सोमवार, 17 अप्रैल 2023

चौपाल: हरियाणवी फिल्मो से लेकर वॉलीवुड तक गीतकार कृष्ण भारद्वाज का डंका

गीतकार के साथ विभिन्न शैली और विधाओं में गीत लेखन में हुए लोकप्रिय 
व्यक्तिगत परिचय 
नाम: कृष्ण भारद्वाज 
जन्मतिथि: 28 अगस्त 1967 
जन्म स्थान: ग्राम पाई, जिलाकैथल (हरियाणा), वर्तमान-भिवानी (हरियाणा) 
शिक्षा: स्नातक(बीए)
संप्रत्ति: सेवानिवृत्त जूनियर वारंट आफिसर(भारतीय वायु सेना), फिल्म अभिनेता एवं लोक कलाकार। 
पिता का नाम: श्री राम स्वरुप शास्त्री वेदाचार्य (मुख्याध्यापक वैश्य स्कूल भिवानी) 
माता का नाम: श्रीमती सावित्री देवी (घरेलू महिला) 
संपर्क: भिवानी(हरियाणा), मोबा.98331 69727 

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BY--ओ.पी. पाल 
रियाणा की लोक कला एवं संस्कृति देशभर में ही नहीं, बल्कि विदेशों तक लोकप्रिय हो रही है और इसका श्रेय सूबे के लोक कलाकारों, लेखकों, गीतकारों और लोक गायको की अपनी कला के बेहतर प्रदर्शन को जाता है। ऐसे ही हरियाणा के गीतकार एवं गीत लेखक कृष्ण भारद्वाज ने हरियाणवी फिल्मों से लेकर बॉलीवुड फिल्मो और लोकप्रिय धारावाहिक सीरियलों के लिए गीत लिखकर संगीत के क्षेत्र में अहम भूमिका निभाई है। उनके गायन और गीत लेखन की यह भी विशेषता रही कि वे आंचलिक शब्दों का इस्तेमाल और उन्हें नए ढंग से प्रस्तुत करने का प्रयास करते रहे। अपनी विभिन्न शैली में गीतों के लेखक और गायक के रुप में भारतीय वायु सेना की सेवा के दौरान भी अपनी एक अलग पहचान बनाई। उन्होंने फिल्मी, सांस्कृतिक, सामाजिक के अलावा धार्मिक गीत लेखन में भी लोकप्रियता हासिल की है। हरियाणवी संस्कृति को प्रोत्साहन देते आ रहे फिल्मी क्षेत्र में ‘भाई जी’ के नाम से प्रचलित रहे कलाकार कृष्ण भारद्वाज ने हरिभूमि संवाददाता से हुई बातचीत में भारतीय वायु सेना में वारंट आफिसर से लेकर गीत संगीत तक के सफर के अनुभवों को साझा किया। 
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रियाणा की छोटी काशी के रुप में पहचाने जाने वाले भिवानी के गीत लेखक एवं गायक कृष्ण भारद्वाज का जन्म 28 अगस्त 1967 को कैथल जिले के ग्राम पाई के मूल निवासी वेदाचार्य राम स्वरुप शास्त्री के परिवार में हुआ। उनके पिता पिता राम स्वरुप शास्त्री वेदाचार्य वैश्य स्कूल भिवानी में अध्यापक थे, जो स्कूल में पढ़ाने जाने से पहले सुबह सुबह सीता राम केसरी संस्कृत विद्यालय भिवानी में बच्चों को वेद इत्यादि की शिक्षा देते थे। हरियाणा में वेदाचार्य एक मात्र ऐसे व्यक्तित्व थे, जिन्हें दो दशकों तक हरियाणा में ‘रामस्वरूप शास्त्री हरियाणा’ के नाम से अग्रणी ज्योतिषाचार्य के रूप लोकप्रिय रहे। कृष्ण भारद्वाज ने बताया कि पिता स्कॉलर और माता अनपढ़ होने के बावजूद दोनों शब्दों का ज्ञान और लोकगीत और उत्सवों के गीत में महारथ थे। परिवार में हम सभी छह भाई और एक बहनों में देवकृपा से कमोबेश कलाकारी शायद घर में संगीतमय पूजा के चलन से भरी हुई थी। घर के ऐसे माहौल में माँ की कला और पिता के ज्ञान के संगम से उन्हें बचपन से गायन का शौक रहा। इसका नतीजा ये था कि जब उन्हें कक्षा चार में पहली बार स्कूल में भजन प्रस्तुत करने का मौका मिला तो उन्हें प्रथम पुरस्कार ने आगे जाने का हौंसला दिया। इस प्रकार गायन कला के प्रति बढ़ते रुझान के साथ वह सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने लगे। स्कूल में कक्षा छह से ग्याहरवी तक