सोमवार, 25 अक्तूबर 2021

साक्षात्कार: साहित्य और कला से युवा पीढ़ी का दूर होना दुखद: डा. गोयनका

देश-विदेश में प्रेमचंद विशेषज्ञ के रूप में विख्यात गोयनका
-ओ.पी. पाल 
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व्यक्तिगत परिचय 
नाम: डॉ. कमल किशोर गोयनका 
जन्म:11 अक्टूबर 1938 
जन्म-स्थान: बुलंदशहर (उत्तर-प्रदेश) 
शिक्षा: एमए(हिंदी) दिल्ली विश्वविद्यालय 1961, पीएचडी दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली 1972, डीलिट्, रांची विश्वविद्यालय रांची 1984। शिक्षा का अनुभव: 41 वर्ष, बी.ए. (ऑनर्स), एम.ए., एम.फिल. आदि। 
सम्प्रति: एसोसिएट प्रोफेसर (सेवानिवृत्त), हिंदी विभाग, जाकिर हुसैन पोस्ट-ग्रेजुएट (सांध्य), दिल्ली विश्वविद्यालय। 
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हरियाणा साहित्य अकादमी ने देश के वरिष्ठ साहित्यकार एवं चिंतक डॉ. कमल किशोर गोयनका को साल 2017 का आजीवन साहित्य साधना सम्मान से नवाजा है। हिंदी साहित्य का वैश्विक चिंतक एवं देश विदेश में प्रेमचंद विशेषज्ञ के रूप में विख्यात डॉ. कमल किशोर गोयनका देश के एक मात्र ऐसे साहित्यकार व लेखक हैं, जिन्होंने एक ही लेखक यानि प्रेमचंद पर तीन दर्जन से ज्यादा किताबें लिखकर किर्तिमान स्थापित किया है। उन्होंने प्रवासी साहित्य और गांधी तथा प्रवासी साहित्यकारों पर भी पुस्तके लिखी हैं और देश विदेश में हिंदी साहित्य की अलख जगाकर अंतर्राष्ट्रीय साहित्यकार के रूप में पहचान बनाई। देश के सुप्रसिद्ध साहित्यकार डा. गोयनका ने अपने इसी साहित्य के सफर को लेकर हरिभूमि संवाददाता से बातचीत में कई अनछुए पहलुओं को साझा किया और बताया कि भारतीय संस्कृति में हिंदी साहित्य की कितनी महत्ता है। अंतर्राष्ट्रीय साहित्यकार के रूप में पहचान बनाने वाले सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार डा. कमल किशोर गोयनका का कहना है कि आज की पीढ़ी साहित्य और कला से दूर होती जा रही है, जो बेहद दुखद और चिंता का विषय है। आज के वैज्ञानिक युग और इंटनेट में अपना कैरियर तलाशने में जुटी युवा पीढ़ी राम चरित्र मानस, रामयण, गीता के बारे में अनभिज्ञ है। उन्होंने कहा कि विज्ञान, तकनीक और अन्य तकनीक को कैरियर बनाना अच्छा है, लेकिन अपनी धरती, संस्कृति और हिंदी से जुड़े रहकर विश्व में रहे और हिंदी का इस्तेमाल करें। उनका मानना है कि साहित्य और कला आदमी को मनुष्य बनाती है और जब मुनुष्य नहीं होगा, तो आदमी आदमी कैसे रह सकता है। हिंदी के साहित्यकार समाज को नई दिशा देकर हिंदी का विश्व में प्रचार प्रसार करने का प्रयास कर रहे हैं, इसलिए युवाओं को भारतीय संस्कृति व सभ्यता और अपनी मातृभाषा को प्राथमिकता देना जरुरी है। 
प्रेमचंद पर चार साढ़े चार दशक किया र्काय
राष्ट्रीय राजधानी के दिल्ली विश्वविद्यालय के अधीन जाकिर हुसैन (पीजी) कालेज में हिंदी विभाग के रीडर पद से सेवानिवृत्त हिंदी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार डा. कमल किशोर गोयनका ने 1961 में हिंदी से एमए करते हुए साहित्य लेखन की शुरूआत की। खासबात ये है कि डा. गोयनका ने प्रेमचंद पर पीएचडी तथा डीलिट् करके देश में इकलौता शोधार्थी होने का गौरव भी हासिल किया। उन्होंने चार दशक से ज्यादा समय तक हिंदी के साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद के जीवन, विचार तथा उनके साहित्य के शोध पर 46 वर्षों से निरंतर कार्य करने तथा शोध एवं अध्ययन करके प्रेमचंद पर आलोचकों की पुरानी मान्यताओं को खंडित किया और नई मान्यताओं एवं निष्कर्षों को सामने रखा है। यही नहीं प्रेमचंद के