सोमवार, 23 मई 2022

मंडे स्पेशल: हरियाणा में नहरों ने तीन साल में उगली हजारों लाशें

भाखड़ा और इंदिरागांधी नहर तो मौतों का कुंड बनी हरियाणा, पंजाब व राजस्थान राज्यों में पनपा सीमा विवाद
ओ.पी. पाल.रोहतक। हरियाणा में जीवनदायिनी कही जाने वाली नहरें और नदियां अमूमन हर रोज लाशें उगल रही है। नहरों में मिलने वाले शवों की पृष्ठभूमि में कई तरह के रहस्य छुपे होते हैं। ज्यादातर लोगों की लाशें ऐसे होती है, जिन्हें अपराधी पहचान मिटाने और अपनी गुनाहगारी पर पर्दा डालने के इरादे से उनके शवों को खुर्दबुर्द करके नहरों में फेंक देते हैं। वहीं कुछ लाशें ऐसी मिलती हैं तो किसी कलहवश नहरों में कूदकर आत्महत्या कर लेते हैं, तो कुछ लाशे ऐसी पाई जा रही है, जिनकी नहरों में नहाते समय या किसी दुर्घटनावश डूबने मौत हो जाती हैं। सर्च ऑपरेशन निगम और पुलिस के लिए नहरों से मिलने वाले शव इसलिए भी सिरदर्द बने होते हैं कि नहरों में मिलने वाली ज्यादातर लाशें वे होती हैं जो पीछे से अन्य प्रदेश या शहरों से बहकर आ जाती है। यही कारण है कि पुलिस के लाख प्रयासों के बावूद नहरों से मिलने वाले ज्यादातर शवों की पहचान तक नहीं हो पाती, जिसके लिए सामाजिक संस्थाओं के जरिए लावारिश शवों का अंतिम संस्कार कर दिया जाता है। हरियाणा में नहरों और माइनरों में मिलने वाले शवों में ज्यादातर पानी के बहाव के कारण एक जगह से लंबी दूरी तय करके दूसरी जगह पहुंच जाते हैं। सबसे ज्यादा ऐसे बहने वाले ज्यादातर शव नहरों या राजवाहों में चुनिंदा स्थानों पर लगाए गये जालों या फिर पुलिया में अटके मिलते हैं। नहरों में मिलने वाले ज्यादातर शवों की पहचान न होना यही बड़ा कारण है। हालांकि सरकार और जिला प्रशासन संबन्धित विभागीय स्तर पर सर्च अभियान भी चला रहे हैं। यह भी देखने में आया है, कि जब पानी कम करके नहरों या माइनरों की सफाई कराई जाती है तो ज्यादातर लाशे कहीं न कहीं अटकी हुई मिल जाती है। प्रदेश में इस साल भी नहर से मिले शवों के पीछे कुछ अपराधिक घटनाएं भी अजीबो गरीब है, किसी ने बच्चों को नहर में फेंकने के बाद जहर खाकर मौत को गले लगा लिया। इसी सप्ताह यमुनानगर में कुछ बाइक सवारों के हमले से बचने के लिए नहर में कूदे पांच युवकों की मौत सामने आई। वहीं सिरसा में पिछले महीने कार के भाखड़ा नहर में गिरने से दो की मौत हुई। पानीपत के पास भी एक कार के नहर में गिरने तीन रिफाइनरी कर्मियों की लाशें निकाली गई। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि नहरों से बरामद ज्यादातर शवों को अपराधिक घटनाओं का शिकार बनाकर फेंका गया है। प्रदेश में करीब 14 किमी तक फैले नहरों के जाल में 75 फीसदी शव मिलने के मामले ऐसे होते हैं जो दूरदराज इलाकों में हत्या करके फेंके जाते हैं, ताकि सबूत न मिल सके। इसलिए भी पुलिस की कार्रवाई झोल से भी इंकार नहीं किया जा सकता। नहरों से मिलने वाले शव इतना गले होते हैं कि फॉरेंसिक जांच में भी मौत का कारण का पता नहीं चल पाता। इसलिए ऐसे शवों का पोस्टमॉर्टम क्या, पुलिस के लिए फॉरेंसिक जांच भी मुश्किल हो जाती है। 
सिरसा की नहरों से मिले सर्वाधिक शव 
