बुधवार, 15 जून 2022

मंडे स्पेशल: महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण में बहुत कुछ बाकी

महिला पुलिस की कमी दुर्गाशक्ति के लक्ष्य में बड़ी अड़चन 
पुलिस में महिलाओं की भागीदीरी बढ़ाने की कवायद 
 ओ.पी. पाल.रोहतक। प्रदेश में आधी आबादी को अधिकार और सुरक्षा देने के लाख प्रयास के बावजूद अभी मुकाम नहीं मिल पाया है। हर जिले में महिला थाना खोला गया और महिला रेपिड एक्शन फोर्स का गठन हुआ। वहीं दुर्गाशक्ति उड़न दस्ता भी बना, लेकिन अभी तक पुलिस में महिलाओं के लिए तय पदों को ही नहीं भरा जा सका है। हालात ये हैं कि पुलिस में केवल महिला सिपाहियों के ही 1324 पद अभी भी खाली हैं। ऐसे ही सब इंस्पेक्टर के पदों पर 58 महिलाओं का इंतजार हो रहा है। ये हालात तो तब हैं जब पुलिस बल में महिलाओं का हिस्सा मात्र 10 फीसदी दी है। जबकि 2021 के बजट में सरकार आधी आबादी की हिस्सेदारी 15 फीसदी करने का ऐलान कर चुकी है। वर्ष 2014 में हरियाणा पुलिस में 5.79 प्रतिशत महिलाएं थी, जो 2020 में बढ़कर 8.59 फीसदी हो गईं हैं। शायद यही कारण है कि प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में तेजी से लगातार बढ़ोतरी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। 
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प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा और उनके सशक्तिकरण की दिशा में राज्य सरकार ने अगस्त 2015 में सभी जिलों में महिला पुलिस थानों की शुरूआत की। इसके बाद से पुलिस बल में महिलाओं की हिस्सेदारी तो जरुर बढ़ी है, लेकिन अभी तक प्रर्याप्त संख्या बल पूरा नहीं हो पाया है। हर जिले और बड़े शहरों में 34 महिला थाने भी खोले गये। जबकि इनके अलावा प्रदेश में 260 पुरुष थाने काम कर रहे हैं। सरकार ने खासकर महिलाओं को पुलिस का प्रशिक्षण देने के लिए गुरुग्राम में एक महिला आईआरबी बटालियन और हिसार में महिला पुलिस के लिए प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया। इसके अलावा महिला सुरक्षा सुनिश्चित करने जैसी कई घोषणाएं अभी केवल कागजों में ही अटकी हैं। सरकार ने 13 अप्रैल 2017 को महिला विरुद्ध अपराध पर लगाम कसने के लिए पुलिस महकमे में दुर्गा शक्ति रैपिड एक्शन फोर्स की शुरूआत भी की। इस फोर्स में महिला पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया। इन्हें मुख्यता छेड़छोड़ और आवारागर्दी पर लगाम करने का जिम्मा सौंपा गया। दुर्गा शक्ति की टीम स्कूल-कालेज, यूनिवर्सिटी और कोचिग इंस्टीट्यूट के आसपास पेट्रोलिग करती दिखीं, लेकिन संसाधानों और वाहनों की कमी से यह योजना उतनी कारगर नहीं हो पाई, जिसकी उम्मीद थी। कारण यह रहा कि इस दल को जिला स्तर पर केवल एक या दो वाहन ही उपलब्ध हो पाए। हालात ये हैं कि कॉल आने पर महिला पुलिस भी ऑटो से मौके पर पहुंचती देखी गई है। 
महिला पुलिस पर्याप्त नहीं 
