सोमवार, 31 अक्तूबर 2022

मंडे स्पेशल: पढ़ाई व रोजगार की तलाश में विदेशों का रुख करते हरियाणा के युवा

सरकार ने भी विदेश में रोजगार के लिए बनाई प्रोत्साहन नीति 
विदेशों के नाम पर ठगी के बर्बाद भी हो रहे हैं हरियाणावासी 
ओ.पी. पाल.रोहतक। हरियाणा जैसे कृषि प्रधान राज्य युवाओं को सेना में भेजने के लिए विख्यात है, लेकिन प्रदेश में महंगी होती शिक्षा और बढ़ती बेरोजगारी अब युवाओं को पढ़ाई और रोजगार के लिए अमेरिका, कनाड़ा, ब्रिटेन और आस्ट्रेलिया जैसे देशो की तरफ जाने के रास्ते पर मोड़ती नजर आ रही है। युवाओं के विदेश की तरफ रुख करने का यह भी मुख्य कारण है कि यहां उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद भी उन्हें रोजगार नहीं मिल रहा। इसलिए जहां इससे पहले ज्यादातर जमींदार या व्यापारी वर्ग ही अपने बच्चों को पढ़ाई या नौकरी के लिए विदेश भेजते थे, लेकिन अब नौकरीपेशा लोग भी अपने बच्चों का भविष्य बनाने के लिए उन्हें विदेश भेज रहे हैं। यही नहीं राज्य सरकार ने भी प्रदेश के युवाओं को विदेश में नौकरी दिलाने की दिशा में इतना प्रोत्साहन देना शुरू कर दिया है कि प्रवासी प्लेसमेंट सेल का गठन करके उसे प्रदेश में स्थापित 'विदेश सहयोग विभाग' से जोड़ दिया है। दूसरी तरफ युवाओं को विदेश भेजने के नाम पर प्रदेश के लोग फर्जी ट्रेवेल एजेंडों की ठगी का शिकार भी हो रहे। इस कारण कई ऐसे परिवार बर्बादी के कगार पर है जिन्होंने अपने बच्चों को विदेश भेजने के लिए जमीन जायदाद सब बेचकर सुनहरे सपने संजाएं थे। 
भारतीय छात्रों के विदेशों में अध्ययनरत छात्रों को लेकर रेडसीयर नाम की कंसल्टिंग फर्म की एक रिपोर्ट के अनुसार इस मौजूदा साल मार्च तक वर्तमान में विदेशों में अध्ययनरत 7,70,000 भारतीय छात्र हैं, जिनकी संख्या वर्ष 2016 में 4.40 लाख थी, इस प्रकार इन सात सालों में विदेशों में उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए विदेश जाने वाले छात्रों में 20 फीसदी से ज्यादा इजाफा देखा जा रहा है। जबकि विदेशों में कोरोना काल के दौरान विदेशों में भारत के 11,33,749 छात्र पढ़ रहे थे, जिसमें कनाडा में सर्वाधिक छात्र 2,15,720, अमेरिका में 2,11,930, ऑस्ट्रेलिया में 92 हजार से ज्यादा तथा सऊदी अरब में करीब 81 हजार भारतीय छात्र थे। इसके बाद यह संख्या कम हुई, लेकिन विदेशों में उच्च शिक्षा के लिए युवाओं का रूझान ज्यादा है। हालांकि विश्व में अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के मामले में चीन के बाद भारत दूसरा सबसे बड़ा स्रोत माना जाता है। इसके बावजूद शिक्षा के लिए ही नहीं, बल्कि रोजगार के लिए भारत से बड़ी संख्या में खासतौर से युवा विदेशों का रुख कर रहे हैं। जहां तक हरियाणा के विदेश में रह रहे लोगो का सवाल है, उसमें हरियाणा के भी दस हजार से ज्यादा छात्र विदेशों में उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए सात समंदर पार रह रहे हैं। दूसरी ओर भारत में भी कम से कम 168 देशों के छात्र भारत में शिक्षा ले रहे हैं, जिनमें करीब हरियाणा में दो हजार से ज्यादा विदेशी छात्र अध्ययनरत है। 
सरकार भी दे रही है प्रोत्साहन 
