शुक्रवार, 6 मई 2022

मंडे स्पेशल: हरियाणा में रिकार्ड बनाने के मुहाने पर बिजली संकट

बिजली आपूर्ति और मांग का अंतर पांच हजार मेगावाट के पार 
प्रदेश के पावर प्लांटों में क्षमता से 50 फीसदी बिजली का उत्पादन 
अन्य राज्यों से बिजली खरीदने के बावजूद मांग बरकरार 
अडाणी व टाटा से करार को बहाल होने से मिल सकती है निजात 
 ओ.पी. पाल.रोहतक। केवल हरियाणा ही नहीं, पूरे उत्तर भारत में बिजली की किल्लत नए रिकॉर्ड बना रही है। राज्य के बिजली अधिकारियों को समझ में ही नहीं आ रहा कि आपूर्ति और मांग के बीच पांच हजार मेगावाट से ज्यादा के अंतर को कैसे पाटा जाए। इसके लिए बकायदा बिजली कट शैड्यूड भी जारी किया गया, लेकिन इसके बावजूद भी बिजली की आपूर्ति की नहीं हो पा रही। एक तरफ तो सूर्यदेव अंगारे बरसा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ बिजली के अघोषित कट ने न केवल आम जनमानस का हाल बेहाल कर रखा है, बल्कि उद्योगों की चिमनियों को भी ठंडा कर दिया है। प्रदेश में बिजली सरप्लस होने का दावा करने वाले नेताओं को भी समझ में ही नहीं आ रहा कि इस संकट से कैसे बाहर निकला जाए। वहीं राज्य में जो बिजली उत्पादन करने वाले पावर प्लांट महज आधी क्षमता से ही काम कर रहे हैं। अडाणी और टाटा ग्रुप से बिजली आपूर्ति करार विवादों में उलझे पडे हैं। न तो विवाद सुलझ रहे हैं और न ही उत्पादन बढ़ पा रहा है। ऐसे में अब सरकार की उम्मीद भी मौसम पर टिकी है। अगर अगले कुछ दिनों में सूर्यदेव ने कुछ नरमी न दिखाई तो हालात और भी विकराल होने तय है।
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प्रदेश में पिछले सालों की अपेक्षा गर्मी के मौसम की दस्तक आते ही सूर्य देवता ने मई से पहले ही अपनी तपिस के तेवर दिखाने शुरू कर दिये तो बिजली की खपत बढ़ना स्वाभाविक है। इसलिए अप्रैल महीने में बिजली संकट जिस हाहाकारी मोड़ पर पहुंचा है।इस कारण प्रदेशभर में चौतरफा बिजली के अघोषित कटों ने शहरी व ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में आमजन के जनजीवन को हाल बेहाल कर दिया। इस बिजली संकट से निपटने के लिए हरियाणा सरकार के तमाम दावे कर रही है, लेकिन इसके बावजूद समूचे प्रदेश में बिजली आपूर्ति और मांग का अंतर लगातार बढ़ता ही जा रहा है। हरियाणा सरकार ने इस बिजली के संकट के दौर में बिजली कट के लिए जो शेडयूल जारी किया, उस पर बिजली निगम खरा नहीं उतर पा रहा है। बिजली की कटौती से परेशान प्रदेशभर के विभिन्न हिस्सों में कुछ संगठन और लोग सड़कों पर भी है। सरकार इस संकट से समाधान के लिए हर जिले में बिजली घरों की क्षमता बढ़ाने की योजना शुरू करने की बात भी कह रही है और मौजूदा संकट से राहत देने को 350 मेगावाट अतिरिक्त बिजली छत्तीसगढ़ और 150 मेगावाट मध्य प्रदेश तथा अन्य स्रोतों से बिजली की आपूर्ति लेने का भरोसा दे रही है। सरकार का यह भी दावा है कि गुजरात स्थित अडाणी पावर प्लांट से 1200-1400 मेगावाट बिजली करार के विवाद को निपटाने का प्रयास कर रही है। प्रदेश में फिलहाल गहराते बिजली संकट की बात