हरियाणा में नहरों और माइनरों से औसतन हर साल 500 से ज्यादा शव बरामद किये जाते हैं, जिनमें अधिकाशं शिनाख्त न होने के कारण गुमनाम ही रह जाते हैं। हरिभूमि के जिला ब्यूरों द्वारा जुटाई गई जानकारी के मुताबिक इस दौरान सबसे ज्यादा 178 शव सिरसा जिले की नहरों से मिले हैं, जिसके बाद रोहतक जिले में 153 और कुरुक्षेत्र में 102 शवों को नहरों से निकाला गया है। इसके बाद कैथल, हिसार, फतेहाबाद, झज्जर, जींद, यमुनानगर, रेवाड़ी व सोनीपत जिले की नहरों से शव बरामद हुए हैं। प्रदेश में पुलिस के आंकड़े के मुताबिक इससे पहले सबसे ज्यादा 670 शवों को साल 2016 में नहरों से बरामद किया गया था। जबकि साल 2014 में पहली बार नहरों से मिले शवों की संख्या 500 से ज्यादा के आंकड़े को पार कर चुकी थी। जबकि इससे पहले प्रदेश में यह औसत 200 से कुछ ज्यादा शवों की बरामदगी का रहा है। गर्मी के दिनों में नहरों व माइनरों में डूबने की घटनाएं ज्यादा होती हैं। हरियाणा के ज़ींद के नरवाना की सिरसा ब्रांच नहर (भाखड़ा) ऐसी है जहां का पानी कम होते ही पानी पर तैरती लोगों की लाशों से मौत का मंजर नजर आने लगता है, जो बढ़ते अपराधों का बोध कराता है। यहीं कारण है कि यहां मिलने वाले शवों की पहचान के लिए राजस्थान, पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल व हरियाणा जैसे राज्यों से लोग यहां आते हैं, ताकि उनके परिवार से लापता को ढ़ूंढ सके। 
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सीमा विवाद में उलझी सबसे लंबी नहर 
हरियाणा से होकर गुजर रही सबसे लंबी इंदिरा गांधी नहर पंजाब से राजस्थान तक जाती है। पंजाब के हरिक बैराज से निकलते हुए यह मुख्य नहर हरियाणा से होकर राजस्थान तक 445 किमी लंबा सफर करती है। इस नहर के 204 किमी लंबे फीडर कैनाल में 170 किमी हिस्सा पंजाब व हरियाणा में है। साल 2010 से 2019 के बीच राजस्थान स्थित इस नहर में मिले 1822 शवों का मामला अदालत तक जा पहुंचा, जिनमें से 260 की पहचान के अलावा शिनाख्त से महरूम 1562 शवों का कुछ पता नहीं चल सका। पिछले साल ही राजस्थान की अदालत में दायर याचिका में राजस्थान में नहर से बरामद शवों का ठींकरा पंजाब व हरियाणा के सिर फोड़ते हुए याचिकाकर्ता ने राजस्थान व हरियाणा की सीमा पर नहर में जाल लगाने की मांग की थी। नहर में सूचना मिलने पर यदि पुलिस त्वरित कार्रवाही अमल में लाए तो अज्ञात शवों के मामले अनसुलझे नहीं रहेंगे। एक स्थान से दूसरे स्थान तक नहरों में बहने वाले शवों ज्यादातर अपराधिक कृत्य के साथ फेंका जाता है और ऐसे में कार्रवाई से बचने की नीयत से पुलिस की सांठ-गांठ से कई नहरी कर्मचारी शव डंडे से सरका देते हैं और शव सैकड़ो किमी आगे तक बहकर अन्य शहरों या राज्यों तक पहुंच जाते हैं। 
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ऐसे करती है पुलिस कार्रवाई 
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक नहर से मिलने वाले अज्ञात शवों के मामले में पुलिस आईपीसी की धारा 174 के तहत कार्रवाई करती है, और दो तीन दिन तक पहचान के लिए उनके परिजनों के आने का इंतजार करती है। शिनाख्त न होने पर पुलिस सामाजिक संस्थाओं की मदद से उनका अंतिम संस्कार करा देती है। पुलिस का दावा है कि उसके बाद भी शिनाख्त के प्रयास में जुटी पुलिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट, शवों के फोटो, कपड़े और अन्य बरामद सामान को संभालकर रखती है। कई मामलों में पहचाने के गये शवों में हत्या या आत्महत्या के मामले भी दर्ज किये जाते हैं। शिनाख्त के लिए जिला पुलिस के पास रिकार्ड होता है, जिसमें अवशेषों का डीएनए रिकार्ड तक होता है। जबकि संबन्धित क्षेत्रों की पुलिस द्वारा शवों शिनाख्त न होने पर उसके इस्तहार तथा पोस्टर सार्वजनिक स्थानों पर लगाने के अलावा पुलिस के पोर्टल पर व्यक्ति का हुलिया या पहचान डालीजाती है।
