सोमवार, 17 अक्तूबर 2022

साक्षात्कार: देहाती ने हरियाणवी रागनी गायन शैली का सात समंदर तक बजाया डंका

राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित रंगमंच लोक गायक प्रेमसिंह देहाती 
---ओ.पी. पाल 
हरियाणवी लोक संस्कृति और लोक कला को वैश्विक पहचान देने वाले लोक कलाकारों और गीतकारों ने अपनी प्रतिभा के बल पर सात समंदर तक लोहा मनवाया है। ऐसे ही लोक कलाकारों में हरियाणवी लोक संस्कृति में संगीत नाटक अकादमी के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित रंगमंच कलाकार और लोक गायक प्रेम सिंह देहाती ने गुरु पंरपरा का निर्वहन करते हुए सात समंदर तक की रागनी गायन शैली के ऐसे रंग बिखेरे हैं। हरियाणवी लोक संस्कृति और कला की विरासत को संजोकर लोगों तक पहुंचाने वाले इस लोक कलाकार ने हरियाणा लोक कला और संस्कृति को जीवंत रखने के मकसद से हरियाणवी फिल्मों के अलावा वॉलीवुड फिल्मों में भी अपनी रागनी गायन शैली में एक अभिनेता और गायक दोनों के रूप में अहम भूमिका निभाई है। हरियाणवी लोक गायकी और रागनी गायन शैली में आकाशवाणी द्वारा ए-ग्रेड श्रेणी के घोषित लोक कलाकार प्रेम सिंह देहाती ने हरिभूमि संवाददाता से बातचीत करते हुए विश्वभर में विख्यात हरियाणवी लोक संस्कृति और सभ्यता को भूलती जा रही युवा पीढ़ी को अपने पूर्वजों के संस्कारों को ग्रहण करने पर बल दिया है। 
विरासत में मिली लोक कला 
राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हरियाणवी रागनी गायन शैली में अपनी गायकी और अभिनय कला का प्रदर्शन कर एक रंगमंच कलाकार और लोक गायक के रूप में लोकप्रियता हासिल करने वाले प्रेम सिंह देहाती का जन्म रोहतक शहर के निकटवर्ती बोहर गांव में 5 फरवरी 1954 को हुआ। खासबात ये है कि उन्हें लोक संगीत, गायन, नृत्य व अभिनय शैली अपने परिवार में विरासत में मिली। प्रेम देहाती ने बातचीत के दौरान बताया कि उनके पिता, ताऊ, चाचा अपने जमाने के बहुत अच्छे लोक कलाकार के रुप में पहचाने गये हैं। लोक संस्कृति और कला की उसी विरासत को उन्होंने बचपन में ही आगे बढ़ाना शुरू कर दिया था। गांव के स्कूल में पंचायती खेलकूद के दौरान सांगियों व रागनी कलाकारों के साथ वह भी ज्यादातर मंचों से इस गायन शैली में गाने लगे। जिला स्तर पर नृतक मंडली में गांवों में होने वाले नाटकों के मंच पर एक कलाकार, नाटक गीत और भजन गायन ने उन्हें इस कला में परिपक्व बना दिया। 
ऐसे मिली मंजिल 
प्रेम देहाती ने बताया कि परिवार की इस कला विरासत को उन्होंने पेशेवर के रुप में अपनाने के मकसद से पारंपरिक रंगमंच और लोक कला में अपना प्रशिक्षण भी प्राप्त किया। हालांकि शिक्षा के मामले में वे मैट्रिकुलेशन तक ही पढ़ाई कर पाये, लेकिन लोक संगीत को लेकर वे हमेशा संवेदनशील रहे और उसी का परिणाम था कि इसी कला के आधार पर वर्ष 1973 में वह चयन बोर्ड के माध्यम से लोक संपर्क एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग हरियाणा में ग्रामीण समुदाय रंगमच के लिए गुडगांव में नियुक्त हो गये। इसी साल आकाशवाणी दिल्ली से वे लोक संगीत और दूरदर्शन से देहाती कार्यक्रम से पास हुए। यहीं से उन्हें अपने नाम प्रेम सिंह के साथ देहाती सरनेम का नाम मिला। 