करें तो मांग और आपूर्ति में समन्वय स्थापित करने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा केंद्रीय पुल से 12 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली खरीद रही है, लेकिन यह अंतर कम होने के बजाए लगातार बढ़ता जा रहा है। ऐसे ही हालात रहे तो आने वाले कुछ दिनों में बिजली की आपूर्ति और मांग के अंतर का यह आंकड़ा रिकार्ड कायम कर सकता है, जो इस समय करीब 5500 मेगावाट से भी ज्यादा हो चुका है। 
पावर प्लांटों में क्षमता से कम उत्पादन 
यमुनानगर के 600 मेगावाट क्षमता वाले दीनबंधु छोटूराम थर्मल पावर प्लांट की दो ईकाई से 555 मेगावाट बिजली का ही उत्पादन हो पा रहा है। हालांकि सरकार यहां 750 मेगावाट का नया पावर प्लांट लगाने की प्रक्रिया पूरी करने में लगी हुई है। जबकि पानीपत थर्मल पावर प्लांट की 710 मेगावाट क्षमता वाली तीन ईकाई से महज 635 मेगावाट बिजली पैदा की जा रही है। हिसार खेदड़ थर्मल पॉवर प्लांट की एक ईकाई तो तकनीकी दिक्कत के कारण पहले से ही बंद है,जबकि 600 मेगावाट क्षमता की एक ईकाई से 580 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है, लेकिन वह भी नियमित नहीं है। मसलन पानीपत, यमुनानगर और खेदड़ में 1770 मेगावाट बिजली उत्पादन हो रहा है। अब यदि झज्जर जिले में इंदिरा गांधी थर्मल पॉवर स्टेशन झाड़ली की 500-500 मेगावाट यानी 1500 मेगावाट क्षमता की तीनों यूनिट में बिजली उत्पादन और आपूर्ति की बात की जाए तो उनमें 1390 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है, जिसमें 50 फीसदी हिस्सेदारी दिल्ली की होने के कारण उत्पादन का 43 फीसदी हिस्सा दिल्ली को आपूर्ति हो जाता है। मसलन इस संकट की घड़ी में इन तीनों ईकाई से हरियाणा को करीब 653 मेगावाट बिजली आपूर्ति हो पा रही है। इसके अलावा हरियाणा में भाखड़ा डैम से 419 मेगावाट व देहर डैम से 646 मेगावाट बिजली उत्पादन में से 105 मेगावाट बिजली आपूर्ति हो रही है। यानी हरियाणा को इस समय 3529 मेगावाट बिजली की आपूर्ति पर निर्भर रहना पड़ रहा है, जबकि इस समय प्रदेश में नौ हजार मेगावाट से ज्यादा बिजली की मांग बढ़ चुकी है, जो सर्दियों के दिनों में 6500 मेगावाट रहती है। इस बार गर्मी के आने वाले दिनों में संकट बढ़ने पर इस मांग के 15 हजार मेगावाट पहुंचने से इंकार नहीं किया जा सकता, जो पिछले साल 12 हजार मेगावाट तक पहुंच गई थी। 
आमजन पर दोहरी मार 
बिजली की आपूर्ति में कमी के कारण आमजन को दोहरी समस्या से दो चार होना पड़ रहा है। मसलन बिजली कटौती का सीधा असर जलापूर्ति पर भी पड़ रहा है। ऐसी गर्मी के मौसम में बिजली न होने की वजह से मोटर के जरिए घरों में होने वाली जलापूति भी प्रभावित है। जलापूर्ति के लिए दिन में ज्यादा से ज्यादा तीन बार समय निर्धारित है और उसी समय बिजली का घंटों के लिए कट होने से आमजन को पानी की किल्लत का भी सामना करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। हालात यहां तक पहुंच गये हैं कि दिनभर लाइट डिम आने व लोड बढ़ने पर लगाए जा रहे कटों के चलते एसी, कूलर तो क्या इंवेर्टर भी जवाब दे रहे हैं। 
