मंगलवार, 12 अक्तूबर 2021

मंडे स्पेशल: प्रदेश में भरोसेमंद ही ढ़ाह रहे हैं बच्चों पर जुल्म

प्रदेश में बच्चों के अपहरण की घटनाओं में नहीं आई कमी, बालिकाओं की संख्या ज्यादा पैसा कमाने और यौन अपराध को अंजाम देने का दिखा मकसद 
ओ.पी. पाल.रोहतक। यदि आप अभिभावक हैं तो अपने बच्चों की सुरक्षा के प्रति सचेत हो जाइए! मसलन आपके बच्चें को पहल झपकते ही कोई अपना ही भरोसेमंद गायब कर सकता है। प्रदेश में यह कोई पहेली नहीं, बल्कि हकीकत है, जो गलत काम के लिए पिछले तीन साल में बच्चों के खिलाफ बढ़ते अपराधों के आंकड़े गवाही दे रहे हैं। प्रदेश में पिछले तीन साल में गलत काम के इरादे से आठ हजार से भी ज्यादा बच्चों का अपहरण किया जा चुका है, जिसमें ज्यादातर बालिकाएं हैं। चौंकाने वाली बात ये है कि बच्चों पर जुल्म और सितम ढ़ाने के मकसद से उन्हें शिकार बनाने वाले करीब 98 फीसदी परिवार, रिश्तेदार, दोस्त और देखभाल करने वाले या जानकार लोग ही शामिल पाए गये हैं। ऐसा भी नहीं है कुछ मामले रंजिशन झूठे गढ़ दिये जाते हैं, जिन्हें पुलिस जांच के बाद निरस्त करने से भी नहीं चूकती। 
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प्रदेश में बच्चों के खिलाफ अपराधों के बढ़ते ग्राफ में आंकड़े बेहद चौंकाने वाले हैं। महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर पिछले दिनों संबन्धित कानूनों को सख्त बनाने के बावजूद बच्चों को गलत काम के लिए गायब करने या उनका अपहरण करने की घटनाएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। पिछले तीन साल में हरियाणा में बच्चों के प्रति 14,326 मामले दर्ज किये गये हैं। इनमें सबसे ज्यादा 8244 नाबालिग बच्चों के अपहरण या गायब करने के मामले शामिल हैं। गौर करने वाली बात ये हैं कि इनमें ज्यादातर बालिकाएं शामिल हैं। बच्चों की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए वर्ष 2018 में केंद्र सरकार दंड विधि अधिनियम में संशोधन करके 12 साल से कम आयु बालिका के साथ बलात्कार करने के आरोपी को मृत्यु दंड और कड़े जुर्माने का प्रावाधन किया था। इस अधिनियम में के संशोधन के अनुसार यौन संबन्धी मामलों में जांच की निगरानी और उसे ट्रैक करने के लिए यौन अपराध जांच ट्रैकिंग प्रणाली नामक एक ऑनलाइन विश्लेषणात्मक टूल शुरू किया जा। वहीं राज्यों कमो एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल की स्थापना करने के भी निर्देश हैं, लेकिन प्रदेश में अभी तक इस सेल की स्थापना न होने की पुष्टि खुद गृहमंत्री अनिल विज कर चुके हैं। 
पैसा कमाने का जरिया बनी बालिकाएं 
प्रदेश में पिछले तीन साल में अपहरण के शिकार बच्चों में सबसे ज्यादा 2482 नाबालिगों बालिकाओं को बेचने के लिए अपराध का शिकार बनाया गया। इनमें साल 2020 में उठाई गई 787 लड़कियों के अपरहण के मामले दर्ज हैं, जबकि इससे पहले दो सालों में यहं संख्या 800 से ज्यादा रही। वर्ष 2020 में सबसे ज्यादा कि पिछले दो सालों की अपेक्षा ऐसी बच्चियों की संख्या में मामूली कमी रही है। प्रदेश के फरीदाबाद जिले में सबसे ज्याद ज्यादा 425 बच्चों के अपहरण की घटनाओं में 118 बालिकाएं बेचने के इरादे से गायब की गई। इसके बाद पानीपत से साल 2020 के दौरान 365 बच्चों का अपरहण हुए। इसके अलावा यौन अपराध के लिए भी बच्चों को अपरण का शिकार बनाया गया। प्रदेश में साल 2020 में 545 बच्चों का अपरहण केवल यौन अपराध के मकसद से किया गया, जिनमें 11 बालक भी शामिल हैं। प्रदेश में बच्चों के साथ अपराध के बढ़ते मामलों में 50 फिसदी से ज्यादा अपहरण के मामले सामने आ रहे हैं। बच्चों का अपहरण ज्यादातर गलत काम के लिए किया जा रह है, जिनमें सर्वाधिक नाबालिग लड़कियां शामिल हैं। 