29 फरवरी 2012 को वे रेडियो प्रेस एवं संपर्क अधिकारी कार्यालय रोहतक में हारमोनियम परफोर्मर एवं सांस्कृतिक समन्वय के पद से सेवानिवृत्त हुए। फिलहाल वे हरियाणा कला परिषद एवं लख्मीचंद फॉक फाउंडेशन के साथ जुड़कर लोक संस्कृति कार्यक्रमों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने में जुटे हैं। उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र पटियाला की चयन समिति में विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में भी कार्य किया। 
फिल्मों में गायक व अभिनेता की भूमिका 
हरियाणा के लोक कलाकार प्रेम देहाती ने जहां हरियाणवी फिल्मों, डॉक्यूमेंट्री और नाटकों में अभिनय व गायकी कला का प्रदर्शन कर शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में लोगों को आकर्षित किया है, वहीं उन्होंने बालीवुड में सुप्रसिद्ध निर्माता, निर्देशक एवं संगीतकार विशाल भारद्वाज की फिल्म मटरु की ‘बिजली का मंडौला’ में लोक गायन शैली में चार गीत गाए और फिल्म में अभिनय किया। हाल ही में राष्ट्रीय पुरस्कार से पुरस्कृत बॉलीवुड अभिनेता एवं फिल्म निर्देशक यशपाल शर्मा द्वारा निर्देशित फिल्म ‘दादा लखमी’ में गायन व अभिनय जैसी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। जबकि हरियाणवी फिल्मों-चन्द्रो, जर जोरु और जमीन तथा जाटणी में पार्श्व गायन व अभिनय करके हरियाणवी लोक संस्कृति के विस्तार में योगदान दिया। इसके अलावा उन्होंने हबीब तनवीर द्वारा निर्देशित सांग ‘शाही लकड़हारा’ और ‘ज्यानी चोर’ तथा प्रख्यात आधुनिक थियेटर निर्देशक बलवंत गार्गी द्वारा निर्देशित हरियाणवी नाटक ‘शरबती’ के अलावा विलायत जाफरी द्वारा निर्देशित ध्वनी एवं प्रकाश कार्यक्रम ‘आंगन में चांदण’ तथा ‘कल और आज’ में अभिनय तथा पार्श्व गायक की विशेष भूमिका निभाई है। प्रसिद्ध संगीतकार रविन्द्र जैन, प्रसिद्ध गायिका श्रीमती दिलराज कौर, सविता साथी जैसे कलाकारों के साथ फिल्म में गायन किया। वहीं उन्होंने सुखदेव द्वारा द्वारा निर्मित डॉक्यूमेंटरी में देशभक्ति गीत हरियाणवी गायन शैली में गाया है। 
टीवी व रेडियो कलाकार 
उन्होंने आकाशवाणी केंद्र नई दिल्ली, रोहतक, हिसार, कुरुक्षेत्र एवं आकाशवाणी द्वारा आयोजित विभिन्न स्थानों पर स्टेज कार्यक्रमों में भाग लिया और संगीत रुपक एवं विभिन्न सांगों में रिकार्डिंग की। वहीं दूरदर्शन केन्द्र: सीपीसी खेल गांव नई दिल्ली में कोस्टम एंड ट्रेडीशन फिल्म का निर्माण, कृषि दर्शन, दूरदर्शन जालंधर, हिसार तथा ईटीसी टीवी चैनल के लिए कार्यक्रम प्रस्तुत किये। इसके अलावा उन्होंने विभिन्न कैसेटों कंपनयों जैसे सोनोटोन, मैक्स, रामा कैसेट कंपनी दिल्ली द्वारा विभिन्न कैसेट रिकार्डिंग करवाई। वहीं आत्ममंथन एवं हरियाणा मस्ती रिमैक्स के ऑडियो कैसेट ने भी जनमानस में उन्हें अलग पहचान दी। उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र पटियाला की चयन समिति में विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में भी कार्य किया। 
