सोमवार, 3 अप्रैल 2023

चौपाल: हरियाणवी संस्कृति की अलख जगाते रागनी गायक गुलाब सिंह खण्डवाल

सामाजिक सरोकार के मुद्दो पर लिखे गीतो ने दी लोक कलाकार की पहचान 
-व्यक्तिगत परिचय- 
नाम: गुलाब सिंह खण्डवाल 
जन्मतिथि: 20 मार्च 1961 
जन्म स्थान: भलौठ, जिला रोहतक(हरियाणा) 
माता: श्रीमती भरपाई देवी 
पिता: श्री धर्मचन्द 
गुरुजी: श्री सत्यनारायण वशिष्ठ 
शिक्षा: मैट्रिक 
संप्रत्ति:पूर्व कलाकार, लोक संपर्क विभाग एवं पूर्व सांस्कृतिक संयोजक खेल एवं युवा कार्यक्रम विभाग हरियाणा। 
विशेष: लोक गायन मे आकाशवाणी द्वारा ए+ ग्रेड गायक की मान्यता। 
संपर्क: विशाल नगर, रोहतक(हरियाणा), मोबा.-9896585794/9996591618 
BY-ओ.पी. पाल 
रियाणवी लोक कला एवं संस्कृति की वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने के लिए हरियाणा के लोक कलाकार व गायक अपनी विभिन्न शैलियों के प्रदर्शन की बदौलत आगे बढ़ रहे हैं। ऐसे ही लोक कलाकार गुलाब सिंह खण्डवाल अपने गीत लेखन और रागनी गायन शैली से प्रदेश की संस्कृति के संवर्धन करने में जुटे हुए हैं। समाज को अपनी परंपरागत सभ्यता, रीति रिवाज और संस्कृति के प्रति प्रेरित करने के मकसद से इस लोक कलाकार ने भी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर अपनी लोकप्रियता हासिल की है। देशभक्ति, अध्यात्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक आधार पर अपनी कला के प्रदर्शन की बदौलत ही उन्होंने ‘ए प्लस’ गायक कलाकार की मान्यता हासिल करके हरियाणा के आकाशवाणी केंद्रों पर ही नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश जैसे कई राज्यों के आकाशवाणी केंद्र पर अपनी रागनी शैली की प्रतिभा को प्रदर्शित किया है। लोक संपर्क विभाग हरियाणा रोहतक में लोक कलाकार एवं तीन खेल व युवा कार्यक्रम विभाग में युवा सांस्कृतिक संयोजक पद से सेवानिवृत्त गुलाब सिंह खण्डवाल ने हरिभूमि संवाददाता से हुई बातचीत के दौरान लोक कला के क्षेत्र में अपनी रागनी गायन शैली को लेकर अनुभवों का साझा किया। 
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प्रदेश के रोहतक जिले के भालौठ गांव में धर्मचन्द के परिवार में 20 मार्च 1961 को जन्मे गुलाब सिंह खण्डवाल को लोक गायकी एक प्रकार से परिवार से विरासत में मिली है। उनके दादा चंदगीराम आल्हा गाते थे। उस समय गांव में कोई सुविधाएं तो नहीं थी, लेकिन दादा के साथ उनके माता पिता यानी परिवार एक कीर्ततन पार्टी में आध्यात्मिक आयोजन में गाया करते थे। बचपन में वह भी उनके साथ जाने लगा और गायन के प्रति उनका भी रुझान बढ़ने लगा। गुलाब सिंह ने बताया कि जब वह कक्षा चार व पांच में थे तो गांव के स्कूलों में हर शनिवार को बाल सभा होती थी, जिसमें दो चार लाइन लिखकर वह भी सुनाने लगे। इस प्रकार गायकी में रुचि बढ़ती गई। स्कूल में शिक्षकों को उनकी आवाज और गाने का अंदाज इतना पसंद आने लगा, कि वे स्कूल में मंच पर उसके गाने के लिए बुलाने लगे, तो इससे गायन के लिए उनका आत्मविश्वास बढ़ना स्वाभाविक था। आज राष्ट्रीय स्तर पर एक लोक कलाकार के रुप में पहचाने जा रहे गुलाब सिंह खण्डवाल ने बताया कि वह भले ही मैट्रिक तक की शिक्षा हासिल कर पाए हों, लेकिन उन्होंने अपनी गायन शैली को परिपक्व बनाने के लिए गांव के ही सत्यनारायण वशिष्ठ को अपना गुरु बनाया, जो उस समय आकाशवाणी के कलाकार थे। गुरु वशिष्ठ के सानिध्य में उन्होंने गीत लिखने और गायन की तकनीकियां और तौर तरीके सीखकर अपने आपको आगे बढ़ाया और आज वे एक लोक कलाकार के रुप में पहचाने जा रहे हैं। आकाशवाणी केंद्र रोहतक से सन 1977 से लोक गायक स्वर परीक्षा में उत्तीर्ण व 1975 से दिल्ली आकाशवाणी व दूरदर्शन(कृषि दर्शन) में प्रस्तुति देने वाले गुलाब सिंह को आकाशवाणी केंद्र रोहतक से ए+ श्रेणी के कलाकार के रुप में मान्यता मिली, जिस पर उन्हें अपनी लोक गायन शैली की साधना से संतुष्टि मिली। उन्होंने अपने गुरु सत्यनारायण वशिष्ठ के साथ दूरदर्शन और आकाशवाणी पर इससे पहले भी अपनी गायन शैली का प्रदर्शन किया। धीरे धीरे रुकावट और बाधाओं की परवाह किये बिना संगीत के क्षेत्र में भी गाना शुरू कर दिया। उन्होंने हरियाणवी फिल्म खानदानी सरपंच, कुणबा, चाप सिंह आदि में गायक व अभिनय की भूमिका भी निभाई है। 
