मंगलवार, 7 जून 2022

साक्षात्कार: सांस्कृतिक और सभ्यता के उत्थान का साक्षी साहित्य: महेन्द्र जैन

विरासत में मिली साहित्य की विधा 
 -ओ.पी. पाल
व्यक्तिगत परिचय
नाम: महेन्द्र जैन 
जन्म: 26 दिसंबर 1944 
जन्म स्थान: हिसार(हरियाणा) 
शिक्षा: बीए (हिंदी ऑनर्स) संप्रत्ति: सेवानिवृत्त बैंक कर्मचारी, अध्यक्ष, चन्दनबाला जैन साहित्य मंच हिसार। 
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हरियाणवी संस्कृति और सभ्यता को संजोए रखने के लिए साहित्य के क्षेत्र में जुटे साहित्यकारों में कवि महेन्द्र जैन एक ऐसे रचनाकार हैं, जिन्हें साहित्य की विधा विरासत में मिली। सामाजिक और ज्वलंत मुद्दों को अपनी कृतियों और काव्य मंचों से उजागर करते हुए वे अपनी साहित्यिक साधना को समाजहित में नया अयाम देने में जुटे हुए हैं। उन्होंने बच्चों के लिए भी साहित्यिक लेखन करके उनके भविष्य को उज्जवल बनाने का बीड़ा उठाया है। साहित्य को समाज के दर्पण के रूप में सार्थक करने के लिए वे देशभर में विभिन्न काव्य मंचों पर कविताओं व गजलों के जरिए सकारात्मक विचारधारा को प्रोत्साहित करते आ रहे हैं। बदलते युग में साहित्य के स्वरुप और लेखन में गिरावट को लेकर चिंतित कवि महेन्द्र जैन ने हरिभूमि संवाददाता से बातचीत के दौरान अपने साहित्यिक सफर को लेकर विस्तार से कई ऐसे पहलुओं को उजागर करते हुए अपने अनुभवों को साझा किया है। 
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हरियाणा के वरिष्ठ साहित्यकार एवं कवि महेन्द्र जैन साहित्य के लेखन स्तर में आ रही गिरावट को लेकर मानते हैं कि श्रेष्ठ साहित्य के गहन पठन पाठन और रचनात्मक सोच व चिंतन की कमी को दूर करने की आवश्कता है। इस आधुनिक और वैज्ञानिक युग में लेखन में कम होती परिपक्वता की वजह से ही साहित्य के प्रति पाठकों का रुझान कम हो रहा है। सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव से खासकर युवा पीढ़ी की रचनात्मक प्रतिभाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। इसलिए श्रेष्ठ साहित्यकारों की रचनाओं का पाठ्यक्रम में समावेश करके युवाओं को साहित्य पढ़ने के लिए प्रेरित करने की महत्ती आवश्यकता है। उनका यह भी मानना है कि साहित्य एक ऐसी साधना है, जोकि प्रत्यक्ष रूप से गुरू से संवाद के बिना अधूरी है। उनका मानना है कि साहित्य समाज के मानसिक तथा सांस्कृतिक और सभ्यता के उत्थान का साक्षी है। मसलन साहित्य का चिन्तन वसुधैव कुटुम्बकम और विश्व-कल्याण की भावना को प्रकट करता है और साहित्यकारों को सके स्वरुप को बनाए रखने की जरुरत है। साहित्य के स्तर को सुधारने के लिए साहित्यकारों को भी अपनी लेखनी सर्वजन हिताय यानी समाज की सेवा करने के नजरिए से आगे बढ़ानी होगी। 
हरियाणा के वरिष्ठ साहित्यकार एवं कवि महेंद्र जैन का जन्म प्रतिष्ठित काव्य-नाटककार राजकुमार जैन के परिवार में 26 दिसंबर 1944 को हिसार शहर में हुआ था। स्नातक की उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद उन्होंने बैंकिंग क्षेत्र में सेवाएं देना शुरू कर दिया। पंजाब नेशनल बैंक में कार्यरत रहते हुए उन्होंने अपनी साहित्य के क्षेत्र में साधना को बरकरार रखा और सामाजिक मुद्दों को लेकर संवेदनशील रचनाओं का विस्तार किया। उन्होंने साल 2000 में बैंक की नौकरी से वीआरएस ले लिया था। कवि महेन्द्र जैन ने बाल मन को भी मोहने की दिशा में भी साहित्य रचनाओं