सोमवार, 23 मई 2022

साक्षात्कार: साहित्य में मानवीय जीवन बदलने की क्षमता: सविता चड्ढा

साहित्यिक कृतियों और पत्रकारिता पर अमूल्य और दुर्लभ साहित्य 
साक्षात्कार: ओ.पी. पाल 
व्यक्तिगत परिचय 
नाम: सविता चड्ढा 
जन्म: 28 अगस्त 1953 
जन्म स्थान: पानीपत (हरियाणा) 
शिक्षा: एमए (हिंदी), एमए(अंग्रेजी), विज्ञापन जनसंपर्क और पत्रकारिता में डिप्लोमा, 2 वर्षीय कमर्शियल प्रैक्टिस डिप्लोमा। 
संप्रत्ति: पूर्व वरिष्ठ प्रबंधक, पंजाब नेशनल बैंक(राजभाषा विभाग)। 
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साहित्य सृजन के लिए समर्पित वरिष्ठ लेखकों में शुमार प्रसिद्ध महिला साहित्यकार श्रीमती सविता चड्ढा ने विभिन्न विधाओं में अपनी कृतियों से देश में ही नहीं, वरन् विदेशों में हिंदी साहित्य और भारतीय संस्कृति को नये आयाम के साथ पहचान दी है। उन्होंने समाज को नई दिशा देने और बाल मन तक मोहने की दिशा में एक लेखक, साहित्यकार, कहानीकार, उपन्यासकार, कवित्रि के रूप में अपनी साहित्यिक कृतियों को विस्तार ही नहीं दिया, बल्कि पत्रकारिता और संपादन के क्षेत्र में भी सशक्त मन से अपनी लेखनी चलाई है। शिक्षा के साथ खेलों में भी अपनी उत्कृष्ट प्रतिभा का प्रदर्शन करने वाली महिला रचनाकार ने सरकारी सेवा में भी हिंदी और साहित्य सृजन को सर्वोपरि रखा है। एक साधारण और प्रतिभा की धनी सविता चड्ढा ने हरिभूमि संवाददाता के साथ हुई खासबात बातचीत के दौरान उन्होंने अपने साहित्यिक सफर को लेकर कई ऐसे अनछुए पहलुओं को सार्वजनिक किया है, जिससे हिंदी और संस्कृति प्रेम उनमें साफतौर से झलकता है। 
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साहित्य जगत में एक साधारण और संवेदनशील व्यक्तित्व की धनी प्रसिद्ध रचनाकार सविता चड्ढा साहित्य सृजन के साथ सामाजिक सेवा में भी उत्कृष्ट काम कर रही है। अनेक साहित्यकारों ने विभिन्न विधाओं में साहित्यिक कृतियों और पत्रकारिता पर लिखी किताबों को अमूल्य और दुर्लभ साहित्य कहा है। खासकर बच्चों को लेखन और पाठन में प्रोत्साहित करने के लिए पुस्तकालय और उनके लिए प्रतियोगिताएं, कार्यशाला आयोजित करती हैं। यही नहीं बच्चों को दिल्लीो के सभी ऐतिहासिक स्थऔलों पर भ्रमण कराकर उन्हें इतिहास का ज्ञान देने की गतिविधियों में भी हिस्सा ले रही हैं। उन्होंने देश में ही नहीं, बल्कि न्यूयॉर्क, न्यू जर्सी, अमेरिका, पेरिस, दुबई, नीदरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, ताशकंद, हॉलैंड और नेपाल जैसे कई देशों की साहित्यिक यात्रा कर विदेशों में भी अपनी साहित्यिक छाप छोड़ी है। समाज को दिशा देने के लिए साहित्य लिखने की पक्षधर महिला साहित्यकार सविता चड्ढा का कहना है कि आज के वैज्ञानिक और आधुनिक युग में साहित्य का स्वरूप और स्थिति दोनों बदल गयी है। उनका मानना है कि साहित्यिक पुस्तकों के पाठक कम जरुर होते जा रहे हैं, लेकिन कोई भी साधारण व्यक्ति पुस्तकों को सच्चा मित्र बना कर, श्रेष्ठता के सोपान और सुनहरा भविष्य प्राप्त कर सकता है, क्योंकि आज भी अच्छे साहित्य में मनुष्य के वर्तमान और भविष्य को बदलने की क्षमता है। खासकर युवाओं को अच्छा साहित्य पढ़ने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। युवा वर्ग को साहित्य के प्रति प्रेरित करने के लिए स्कूलों में एक पीरियड कम से कम लाइब्रेरी के लिए होना चाहिए। आज कुछ लेखक रातो रात प्रसिद्धि पाने के लिए मर्यादाविहीन साहित्य समाज के सामने परोसने का प्रयास साहित्य में गिरावट का कारण है। इसलिए साहित्य समाज को दिशा देने के लिए लिखा जाना चाहिए। 
