सोमवार, 10 अक्तूबर 2022

साक्षात्कार: मानवीय संवेदनाओं की अभिव्यक्ति है साहित्य: आशा खत्री

महिलाओं के कल्याण को लेकर बेहद संजीदा व्यक्तिगत परिचय 
नाम: आशा खत्री ‘लता’ 
जन्म : 26 नवम्बर 1963 
जन्म स्थान: गाँव खरावड़, जिला रोहतक(हरियाणा) 
शिक्षा: हिंदी में स्नातकोत्तर, बी.एड., सीएआईआईबी सम्प्रति: सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक में वरिष्ठ प्रबन्धक, स्वतंत्रत लेखन कार्य 
संपर्क :2527, सेक्टर-1, रोहतक-124001(हरियाणा) मोबाइल-8295951677,ईमेल-asha41424@gmail.com ------ 
by--ओ.पी. पाल-- 
साहित्य जगत में लेखक साहित्य की विभिन्न विधाओं के माध्यम से समाज को दिशा देने का काम कर रहे हैं। ऐसे साहित्यकारों में महिला साहित्यकार एवं लेखिका आशा खत्री ‘लता’ भी शुमार है, जिनके साहित्य लेखन का फोकस हमेशा दूसरों की पीड़ा को दूर करने पर रहा। खासतौर से महिलाओं के कल्याण को लेकर उनकी रचनाओं में एक संवेदनशील व्यक्तित्व साफतौर से देखा जा सकता है। साहित्य क्षेत्र में उनकी रचनाएं समाज को नई दिशा देकर विसंगतियों को दूर करके संस्कृति और सभ्यता को पुनर्जीवित करने से कम नहीं हैं। नारियों के बेहतर जीवन को लेकर वे बेहद संजीदा है और लेखन के साथ वे रचनात्मक कार्य करके समाज को सकारात्मक विचाराधारा का संदेश भी दे रही हैं। बैंक में एक अधिकारी के रूप में कार्यरत श्रीमती आशा खत्री ‘लता’ ने अपने साहित्यिक सफर को लेकर हरिभूमि संवाददाता से बातचीत के दौरान ऐसे कई पहलुओं को उजागर किया, जिसमें मानवता का संदेश मिलता है। हरियाणा में रोहतक के निकटवर्ती गांव खरावड़ के एक किसान परिवार में 26 नवम्बर 1963 को जन्मी श्रीमती आशा खत्री के पिता मदन मोहन मलिक सेना में थे। उनका विवाह नरेला के निकट बाकनेर गांव में हुआ है। इनके पति दयानंद खत्री कृषि विभाग से पटवारी पद सेवानिवृत्त हैं। आशा खत्री स्वयं हरियाणा ग्रामीण बैंक में प्रबंधक के रूप में कार्यरत हैं। बचपन में वह परिवार और खेतीबाड़ी के काम में भी हाथ बंटाती रही। चूंकि उनके परिवार में पढ़ने का बेहतर माहौल था और घर में उस समय उर्दू का अखबार आता था। इसी कारण उन्हें पढ़ने और लिखने का संस्कार बचपन में ह परिवार से मिला। बतौर आशा खत्री अखबार में प्रकाशित कुछ ऐसी घटनाओं को लेकर वे आहत हो जाती थी, जो भारतीय संस्कृति और समाज के उत्थान के विपरीत संदेश देती थी। इसलिए उनकी हमदर्दी पीड़ितों के प्रति ज्यादा थी, जो मानवीय दृष्टि से होनी भी चाहिए। इसलिए लेखन करना उनके मन की विवशता का कारण बनकर उभरी। उनका कहना है कि समाज में विसंगतिया प्रतिपल उनके मन को कचोटती हुई दिल का चैन और आंखो की नींद छीन लेती हैं। यही बेचैनी उनके कलम के माध्यम से कागज पर आ जाती है। मानवीयता के प्रति संवेदनशील आशा खत्री ने अपनी कलम को उस समय धार देना शुरू किया, जब पंजाब में सिख आतंकवाद चरम पर था। उनका कहना है कि उस समय अखबारों में पाठकों के पत्र प्रकाशित होते थे और उनके पत्र भी नवभारत और अन्य अखबारों में प्रकाशित होने लगे तो उनका लेखन के प्रति और भी ज्यादा आत्मविश्वास बढ़ा। कुछ लाइने लिख कर कविताएं बनाना और फिर लघु कथाए लिखने के प्रति उनकी रुचि बढ़ती चली गई। उनकी पहली लघुकथा जब ट्रिब्यून में प्रकाशित हुई तो उनकी साहित्य साधना में गहनता आना स्वाभाविक ही था, तो फिर कारगिल युद्ध की घटनाओं से आहत होने पर उनकी साहित्य साधना में कहीं और ज्यादा गंभीरता आई। पिछले 30 वर्षों से दैनिक ट्रिब्यून, दैनिक हरिभूमि, दैनिक जागरण एवं प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में सतत लघुकथाएँ, कहानियां, कविताएं, व्यंग्य एवं सामयिक विषयों पर लेख प्रकाशित होते रहते हैं। महिला रचनाकार आशा खत्री ‘लता’ के साहित्य सृजन में निहित एक मानवीय पहलु उन्हें एक महान नारी के रूप में भी पहचानता है। मसलन वे सामाजिक सेवा और रचनात्मक गतिविधियों में इतनी सक्रीय हैं, कि लेखन एवं साहित्य सम्मान या अन्य पुरस्कार में मिलने वाली धनराशि को असहाय और जरुरतमंदों की आर्थिक और सामाजिक मदद में खर्च करती आ रही है या फिर गरीबों के कल्याण करने वाले ट्रस्ट को दान दे रही हैं। इस आधुनिक युग में सोशल मीडिया के बढ़ते दौर में साहित्य के प्रभाव को लेकर उनका मानना है कि पाठक साहित्य से दूर हो रहे हैं, लेकिन अच्छे साहित्य की महत्ता को कभी कम नहीं आंका जा सकता, जिसकी सार्थकता को कायम रखने के लिए साहित्यकारों का अच्छे साहित्य लेखन करने की जरुरत है, जिसमें युवा पीढ़ी को भी साहित्य के प्रति प्रेरित किया जा सके। 
प्रकाशित पुस्तकें 
प्रसिद्ध महिला साहित्यकार आशा खत्री ‘लता’ की अब तक प्रकाशित पुस्तकों में दो कहानी संग्रह, दो लघुकथा संग्रह, तीन दोहा संग्रह, एक उपन्यास, एक लघुकविता संग्रह सहित 9 पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। उनके कहानी संग्रह की दर्द के दस्तावेज़ और आखिरी रास्ता, लघुकथा संग्रह में बेटी है ना! और काली चिड़िया, दोहा संग्रह में 'लहरों का आलाप', 'रक्तदान-दोहावली' और 'चिंतन खड़ा उदास' सुर्खियों में हैं। वहीं उनकी रचनाओं में 'उदय-स्वप्न से सत्य तक' और लघुकविता संग्रह 'औरत जिससे प्यार करती है' के अलावा जल्द ही एक एक गीत संग्रह प्रकाशित होने वाला है। इसके अलावा आशा जी ने शब्दशक्ति पत्रिका के 2 अंकों के अलावा रक्तदान पर दोहा संग्रह का सम्पादन भी किया। यही नहीं वे पिछले डेढ़ दशक से बैंक पत्रिका हरितिमा का संपादन भी करती आ रही हैं। इसके अलावा अब तक करीब 70 से अधिक पुस्तकों की समीक्षा भी कर चुकी हैं। उनकी विश्व के सौ रचनाकारों द्वारा लिखित उपन्यास 'खट्टे मीठे रिश्ते' में भी सक्रीय सहभागिता रही। खास बात ये भी रही कि म्हारा हरियाणा वेबसाइट पर प्रकाशित हरियाणवी कहानी 'गूठी' को हरियाणवी बोली में सराहना मिली है। 
पुरस्कार व सम्मान 
हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा महिला रचनाकार आशा खत्री को वर्ष 2021 के लिए एक लाख रुपये क विशेष हिंदी सेवी सम्मान देकर पुरस्कृत किया गया। इससे पहले अकादमी वर्ष 2019 के लिए उनके लघुकथा संग्रह 'काली चिड़िया' को कहानी विधा में सर्वश्रेष्ठ कृति पुरस्कार देकर सम्मानित कर चुका है। इसके अलावा उन्हें आनन्द कला मंच भिवानी के श्रीमती शान्ति देवी स्मृति साहित्य सम्मान-2021, निर्मला स्मृति साहित्य मंच चरखी दादरी ने साहित्य सेवाओं के लिए सम्मान-2020, समग्र सेवा संस्थान सिरसा द्वारा वरिष्ठ कवि श्री उदयकरण सुमन स्मृति सम्मान-2020 तथा साहित्य सभा कैथल द्वारा साहित्यकार सम्मान 2018 के रूप में 'जसबीर सिंह मोर स्मृति सम्मान' से नवाजा जा चुका है। वहीं समर्थ महिला परिषद द्वारा श्रेष्ठ साहित्यकार सम्मान-2018, सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक द्वारा राजभाषा पुरस्कार-2018, प्रज्ञा साहित्य मंच द्वारा श्रेष्ठ साहित्यकार सम्मान-2017, यंग इंडिया एसोशिएसन द्वारा श्रेष्ठ साहित्यकार सम्मान-2015 के अलावा अन्य साहित्यिक मंचों पर उनका सम्मान किया जा रहा है। जब आशा खत्री को हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा ‘विशिष्ट हिंदी सेवी पुरस्कार 2021’ की घोषणा हुई तो प्रज्ञा साहित्यिक मंच, रोहतक के अध्यक्ष मधुकांत (अनूप बंसल) के नेतृत्व में नगर के साहित्यकारों ने उनका और परिजनों का उनके आवास पर जाकर शाल, स्मृति चिन्ह, माला व अभिनन्दन पत्र भेंट कर नागरिक अभिनंदन किया। 
10Oct-2022

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