का लेखन किया और बच्चों के लिए कविताएं, कथाएं और गीत को धार देने का प्रयास किया गया। परिवार में साहित्य की साधना को आगे बढ़ाते हुए महेन्द्र जैन ने विरासत में मिले ज्ञान का बखूबी से साहित्य की साधना में सद्पयोग किया। कवि महेन्द्र जैन ने बताया कि परिवार में पहले उनके दादा नयामत सिंह जैन ने समाज को आईना दिखाने के मकसद से उस पुराने दौर में 25 नाटक लिखकर एक सुप्रसिद्ध काव्य नाट्यकार के रूप में पहचाने गये। उसके बाद पिता राजकुमार जैन ने दादा का अनुसरण करते हुए एक प्रसिद्ध काव्य नाट्यकार के रूप में 10 काव्य नाटक लिखे, जिनमें उन्होंने समाज की कुरीतियों के विरोध में समाज को सजग करने का प्रयास किया। साहित्य से जुड़े इस परिवार में तीसरी पीढ़ी भी इस विरासत को संजोने में भला पीछे क्यों रहती। बहरहाल दादा-पिता की साहित्यक विरासत को उन्होंने संभालते हुए साहित्यिक क्षेत्र की सेवाओं को विस्तार देना शुरू किया। उनकी बहन चंदनबाला जैन भी एक सुप्रसिद्ध कवयित्री रही हैं, जिनके 2008 में स्वर्ग सिधारने के बाद उनके स्मरण में हिसार में हंसराज-चंदनबाला जैन साहित्य मंच का गठन किया गया। अध्यक्ष के रूप में वे आज भी इस मंच का संचालन स्वयं कर रहे हैं। साहित्य को नई दिशा देने के लिए हिसार के मधुर संगीत केंद्र में वे एक प्राचार्य की भूमिका में हैं। साहित्य के विस्तार की दिशा में वे शहर की अनेक प्रमुख साहित्यिक, सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाओं का हिस्सा बने हुए हैं। यही नहीं उन्होंने दूरदर्शन हिसार और आकाशवाणी रोहतक व अन्य चैनलों पर प्रसारित कार्यक्रमों में अपनी नियमित भागीदारी दी है। कवि सम्मेलनों, गोष्ठियों एवं साहित्यिक मंचों पर भी वे विभिन्न भूमिका का निर्वहन करते आ रहे हैं। 
प्रकाशित साहित्य 
प्रसिद्ध साहित्यकार एवं लेखक महेन्द्र जैन की प्रकाशित पुस्तकों में काव्य संग्रह भावनाओं के इंद्रधनुष व त्रिवेणी, बाल काव्य संग्रह ‘हंसते और हंसाते जाना’, बालगीत संग्रह ‘मुस्कानों के फूल’ और ‘अगर पंख होते’, बालकथा संग्रह ‘जंगल में प्रजातंत्र’, गजल संग्रह ‘गीले-शिकवे’ और ‘गजल ऐसी सुनाओ तुम’, दोहा संग्रह ‘आएगा मधुमास’ सुर्खियों में हैं। इसके अलावा उनकी साहित्यिक रचनाओं में ‘निराला हरियाणे का देस’ जैसी पुस्तकें शामिल हैं। जैन ने गजल संग्रह हरियाणा के लोकप्रिय गजलकार तथा हिसार दूरदर्शन द्वारा प्रकाशित काव्य संग्रह ‘बेटी-बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ का कुशल संपादन भी किया है। 
पुरस्कार व सम्मान 
हरियाणा साहित्य अकादमी ने कवि महेंद्र जैन को हिंदी को बढ़ावा देने के लिए साहित्य के क्षेत्र में दी जा रही उत्कृष्ट सेवाओं को देखते हुए वर्ष 2021 का विशेष हिंदी सेवी सम्मान से सम्मानित करने का निर्णय लिया है। इससे पहले उन्हें उदयभान हंस कविता पुरस्कार, साहित्य सौरभ सम्मान, हिसार रत्न सम्मान, से अंलकृत किया जा चुका है। वहीं उन्हें बाल साहित्य में उल्लेखनीय योगदान के लिए ‘श्री प्रेमचंद-समुन्दी बाल साहित्यकार सम्मान’ समेत देश की विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं और संगठनों द्वारा भी पुरस्कार और सम्मान हासिल कर चुके हैं। 
संपर्क सूत्र: जैन सदन, 871 सेक्टर-13पी, हिसार-125005 हरियाणा मो. 9816674411 ईमेल: mahenderjain871@gmail.com 06June-2022

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