सोमवार, 9 मई 2022

साक्षात्कार: सर्वजन हिताय की अवधारणा में सार्थक है साहित्य: रोहित यादव

ग्रामीण तथा आंचलिक पत्रकारिता के बाद साहित्य को दिया नया आयाम 
व्यक्तिगत परिचय 
नाम: रोहित यादव 
जन्म: 8 जनवरी 1955 
जन्म स्थान: गांव सैदपुर, जिला महेन्द्रगढ़(हरियाणा)।
शिक्षा: एम.ए. (राजनीति शास्त्र), पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नातकोत्तर डिप्लोमा। 
संप्रत्ति:सदस्य-हरियाणा लाइव पब्लिकेशन एडवाइजरी बोर्ड तथा 35 वर्ष का पत्रकारिता में अनुभव।
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-ओ.पी. पाल 
हिन्दी साहित्य की विभिन्न विद्याओं में जनहित एवं जन कल्याण की दिशा में समग्र लेखन करते आ रहे राष्ट्रीय स्तर के प्रख्यात वरिष्ठ साहित्यकार रोहित यादव ने समाज को प्रकृति से प्रेम करने की प्रेरणा दी है। उन्होंने मानव जगत में बच्चों से लेकर बुजुर्गो तक को नई दिशा देने के अलावा समाज में जीव-जंतु तथा वनस्पति यानि जीव-जन्तुओं तथा पेड़ पौधों के संरक्षण के प्रति जनचेतना जागृत करने के लिए भी अपने साहित्य में रचना संसार का विस्तार किया है। सर्वजन हिताय में साहित्य की सार्थकता को चरितार्थ करने वाले हरियाणा के साहित्यकारों में उन्होंने कुछ अलग नया करने का प्रयास किया है। साहित्य के क्षेत्र में समाज को दिशा देने के लिए लेखन करने वाले रोहित यादव ने अपने पत्रकारिता और साहित्यिक सफर को लेकर हरिभूमि संवाददाता से बातचीत करते हुए कई ऐसे पहलुओं को भी उजागर किया है, जो कार्य एक साहित्यकार या लेखक के लिए आसान नहीं है।
राष्ट्रीय स्तर के प्रसिद्ध साहित्यकार रोहित यादव ने महेन्द्रगढ़ जिले के गांव सैदपुर में आठ जनवरी 1955 एक साधारण किसान परिवार प्रभुदयाल के यहां जन्म लिया। अपने आठ भाईयों में चौथे स्थान के रोहित की पत्नी शीला भी गृहणी होने के साथ एक कुशल साहित्यकार हैं। उनके चार भाई राष्ट्रीय स्तर के पहलवान रह चुके हैं। रोहित यादव ने कहा कि उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में भी सामाजिक प्रतिबद्धता का निर्वहन करते हुए सामाजिक विकृतियों, गिरते भूजल स्तर,बढ़ते प्रदूषण और भ्रष्टाचार के अलावा विलुप्त होती संस्कृति, विलुप्त होते पारंपरिक खेल, वनस्पति, जीव जंतु आदि महत्वपूर्ण विषयों पर लेखन किया। समाज से जुड़ी चीजों पर लिखने की रुचि उन्हें ग्रामीण तथा आंचलिक पत्रकारिता को नई ऊंचाई प्रदान करने के साथ साहित्यकार की बुलंदियों तक लेकर आई, जिसमें साहित्य को हर विधा में एक से बढ़कर एक नई कृतियां देने का प्रयास है कि उनकी कविताओं में जमीनी सच कविताओं एवं लघु कथाओं में चासनी का काम करती देखी जाती है। उनका कहना है कि साहित्य के क्षेत्र में भी उनका कुछ नया करने का प्रयास रहा। उन्होंने लोक साहित्य के अलावा काव्य के क्षेत्र में कुंडली विद्या को पुनर्जीवित करने के प्रयास में ही तिक्का तथा द्विपदी विद्या को जन्म दिया। इसी प्रयास का परिणाम रहा कि उनकी बोल मितवा बोल को हरियाणा प्रदेश का प्रथम कुंडली संग्रह होने का गौरव प्राप्त है। उनकी कालचक्र नामक पुस्तक में कुंडली को जीवित कर दिया है। उनकी 160 कुंडलियों में 2018 का इतिहास जाना जाता है। कुंडली का ऐसा रिश्ता पहली बार हुआ है। कुंडली और देश एक हो गये हैं। इसके अलावा उन्होंने एक कवि के रूप में इस बदले हुए परिवेश में शराब के दोषों को गिनाया है तथा जनमानस को इससे दूर रहने का संदेश दिया है। रोहित यादव के साहित्य पर एमफिल और पीएचडी के लिए एक दर्जन से ज्यादा शोध कार्य भी संपन्न किये गये हैं। इनमें हरियाणा के कुरुक्षेत्र विश्विविद्यालय, महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक, विनायक मिशन्स विश्वविद्यालय सेलम (तमिलनाडु), सिंघानिया विश्वविद्यालय पचेरी बड़ी (राज.), सीएमजे विश्विद्यालय शिलांग व वीर कुँवर सिंह विश्वविद्यालय बिहार समेत कई विश्वविद्यालयों द्वारा एमफिल तथा पीएचडी उपाधि के लिए एक दर्जन से ज्यादा शोध कार्य करवाया जा चुका है। आज के इस आधुनिक वैज्ञानिक युग में साहित्य को प्रभावित तो किया है, लेकिन युवा पीढ़ियों को साहित्य के प्रति प्रेरित करने के लिए बदलते परिवेश के अनुसार मौलिक और अच्छे साहित्य को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। 
