मंगलवार, 7 जून 2022

मंडे स्पेशल: कोरोना ने बढ़ा दिया अदालतों का भार, खड़ा हो गया केसों का अंबार

लंबित केसों की संख्या पहुंच गई दो गुणा से ज्यादा प्रदेश में 13.64 लाख विवादों को है फैसले का इंतजार दीवानी से दोगुणा है फौजदारी के मामले 
तीन दशक तक के मामले भी लंबित
केसों के बोझ का एक कारण जजों की कमी भी 
ओ.पी. पाल.रोहतक। कोरोना ने हमारी व्यवस्था पर चौतरफा मार की है। इससे न्यायपालिका भी अछूती नहीं रह पाई है। संक्रमण के डर से पहले छुट्टियां हो जाने और बाद में ऑनलाइन सुनवाई तो हुई, लेकिन केसों के फैसले आधे भी नहीं हो पाए और पेंडिंग केसों की तादात बढ़कर दो गुणा से भी ज्यादा हो गई। हालात यह रहे कि 2019 में जहां हरियाणा में हमारी अदालतों ने पांच लाख से ज्यादा केसों का निपटारा किया, वहीं 2020 में कोरोना के चलते यह संख्या घटकर महज दो लाख से कुछ ज्यादा रह गई। स्थिति यह थी कि चालू वर्ष 2022 में महज पांच माह में ही 2,52,944 केसों का निपटान हो गया। वहीं कोरोना के कारण 2020 के पूरे साल में यह संख्या केवल 2,29,402 रही। केवल इतना ही नहीं लोक अदालतें और फास्ट ट्रैक कोर्ट का कामकाज भी खासा प्रभावित हुआ। जिसके चलते अदालतों में लंबित केसों की संख्या दो गुणा से भी ज्यादा हो गई। अब केस निपटान के कार्य ने रफ्तार तो पकड़ी है, लेकिन जजों व अन्य स्टाफ की कमी कार्य में तेजी नहीं आने दे रही। 
लंबित मामलों के निपटान पर फोकस 
प्रदेश के 21 जिलों में करीब 418 जिला एवं अधीनस्थ अदालतों में तेजी से सुनवाई के बावजूद अभी भी 13,63,549 मामले लंबित हैं। इनमें दीवानी 4,49,241 तथा फौजदारी के 9,14,308 केस फैाले का इंतजार कर रहे हैं। केवल जिला न्यायालयों में ही 12,030 सरकारी मामले अटके हुए हैं। लंबित केसों में दो लाख से ज्यादा तो पांच साल पुराने हैं। हालांकि इनमें दीवानी से दो गुना फौजदारी के हैं। दो जून को ही दस साल पुराने 1150 ऐसे मामले निपटान के लिए रजिस्टर्ड किये गए है, जिनमें 75 दीवानी और 1075 फौजदारी के शामिल हैं। पिछले दस साल पुराने 52 मामलों का निपटान भी किया गया है, जिसमें 24 दीवानी और 28 फौजदारी के हैं। 
लंबित मामलों का निपटान 
जिला एवं अधीनस्थ न्यायालयों पिछले एक दशक में 43,45,824 मामलों का निपटान किया जा चुका है, जिसमें सिविल के 13,49,005 और फौजदारी के 29,96,819 मामले शामिल हैं। चालू वर्ष के दौरान पांच माह में 2,52,944 मामले निपटाए गए, जिसमें 1,94,016 फौजदारी के हैं। जबकि साल 2021 में 3,99,258 मामलों के निपटान में फौजदारी के 3,12,170 थे। कोरोना की मार के बीच वर्चुअल सुनवाई के बावजूद अदालतों ने फौजदारी के 1,76,214 मामलों समेत 2,29,402 मामलों का निपटान किया। इससे हरियाणा की अदालतों में साल 2019 में 5,29,403, साल 2018 में 5,48,580, साल 2017 में 5,14,776, साल 2016 में 5,31,058 तथा साल 2015 में 4,62,559 मामलों का निपटान किया है। 
हाईकोर्ट में निपटान की रफ्तार तेज 
पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय में 4,49,120 लंबित मामलों का अंबार लगा हुआ है, जिसमें 2,83,796 दीवानी और 1,65,324 फौजदारी के शामिल हैं। यहां 28 फरवरी 22 तक 14,710 सरकारी मामले लंबित थे, जिसमें भारत संघ एक पक्षकार है। हाईकोर्ट ने भी लंबित मामलों के निपटान में तेजी लाने की दिशा में 10,94,540 दीवानी और 8,53,878 फौजदारी के मामलों समेत 19,48,418 का निपटारा दो जून 22 तक कर दिया है। इस साल 21 फरवरी तक हाई कोर्ट ने हरियाणा के 28901 लंबित मामलों का निपटारा किया, जिसमें 13190 दीवानी और 15711 मामले फौजदारी के शामिल हैं। गत अप्रैल में ही हाईकोर्ट में हरियाणा के पंजीकृत 10846 मामलों के विपरीत 11955 मामलों यानी 110.22 प्रतिशत तथा मार्च में 12,078 मामलों के विपरीत 13,289 यानी 110.02 प्रतिशत मामलों का निपटान किया है। इस साल अब तक हाईकोर्ट में डेढ़ हजार से ज्यादा याचिकाओं का भी निपटारा किया गया है। 
फास्ट ट्रेक कोर्ट भी प्रभावित 
प्रदेश में बच्चों के प्रति बढ़ते अपराधों के मामलो के जल्द निपटान की दिशा में 16 स्पेशल फास्ट ट्रेक कोर्ट यानी त्वरित न्यायालय स्थापित हैं, इनमें 12 ई- स्पेशल पॉक्सो कोर्ट भी कार्यरत हैं। हरियाणा सरकार ने सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों के तेजी से निपटान की दिशा में स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट पर भी सबसे पहले पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने काम शुरू करने की पहल की है। कोरोना के कारण फास्ट ट्रेक कोर्ट भी प्रभावित हुई है। यही कारण है कि पिछले पांच साल में लंबित 1.07 लाख मामलो में से केवल 30445 मामलों का निपटान किया जा चुका है। केंद्र सरकार ने फास्ट ट्रेक कोर्ट के लिए पिछले तीन साल में 10.8 करोड़ रुपये भी जारी किये हैं, जिसमें से अभी तक 50 फीसदी राशि खर्च की गई है। 
जजो के टोटे से जूझती अदालतें 
प्रदेश जिला एवं अधीनस्थ अदालतों में स्वीकृत पदों के मुकाबले 295 जजों के पद खाली हैं। जबकि हरियाणा की अदालतों में जजों के 772 पद स्वीकृत हैं और कार्यरत केवल 477 हैं। यही स्थिति उच्च न्यायालय पंजाब एवं हरियाणा में भी हैं, जहां स्वीकृत 85 पदों के मुकाबले केवल 49 पद कार्यरत हैं यानी 36 पद अभी भी खाली हैं। हाईकोर्ट में 64 पीएमटी व 21 एडीडीएल के पद स्वीकृत हैं, जिनमें से पीएमटी के 21 व एडीडीएल के 15 पद रिक्त हैं। हालांकि पिछले आठ सालों में हाईकोर्ट में 45 जजों की नियुक्तियां हुई, लेकिन उसी औसत से जज सेवानिवृत्त भी हुए हैं। हाईकोर्ट में 2018 में सात, 2019 में दस, 2020 में एक तथा 2021 में छह जजों की नियुक्ति हुई। इससे पहले 2017 में 8, 2016 में 01 तथा 2014 में 14 जजों की नियुक्तियां की गई। 
लोक अदालतों की भूमिका रही अहम 
प्रदेश में दिसंबर 2021 तक आयोजित 21 लोक अदालतों के आयोजन किया गया। इनमें से पिछले तीन साल में 74,661 मामलों का आपसी सुलह के तहत निपटारा किया गया। जबकि राज्य लोक अदालतों में पिछले ती साल में ही 2,75,136 लंबित मामले निपटाए गये, जिसमें साल 2021 में 92,174, 2020 में 48,453 तथा 2019 में 134509 मामलों का निपटान किया गया। साल 2020 में निपटान में 3627 मामले मुकदमे से पूर्व के शामिल रहे। इसी प्रकार इन तीन सालों में राष्ट्रीय लोक अदलतों में साल 2021 में 96,875 (26538 मुकदमे से पूर्व), साल 2020 में 17,392 (12906 मुकदमे से पूर्व) तथा 2019 में 62665(40633 मुकदमे से पूर्व) मामलों का निपटान किया गया। 