सबक सिखाने में भी बच्चा मोहरा 
प्रदेश में बच्चों को अपराध का शिकार बनाने के लिए उनका अपहरण करने के पीछे आरोपियों का रंजिशन मामले भी सामने आए हैं। प्रदेश में इसी साल की घटनाओं को देखें तो कैथल में बाप ने ही बेटे का अपहरण करा दिया। पानीपत में निर्माण ठेकेदार ने 600 रुपये न चुकाने पर मजदूर के चार साल के बच्चे का का अपहरण किया। वहीं अंबाला में एक 14 वर्षीय बच्चे ने इसी साल जुलाई में एक्टर बनने की चाह में खुद ही अपहरण की कहानी गढ़ी, तो वहीं हिसार जिले में फिरौती के लिए बच्चे के अपहरण में पुलिस की तत्परता सामने आई। ऐसी कई घटनाएं हैं, जहां रंजिशन भी बच्चों के अपहरण का कारण बन रही हैं। एक विश्लेषण के आधार पर यह भी कहा जा सकता है कि बच्चों के खिलाफ अपराध में शामिल ज्यादातर अपने जानकार ही होते हैं, जिन्हें बच्चा पहले से पहचानता है। हालांकि बच्चों को गायब करके उन्हें गलत काम में धकेलकर पैसा कमाने का मकसद पूरा करने वाले गिरोह के सक्रीय होने से भी इंकार नहीं किया जा सकता। सबसे चिंताजनक पहलू ये है कि प्रदेश में अपहरण की शिकार बालिकाएं हो रही है और वह भी बचने के मकसद से। इसके अलावा आंकड़े बताते हैं कि बच्चों का अपहरण हत्या, फिरौती वसूलने, मानव तस्करी, वैश्यावृत्ति, यौन अपराध, भीख मंगवाने, जबरन नाबालिग लड़कियों से शादी करने जैसे गैर कानूनी कामों के लिए किये जा रहे हैं। 
अपराध में पीछे नहीं नाबालिग 
प्रदेश में नाबालिग भी अपराध करने में पीछे नहीं हैं। यदि पिछले तीन सालों के आंकड़ो पर गौर करें तो प्रदेश में बलात्कार और कुकर्म के पोक्सो एक्ट के तहत 3349 मामले दर्ज किये गये। इनमें 3170 बालिकाओं और 175 बालकों को शिकार बनाया गया। जबकि पोक्सो एक्ट के तहत तीन सालों में 499 बालिकाओं को यौन शोषण का शिकार बनाया गया, इनमें 8 बालक भी शामिल रहे। साल 2020 के दौरान 1032 बालिकाओं को दुष्कर्म और 69 बालकों को कुकर्म का शिकार बनाया गया। सबसे ज्यादा 12 से 18 साल तक के 943 नाबालिगों को दुष्कर्म और कुकर्म का शिकार बनाया गया, जबकि 12 साल से कम आयु के 160 बच्चे पीड़ित रहे। 
किस पर करें भरोसा 
प्रदेश में तीन साल के आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं कि बच्चों के साथ अपराध को अंजाम देने वालों में करीब 98 फीसदी से ज्यादा अपने जानकार ही होते हैं। मसलन बच्चों गलत मकसद से अपना शिकार बनाने वालों में शामिल 6578 में से 6470 आरोपी पीडित परिवार के सदस्य, दोस्त, रिश्तेदार या रूम पार्टनर शामिल रहे हैं। बाकी अनजान लोग आरोपी सामने आए। साल 2020 की बात की जाए तो 2174 आरोपियों में 2146 आरोपी ऐसे ही जानकार रहे, जिनके खिलाफ मुकदमे विचाराधीन हैं। 
रंजिशन झूठे मामले भी बढ़े 
