सोमवार, 25 सितंबर 2023

पुस्तक समीक्षा: बहुआयामी साक्षात्कारों का अनूठा प्रतिबिंब

साहित्यकारो एवं संस्कृतिकर्मियों के कृतित्व का उल्लेख 
पुस्तक: प्रतिबिंब 
लेखक: ओ.पी.पाल 
प्रकाशक: चाणक्य वार्ता प्रकाशन समूह,नई दिल्ली 
मूल्य: 750 रुपये 
पृष्ठ: 311 
समीक्षक-सत्यवीर नाहड़िया 
 हिंदी साहित्य में साक्षात्कार विधा का प्राचीन काल से अपना मौलिक महत्व रहा है। साहित्यकारों तथा संस्कृतिकर्मियों से बातचीत न केवल उनके बहुआयामी व्यक्तित्व एवं कृतित्व का रेखांकन होता है,अपितु संबंधित विधाओं तथा क्षेत्रों के संदर्भ में भी प्रासंगिक अनछुई जानकारियां तथा रोचक संस्मरण अनायास इसका हिस्सा हो जाते हैं। अच्छे साक्षात्कार में उपरोक्त बिंदुओं के अलावा संबंधित संदर्भ से जुड़े अनेक ऐसे पक्ष स्वत: शामिल हो जाते हैं, जो साहित्य एवं संस्कृति को दिशा प्रदान करते हैं। आलोच्य कृति प्रतिबिंब में साक्षात्कार विधा के तमाम मूलभूत तत्वों को सहज ही महसूस किया जा सकता है। वरिष्ठ पत्रकार ओ.पी. पाल के रचनात्मक लेखन से उपजे इस नवप्रकाशित साक्षात्कार संग्रह में विभिन्न विधाओं में अपनी मौलिक पहचान रखने वाले हरियाणा प्रदेश के पचास रचनाकारों तथा संस्कृतिकर्मियों को शामिल किया गया है। एक ओर जहां इस संग्रह में हरियाणा साहित्य अकादमी की विभिन्न साहित्यिक पुरस्कारों से अलंकृत विभिन्न विधाओं के पर्याय कहे जाने वाले वरिष्ठ रचनाकारों को स्थान दिया गया है, वहीं प्रदेश की अनूठी सांस्कृतिक विरासत को सहेजने में जुटे संस्कृतिकर्मियों तथा कलाकारों को भी मंच प्रदान किया गया है। इन साक्षात्कारों की एक अन्य विशेषता यह भी है कि सभी साक्षात्कार वैज्ञानिक दृष्टिकोण एवं विश्लेषण के साथ एक खास फॉर्मेट में लिखे गए हैं, जिसमें रचनाकार के जीवनवृत्त, विचारधारा के अलावा उनकी रचनाधर्मिता, पुरस्कारों तथा व्यक्तिगत विवरण बेहद विस्तार से दिया गया है, जिसमें विभिन्न अवसरों के यादगार छायाचित्र साक्षात्कार को चार चांद लगाने में सफल रहे हैं। इन साक्षात्कारों में संबंधित बहुआयामी व्यक्तित्व एवं कृतित्व के अलावा साहित्य एवं संस्कृति के क्षेत्र में समसामयिक चुनौतियों, बदलावों, अपेक्षाओं, जरूरतों पर आधिकारिक टिप्पणियां उनकी प्रासंगिकता को दिशाबोध प्रदान करते हैं। साहित्य की विभिन्न विधाओं के अलावा रंगमंच, गायन,वादन आदि सांस्कृतिक पक्षों से जुड़े विशेषज्ञों के समर्पण एवं अनुभवों से लोक सांस्कृतिक विरासत के अनेक अनछुए पहलू इन साक्षात्कारों में उजागर हुए हैं। साहित्य के क्षेत्र में जिन रचनाकारों को इस संग्रह में शामिल किया गया है, वे अपने आप में स्वनाम धन्य साधक हैं, जिनमें डॉ जय भगवान गोयल, डॉ. चंद्र त्रिखा, डॉ. कमल किशोर गोयनका, प्रो. लालचंद गुप्त 'मंगल', माधव कौशिक, चंद्रकांता, ज्ञानप्रकाश विवेक, डॉ. पूर्णचंद शर्मा, रामफल चहल, डॉ. संतराम देशवाल, सुदर्शन रत्नाकर, डॉ दिनेश दधीचि, रवि शर्मा, प्रो. रूप देवगण, रोहित यादव, विकेश निझावन, कमलेश मलिक, राजकुमार निजात, डॉ. सुभाष रस्तोगी, रघुविंद्र यादव, डॉ.अशोक बत्रा, राजेंद्र गौतम, सविता चड्ढा, हरिकृष्ण द्विवेदी, डॉ.विनोद बब्बर, प्रेम देहाती, डॉ. बालकिशन शर्मा, डॉ. घमंडीलाल अग्रवाल, डॉ. शील कौशिक, विजय भाटोटिया, महेंद्र शर्मा, डॉ अशोक भाटिया, हरविंद्र मलिक, रमाकांत शर्मा, अर्चना सुहासिनी, सत्यवीर नाहड़िया,अमरजीत 'अमर', सतीश वत्स ,वीएम बेचैन, प्रो. राजेंद्र बडगूजर, आशा खत्री 'लता', गुलशन मदान, मनजीत सिंह, रामफल गौड़, दिनेश शर्मा, सुभाष नगाड़ा, नंदिनी, दलबीर 'फूल' राजेश भारती आदि उल्लेखनीय हैं। कलात्मक आवरण, सुंदर छपाई, प्रदेश के महामहिम राज्यपाल व मुख्यमंत्री के संदेश आदि पक्ष इस कृति के अतिरिक्त खूबियां कही जा सकती हैं, किंतु पृष्ठ 38 पर तीसरा फोटो प्रासंगिक नहीं है। कुल मिलाकर दैनिक हरिभूमि समाचार पत्र के साप्ताहिक स्तंभ के रूप में छपे इन साक्षात्कारों को पुस्तकाकार देने हेतु लेखक ने अतिरिक्त मेहनत की है, जो साफ नजर आती है तथा प्रभाव छोड़ती है। यह साक्षात्कार संग्रह हरियाणा प्रदेश के साहित्यकारों एवं साहित्यकर्मियों पर शोध कार्यों हेतु आधार सामग्री का काम करेगा तथा शीघ्र इसका दूसरा भाग भी प्रकाश में आएगा-ऐसा विश्वास है। 
25Sep-2023

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