सीमा पर सैनिकों का बढ़ाया हौंसला 
लोक संपर्क विभाग हरियाणा में लोक कलाकार के अलावा खेल एवं युवा कार्यक्रम हरियाणा में करीब तीन दशक तक सांस्कृतिक संयोजक पद से सेवानिवृत्त गुलाब सिंह खण्डवाल की लोक गायकी का फोकस जनता से जुड़े मुद्दो, किसानों, संस्कृति, सभ्यता, रीति रिवाज, सामाजिक समस्याओं और सामाजिक सरोकार से जुडे विभिन्न मुद्दो पर तो रहा ही है। वहीं उन्होंने देशभक्ति, अध्यात्म, जनकल्याण, साक्षरता अभियान जैसी सरकारी अभियानों को लेकर भी अपने गीतों के जरिए जनता को जागरुक करने का प्रयास किया है। सरकार के साक्षारता अभियान में उन्होंने 1991 के दौरान प्रदेशभर में एक जत्थे के साथ काम किया है। उन्होंने सांग और संगीत में भी रागनियां प्रस्तुत की हैं। उन्होंने बताया कि भारतीय सेना के सीमाओं पर तैनात जवानों के लिए हरियाणवी रागनियां व गीतों को सुनने के लिए उन्हें लगातार बुलाया जाता रहा है, जिसमें कई बार लेह लद्धाख में देशभक्ति पर आधारित रागनियों का गायन करके जवानों के हौंसले बढ़ाने का प्रयास किया है। इसके अलावा उन्होंने भारतीय सेना में फौजी भाईयों के लिए असम, बीनागुडी, बाडमेर, जैसलमेर, झांसी, जबलपुर आदि क्षेत्रों में निशुल्क सेवा रागनी शैली का प्रदर्शन किया है। 
हरियाणवी लोक संस्कृति का डंका 
एक लोक गायक के रुप में हरियाणवी संस्कृति की अलख जगाने में गुलाब सिंह खण्डवाल ने जहां लाहौर (पाकिस्तान) और काठमांडू (नेपाल) में अपनी रागनी शैली का प्रदर्शन किया। उन्होंने हिमाचल प्रदेश, पंजाब, गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश आदि राज्यों में आकाशवाणी और विभिन्न सांस्कृतिक मंचों पर रागनी गायन शैली से हरियाणवी लोक संस्कृति का डंका बजाया है। खण्डवाल की प्रसिद्ध रागनियों में सुपने में सुसराड डिगरम्या बांध कै साफा खाकी, याद अंगूरी आगी, या साडी किसकी जयमल कडे तै मंगाई, रावण रावण होरी आदि सुर्खियों में हैं और अब तक यूट्यृब पर भी उनकी 200 से ज्यादा रागनियां रिकार्ड हो चुकी हैं। 
संस्कृति से जुड़ने का संदेश 
प्रसिद्ध लोक कलाकार व गायक गुलाब सिंह खण्डवाल ने आज के आधुनिक युग में लोक संस्कृति और पंरपराओं को जीवंत रखने की चुनौती को लेकर कहा कि समय के साथ सब कुछ बदलना एक स्वाभविक घटना है, लेकिन अपनी संस्कृति की जड़ो को कभी नहीं भूलना चाहिए। आज के लोक कलाकार शॉर्टकट रुप से लोकप्रियता हासिल करने के फेर में अपनी परंपराओं संस्कृति से दूर होकर पाश्चत्य संस्कृति की जद में जा रहे हैं, जो भारतीय संस्कृति और लोककलाओं की परंपराओं के लिए खतरे से कम नहीं है। इसलिए नए कलाकारों को इस बाजारीकरण के बढ़ते प्रभाव के बावजूद अपनी कला को चमकाने के लिए साधना करना जरुरी है, जिससे उन्हें लोकप्रिता और सम्मान भी मिलेगा और सामाज को नई दिशा देने के मकसद को भी पूरा कर सकते हैं। 
सम्मान व पुरस्कार 
हरियाणा के लोक गायक गुलाब सिंह खण्डवाल ने रागनी गायन शैली से लोक संस्कृति के संवर्धन और प्रोत्साहन के लिए जो योगदान दिया है, उसके लिए उन्हें हरियाणा सरकार ने साल 2012 में राज्य पुरस्कार(फौजी जाट मेहर सिंह) सम्मान से नवाजा था। वहीं हरियाणा इंस्टीट्यृट ऑफ फाइन आर्ट (हिफा) करनाल लोक संस्कृति के क्षेत्र में हरियाणा लब्ध प्रतिष्ठित देदी प्यमान नक्षत्र को उनकी विशिष्ठ उपलब्धियों एवं श्लाघनीय योगदान हेतु खण्डवाल को कर्मभूमि सम्मान से अलंकृत किया है। वहीं हरियाणा कला परिषद में कृति कला केंद्र द्वारा उन्हें हरियाणा हेरिटेज अवार्ड से सम्मानित किया है। हाल ही में उन्हें रास कला मंच की ओर से सुपवा के वीसी गजेन्द्र सिंह चौहान ने सूर्य कवि पं. लखमी चंद रास रंग सम्मान से नवाजा है। हरियाणा के मुख्यमंत्री, राज्यपालों के अलावा उन्हें देश के विभिन्न राज्यों में विभिन्न साहित्यिक एवं लोक कला संस्कृति संस्थाएं सैकड़ो पुरस्कार देकर सम्मानित कर चुकी हैं। 
03Apr-2023

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