लगातार भिवानी के वैश्य स्कूल में प्रार्थना गायन करने सौभाग्य तो मिला, वहीं स्कूल की सांस्कृतिक टीम में निरंतर और चार साल समूहगान और समूह नृत्य की स्टेट विनर टीम का हिस्सा रहा। इसके बाद वैश्य कॉलेज और अन्तर विश्वविद्यालय प्रतियोगिताओं में बेहतर कला को सराहा गया। गायन के साथ एकल कविता पाठ और गायन में भी उन्हें अनेक पुरस्कार मिले। जहां तक उनके गीत व कविता लेखन का सवाल है, उन्होंने कक्षा दसवीं के दौरान पहली बार कविता लिखी, जिसकी प्रस्तुति नेहरू युवा केंद्र के राष्ट्रीय कार्यक्रम में दी और उसके बाद उनके गीत लेखन ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। 
यहां से मिली मंजिल 
मुंबई में 1998 से 2003 के दौरान वायु सेना में रही तैनाती के दौरान ही वर्ष 2000 में रवि किशन और पूजा डडवाल द्वारा अभिनीत एक हिंदी फिल्म ‘सिन्दूर की सौगंध’ और ‘होश’ में एक गाना लिखने का मौक़ा मिला और फिर टी-सीरीज ने अपने कुछ धार्मिक एलबम्स लिखवाये। इसी दौरान एक लघु फिल्म ‘बर्फ़ का दर्द’ और शक्ति, ओ डार्लिंग ये है इंडिया, सितारों का सफ़र धारावाहिकों के गाने लिखने का भी मौका मिला। इसके साथ बढ़ते आत्मविश्वास के साथ उनकी गीत संगीत के क्षेत्र में पहचान बढ़ने लगी। लेकिन 2003 में उनका स्थानांतरण बीदर(कर्नाटक) हो गया। इस पर उनकी यादों में मुम्बई बस चुकी थी, तो वर्ष 2006 में वायुसेना से स्वेच्छा से सेवानिवृति लेकर अपने बचपन के शौंक गीत लेखन को व्यवसाय बनाने की ठान ली। 
हर शैली में गीत लेखन के महारथी 
गीतकार कृष्ण भारद्वाज ने बताया कि वर्ष 2007 में उन्होंने फिर मुम्बई का रुख़ कर लिया और जाते ही उन्हे सागर पिक्चर्स के बैनर तले ज़ी टीवी के धारावाहिक ‘अल्लादीन’ व ‘पृथ्वी राज चौहान’ धारावाहिक के कुछ गीत लिखने का अवसर मिला। मोती सागर जी उनके गीत लेखन से प्रभावित हुए और इसके बाद उन्होने अपने प्रोडक्शन के हर धारावाहिक के गीत लेखन का कार्य उन्हें दे दिया और इस दौरान उन्होंने धारावाहिक जयश्री कृष्णा, मीरा, भगवान स्वामी नारायण, शकुंतला, साईं बाबा और महावीर हनुमान के लिये गीत लिखे। जब उन्हें लगा कि उनकी छवि एक धार्मिक गीतकार की बनती जा रही है, तो उन्होंने यहां से कार्य छोड़कर हेमामालिनी जी के प्रोडक्शन के धारावाहिक ‘माटी की बन्नो’ और संजय दत्त और राज कुंद्रा के ट्रायल धारावाहिक ‘सुपर फ़ाईट लीग’ और धारावाहिक ‘जमाई राजा’ के भी कुछ गीत लिखे। इसके बाद फिर एक बार धारावाहिक शक्ति-2 व द्वारिकाधीश-2 में भी गीत लिखे। इस दौरान ही कुछ माध्यम बजट की हिंदी फ़िल्मों में भी गाने लिखे जिनमेंफ़िल्म ‘मानसून’, ‘मुरारी द मैड जैंटलमैन’, ‘माय फादर इक़बाल’ ‘लव ट्रैनिंग’ 21शुभ मुहूर्त’ ‘हिल व्यू विला’ कपिल शर्मा की फिल्म ‘फिरंगी’ में भी एक आईटम सोंग प्रचलित हुआ। कुछ आने वाली हिंदी फ़िल्में ‘लफ़ंगे’, ‘ग्राम परेशान पुर’, ‘मिस्टर एमबीए’ व चरित्रपथ जैसी फिल्मों में गीत लिख रहे हैं। 
हरियाणवी फिल्मों को दिये गीत 
गीतकार एवं गीत लेखकर कृष्णा भारद्वाज ने हरियाणवी फ़िल्म ‘पीहर की चुनरी’, ‘चित्त चोरणी’ ‘रुक्के पड़गे’ तथा सतरंगी (नेशनल अवार्ड 2016) के भी गीत लिखकर हरियाणवी लोककला व संस्कृति को सर्वोपरि रखा। राजस्थानी फिल्क गुलाबी नगर में भी योगदान करने वाले कृष्ण भारद्वाज के यू ट्यूब पर हिंदी और हरियाणवी के तकरीबन 75सोंग और भजन रिलीज़ हुए हैं, जिनमें दलेर मेहँदी और सपना चौधरी का बावली तरेड़, चाँद(संभावना सेठ व अविनाश द्विवेदी) प्रियांशु चौधरी का जाट और काला दुपट्टा तथा गगन कोकचा का चाँद और सोनपरी प्रमुख हैं। फिल्म निर्देशक अरविन्द स्वामी की हरियाणवी फ़िल्म ‘युद्दवीर’ के लिए भी लिख रहे हैं और कुछ हरियाणवी वेब सीरीज में कृष्णा भारद्वाज गीतों का लेखन करने में जुटे हैं। 