देश के हरियाणा सरकार ने प्रदेश के युवाओं के लिए विदेशों में शिक्षा और रोजगार को एक महत्वपूर्ण प्राथमिकता में शामिल करने का दावा किया है। इसके मद्देनजर ही प्रदेश में 'इंटरनेशनल हरियाणा एजूकेशन सोसायटी' के 'आनलाईन प्रशिक्षण कार्यक्रम' का शुभारंभ किया गया है। वहीं 'विदेश सहयोग विभाग' स्थापित करने के बाद हरियाणा सरकार द्वारा स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा उतीर्ण किए जाने के साथ युवाओं के निशुल्क रूप से पासपोर्ट भी बनवाए जा रहे हैं। नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में सरकार दूसरी भारतीय भाषा और विदेशी भाषाओं को सीखने पर भी बल दे रही है। हरियाणा के युवाओं के लिए 'इंटरनेशनल हरियाणा एजूकेशन सोसायटी' द्वारा प्रारंभ किए गए 'आनलाईन प्रशिक्षण कार्यक्रम' के तहत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 'साफ्ट स्किल्स' को महत्व देते हुए हरियाणा कौशल विकास मिशन' व 'श्री विश्वकर्मा कौशल विकास विश्वविद्यालय' जैसे करीब चार दर्जन औद्योगिक प्रतिष्ठानों के साथ 'कौशल प्रशिक्षण' के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी किये हैं। 
विदेशों में सस्ते कोर्स 
हरियाणा सरकार ने वर्ष 2020 में नई नीति तय कर उच्च शिक्षा की फीस कई गुना बढ़ा दी और एक साल के लिए फीस करीब 10 लाख रुपए तय की, जो अन्य राज्यों के मुकाबले सबसे ज्यादा है। हालांकि, एमबीबीएस कोर्स करने वाले छात्रों के लिए राज्य सरकार द्वारा ऋण की ऐसी व्यवस्था की गई है कि यदि कोई छात्र अपनी पढ़ाई और इंटर्नशिप पूरा करके सरकारी नौकरी के लिए चयनित हो जाता है, तो सरकार उसके ऋण की किश्तों का भुगतान करेगी। लेकिन इस नई नीति के बाद बड़ी संख्या में टॉपर बच्चे भी सस्ते अध्ययन के लिए राज्य में प्रवेश लिए बिना दूसरे राज्यों या विदेश जा रहे हैं। इससे पहले प्रदेश में एमबीबीएस की फीस 53,000 रुपये सालाना थी। शायद इसलिए अब प्रदेश के युवा पढ़ाई करने और नौकरी करने के लिए इसलिए विदेशों का रुख कर रहे हैं। एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए छात्र यूक्रेन, रूस, चीन, फिलीपींस, कजाकिस्तान, जॉर्जिया, किर्गिस्तान, नेपाल और मलेशिया जाते हैं। हरियाणा में एमबीबीएस की ऊंची फीस का असर यह है कि पिछले एक साल में राज्य के छात्र यूक्रेन और चीन चले गए हैं। अकेले यूक्रेन में पिछले साल 500 से ज्यादा बच्चे यहां से एमबीबीएस करने गए थे। इसी तरह चीन में भी हर साल युवा कोर्स के लिए जा रहे हैं। इन देशों में यह डिग्री 16 से 25 लाख में पूरी होती है। अकेले यूक्रेन में प्रदेश के 2000 से ज्यादा युवा एमबीबीएस कर रहे थे, जो रूसी आक्रमण के बाद यूक्रेन से लौटे हैं। 
राज्य में मेडिकल की 1850 सीटे 
हरियाणा में 5 सरकारी मेडिकल कॉलेज हैं। इनके अलावा, एक सरकारी सहायता प्राप्त और सात निजी मेडिकल कॉलेज हैं। राज्य में कुल 1850 सीटें हैं, हालांकि राज्य सरकार सीटों को बढ़ाने की योजना पर काम कर रही है। हालांकि राज्य में हर साल लाखों युवा नीट का पेपर देते हैं। दूसरी ओर प्रदेश के मुख्यमंत्री यहां के युवाओं की स्वास्थ्य शिक्षा को सरकार की प्राथमिकता बताकर यह भी ऐलान कर चुके हैं कि हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज स्थापित करने के लिए काम किया जा रह है। एमबीबीएस की सीटें पहले के मुकाबले बढ़ाई गई जा चुकी है। वहीं पीएम मोदी ने भी निजी मेडिकल कॉलेजों से फीस कम करने का आव्हान किया है, ताकि युवाओं को पढ़ाई के लिए बाहर न जाना पड़े। 