हजारों पृष्ठों के लुप्त तथा अज्ञात साहित्य को खोजकर साहित्य-संसार के सम्मुख प्रस्तुत किया और हिंदी में पहली बार प्रेमचंद की कालक्रमानुसार जीवनी लिखकर डा. गोयनका ने हिंदी साहित्य को नई दिशा दी है। उन्होंने प्रेमचंद संबंधी अपने अनुसंधान-कार्य से प्रेमचंद की एक नई ‘भारतीयता’ से परिपूर्ण मूर्ति की संरचना का महत्वपूर्ण कार्य करते हुए प्रेमचंद पर लगभग 350 लेख, शोध-आलेख प्रकाशित किये। प्रेमचंद विशेषज्ञ का खिताब पा चुके डा. गोयनका ने प्रेमचंद की जन्म-शताब्दी पर राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों के आयोजन के लिए ‘प्रेमचंद जन्म-शताब्दी राष्ट्रीय समिति’ की स्थापना भी की, जिसकी संरक्षक तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी बनी थी। समिति के बैनर तले उन्होंने प्रेमचंद के मूल दस्तावेजों, पत्रों, डायरी, बैंक पास-बुक, फोटोग्राफों, पांडुलिपियों की लगभग तीन हजार वस्तुओं का संग्रह करके भारत सरकार के सहयोग से सन् 1980 में ‘प्रेमचंद शताब्दी’ पर देश-विदेश में ‘प्रेमचंद प्रदर्शनी’ का आयोजन कराए और प्रेमचंद पर एक फिल्म बनाने में प्रमुख रुप से योगदान किया। वर्ष 1986 में तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने उन्हें ‘भारतीय भाषा परिषद्’, कोलकाता द्वारा ‘प्रेमचंद विश्वकोश’ पर पुरस्कार देकर सम्मानित किया। हिंदी साहित्य में 55 वर्ष के स्वयं शोध-कार्य का अनुभव रखने वाले साहित्यका डा. गोयनका के निर्देशन में आधा दर्जन से ज्यादा छात्रों ने पीएचडी की डिग्री भी हासिल की है। साल 2014-20 तक वे केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय के केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल, आगरा के उपाध्यक्ष भी रहे। 
मॉरिशस के हिंदी के विकास में योगदान 
भारत सरकार की ओर से ‘प्रेमचंद विशेषज्ञ’ के रूप में मॉरिशस की यात्रा कर उन्होंने ‘प्रेमचंद शताब्दी’ पर ‘हिंदी प्रचारिणी सभा’ में मॉरिशस के तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. शिवसागर रामगुलाम की अध्यक्षता में सम्मान हासिल किया। भारतीय साहित्यकार डा. कमल किशोर गोयनका ने वर्ष 1980, 1989, 1994 तथा 1996 में मॉरिशस की यात्रा और मॉरिशस के महात्माद गांधी इंस्टिट्यूट द्वारा प्रेमचंद पर आयोजित कार्यक्रमों की अध्यक्षता, व्याख्यान तथा वहाँ के युवा-लेखकों को कहानी-कविता आदि लेखन पर मार्ग-दर्शन ही नहीं किया, बल्कि मॉरिशस में हिंदी साहित्य के विकास के लिए वहाँ साहित्यिक संस्थाओं की स्थापना करके प्रत्यक्ष रूप से हिंदी के विकास में योगदान दिया है। मॉरिशस के हिंदी साहित्य को भारतीय विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में निर्धारित करने-कराने का प्रयत्न किया तथा मॉरिशस के हिंदी साहित्य के प्रकाशन, प्रचार तथा प्रतिष्ठा के लिए निरंतर कार्य करके वहाँ के हिंदी लेखकों की रचनाओं को भारत में प्रकाशित कराने में भी सहयोग किया। मॉरिशस के प्रसिद्ध हिंदी लेखक अभिमन्यु अनत पर एक पुस्तक की रचना तथा वहाँ के साहित्य पर लगभग 15 लेख प्रकाशित करने के साथ उन्होंने मॉरिशस हिंदी साहित्य कोश’ पर कार्य किया। यही नहीं उन्होंने अमेरिका, इंग्लैंड, चीन, जापान, सूरीनाम, फिजी, ट्रिनिडाड आदि यूरोप, एशिया आदि के देशों देशों के हिंदी साहित्य के विकास की योजनाओं को भी अंजाम दिया। सूर्यनाम, इंग्लैंड, अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, भोपाल तथा मॉरिशस के विश्व हिंदी सम्मेलनों में भारत का प्रतिनिधित्व करना और सरकारी समिति का सदस्य के रूप में हिंदी साहित्य में हिस्सेदारी करना उनकी बड़ी उपलब्धियों में शामिल है। 
