 85 लाख से भी ज्यादा किसान बीमा करा चुके हैं। राज्य सरकार भले ही इस योजना के तहब अब तक 20.80 लाख किसानों को 5139 करोड़ रुपए से ज्यादा की बीमा क्लेम राशि वितरण करने का दावा कर रही है। इसके विपरीत कृषि मंत्रालय के जारी आंकड़ो पर गौर की जाए तो प्रदेश में 2016-17 से 2020-21 तक योजना के तहत किसानों को 4203.7 करोड़ के दावे के विपरीत 4187.32 करोड़ रुपये की बीमा क्लेम राशि दी जा चुकी है। हालांकि किसानों को मिली यह राशि उनके द्वारा जमा कराए गयी प्रीमियम राशि 12349.6 करोड़ रुपये से लगभी चार गुना है। प्रीमियम की बाकी राशि का भुगतान केंद्र और राज्य सरकार ने जमा कराया है। आंकड़ो के मुताबिक इन पांच सालों में हरियाणा के किसानों ने योजना के पहले चार साल में करीब 59 लाख किसानों ने अपने करीब 83 लाख हेक्टर कृषि क्षेत्र के लिए 52,746.72 करोड़ रुपये का बीमा कराया था, जिसमें से करीब 16 लाख किसानों को महज 3076.2 करोड़ के दावे के विपरीत 3071.5 करोड़ रुपये की बीमा क्लेम की राशि का भुगतान किया गया है, जबकि बीमा कंपनियों में कुल 2878.12 करोड़ रुपये का प्रीमियम जमा किया गया। इसमें 911 करोड़ रुपये किसानों का हिस्सा था। दूसरी ओर राज्य सरकार का दावा है कि किसानों के हित में सरकार ने प्राकृतिक आपदा से खराब फसलों के लिए मुआवजा राशि 12 हजार रुपये से बढ़ाकर 15 हजार रुपये प्रति एकड़ कर दिया है। 
कम उत्पादन पर भी मिलता है मुआवजा 
केंद्र की इस बीमा योजना में किसानों को फसल खराब के साथ औसत उत्पादन के आधार पर भी मुआवजे का प्रावधान है, जिसके लिए गांव को इकाई मानते हुए एक फसल की चार जगह सैंपलिंग की जाती है। सैंपलिंग के लिए खेत का चयन कृषि विभाग के निदेशालय स्तर पर होता है। विभग के अनुसार गांव के चारों तरफ की भूमि का चयन किया जाता है। चारों सैंपल का औसत उत्पादन ही गांव का उत्पादन मानने की व्यवस्था के जरिये ही किसानों को किसी तरह की आपदा से ज्यादा मुआवजा दिया जाता है। 
जलमग्न फसलों पर मांगा मुआवजा 
हरियाणा कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार इस साल राज्य के 16,617 ऐसे किसानों ने भी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत मुआवजे के लिए आवेदन किया है, जिनकी बेमौसम बारिश के कारण 50 हजार एकड़ क्षेत्र में गेहूं, सरसों, जौ और चना की फसल को 50 से 100 प्रतिशत नुकसान का दावा किया है। ऐसे आवेदन करने वालों में सर्वाधिक 2538 रेवाड़ी, 2110 अंबाला, 1806 सोनीपत, 1770 रोहतक, 1435 नूंह, 1433 चरखी दादरी, कुरुक्षेत्र से 930 कुरुक्षेत्र, 910 भिवानी और 901 किसान जींद जिले के शामिल हैं। 
ये कंपनियां करती है बीमा 
हरियाणा में किसानों की फसलों का बीमा करने के लिए अधिकृत तीन बीमा कंपनियां एग्रीकल्चर इंश्योरेंस, रिलायंस जनरल इंश्योरेंश और बजाज कंपनी द्वारा बीमा क्लेम करने वाले किसानों को आपत्तियों के नाम से प्रीमियम से भी कम राशि का भुगतान करने में भी परेशानी पेश कर रही है। हालांकि प्रदेश सरकार किसानों की सुविधा के लिए बीमा संबन्धी समस्याओं के लिए ऑनलाइन पोर्टल भी शुरू कर चुकी है। सरकार भले ही किसानों की बीमा योजना को लेकर उनके हित में दावे कर रही हो, लेकिन बीमा क्लेम की राशि न मिलने के कारण प्रदेश के विभिन्न जिलों में किसानों को आंदोलन तक करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। 
क्या है पीएम फसल बीमा योजना 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 जनवरी 2016 को शुरू की गई पीएम फसल बीमा योजना के तहत किसान अपनी फसलों का बीमा कराते आ रहे हैं। बीमा के लिए किसानों को खरीफ फसलों के लिए केवल 2 प्रतिशत एवं रबी फसलों के लिए 1.5 प्रतिशत का एक समान प्रीमियम का भुगतान करना होता है। इसके अलावा वार्षिक वाणिज्यिक और बागवानी फसलों के मामले में 5 प्रतिशत प्रीमियम का भुगतान करने का प्रावधान है। बीमा के शेष प्रीमियम की राशि में केंद्र और राज्य सरकार का भुगतान कर रही है। जबकि किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं में फसल हानि के लिए किसानों को पूर्ण बीमित राशि प्रदान करने का प्रावधान है। 
----- वर्जन 
किसानों को राहत देने का प्रयास 
प्रदेश पीएम फसल बीमा योजना के तहत पांच हजार करोड़ से ज्यादा किसानों को उनकी फसलों के नुकसान के दावे की बीमा राशि वितरित की जा चुकी है। इस योजना के तहत देशभर में यह भी प्रावधान है कि यदि किसी बीमा कंपनी के पास 135 फीसदी से ज्यादा का बीमा दावा आता है, तो उसकी राशि में सरकार शेयर करेगी। वहीं योजना में बदलाव के बाद जलभराव वाले क्षेत्रों में खरीफ सीजन में बीमा नहीं होता। फिर भी राज्य में जांच रिपोर्ट के आधार पर राजस्व विभाग अपने नियमों के अनुसार मुआवजा देता है, ताकि किसानों को राहत दी जा सके। लेकिन पीएम फसल बीमा योजना का विकल्प चुनने वाले किसानों को मुआवजा नहीं दिया जाता। -जगराज दांडी, संयुक्त निदेशक-कृषि एवं किसान कल्याण विभाग हरियाणा 
30May-2022

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