वायु सेना में लगा विराम 
प्रसिद्ध गीतकार व लेखक कृष्ण भारद्वाज का 1986 में वायु सेना में चयन हो गया, जिनके लेखन पर बेलगाँव (कर्नाटक) में चले प्रशिक्षण के कारण विराम लगा, लेकिन काम के समय भी उन्हें गुनगुनाने का शौंक तो था। वायु सेना में एक रात जब वह गुनगुना रहे थे, तो तेज आवाज पर अनुशासन प्रभारी वहां पहुंचे और सुबह रिपोर्ट करने को कहा तो वह सजा पाने के भय से रातभर सो नहीं पाए। लेकिन हुआ इसके विपरीत और अगले दिन प्रभारी ने उन्हें पूरी टुकड़ी के सामने कुछ सुनाने को कहा और उन्होंने डरते हुए सुनाया, जिस पर खूब वाहवाही मिली और उनके प्रभारी ने उन्हें सांस्कृतिक कार्यक्रम के हेड के पास अपना नाम लिखवाने को कहा। मसलन वायु सेना की सेवा में उन्हें उनकी कला को परखने का बेहतर मौका ही नहीं मिला, बल्कि वायुसेना के कार्यक्रमों में स्वरचित गीत और कविताओं को इतना सम्मान मिला कि साल 1995 में वायुसेना सुब्रोतो पार्क में तैनाती के दौरान इंटर डिपार्टमेंट प्रतियोगिताओं में उन्हें प्रथम पुरुस्कार दिया गया और उनकी कला का संज्ञान सेना के सभी बड़े अधिकारियों को हो गया। सेना के कमांडर की संस्तुति पर ही उन्हें मुंबई में मनचाही तैनाती मिली, जहां वह संगीत क्षेत्र में कैरियर बनाने को उत्सुक थे। जहां से उन्हें फिल्मों और धारावाहिकों में गीत लिखने का मौका मिला वह फिल्मी गीतकार के रुप में पहचाने जाने लगा। 
लोक कला व संगीत से दूर बच्चे 
लोक संगीत के संगीत के मूलरूप श्रोताओं में आ रही कमी को स्वीकारते हुए कृष्ण भारद्वाज आज की पीढ़ी को कुछ नया और बदला प्रारूप भाने लगा और उन में विदेश जाने की सोच के साथ पाश्चत्य संस्कृति घर कर रही है और अपनी लोक कला और संगीत से दूर होते जा रहे हैं। अगर आधुनिक पीढ़ी की उदासीनता निरंतर बनी रही, तो हमारी लोक कला विलुप्त होने के कगार पर पहुँच जायेगी। युवाओं का रुझान इस ओर लाने के लिए हमें आधुनिक तौर तरीकों का सहारा लेना पड़ेगा और लोक कला को आधुनिक तरीके से प्रस्तुत करना पड़ेगा। लोकगीतों में ये बदलाव देखने को मिला है और इसीलिए लोकगीतों का चलन कुछ बदले रूप में बढ़ा है और लोगों ने इनको नए रूप में प्रस्तुत करना शुरू किया है और विशेषतौर पर हरियाणा के पिछले दिनों में मशहूर हुए कुछ गीत लोकगीत ही हैं, जिनमें थोडा मॉडर्न तड़का लगाया गया है और नए ढंग से पेश किया गया है, जिसको हमारे विदेशों में रहने वाले बच्चे और लोग पसंद भी करते हैं, जहां हरियाणवी गीत भी आज बदले रूप में सुने जा रहे हैं। यदि हमें साहित्य और लोक कला को ज़िंदा रखना है, तो हमें बच्चों की रूचि इसमें बढ़ानी पड़ेगी और वो इसे रोचक बना कर ही किया जा सकता है। 
17Apr-2023

3 टिप्‍पणियां:

  1. हरयाणवी कलाकार हमारे देश की शोभा है

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  2. भाई कृष्ण भारद्वाज जी टैलेंटेड बहुत है . इनके द्वारा लिखे गए गीतों के अल्फाज है वह दिल को छू लेने वाले होते हैं. बेजोड़ प्रतिभा के धनी भाई कृष्ण भारद्वाज को हार्दिक शुभकामनाएं

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