विदेशों में निजी नौकरी 
प्रदेश के लोग निजी रोजगार हासिल करने के लिए भी विदेश जा रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुसार पिछले तीन साल में पैसा कमाने के इरादे से देश के जुलाई 2022 तक रोजगार या कार्य के लिए 13 लाख से ज्यादा लोगों को 18 ईसीआर देशों के लिए विदेश जाने की मंजूरी दी है, जिसमें हरियाणा के 1349 लोग पंजीकरण कराकर विदेश में नौकरी के लिए गये हैं, इनमें पिछले एक साल में नौकरी के लिए 94 लोगों को विदेश जाने का मौका मिला। साल 2020 में 314, 2021 में 459 तथा 2022 के दौरान जून तक 354 हरियाणवी लोगों को उत्प्रवास की मंजूरी दी गई है। सरकार ने इस दौरान 18 ईसीआर देशों के लिए विदेश जाने की मंजूरी दी गई है।
विदेशों में उत्पीड़न का शिकार 
हरियाणा के ऐसे 57 लोगों की विदेशों में 2017 से जून 2022 तक भारतीय मिशन में उत्पीड़न होने की शिकायत दर्ज कराई है। प्रदेश के इन पीड़ित अप्रवासियों मलेशिया में 13, यूई में नौ, केएसए व ईसीएनआर देशों में सात-सात लेबनान में पांच, मलेशिया में 13, ओमान, जॉर्डन, कुवैत व ईरान में दो-दो, चीन, इंडोनेशिया, कतर, ईराक, थाईलैंड, यूएसए, कनाडा में एक-एक व्यक्ति के सामने रोजगार समस्या का सबब बना हुआ है। हालांकि भारत सरकार विदेशों में मौजूद भारतीयों की सुरक्षा व उनके कल्याण के लिए भारतीय मिशन और सामुदायिक कल्याण अनुभाग स्थापित किये हुए हैं। दरअसल विदेशों में शिक्षा ग्रहण के लिए अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में लाखों भारतीय छात्रों के वीजा की मंजूरी नहीं दी जाती, जिसके लिए वे शार्टकट अपनाकर वीजा लेने के लिए वे ऐसे एजेंटों के चुंगल में फंस जाते हैं, जिसकी वजह से वह विदेशों में परेशानियों में घिर जाते हैं। 
ठगी से बचाव पर गंभीर सरकार 
हरियाणा सरकार ने युवाओं को विदेश भेजने के नाम पर ठगी करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए जहां इमीग्रेशन फ्राड के बढ़ते मामलों पर अंकुश लागाने के लिए छात्रों तथा अन्य लोगों को विदेश भेजने के लिए अधिकृत ट्रैवल एजैंटों की सूची जारी की गई है। वहीं एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है, जिसने इस वर्ष 15 अक्तूबर तक राज्य में विदेश भेजने के नाम पर ठगी के 486 मामलों में 634 लोगों को गिरफ्तार करके उनके कब्जे से 20 करोड़ रुपए से अधिक राशि जब्त की है। शुरू में तो कुछ ही जिलों से अवांछित तत्वों द्वारा ठगी की शिकायतें मिल रही थीं परंतु अब लगभग समूचे हरियाणा से ही इस तरह की शिकायतें आ रही हैं। 
ये हो सकता है सही रास्ता 
युवाओं को आइईएलटीएस (इंटरनेशनल इंग्लिश लैंग्वेज टेस्टिंग सिस्टम) में अच्छे बैंड लाकर सही रास्ते पर चलकर अपने सपने को साकार करना चाहिए। कनाडा में छह बैंड और इससे ऊपर वाले युवाओं को वीजा मिलता है। इसके साथ एलएमआइए (लेबर मार्केट इंपेक्टट एसेसमेंट) से भी विदेश जा सकते हैं। एसडीएस (स्टूडेंट डायरेक्ट स्ट्रीम) प्रोग्राम में युवा विदेश में जाते हैं। इसके अलावा नान एसडीएस में लोग विदेश में जाते हैं। दोनों में फंड का अंतर होता है। 
31Oct-2022

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