प्रदेश में वर्ष 2020 के दौरान बच्चों के खिलाफ अपराध के 1975 मामलो को जांच के बाद सबूतों और गवाहों के अभाव में फाइनल रिपोर्ट लगाकर झूठा साबित किया है, जबकि 291 मामले अभी अनसुलझे हैं। पिछले तीन साल की बात की जाए तो प्रदेश में अब तक ऐसे 6378 मामले झूठे साबित हुए, जबकि 1037 मामले अभी तक सुलझ नहीं पाए। प्रदेश की पुलिस ने इन तीन सालों 2018-20 के बीच कुल 14284 मामलों की जांच निपटाई है और 6076 मामलों में अदालत में आरोप पत्र दाखिल किये हैँ। इसमें साल 2020 के 1835 चार्जशीट भी शामिल हैं। 
अदालतों में लंबित मामलों का अंबार 
प्रदेश में बच्चों के खिलाफ अदालत पहुंचे मामलों के निपटान के लिए भी तेजी आ रही है, लेकिन इसके बावजूद दिसंबर 2020 तक अदालतों में 16985 मामले लंबित पड़े हुए हैं। पिछले तीन सालों में अदालतों में 3429 मामलों का निपटान किया गया। इनमें साल 2020 के दौरान कोराना की वजह से महज 301 मामलों का ही निपटान हो सका। जबकि साल 2019 में 1547 तथा 2018 में 1581 मामलों का निपटान किया गया। 
दोषियों से ज्यादा हुए बरी 
प्रदेश में बच्चों के अपराधों से संबन्धित मामलों में अदालत की कार्रवाई में पिछले तीन सालों में जहां नौ महिलाओं समेत 1182 आरोपियों पर दोष साबित हुए हैं, वहीं इस दौरान 51 महिलाओं समेत 3231 आरोपियों को सबूतों व गवाहों के अभाव में बरी किया गया है। जबकि इन तीनों सालों में बच्चों के खिलाफ अपराध करने के आरोप में 9168 व्यक्तियों की गिरफ्तारियां की गई थी और 207 महिलाओं समेत 8960 आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल हुए थे। 
आयोग भी सतर्क 
हरियाणा राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग में भी बच्चों को न्याय दिलाने के लिए शिकायते पहुंची हैं। आंकड़ो के अनुसार पिछले पांच साल में पहुंची 1663 शिकायतों में आधे से ज्यादा 833 शिकायतों का निपटारा किया गया है। इनमें सबसे ज्यादा 762 शिकायतें वर्ष 2019-21 के दौरान आयोग को मिली, जिनमें से इन दो सालों में 412 का निस्तारण किया गया। 
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  हरियाणा में बच्चों का अपहरण(2020) 
जिला       अपहरण       लापता  शादी के लिए   खरीदफरोख्त 
अंबाला         81            0              1                 22 
भिवानी         14           0             0                  12 
फरीदाबाद   425          0              0                 118 
फतेहाबाद     48           0              0                  29 
गुरुग्राम 137 14 0 72 
हिसार 50 0 2 43 
झज्जर 102 0 30 0 
जींद 39 0 0 31 
कैथल 64 0 0 44 
करनाल 116 0 0 84 
कुरुक्षेत्र 0 0 0 0 
महेन्द्रगढ़ 29 0 0 14 
नूहं 32 0 0 20 
पलवल 36 0 3 32 
पंचकूला 20 0 20 0 
पानीपत 365 0 31 32 
रेवाडी 28 0 0 28 
रोहतक 192 0 1 46 
सिरसा 63 0 0 63 
सोनीपत 82 0 0 78 
यमुनानगर 197 70 46 0 
चरखी दादरी 9 0 0 9 
हांसी 16 0 0 10 
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कुल 2145 84 134 787 
नोट: साल 2020 के दौरान इसके अलावा मानव तस्करी के लिए 6, हत्या के लिए 3, फिरौती के लिए 3, वैश्यावृत्ति के लिए अपहरण का एक मामला दर्ज। 
11Oct-2021

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