बिजली आपूर्ति की व्यवस्था 
प्रदेश में हरियाणा बिजली प्रसारण निगम बिजली की आपूर्ति, उत्तरी हरियाणा बिजली वितरण निगम और दक्षिणी हरियाणा बिजली वितरण निगम का दायित्व बिजली का संप्रेषण करने का है। प्रसारण निगम से मिलने वाली बिजली को उत्तरी हरियाणा बिजली वितरण निगम अपने तहत आने वाले करनाल, पानीपत, सोनीपत, जींद, रोहतक, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर व अंबाला सर्कल में औद्योगिक, ग्रामीण, शहरी, कृषि क्षेत्रों में बिजली की आपूर्ति करती है। इसी तरह दक्षिणी हरियाणा बिजली वितरण निगम अपने हिसार, भिवानी, गुड़गांव, सिरसा, नारनौल, फरीदाबाद सर्कलों में कृषि, ग्रामीण, शहरी व औद्योगिक क्षेत्रों में बिजली की आपूर्ति करता है 
क्यों आया बिजली संकट
प्रदेश में इस बार बिजली की मांग पिछले साल के मुकाबले 40 प्रतिशत तक अधिक है। सरकार के प्रयासों के बीच अदाणी कंपनी से 1421 मेगावाट और टाटा से 500 मेगावाट का करार के बावजूद बिजली आपूर्ति बंद है। एक साल से अधिक समय से अडाणी 1421 और टाटा 500 मेगावाट बिजली आपूर्ति मोलभाव में उलझी हुई है। पूरा अप्रैल माह विभाग इन कंपनियों से विवाद सुलझा रहा है। यूपी के मेरठ संक्रोनाइजेशन केंद्र भी हरियाणा के करार के अनुसार बिजली की मांग पूरी नहीं कर पा रहा है। वहीं प्रदेश के पावर प्लांट भी क्षमता के मुताबिक बिजली उत्पादन नहीं कर पा रहे हैं। वहीं खेदड थर्मल पावर प्लांट की एक इकाई को तकनीकी दिक्कतों के चलते बंद कर दिया गया है। विभाग के अनुसार पावर प्लांट का राउटर बदलना है जो चीन से आना है, जहां अभी लॉकडाउन के कारण इसे बदलने का काम अभी अधर में हैं। इसी प्रकार प्रदेश के फरीदाबाद में गैस प्लांट में बनने वाली बिजली गैस का रॉ मैटेरियल न होने की वजह बंद बिजली उत्पादन बंद हैं, तो ऐसे में मांग की अपेक्षा आधे से भी कम बिजली आपूर्ति की वजह से प्रदेशभर में यह संकट आया है। 
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वर्जन 
प्रदेश में अचानक बढ़ी मांग के कारण आए बिजली संकट से जल्द ही निजात मिलने की उम्मीद है। सरकार प्रदेश को बिजली संकट से मुक्त करने की दिशा में जहां छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों और अन्य स्रोतों से खपत को पूरा करने की योजना पर काम कर रही है। वहीं अडाणी और टाटा कंपनियों के अधिकारियों के साथ कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं। सकारात्मक बातचीत को देखते हुए उम्मीद है कि जल्द ही अडाणी ग्रुप से बिजली मिलनी शुरू हो जाएगी। दूसरी ओर प्रदेश के एक दो पावर प्लांटों में आ रही तकनीकी खराबी को भी दूर कर लिया जाएगा और उनमें क्षमता के अनुरूप बिजली का उत्पादन शुरू हो जाएगा। पावर प्लाटों में कोयले की कमी नहीं आने दी जाएगी। प्रदेश में अगले सात-आठ दिन में लगभग 1500 मेगावाट अतिरिक्त बिजली की व्यवस्था करने का प्रयास किया जा रहा है।
 -रणजीत सिंह, बिजली मंत्री, हरियाणा 
02May-2022

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