प्रकाशित पुस्तकें 
हरियाणा के ग्रामीण परिवेश में रहते हुए 56 पुस्तकों के रचयिता प्रतिष्ठित साहित्यकार एवं पत्रकार रोहित यादव की का अष्टपदी-संग्रह ‘मधुशाला’ सद्य: प्रकाशित कृति है। उनकी प्रकाशित पुस्तकों में प्रमुख रूप से हरियाणा की लोक विरासत, हरियाणा में प्रचलित लोक कथाएँ, हरियाणा में प्रचलित दंत कथाएँ, अहीरवाल के लोकगीत, माई शॉर्ट स्टोरिज, जीव-जंतुओं के दोहे, दोहों में जीव-जंतु, फल-सब्जियों के दोहे, वनस्पति-जगत के दोहे, जड़ी-बूटियों के दोहे, जीव-जगत के दोहे, दोहा-दोहा वनस्पति, नंगा सच तथा अन्य लघुकथाएँ, सैनिकों की कहानियाँ, छूत-अछूत तथा अन्य कहानियाँ, टपका का डर तथा अन्य बाल कहानियाँ, लोमड़ी का न्याय तथा अन्य बाल कहानियाँ सुर्खियों में हैं। उन्होंने लघुकथा संग्रह ‘सब चुप हैं’ के अलावा दो उपन्यास- पुनर्जन्म व लाजवंती, 11 निबंध संग्रह-विलुप्त होती हमारी सांस्कृतिक धरोहर, ग्रामीण खेल, कितने बदल गए गाँव, परम्परागत वनस्पतियों का अर्थशास्त्र, हमारी सामाजिक विकृतियाँ, चलें गाँव की ओर, हमारी औषधीय एवं मसालेदार वनस्पतियाँ, अजब-गजब जीवों का संसार, हमारे लोक मेले, हमारे वाद्य यंत्र तथा हमारे परम्परागत आभूषण भी लिखे हैं। रोहित यादव के प्रकाशित रचना संसार में दो दोहा सतसई- उमर गुजारी आस में व चला चाक कुम्हार का, दो तिक्का-संग्रह-ढूंढ़ते रह जाओगे और तिक्का कलश, दो दोहा संग्रह-जलता हुआ चिराग व जीवों का संसार, चार कुंडली संग्रह-बोल मितवा बोल, कालचक्र, कालदर्शन व कालदंश शामिल हैं। इसके अलावा उनकी अब हल्ला बोल (कविता-संग्रह), नारे कितने प्यारे (नारा-संग्रह), देते हैं अवशेष गवाही (द्विपदी संग्रह) तथा मधुशाला (अष्टपदी संग्रह) प्रकाशित हुए हैं। इनके अलावा रोहित यादव की दस संपादित कृतियां भी हैं, जिनमें मानव अभिनन्दन स्मारिका, यदुस्मृति, स्मृति अशेष बाबू बालमुकुंद गुप्त, नारी तेरे नाम (शीला काकस की काव्य रचनाएँ), कालबोध (आकाश यादव की क्षणिकाएँ), शहर के बीचों-बीच (डॉ. मानव की प्रतिनिधि कविताएँ), नाथ पंथ के गौरव बाबा खेतानाथ, नारी शक्ति की प्रतीक शांति चौहान, डॉ मानव की प्रतिनिधि लघुकथाएँ और साक्षात् देवी: पुष्पा परमार (स्मृति ग्रंथ) शामिल हैं। देश की प्रथम श्रेणी की सोलह दर्जन पत्र-पत्रिकाओं में विविध रचनाओं का वर्ष 1980 से निरन्तर प्रकाशन तथा आकाशवाणी से प्रसारण हुआ है। वहीं उ नकी कुछ रचनाएँ अन्य भाषाओं में भी अनुवादित हो चुकी हैं। 
सम्मान व पुरस्कार 
साहित्य के क्षेत्र में विभिन्न विधाओं में साहित्यिक सेवा में जुटे साहित्यकार रोहित यादव को हरियाणा सरकार ने इसी साल फरवरी में हरियाणा साहित्य अकादमी के वर्ष 2021 के लिए महाकवि सूरदास आजीवन साहित्य साधना सम्मान देने के लिए चयनित किया है। इससे पहले हरियाणा साहित्य अकादमी उन्हें वर्ष 2014 के 'महाकवि सूरदास सम्मान' से भी नवाज चुकी है। जबकि वर्ष 2006-07 में हिन्दी पत्रकारिता के लिए उन्हें बाबू बालमुकन्द गुप्त सम्मान प्रदान किया गया था। वहीं वर्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी द्वारा वर्ष 2012 में ‘लघुकथा सम्राट' की मानद उपाधि भी दी गई है। अखिल भारतीय मानवाधिकार संघ नई दिल्ली द्वारा 'इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स अवार्ड'–2004 दे चुकी है। इसके अलावा रोहित यादव8 को देश भर की 150 से अधिक जानी-मानी संस्थाओं से पुरस्कृत करके सम्मानित कर चुकी हैं। देश विदेश की एक दर्जन संस्थाओं के 'हूजहू' में जीवन परिचय प्रकाशित होना उनकी उपलब्धियों से कम नहीं है। लिम्का बुक ऑफ रिकाउर में भी रोहित यादव अपना नाम दर्ज करा चुके हैं। 
सम्पर्क सूत्र :-गाँव-सैदपुर, मंडी अटेली-123021 जिला–महेन्द्रगढ़ (हरियाणा) मो.नं.–8814012907, 9416331110 
09May-2022

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