विदेशों में भी छोड़ी छाप 
लोक कलाकार प्रेम सिंह देहाती ने विदेशों में भी उन्होंने अधिकांश रागनियों का पंडित लखमीचंद, कवि फौजी मेहर सिंह व पंडित मांगेराम जैसे प्रसिद्ध कवियों द्वारा रचित गायन शैली को प्राथमिकता देते हुए प्रस्तुत कर अपनी कला और हरियाणवी लोक गायकी शैली की छाप छोड़ी। उन्होंने सन 1985 में भारतीय सांस्कृतिक कार्य विभाग द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय फेस्टिवल समारोह काठमांडु(नेपाल) में हरियाणवी लोक गायकी का प्रदर्शन किया। वहीं सन 1994 में आईसीसीआर द्वारा उन्हें हरियाणवी सांस्कृतिक दल में शामिल किया गया, जिस दल में उत्तर पश्चिमी अफ्रीका के देश घाना, बुरकीनाफासों, मोरोको, टुनिस व मिस्र में हरियाणवी लोक गायकी रागनी की 20 जगह प्रस्तुति देकर विशेष ख्याति अर्जित की। विदेश यात्राओं के दौरान रागनी जैसी हरियाणवी लोक गीत की प्रस्तुतियों के दौरान उनको सम्मानित किया गया। वहीं इसके लिए विभिन्न देशों के राजदूतों ने उन्हें प्रशंसा पत्र भेंट किये गये। 
राष्ट्रीय समारोह में बिखेरी छटाएं 
नई दिल्ली के राजपथ पर गणतंत्र दिवस और लालकिला पर स्वतंत्रता दिवस समारोह में हरियाणा झांकी और लोक सांस्कृतिक कार्यक्रमों में प्रेम देहाती ने हरियाणवी लोक कला व संगीत का कई बार प्रदर्शन किया। वहीं उन्होंने लोक गायकी रुप में ऐसे राष्ट्रीय समारोह के मौकों पर उत्तर प्रदेश, मणिपुर, इंफाल, केरल राजस्थान, कर्नाटक, हरियाणा व पंजाब की राजधानियों में बढ़ चढ़कर हिस्सेदारी की है। उन्होंने एशियाड़-1982 व अपना उत्सव में विशेष रूप से भी एक लोककलाकार के रूप में अपनी छाप छोड़ी और हरियाणा रजत जयंती समारोह दिल्ली में अग्रणी गायक कलाकारों की पंक्ति में शामिल रहे। इसके अलावा सांस्कृतिक कार्य विभाग हरियाणा द्वारा आयोजित विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों में सांस्कृतिक आदान-प्रदान योजना के अंतर्गत उत्कृष्ट हरियाणवी रागनी व लोक गायकी जैसे मिजोरम, सिक्कम, तामिलनाडू में अमिट छाप छोड़ी। 
पुरस्कार व सम्मान 
हरियाणवी लोक कलाकार व गीतकर प्रेमसिंह देहाती को वर्ष 2012 के लिए संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली के लोक नाट्य में एक लाख रुपये वाले राष्ट्रीय पुरस्कार तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने प्रदान सम्मानित किया। इसके अलावा वर्ष 2008 में हरियाणा सरकार द्वारा देवी शंकर प्रभाकर पुरस्कार से नवाजा गया। जबकि पंजाब विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक, चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय सिरसा, चौ. चरणसिंह कृषि विश्वविद्यलय हिसार आदि में शिक्षण संस्थाओं में कार्यक्रम प्रस्तुति के बाद उन्हें ढ़ेरो पुरस्कार देकर सम्मानित किया जा चुका है। देश के विभिन्न राज्यों व शहरों में विभिन्न गणमान्य संस्थाओं व संगठनों द्वारा लोक कला संस्कृति कार्यक्रमों की प्रस्तुति के दौरान अनेको सम्मान मिलते रहे हैं। 
17Oct-2022

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