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हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा साल 2020 के लिए ‘हरियाणा गौरव सम्मान’ से पुरस्कृत महिला साहित्यकार सविता चड्ढा का जन्म पानीपत में दिल्ली पुलिस सब इंस्पेक्टर मुल्ख राज के घर में 28 अगस्त 1953 को हुआ। सविता चड्ढा भी अगस्त 2013 में पंजाब नेशनल बैंक में हिन्दी अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हुई हैं। यही नहीं उनके के तीन छोटे भाई भी दिल्ली पुलिस के बड़े पदों पर तैनात हैं, जबकि छोटी बहन भी दिल्ली प्रशासन में निदेशक के पद पर सेवा दे चुकी हैं। सविता चड्ढा स्कूली शिक्षा से होशियार रही और प्रथम श्रेणी के कई पुरस्कार ले चुकी है और खेलकूद और एनसीसी जैसी गतिविधियों में भी अपनी प्रतिभा के बल पर पुरस्कार लिये। हायर सेकंडरी के बाद उन्होंने दो वर्षीय कमर्शियल प्रेक्टिस डिप्लोमा 16 विषयों के साथ प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण किया। दो वर्षीया डिप्लोमा पास करते ही साढ़े 19 वर्ष की आयु में ही उन्हें पर्यटन विभाग दिल्ली में अंग्रेजी स्टेनोग्राफर के पद पर सरकारी नौकरी मिल गई। विभाग का कार्यालय रेल भवन की पांचवी मंजिल पर था, जहां से संसद भवन और अन्य सरकारी इमारते साफ दिखाई देती थी, बकौल सविता चड्ढा, यहीं से उनकी कविताओं ने जन्म लिया या यू माने कि यहीं से उनके भीतर साहित्य सृजन का बीजारोपण हो गया। शादी के बाद उन्होंने पदोन्नति की खातिर मेरठ विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेजी में डबल एमए की। जिसके बाद उनका वित्त मंत्रालय में वरिष्ठ हिन्दी अनुवादक के लिए चयन हो गया। पाँच वर्ष तक इस पद पर रहने क बाद बैंकिंग भर्ती बोर्ड में आवेदन के आधार पर फ़रवरी 1985 को पंजाब नेशनल बैंक में हिन्दी अधिकारी के पद पर नियुक्ति हो गई, जहां से 28 साल से ज्यादा की सेवा देकर वे अगस्त 2013 में सेवानिवृत्त हुई। इसके बाद वह मरते दम तक साहित्य सृजन के लिए लेखन कार्य करने का मन बना चुकी हैं। उन्होंने बताया कि उनकी कहानियां अंग्रेजी, पंजाबी, उर्दू भाषा में अनुवादित है। जबकि पत्रकारिता की तीन पुस्तकें दिल्ली विश्वविद्यालय, पंजाब विश्वविद्यालय और देश के कई पत्रकारिता विश्वविद्यालयों में सहायक ग्रंथों के रूप में शामिल हैं। उनकी कहानियों पर विश्वविद्यालयों में शोध करने का सिलसिला जारी है।
प्रकाशित पुस्तकें 