प्रकाशित पुस्तके 
साहित्यकार डा. गोयनका के रचना संसार में करीब 80 पुस्तके प्रकाशित हो चुकी हैं और कुछ किताबे आने वाली हैं। इनमें प्रेमचंद पर सर्वाधिक तीन दर्जन से ज्यादा पुस्तके लिखी गई हैं, जिनमें प्रमुख रूप से प्रेमचंद के उपन्यासों का शिल्प-विधान, प्रेमचंद और शतरंज के खिलाड़ी, प्रेमचंद:अध्ययन की नई दिशाएं, प्रेमचंद की हिंदी-उर्दू कहानियाँ, प्रेमचंद का अप्राप्य साहित्य, प्रेमचंद की अप्राप्य कहानियाँ, प्रेमचंद:संपूर्ण दलित कहानियाँ, प्रेमचंद:कालजयी कहानियाँ, प्रेमचंद: राष्ट्र प्रेम की कहानियां, प्रेमचंद-देश-प्रेम की कहानियाँ, प्रेमचंद-बाल साहित्य समग्र, प्रेमचंद की कहानी यात्रा और भारतीयता, प्रेमचंद:वाद, प्रतिवाद और संवाद, प्रेमचंद:अध्ययन की नई दिशाएँ, प्रेमचंद के नाम पत्र, प्रेमचंद का कहानी-दर्शन, प्रेमचंद: कहानी-कोश, प्रेमचंद पत्र-कोश, प्रेमचंद:कहानी रचनावली, प्रेमचंद:अनछुए प्रसंग, प्रेमचंद-रचना संकलन, प्रेमचंद की कहानियों का कालक्रमानुसार अध्ययन, प्रेमचंद–चित्रात्मक जीवनी, प्रेमचंद-कुछ संस्मरण, प्रेमचंद: प्रतिनिधि संचयन, प्रेमचंद साहित्य:भारतीय भूमिका, प्रेमचंद:नयी दृष्टि नये निष्कर्ष, प्रेमचंद: संपूर्ण स्त्रीविमर्श की कहानियां, प्रेमचंद (मोनोग्राफ)व प्रेमचंद-कुछ संस्मरण आदि शामिल है। यही नहीं उनके प्रेमचंद विवकोश क दो खंड प्रकाशित हो चुके हैं और तीन खंड प्रकाशाधीन हैं। इसके अलावा प्रेमचंद:नई पहचान और‘कफन’-आत्मा की तलाश के साथ प्रेमचंद और भारतीयता, ‘गोदान’ की पांडुलिपियों का अध्ययन, प्रेमचंद की कहानी-यात्रा और प्रेमचंद का बाल-साहित्य भी कतार में हैं। उन्होंने हिंदी का प्रवासी साहित्य, मॉरिशस की हिंदी कहानियाँ, प्रवासी साहित्य: भारतीय भूमिका, हिंदी साहित्य: भारतीय भूमिका, प्रवासी श्रेष्ठ कहानियां, अभिमन्यु अनत: समग्र कविताएँ, अभिमन्यु अनत : प्रतिनिधि रचनाएँ, गांधी:रामकथा विचार कोश, गांधी:पत्रकारिता के प्रतिमान, गांधी भाषा-लिपि विचार-कोश, रचनाकार से संवाद, गो-दान’, नया मानसरोवर, कर्मभूमि, रंगभूमि, सेवासदन जैसी पुस्तके विभिन्न साहित्यकारों पर भी लिखी हैं। इनमें 15 पुस्तके प्रवासी साहित्य पर हैं। 
पुरस्कार व सम्मान 
हरियाणा हिंदी साहित्य अकादमी द्वारा सात लाख रुपये के साल 2017 के आजीवन साहित्य साधना सम्मान के अलावा डा. कमल किशोर गोयनका देश विदेशों में सम्मानित किया जा चुका है। दिल्ली अकादमी ने उन्हें दो बार पुरस्कृत किया। उन्हें भारत सरकार से भारतेंदु हरिश्चंद्र पुरस्कार, हिंदी प्रचारिणी सभा मॉरिशस का पुरस्कार, भारतीय भाषा परिषद्, कोलकाता का ‘नथमल भुवालका पुरस्कार’ केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा से पं. राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार, हिंदी संस्थान लखनऊ से ‘साहित्य भूषण’ पुरस्कार, विष्णु प्रभाकर पुरस्कार, साहित्य अकादेमी भोपाल से आचार्य रामचंद्र शुक्ल आलोचना पुरस्कार, अखिल भारतीय मारवाड़ी युवा मंच कोलकाता से भावरमल सिंघी सम्मान, के.के. बिरला फाउंडेशन का ‘व्यास सम्मान’, संस्कृति विभाग मध्य प्रदेश के राष्ट्रीय मैथिलीशरण गुप्त सम्मान से नवाजा जा चुका है। इसके अलावा उन्हें देशभर के कई महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों, साहित्यिक-अकादमियों तथा संस्थाओं द्वारा प्रेमचंद संबंधी मौलिक कार्य के लिए सम्मानित कर चुकी है।
संपर्क: ए-98, अशोक विहार, फेज प्रथम, दिल्ली-110052
मोबाइल 09811052469, ई.मेल: kkgoyanka@gmail.com 
25Oct-2021

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