हरियाणा में ‘बेटी बचाओ-बेटी पढाओ’ का नारा भले ही सिर चढ़कर बोल रहा हो, लेकिन महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पुलिस महकमा अभी खरा नहीं उतर पाह रहा। मसलन सरकार के आंकड़े ही गवाही दे रहे हैं कि हरियाणा में बेटियां और महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। महिलाओं के खिलाफ तेजी बढ़ते अपराधों को रोकने के लिए राज्य सरकार की सुरक्षाबलों में भागीदारी बढ़ाने की कवायद भी सिरे नहीं चढ़ पा रही है। मसलन प्रदेश में महिला पुलिस बल में ही 4498 पद स्वीकृत हैं, लेकिन केवल 3115 पदों से ही कार्य हो रहा है, जिनमें तीन एसपी, 18 डीएसपी, 83 इंस्पेक्टर, 218 सब इंस्पेक्टर, 500 एएसआई, 682 हेड कांस्टेबल और 2814 कांस्टेबल शामिल हैं। महिला पुलिस में सबसे ज्यादा 1324 कांस्टेबलों के पद खाली पड़े हैं। प्रदेश में तेजी से बढ़ते महिला अपराधों में सबसे ज्यादा मामले बलात्कार और छेड़छाड़ के हैं। 
एक नजर में हरियाणा पुलिस  
हरियाणा पुलिस में 74,910 पद स्वीकृत हैं, जिसमें सात डीजीपी, 8 एडीजीपी, 28,आईजी, 16 डीआईजी, 90 एसपी, 32 एएसपी, 236 डीएसपी, 1075 इंस्पेक्टर, 3,300 एसआई, 5,805 एएसआई, 12,028 हेड-कांस्टेबल और 47,224 कांस्टेबल शामिल हैं। इस आकार के विपरीत प्रदेश में 50,729 पद ही सुरक्षा का जिम्मा संभालने का काम कर रहे हैं। मसलन फिलहाल तीन डीजीपी, 4 एडीजीपी, 15 आईजी 4 डीआईजी, 27 एसपी, 25 एएसपी और 66 डीएसपी समेत 24,181 पद अभी भी खाली हैं। सुरक्षा के लिए फिल्ड में रहने वाले सबसे ज्यादा कांस्टेबल के 11643 पद खाली पडे हुए हैं। इसके अलावा 153 इंस्पेक्टर, 1032 सब इंस्पेक्टर, 1058 एएसआई तथा 3731 हेड-कांस्टेबल पदों पर भी नियुक्ति का इंतजार है। 
सात साइबर पुलिस स्टेशन 
प्रदेश में साइबर क्राइम पर अंकुश लगाने की भी पहल की है, जिसके लिए गुरुग्राम में पहला साइबर पुलिस स्टेशन खोलने के बाद अब तक इनकी संख्या सात कर दी है। बाकी साइबर थाने पंचकूला, रेवाडी, अंबाला, फरीदाबाद, हिसार और करनाल में खोले गये हैं। पुलिस बल को मजबूती देने के लिए राज्य में पांच सशस्त्र पुलिस बटालियन हैं, जिसमें तीन मधुबन(करनाल) और एक-एक हिसार व अंबाला में हैं। प्रदेश में तीन वारलैस रिपीटर एंटीना भी हैं, जो तोशाम हिल भिवानी, टिकडी हिल रेवाडी और साहरण हिल हिमाचल प्रदेश में है। इसके अलावा पुलिस प्रशिक्षण के लिए भी चार केंद्र काम कर रहे हैं, जिनमें मधुबनी पुलिस ट्रेनिंग सेंटर, सुनारिया पुलिस ट्रेनिंग सेंटर, भौंडसी गुरुग्राम पुलिस ट्रेनिंग सेंटर और महिला पुलिस के लिए हिसार में प्रशिक्षण केंद्र स्थापित है। 
हैरान करने वाले आंकड़े 
हरियाणा विधानसभा के इसी साल बजट सत्र में राज्य सरकार ने आंकड़े पेश करके खुद माना है कि पिछले आठ सालों में प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 65 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। सरकार के आंकडों पर गौर की जाए तो जहां वर्ष 2014 में बलात्कार के 944 व गैंग रेप के 206 मामले दर्ज किए गए, तो वर्ष 2021 में बलात्कार के 1,546 और गैंगरेप के 176 मामले सामने आए। खासतौर से वर्ष 2018 से 2021 तक पिछले चार सालों महिलाओं के खिलाफ अपराधों में तेजी आई है। चौंकाने वाली बात ये है कि महिला अपराध करने वाले जहां 2014 में 151 दोषी ठराए गये थे, वहीं साल 2021 में केवल एक आरोपी को दोषी ठहराया गया है। प्रदेश में कोरोना काल यानी साल 2020 के दौरान बलात्कार, छेड़छाड़, बलात्कार के प्रयास, उनके प्रति पुलिस की उदासीनता, साइबर अपराध, दहेज और घरेलू हिंसा के 1,460 मामलों थे। आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं कि प्रदेश में औसतन हर दिन 6 महिलाओं से छेड़छाड़ हो रही है और हर दिन सात महिलाओं का अपहरण हो रहा है। 
13June-2022

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