न्यायालयों का डिजिटलीकरण 
हरियाणा में न्यायालयों के अभिलेखों का डिजिटलीकरण के लिए 14वें वित्त आयोग के अधीन 49 करोड़ रुपये की निधि जारी की गई है। 28 मार्च 2022 तक तक राज्य के 33.51 लाख पेज स्कैन करके उनका डिजिटलीकरण किया जा चुका है।
वर्जन-1 
मध्यस्थता के विकल्प को मिले बढ़ावा 
कोरोना की वजह से दो साल तक प्रभावित हरियाणा समेत देश की अदालतों में लंबित मामलों की संख्या बढ़ी। अदालतों में लंबित केसों के निपटाने की दिशा में अदालतों में चल रही जजों की कमी को पूरा करने और नियुक्तियां बढ़ाई जानी चाहिए। वहीं हाईकोर्ट की गाइड लाइन पर मध्यस्थता के लिए बनाई गई स्थायी लोक अदालतों को और भी ज्यादा बढ़ावा देने की आवश्यकता है। कोर्ट और वकीलों के आपसी सहयोग से अदालतों को लंबित मामले के निपटान के लिए कार्य करने की आवश्यकता है, ताकि लोगों को सुलभ और सस्ता न्याय मिल सके। 
-विनोद पाहव, वरिष्ठ अधीवक्ता, रोहतक 
वर्जन-2 
हाई कोर्ट अलग हो 
अदालतों में लंबित मामलों की संख्या में बढ़ने के कई कारण है। फिर भी प्रदेश में लंबित मामलों के जल्द से जल्द निपटान के लिए अदालतों में जजों की अधिक से अधिक नियुक्तियां होनी चाहिए। वहीं हरियाणा हाई कोर्ट की अलग से स्थापना होनी चाहिए। 
-लेखराज शर्मा, वरिष्ठ अधिवक्ता, पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय 
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हरियाणा की जिला एवं अधीनस्थ अदालतों में लंबित मामले (02 जून 2022 तक) 
जिला          दीवानी    फौजदारी  कुल लंबित निपटान 
अंबाला          22474   39332   61806       252633 
भिवानी         30916   33808   64724       251997 
फरीबादाबाद  33242  114943  148185    309172 
फतेहाबाद     10298   18113    28411      133260 
गुरुग्राम       45131   231450  276581     521024 
हिसार         23627   40894    64521       283740 
झज्जर       17750   25448    43198       143358 
जींद           15684   23521    39205       133329 
कैथल        15653   24240    39893       129931 
करनाल      27843  67722    95565       288504 
कुरुक्षेत्र      16454   30005    46459      214030 
नारनौल    19816   19078   38894       120958 
नूंह           20159   20886   41045       100132 
पलवल      19946   22493   42439      103446 
पंचकूला     9811   15379    25190      164172 
पानीपत     16105  29869   45974      198955 
रेवाड़ी        21331   25419   46750     163737 
रोहतक     14099   42119   56218      239068 
सिरसा      16621   26470   43091      205308 
सोनीपत    26037  36389    62426      214724 
यमुनानगर 26244  26730   52974      174346
कुल लंबित449241 914308 1363549 4345824 
 06June-2022

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