शनिवार, 1 जून 2024

हॉट सीट केंद्रपाड़ा: भाजपा व बीजद बीच वर्चस्व की सियासी जंग

भाजपा के बैजयंत पांडा के सामने पिछली हार का बदला चुकता करने का मौका 
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली। ओडिशा की केंद्रपाड़ा लोकसभा सीट पर एक जून शनिवार को दिलचस्प चुनाव होने के आसार है, जहां सत्तारुढ़ बीजद और भाजपा अकेले दम पर चुनाव मैदान में है। बीजद ने यहां से मौजूदा सांसद एवं ओडिया फिल्म अभिनेता अनुभव मोहंती का टिकट काटकर कांग्रेस छोड़कर आए अंशुमन मोहंती को नए चेहरे के रुप में चुनावी जंग में उतारा है। जबकि भाजपा ने इस सीट से दो बार सांसद रह चुके बैजयंत जय पांडा को एक बार फिर से प्रत्याशी बनाकर चुनावी जंग में उतारा है। इस सीट पर पिछले छह दशकों से जीत का इंतार करने वाली कांग्रेस ने यहां एक बार फिर से सिद्धार्थ स्वरुप दास को प्रत्याशी बनाकर किस्मत आजमाई है। हालांकि इस सीट पर मुख्य मुकाबला भाजपा और बीजद प्रत्याशी के बीच ही माना जा रहा है, लेकिन बसपा ने इस चुनाव को त्रिकोणीय जंग बनाने के मकसद से अपना मजबूत प्रत्याशी उतारा है। इस बार के चुनाव में भाजपा के बैजयंत पांडा के लिए पिछले चुनाव की हार का बदला चुकता करने का मौका है। यह तो चुनावी नतीजों से ही तय होगा कि इस सीट पर किस दल का प्रत्याशी बाजी मारेगा? 
ओडिशा में भाजपा और सत्तारुढ़ बीजद मिलकर चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन बीजद ने ऐनवक्त पर अकेले दम पर चुनाव लड़ने का फैसला किया। इस पर भाजपा ने भी अकेले दम पर बीजद की रणनीति को चुनौती देने के लिए तमाम ताकत झोंक दी। लोकसभा के साथ यहां विधानसभा सीटों के लिए भी हो रहे चुनाव में भी भाजपा ने राज्य की सत्ता परिवर्तन के लक्ष्य से अपने उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा है। इसलिए ओडिशा में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव बेहद दिलचस्प और रोमांचक समीकरण में बदल गये। भाजपा के लिए केंद्रपाड़ा लोकसभा की सीट अत्यंत महत्वपूर्ण है, जहां बीजद के टिकट पर लगातार दो बार सांसद रह चुके बैजयंत जय पांडा पर दूसरी बार भरोसा जताया है, जो पिछला चुनाव हार गये थे। केंद्रपाड़ा लोकसभा क्षेत्र के दायरे में आने वाली सात विधानसभा क्षेत्रों में कटक जिले के सालीपुर, महांगा और केंद्रपाड़ा जिले की पटकुरा, केंद्रपाड़ा, औल, राजनगर, महाकालपाड़ा विधानसभा सीट आती हैं, जिन पर फिलहाल बीजद के विधायक काबिज हैं। चूंकि लोकसभा के साथ इन सातों सीटों पर भी एक जून को मतदान होना है, तो भाजपा इन दानों स्तर के चुनावों में बीजद को कड़ी चुनौती दे रही है। इस सीट पर भाजपा, बीजद, कांग्रेस और बसपा के अलावा कई छोटे दलों और तीन निर्दलीयों समेत कुल दस प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। गौरतलब है कि केंद्रपाड़ा लोकसभा सीट पर आजादी के बाद पहले चुनाव की जीत के बाद कांग्रेस आज तक जीत दर्ज नहीं कर पाई है। 
चुनावी इतिहास 
ओडिशा की केंद्रपाडा लोकसभा सीट पर आजादी के बाद पहले चुनाव 1952 से लेकर 2014 के बीच 18 चुनाव हो चुके हैं, जिसमें से छह बार बीजू जनता दल के सांसद निर्वाचित हुए हैं, जबकि चार बार जनता पार्टी, तीन-तीन बार जनता दल और प्रजा सोशलिस्ट पार्टी जीत हासिल कर चुकी है। पहले चुनाव में यहां कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी, लेकिन उसके बाद इस सीट पर कांग्रेस एक भी चुनाव नहीं जीत सकी है। इसके बाद यहां लगातार तीन बार प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के सुरेन्द्रनाथ द्विवेदी सांसद रहे। 1971 में यहां उत्कल कांग्रेस के सुरेन्द्र मोहंती ने बाजी मारी। जबकि 1977 से 1984 तक इस सीट पर बीजू पटनायक लगातार तीन बार जनता पार्टी के सांसद रहे। साल 1985 में यहां उपचुनाव में जनता पार्टी के सरत कुमार देब निर्वाचित हुए। जबकि 1989 और 1991 का चुनाव जनता दल के प्रत्याशी रबी रे तथा 1996 का चुनाव जीतकर श्रीकांत जेना ने जनता दल को जीत दिलाई। इसके बाद इस सीट पर बीजू जनता दल का युग शुरु हुआ और लगातार छह चुनाव इसी दल के प्रत्याशी जीतकर लोकसभा पहुंचे हैं। उनमें बीजद से दो बार सांसद रहे बैजयंत पांडा ने साल 2019 का चुनाव लड़ा, लेकिन वे बीजद के अनुभव मोहंती से पराजित हो गये थे। इस बार भजपा के टिकट से दूसरी बार इस सीट पर बैजयंत पांडा पिछली हार का बदला चुकता करने के मकसद से चुनावी जंग में हैं। 
मतदाताओं का चक्रव्यूह 
ओडिशा की केंद्रपाडा लोकसभा सीट पर दस प्रत्याशियों के सामने 17,92,723 मतदाताओं के चक्रव्यूह को भेदने की दरकार होगी। इसमें 9,27,182 पुरुष मतदाता और 8,65,541 महिला मतदाता हैं। संसदीय क्षेत्र में 18-19 आयुवर्ग के 42,189 नए युवा मतदाता पहली बार मतदान करेंगे। 
क्या है जातीय समीकरण 
केंद्रपाड़ा लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा करीब 50 फीसदी ओबीसी मतदाता हैं, जबकि 20.7 अनुसूचित जाति, 1.54 अनुसूचित जनजाति के अलावा मुस्लिम 6 फीसदी के अलावा बाकी अन्य जातियों के मतदाता हैं। खासबात ये है कि ओडिशा में करण जाति में पटनायक और मोहंती आते हैं, जिनकी आबादी करीब दस प्रतिशत होने के बावजूद ओडिशा की राजनीति में पिछले साढ़े चार दशक से इन्हीं का दबदबा है। 
01June-2024

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