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राेहतक की नहरें उगल रही लाशें, पुलिस नहीं करवा पाती 70 प्रतिशत मामलों की शिनाख्त 
तीन साल में मिली 153 लाश, मात्र 37 की हुई शिनाख्त
विजय अहलावत. रोहतक।
जेएलएन और भालौठ सब ब्रांच नहरें हर साल लाशें उगल रही हैं। आए दिन किसी न किसी की लाश नहर में पानी में बहते हुए आती हैं। पिछले तीन साल में नहरों से 153 लाश बरामद हो चुकी हैं। सबसे ज्यादा लाशें 2021 में मिली हैं। पुलिस इनमें से मात्र 37 मामले ही ट्रेस कर पाई है। जबकि 116 मामलों को सुलझाने के लिए पुलिस आज भी प्रयास कर रही है। 70 प्रतिशत लोगों को आखिरी वक्त में भी अपनों का कंधा नसीब नहीं हो पाता। इसके अलावा 18 मामले हत्या के पाए गए हैं। जिनकी जांच की जा रही है। पुलिस रिकार्ड के मुताबिक, 2020 में नहरों में 64 लाशें बरामद हुई। जिनमें से केवल 14 की ही शिनाख्त हो पाई। इन शवों को पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंपा गया। इनमें पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद 10 मामले हत्या के पाए गए। इसके अलावा 50 लाशों का नगर निगम से अंतिम संस्कार करवाया गया। 2021 में पुलिस ने नहरों से 69 लाशें बरामद की। इनमें से केवल 18 की शिनाख्त ही हो पाई। इसके अलावा 7 मामलों में हत्या का केस दर्ज कर जांच शुरू की गई। 2022 में अब तक नहरों में 20 शव बरामद हुए। जिनमें से पांच की शिनाख्त करवाई गई। लेकिन एक केस हत्या का पाया गया। जबकि 15 शवों को पहचान नहीं होने पर अंतिम संस्कार के लिए भेजा गया।
वर्जन- 
नहर में मिलने वाली लाश की शिनाख्त कराने के लिए भरपूर प्रयास किए जाते हैं। आसपास के जिलों की पुलिस को भी सूचना दी जाती है। अगर तीन दिन में शिनाख्त नहीं होती तो शव को अंतिम संस्कार के लिए सौंप दिया जाता है। उदय सिंह मीना, एसपी रोहतक 
लाश को खा जाते हैं जीव जंतु- 
नहर में मिलने वाली लाश पानी में कई दिन होने की वजह से गल सड़ जाती हैं। चेहरे, हाथ और पैरों को मछलियां और जीव जंतु भी खा जाते हैं। इस वजह से पुलिस को इन लाशों की शिनाख्त करवाने में काफी मशक्कत का सामना करना पड़ता है। परिजन भी कई बार पक्का सबूत मिले बिना लाश की शिनाख्त नहीं कर पाते। लाशों पर मिले कपड़ों, जूतों को सबूत के तौर पर रख लिया जाता है। लाशों को 72 घंटे बाद शिनाख्त नहीं होने पर अंतिम संस्कार के लिए नगर निगम को सौंप दिया जाता है। इसका सारा खर्च निगम द्वारा वहन किया जाता है। बॉक्स- हत्या कर फेंकी जाते हैं ज्यादातर लाशें- 
बदमाशों के लिए हत्या कर लाश फेंकने के लिए सबसे उपयुक्त जगह नहरें ही हैं। कभी महिलाओं से दुष्कर्म कर लाश नहर में फेंकी गई तो कभी राहगीरों से लूटपाट कर हत्या कर लाश नहर में फेंकी गई। नहर में मिलने वाली लाश के अधिकतर मामले हत्या के ही होते हैं। लेकिन मृतक की पहचान नहीं होने पर कोई शिकायत दर्ज करवाने नहीं आता। इस वजह से ज्यादातर मामलों में पुलिस तह तक नहीं पहुंच पाती। इसके अलावा 15 से 20 प्रतिशत मामले हादसे के होते हैं। जिसमें किसी का पैर फिसलने या आत्महत्या करने जैसे मामले शामिल होते हैं। 23May-2022

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