साहित्यकार सविता चड्ढा की चाद दर्जन से ज्यादा पुस्तकें विभिन्न विषयों पर प्रकाशित हो चुकी है। इनमें 12 कहानी संग्रह में आज का जहर, घटनाचक्र, एक और भगवान, सफरनामा औरत का, नारी अस्मिता व अंतर्वेदना की कहानियां, आकाश कुसुम, गांधी लौट आओ, खुशनसीब औरतें, 18 दिन 14 रातें, मेरी प्रतिनिधि कहानियां और मेरी लोकप्रिय कहानियां शामिल हैं। उनके तीन बाल संग्रह में ‘छूना है आकाश’, काली परी तथा अन्यख कहानियां और चुन्नू मुन्नू की लोकप्रिय कहानियां, नौ काव्यह संग्रह में योग वियोग, वह दिन कब आयेगा, उदास मत होना, उस पार तो जाना है, अखरता चुप रहना, जो है बस इधर ही है, मैं और रिश्ते, जो चला गया और मेरी प्रिय कविताएँ सुर्खियों में हैं। आठ लेख संग्रह-शब्द बोलते हैं, मुस्कान की डायरी, मुस्कान के लिए, कहाँ गए ये लोग, पाँव जमीन पर निगाह आसमान पर, यात्रा सुख, समय समय की बात और मैं और मेरे साक्षात्कार हैं। जबकि दो उपन्यासों में 18 दिन के बाद और क्रांति की अग्निशिखा ’भगतसिंह’ शामिल है। पत्रकारिता पर भी लिखी गई 11 पुस्तकों में नई पत्रकारिता और समाचार लेखन, हिंदी पत्रकारिता सिदांत और स्वयरूप, आजादी के 50 वर्ष और हिंदी पत्रकारिता, हिंदी पत्रकारिता दूरदर्शन और टेलीफिल्मेंय, हिंदी पत्रकारिता, दूरदर्शन का इतिहास और टेलीफिल्मेंज, इतिहास और पत्रकारिता, पत्रों की दुनिया, हिदी पत्रकारिता अध्य्ायोन और आयाम तथा मॉडर्न जर्नलिज़्म एंड न्यूज़ राइटिंग के अलावा उनकी नामी उर्दू पत्रकार, बेटियाँ और व लघु कथा का वृहद् संसार संपादित पुस्तके भी पाठको के बीच हैं। उनकी लिखित तीन कहानियों पर टेलीफिल्म निर्माण हो चुका है और कई कहानियों पर नाटक मंचन हो चुका है। उनकी 60 से अधिक कहानियां आकाशवाणी पर पढ़ी जा चुकी है। यही नहीं कक्षा 6,7,8 के पाठ्यक्रम में भी उनकी तीन बाल कहानियां शामिल हैं। 
पुरस्कार व सम्मान: 
हरियाणा सरकार ने इसी साल फरवरी में सविता चड्ढा को प्रदेश से बाहर रहकर भी हरियाणा को गौरवान्वित करने के लिए हरियाणा साहित्य अकादमी के वर्ष 2020 के हरियाणा गौरव सम्मान से नवाजा है। इससे पहले भी वे राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय सम्मान पाने वाली महिला साहित्यकारों में शामिल हैं। इसी साल उन्हें कर्नाटक में तुलसी सम्मान मिला है। राष्ट्रीय स्तर की साहित्य संस्थाओं द्वारा अस्सी के दशक से अब तक उन्हें सैकड़ो सम्मान और पुरस्कारों में प्रमुख रूप से भारत गौरव सम्मान, दिल्ली गौरव सम्मान, राष्ट्र रत्न सम्मान, राष्ट्रभाषा गौरव सम्मान, नारी गौरव सम्मान, मातृश्री सम्मान, नारी उज्जागरण सम्मान, सरस्वती आदर्श महिला सम्मान, महादेवी वर्मा सम्मान, साहित्य सृजन शिल्पी सम्मान, साहित्यिक कृति पुरस्कार, हिंदी सेवा सम्मान, आराधकश्री सम्मान, ज्ञानी जैल सिंह सम्मान, साहित्यकार सम्मान, साहित्यश्री कथाकार सम्मान, साहित्य गंगा सम्मान, संस्कृति सम्मान, प्रचंडीदेवी सम्मान(आस्ट्रिया),स्त्री विमर्श सम्मान (ताशकंद), वुमेन महिला केसरी अवार्ड, लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड, गार्गी अवॉर्ड, ट्रू मीडिया साहित्य सम्मान, साहित्य सुधाकर उपाधि तथा चिल्ड्रन लिटरेचर के लिए पुरस्कार जैसे अनेक सम्मानों से नवाजा जा चुका है।
संपर्क : सविता चडढा899,रानी बाग, दिल्ली-110034
23May-2022

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